एक बढ़ते बाजार में अच्छी म्यूचुअल फंड योजना न केवल अपने बेंचमार्क से, बल्कि अपनी समकक्ष दूसरी योजनाओं से भी लगातार बेहतर प्रदर्शन करती है।
लेकिन जरूरी है कि उस योजना में गिरते बाजार में आपके नुकसान को सीमित रखने की खूबी भी हो। दीपावली के इस पावन अवसर पर इन्हीं पहलुओं को ध्यान में रख कर बजाज कैपिटल के सीईओ अनिल चोपड़ा ने आपके लिए सात अलग-अलग श्रेणियों की कुल 11 प्रमुख म्यूचुअल फंड योजनाओं को चुना है।
इक्विटी निवेशकों के लिए यह साल अब तक अच्छा रहा है, जिसमें 29 अक्टूबर 2012 तक निफ्टी ने 22.5% और सेंसेक्स ने 21% बढ़त दर्ज की है। साल का अंत करीब होने के चलते अपने म्यूचुअल फंड पोर्टफोलिओ की समीक्षा करके अपने वित्तीय लक्ष्यों के अनुरूप बदलाव करने का यह उपयुक्त समय है। दीपावली के अवसर पर सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली कुछ म्यूचुअल फंड योजनाओं पर नजर डालते हैं, जो आपके वित्तीय लक्ष्यों में सहायक हो सकें और रिटायरमेंट तक एक बड़ी रकम संचित कर पाने में आपकी मदद करें।
इक्विटी फंड :
दिग्गज (लार्जकैप) फंड
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ब्लूचिप इक्विटी फंड
यह फंड मई 2008 से चल रहा है। इसके फंड मैनेजर अभी मनीष गुनवानी और अतुल पटेल हैं। यह फंड बाजार पूँजी के लिहाज से 100 शीर्ष कंपनियों में से 20-25 दिग्गज शेयरों में निवेश की रणनीति पर चलता है। इसके पोर्टफोलिओ में शामिल शेयर विविध क्षेत्रों से हैं, जिससे जोखिम घटता है। यह फंड विश्व बाजारों में वित्तीय संकट के समय शुरू किया गया, जिसके चलते इसे काफी अच्छा फायदा मिला।
इस फंड में दिग्गज शेयरों की हिस्सेदारी लगभग 95% है, जबकि इस श्रेणी के फंडों का औसत 82% का है। इस फंड में बीते दो सालों में लगातार निवेश बढ़ा है। इसकी कुल निधि 31 जून 2011 के 2545.23 करोड़ रुपये से 58% बढ़ कर 30 सितंबर 2012 को 4025.37 करोड़ रुपये हो गयी।
जोखिम समायोजित करने के बाद के लाभ का इसका शार्पे अनुपात 0.26 पर है, जो निफ्टी के -0.05 से ऊँचा है। मासिक लाभ के पैमाने पर बीते तीन सालों में इसने 67% बार निफ्टी से बेहतर प्रदर्शन किया है। इस योजना में कम-से-कम तीन-चार सालों के लिए निवेश करना अच्छा होगा।
यूटीआई इक्विटी
इसकी शुरुआत मई 1992 में हुई थी और इसे पहले यूटीआई मास्टरगेन 92 के नाम से जाना जाता था। अभी इसके फंड मैनेजर अनूप भास्कर हैं। अप्रैल 2007 में इनके कमान सँभालने के बाद से यह फंड हर साल अच्छा प्रदर्शन करता रहा है। उनकी रणनीति ऐसे शेयरों को चुनने की रही है जो अपने ऐतिहासिक स्तरों की तुलना में निचले भावों पर हों और अपने समकक्ष अन्य शेयरों की तुलना में सस्ते हों। निवेश का अच्छा मौका चुनने के लिए वे मूल्य बनाम बुक वैल्यू (पी/बीवी) और इंटरप्राइज वैल्यू बनाम एबिटा (ईवी/एबिटा) जैसे पैमाने रखते हैं। इसका टर्नओवर अनुपात केवल 36.20% है, जो यह दिखाता है कि इसके पोर्टफोलिओ में बार-बार बदलाव नहीं किया जाता। इस फंड ने साल 2008 से अब तक हर साल अपनी श्रेणी के अन्य फंडों की तुलना में अच्छा प्रदर्शन किया है।
इसके पोर्टफोलिओ में विविध क्षेत्रों के 72 शेयर हैं। इसका व्यय अनुपात 1.45 है, जो इस श्रेणी के औसत व्यय अनुपात 2.17 से काफी कम है। यह फंड मध्यम जोखिम लेने वाले ऐसे निवेशकों के लिए अच्छा लगता है जो 3-4 साल के लिए निवेश करना चाहते हैं।
फ्लेक्सीकैप फंड
रिलायंस इक्विटी अपॉर्चुनिटीज
इस फंड का गठन मार्च 2005 में हुआ था। इसका प्रबंधन शैलेश राज भान और विरल बेरावाला कर रहे हैं। इस योजना में मुख्य रूप से स्थिरता वाले दिग्गज शेयरों और उभरते क्षेत्रों के अच्छी बढ़त वाले मँझोले और छोटे शेयरों में निवेश किया जाता है। यह रुझान पर आधारित फंड है, जिसमें समय-समय पर किसी खास क्षेत्र या बाजार पूँजी की ओर झुकाव बढ़ाने की गुंजाइश रखी गयी है। इसमें निवेश की दोहरी रणनीति है। इसमें अधिकांश निवेश अच्छे मूल्यांकन वाले शेयरों में किया जाता है, जबकि बाकी निवेश रणनीतिक मौकों के आधार पर होता है।
इसके पोर्टफोलिओ में विविध 36 शेयर हैं और फंड मैनेजर ने 25% तक नकदी का लचीलापन रखा है, जिससे अनिश्चित बाजार स्थितियों में गिरावट सीमित रखने में मदद मिलती है। इस योजना के पोर्टफोलिओ का झुकाव अच्छी बढ़त वाले शेयरों की ओर है, लेकिन इसमें सस्ते मूल्यांकन वाले अच्छे शेयरों को भी जगह दी गयी है।
इसके पोर्टफोलिओ में 35 शेयर हैं। अभी इस फंड में मँझोले शेयरों का योगदान 39.33% है, जो इस श्रेणी के औसत 23.36% से ज्यादा है। यह मँझोले शेयरों की ओर इसका झुकाव दिखाता है। इसने 2008 से अब तक अपने समकक्ष फंडों की तुलना में 2008 से अब तक हर साल बेहतर प्रदर्शन किया है। दिग्गज, मँझोले और छोटे शेयरों के बीच फ्लेक्सीकैप नजरिया रखने और निवेश को ज्यादा समय तक बनाये रखने की रणनीति के कारण यह योजना ऐसे निवेशकों के लिए अच्छी है जो मध्यम स्तर का जोखिम ले सकते हैं और कम-से-कम तीन साल तक इसमें निवेश बनाये रखना चाहते हैं।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल डायनैमिक प्लान
नवंबर 2002 में शुरू हुए इस फंड का प्रबंधन अभी शंकरन नरेन, अतुल पटेल और मित्तुल कलवाडिया के हाथों में है। अपने नाम के मुताबिक ही यह फंड अपनी संपत्तियों के आवंटन में काफी गतिशील नजरिया अपनाता है। लिहाजा इसमें हर तरह के मूल्यांकन और वृद्धि दर, दिग्गजों, मँझोले शेयरों और इंडेक्स से बाहर के शेयरों में निवेश के मौकों को पकड़ पाने का लचीलापन है। जब शेयर बाजार सस्ते या आकर्षक मूल्यांकन पर लग रहा हो तो इसमें शेयरों में निवेश बढ़ा दिया जाता है। दूसरी ओर जब बाजार का मूल्यांकन उचित से ज्यादा लगे तो इस योजना में नकदी की मात्रा बढ़ा देने की गुंजाइश रखी गयी है। अपने मूल स्वभाव में यह एक रक्षात्मक फंड है।
पोर्टफोलिओ में नकदी का ऊँचा स्तर बताता है कि इसके फंड मैनेजर सस्ते शेयरों में निवेश के उचित मौके की ताक में रहते हैं। इसके पोर्टफोलिओ में 63 शेयर हैं। इसकी गतिशील रणनीति के मद्देनजर यह उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है, जो रक्षात्मक स्वभाव के हैं और कम-से-कम तीन-चार साल के लिए निवेश करना चाहते हैं।
मँझोले (मिडकैप) फंड
केनरा रोबेको ईमर्जिंग इक्विटीज
फरवरी 2005 में बने इस फंड का संयुक्त प्रबंधन रवि गोपालकृष्णन और कृष्ण संघवी के हाथों में है। गोपालकृष्णन ने सितंबर 2012 में इस फंड की कमान हाथ में ली है। इससे पहले यह फंड अपने समकक्ष दूसरे फंडों की तुलना में अलग-अलग समय अवधि में बेहतर प्रदर्शन करता रहा है। इस फंड में अच्छी वृद्धि दर वाली विभिन्न कंपनियों के मँझोले और छोटे शेयरों का विविध पोर्टफोलिओ है, जिसमें कुल 45 शेयर हैं। इस योजना में टर्नओवर अनुपात 86% है और नकदी का स्तर बीते दो सालों में 8.71% के स्तर पर रहा है। इसमें मँझोले शेयरों का हिस्सा 85% है, जबकि इस श्रेणी का औसत 64% है।
साल 2009 से अब तक इसने हर साल अपनी श्रेणी के अन्य फंडों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। जोखिम की माप बताने वाला स्टैंडर्ड डेविएशन इस योजना में 18.98% है, जो सीएनएक्स मिडकैप के 20.99% से कम है। यह योजना मध्यम जोखिम उठाने और 3-4 साल का निवेश करने वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त है।
एचडीएफसी मिडकैप अपॉर्चुनिटीज
जून 2007 से शुरू हुए इस फंड का प्रबंधन चिराग सेतलवाड़ कर रहे हैं। मँझोली श्रेणी में यह सर्वोत्तम प्रदर्शन वाली योजनाओं में से एक है। इसके फंड मैनेजर की खूबी पोर्टफोलिओ बनाते समय ऐसी कंपनियों को चुनना है जो मजबूत कारोबारी मॉडल पर चल रही हों। वे ऐसे शेयरों में निवेश करते हैं जिनमें कंपनी का पिछला प्रदर्शन अच्छा हो, प्रबंधन टीम मजबूत है और कारोबार तेजी से बढऩे की उम्मीदें हों। इस फंड के पोर्टफोलिओ का 88% निवेश मँझोले और छोटे शेयरों में है। इसके पोर्टफोलिओ में 72 शेयर हैं, जिसमें बैंक, दवा और ऑटो पुर्जा क्षेत्रों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है।
बीते पाँच, तीन और एक साल की अवधि में यह अपनी श्रेणी में सबसे अच्छे प्रदर्शन वाली योजनाओं में शामिल है। इसने पाँच साल में 8.44%, तीन साल में 17.04% और एक साल में 14.86% का औसत सालाना लाभ दिया है। नियमित अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए मध्यम जोखिम उठाने वाले निवेशक 3-4 साल की अवधि के लिए इसमें निवेश कर सकते हैं।
वैल्यूस्टाइल फंड
टाटा डिविडेंड यील्ड
यह फंड अक्टूबर 2004 में शुरू हुआ था। इसके फंड मैनेजर अभी भूपिंदर सेठी हैं। नियमित प्रदर्शन, जोखिम समायोजित लाभ, जोखिम नियंत्रण और बेहतर अल्फा के लिहाज से यह अपनी श्रेणी की प्रमुख योजनाओं में से एक है। इस फंड में किसी शेयर को चुनते समय डिविडेंड को सबसे पहला पैमाना बनाया जाता है। जिन शेयरों का डिविडेंड यील्ड निफ्टी से ज्यादा हो, केवल उनमें ही निवेश किया जाता है। इसमें अच्छी वृद्धि वाले शेयरों पर ज्यादा जोर है और पोर्टफोलिओ में मँझोले शेयरों की हिस्सेदारी ज्यादा है। पोर्टफोलिओ में विविध 45 शेयर हैं, जिनमें शीर्ष 5 शेयरों का योगदान 26.38% और शीर्ष 10 शेयरों का योगदान 42.32% है। इसने एक, तीन और पाँच साल की अवधियों में निफ्टी के मुकाबले 1-9% अंक तक के अच्छे अंतर से बेहतर प्रदर्शन किया है। मध्यम जोखिम उठाने वाले निवेशक इसमें 3-4 साल की अवधि के लिए पैसा लगा सकते हैं।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल डिस्कवरी
जुलाई 2004 में शुरू हुए इस फंड का प्रबंधन मृणाल सिंह और अतुल पटेल कर रहे हैं। इस फंड में सस्ते मूल्यांकन पर जोर देकर ऐसे शेयरों को चुना जाता है, जो अपने वाजिब मूल्य से काफी छूट पर मिल रहे हों। इसके फंड मैनेजर सस्ते शेयरों को चुनने के लिए डिविडेंड यील्ड, तुलनात्मक बाजार मूल्यांकन और विशेष स्थिति जैसे पैमानों का प्रयोग करते हैं। इसके पोर्टफोलिओ में 63 शेयर हैं। मँझोले शेयरों पर केंद्रित इस फंड ने जोखिम बनाम लाभ के लिहाज से निवेशकों के लिए काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। फिलहाल इस फंड में मँझोले शेयरों का योगदान 58% है, जो इस श्रेणी के 37% के औसत की तुलना में ज्यादा है। साल 2008 से इस फंड ने अपनी श्रेणी की अन्य योजनाओं से बेहतर प्रदर्शन किया है। मध्यम जोखिम लेने वाले निवेशक कम-से-कम तीन साल के लिए इसमें निवेश कर सकते हैं।
ऋण फंड
हाई यील्ड एक्रुअल फंड
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल कॉर्पोरेट बांड फंड
यह फंड सितंबर 2004 में शुरू किया गया था। अभी इसके फंड मैनेजर अवनीश जैन हैं। यह फंड सीधे इस बात पर ध्यान देता है कि निवेशकों के लिए ऊँची ब्याज आय कैसे हासिल की जाये। इसके लिए यह अधिक ब्याज वाले कॉर्पोरेट बांडों में मध्यम से लंबी अवधि के निवेश की रणनीति पर चलता है, जिनकी अवधि 3-7 साल होती है। इसका निवेश मुख्य रूप से ऐसे कॉर्पोरेट बांडों में है, जिनकी क्रेडिट रेटिंग एएए या एए है।
इसके पोर्टफोलिओ में कॉर्पोरेट बांडों की हिस्सेदारी का स्तर 77.76% है। लगभग 66% निवेश एएए/पी1+ श्रेणी के बांडों में होने के चलते इसमें जोखिम तुलनात्मक रूप से कम है। यह फंड उन निवेशकों के लिए बेहतर है जो अलग-अलग परिपक्वता अवधि वाले अच्छे बांडों में निवेश करना चाहते हैं, लेकिन कम जोखिम उठाना चाहते हैं और पैसा निकाल पाने में लचीलापन चाहते हैं। कम-से-कम 30 महीनों की अवधि के लिए निवेश करने वाले निवेशकों के लिए यह उपयुक्त है।
डायनैमिक बांड फंड
एसबीआई डायनैमिक बांड फंड
यह फंड जनवरी 2004 में शुरू किया गया था। इसका प्रबंधन अभी दिनेश आहूजा कर रहे हैं। डायनैमिक बांड फंड की श्रेणी में होने के कारण इसमें बेहतर जोखिम समायोजित लाभ के लिए ज्यादा सक्रिय प्रबंधन करना पड़ता है। ब्याज दरों की स्थिति देख कर निवेश की अवधि को संतुलित करते रहने की गतिशील रणनीति के कारण यह फंड अलग-अलग अवधि में अपने समकक्ष अन्य फंडों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करता रहा है।
तीन साल के औसत सालाना प्रदर्शन के लिहाज से इसे अपनी श्रेणी में पहली कतार के फंडों में रखा जा सकता है। अपनी सक्रिय प्रबंधन की रणनीति के कारण यह योजना मध्यम जोखिम वाले ऐसे निवेशकों के लिए उपयुक्त है, जो कम-से-कम 12 महीने का निवेश करना चाहते हैं।
एसेट एलोकेशन फंड
एफटी इंडिया डायनैमिक पीई रेश्यो फंड ऑफ फंड्स
यह फंड अक्टूबर 2003 में शुरू हुआ और अभी इसके फंड मैनेजर आनंद राधाकृष्णन हैं। यह एक फंड ऑफ फंड है, जो गतिशील ढंग से इक्विटी और ऋण के बीच अपनी संपत्तियों का निवेश करता रहता है। अभी इस फंड ने अपनी संपत्तियों को फ्रैंकलिन इंडिया ब्लूचिप और टेंप्लेटन इंडिया इन्कम फंड में 65त्न और 35त्न के अनुपात में लगा रखा है।
महीने के अंत में एनएसई निफ्टी का पीई अनुपात देख कर इसमें इक्विटी और ऋण का अनुपात घटाया बढ़ाया जाता है। जब शेयर बाजार नीचे होता है तो फ्रैंकलिन इंडिया ब्लूचिप में निवेश बढ़ा दिया जाता है और जब बाजार ऊपर चढ़ता है तो इसमें निवेश घटा दिया जाता है। इस फंड ने 2009 से अब तक अपने समकक्ष अन्य फंडों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। यह उन संकोची निवेशकों के लिए बेहतर है, जो इसकी यूनिटों को कम-से-कम दो साल की अवधि के लिए खरीदना चाहें।
(निवेश मंथन, नवंबर 2012)