आपका वाहन आपके लिए कीमती वस्तु है और इसकी सुरक्षा करना भी आपके लिए उतना ही अनिवार्य है। इस मामले में जब आप ढिलाई बरतते हैं तो भी सरकार की ओर से प्रावधान है कि आप अपने वाहन की उचित सुरक्षा सुनिश्चित कर लें।
इसके लिए मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत सरकार द्वारा तीसरा पक्ष (थर्ड पार्टी) मोटर बीमा कराया जा सकता है। यह अधिनियम मुख्य रूप से वाहनों की चार श्रेणियों पर लागू होता है:
वाहनों की श्रेणी टीपीपीडी कवर
1. व्यावसायिक वाहन (तिपहिया वाहनों, टैक्सी और व्यावसायिक वाहनों की तरह शुल्क चुकाने वाले दो पहिया वाहनों को छोड़कर) 7.5 लाख
2. व्यावसायिक वाहन-तिपहिया और टैक्सी 7.5 लाख
3. प्राइवेट कार 7.5 लाख
4. मोटराइज्ड दोपहिया- निजी और व्यावसायिक 1 लाख
टीपीपीडी का मतलब थर्ड-पार्टी प्रॉपर्टी डैमेज से है।
अलग-अलग तरह की पॉलिसी
भारत में आम तौर पर दो प्रकार की मोटर बीमा पॉलिसियां प्रचलित हैं:
1. पहले टाइप की पॉलिसी को तीसरे पक्ष की दायित्व या सीमित दायित्व पॉलिसी (टीपीएल) कहा जाता है और इसे कानून के तहत अनिवार्य माना गया है। इसके तहत पॉलिसीधारक को तब कवर मिलता है, जब किसी तीसरे व्यक्ति की जिंदगी या संपत्ति को उसके वाहन से नुकसान पहुंचता है। दूसरे शब्दों में, यहां आपका बीमा कवर उस व्यक्ति को फायदा पहुंचाता है जिसे आपके वाहन से नुकसान हुआ है। थर्ड-पार्टी बीमा पॉलिसी के तहत आपके वाहन की मरम्मत लागत को कवर नहीं मिलता है। हालांकि आप अतिरिक्त सवारी के लिए हमेशा अतिरिक्त कवर पाने के हकदार हैं:
-तीसरे पक्ष के व्यक्ति की मौत या शारीरिक चोट पहुंचने के मामले में
-तीसरे पक्ष के व्यक्ति की संपत्ति को नुकसान पाने के मामले में।
इसके अलावा, थर्ड-पार्टी बीमा वाहन मालिक को वाहन चलाते वक्त अनिवार्य व्यक्तिगत दुर्घटना कवरेज भी देता है। यदि आप यात्रियों के लिए व्यक्तिगत दुर्घटना कवर बीमा का विकल्प चुनते हैं तो आपकी कार में बैठे लोगों को दुर्घटना के दौरान घायल होने की स्थिति में इसका फायदा मिल सकता है। टीपीएल के तहत, आपके पास तीसरे पक्ष के व्यक्ति की संपत्ति की क्षति (टीपीपीडी) की भरपाई के लिए 6,000 रुपये की वैधानिक सीमा का कवर चुनने का विकल्प है और यह विकल्प मोटर वाहन अधिनियम की ओर से दिया गया है। इतना ही नहीं, बीमा कराने के दौरान निजी कारों के लिये 100 रुपये, व्यावसायिक वाहनों, टैक्सी और तीन पहिया वाहनों के लिये 150 रुपये और दोपहिया वाहनों के लिए 50 रुपये का अतिरिक्त भुगतान करने पर पॉलिसी में मिलने वाला यह कवर कारों के लिए 7.5 लाख तथा दोपहिया वाहनों के लिए एक लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है। हालांकि यह विकल्प मानवीय क्षति के मामले में लागू नहीं होता है।
मोटर बीमा पॉलिसियों के तहत खास कवरेज
थर्ड पार्टी बीमा (सीमित)
-वाहन मालिक और चालक के लिए व्यक्तिगत दुर्घटना कवर
-यात्रियों के लिए वैकल्पिक व्यक्तिगत दुर्घटना कवर
अन्य व्यक्तियों (कार यात्री और कार में नहीं होने वाले व्यक्तियों) के घायल होने का कवरेज
- तीसरे पक्ष के किसी ऐसे व्यक्ति की कार की मरम्मत कराने का कवरेज जिसने अपने वाहन का बीमा नहीं कराया हो
- आपके अलावा आपकी कार में बैठे यात्री का चिकित्सा खर्च
पैकेज्ड (संपूर्ण पॉलिसी)
-थर्ड पार्टी बीमा प्लस सहित सभी प्रकार का कवरेज
- आगजनी, विस्फोट, वाहन में आग पकडऩे या बिजली गिरने की स्थिति में कवरेज
- चोरी, सेंधमारी की स्थिति में कवरेज
-दंगे और हड़ताल से हुए नुकसान का कवरेज
-भूकम्प का कवरेज
-बाढ़, तूफान, चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदा का कवरेज
- अचानक से किसी बाहरी नुकसान का कवरेज
-द्वेषपूर्ण कार्रवाई से होने वाले नुकसान का कवरेज
-आतंकी गतिविधियां
- सड़क मार्ग, रेल मार्ग, जलमार्ग, लिफ्ट, एलिवेटर या वायुमार्ग से माल ढुलाई के दौरान होने वाले नुकसान का कवरेज
- भूस्खलन या हिमस्खलन का कवरेज
2. टाइप-टू पॉलिसी को समग्र या पैकेज्ड मोटर बीमा पॉलिसी भी कहा जाता है। इसमें थर्ड-पार्टी बीमा सहित बीमाकृत वाहन के चोरी होने या क्षतिग्रस्त होने की किसी भी स्थिति में कवर दिया जाता है।
2. टाइप-2 पॉलिसी, संपूर्ण या पैकेज्ड वाहन बीमा पॉलिसी के नाम से ज्यादा लोकप्रिय है और इसके तहत थर्ड-पार्टी बीमा के अलावा किसी बीमाकृत वाहन के चोरी होने या क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में कवर मिलता है। इसमें कुछ निश्चित घटनाओं के दौरान हुए नुकसान का कवरेज मिलता है जिनमें आगजनी, चोरी, लूटपाट, किसी चीज के गिरने से वाहन को नुकसान, द्वेषपूर्ण गतिविधि, आतंकी गतिविधियां, चोरी, दंगे और हड़ताल, भूकम्प आदि शामिल हैं। संपूर्ण पॉलिसी %कटौती योज्य विकल्पÓ के तहत आती है जहां पॉलिसीधारी व्यक्तियों को दावा (क्लेम) पाने के दौरान नुकसान का कुछ हिस्सा स्वयं सहना पड़ता है। स्वैच्छिक विकल्प उन्हें बीमा पॉलिसी का प्रीमियम कम भरने में उनकी मदद करता है।
अपवाद
अपवाद ऐसी स्थिति है जिसमें पॉलिसीधारक को किसी क्लेम का भुगतान नहीं किया जाएगा। बीमा पॉलिसी के कुछ प्रचलित अपवाद इस प्रकार हैं :
1. यदि चालक ने दुर्घटना के दौरान अल्कोहल का सेवन किया हो
2. वैध ड्राइविंग लाइसेंस के बगैर यदि कोई व्यक्ति वाहन चला रहा हो
3. टायरों के क्षतिग्रस्त होने का भुगतान नहीं किया जाता, जब तक कि वाहन को भी नुकसान नहीं पहुंचा हो
4. परिचालन के भौगोलिक क्षेत्र से बाहर हुई किसी दुर्घटना की स्थिति में। यहां परिचालन का मतलब बीमाकर्ता द्वारा किसी खास क्षेत्र में मिलने वाले कवरेज से है। मसलन, ज्यादातर बीमाकर्ता पूरे भारत में कवरेज देते हैं लेकिन यदि दुर्घटना भारत से बाहर हुई हो तो कवरेज नहीं मिलेगा।
5. बीमा कंपनी दुर्घटना के कारण कुछ समय बाद होने वाले नुकसान और मामूली टूट-फूट की भरपाई नहीं करती है।
6. वाहनों का इस्तेमाल अगर दूसरे उद्देश्य से किया गया हो। मसलन, यदि निजी कारों को व्यावसायिक मकसद के लिए इस्तेमाल किया गया हो तो इस दौरान होने वाली दुर्घटना का क्लेम नहीं मिलेगा।
7. यांत्रिक या इलेक्ट्रिकल कारणों से खराब हुई या बंद पड़ीं गाडिय़ों पर क्लेम नहीं मिलेगा जो विशेष अपवाद की श्रेणी में आते हैं।
मोटर वाहन अधिनियम के कारण कमोबेश सभी बीमाकर्ता कंपनियों की कवरेज और इससे बाहर रहने वाली स्थितियां एक समान ही रहती हैं। हालांकि उनके प्रीमियम थोड़े बहुत कम-ज्यादा हो सकते हैं और यह उनके जोखिम अनुपात, पूर्व के खर्च आदि पर निर्भर करते हैं। नीचे वर्ष 2011 में खरीदी गई स्विफ्ट डिजाइर जेडएक्सआई (निजी कार) के लिए विभिन्न बीमाकर्ता कंपनियों की प्रीमियम तालिका बताई गई है:
प्रीमियम तालिका
कंपनी का नाम प्रीमियम
आईसीआईसीआई लोम्बार्ड कार इंश्योरेंस 13,529
एचडीएफसी एर्गो प्राइवेट कार इंश्योरेंस 15,251
बजाज अलयांज कार इंश्योरेंस 15,077
रिलायंस प्राइवेट कार पैकेज पॉलिसी 11274
35 से 45 वर्ष के किसी व्यति द्वारा की गई खरीद पर
इसके अलावा, यह भी याद रखना चाहिए कि सभी मोटर बीमा पॉलिसियां सालाना पॉलिसी होती हैं, इसलिए आप हर साल अपनी पॉलिसी का नवीनीकरण कराते रहें। साथ ही 12 महीने से कम अवधि के लिए बीमा पॉलिसी सिर्फ छोटी अवधि के आधार पर दी जाती है जिसके लिए उचित प्राधिकरण से मंजूरी लेना जरूरी होता है।
प्रीमियम तय करने के मानदंड
मोटर वाहन बीमा पॉलिसियों के प्रीमियम निम्नलिखित तथ्यों पर निर्भर करते हैं:
1. बीमाकृत वस्तु का घोषित मूल्य (आईडीवी): यह वाहन का वह मूल्य होता है जो मूल्य सूची के मुताबिक, अवमूल्यन प्रतिशत के साथ वाहन का मौजूदा विक्रय मूल्य तय करता है। वाहन के विक्रय मूल्य में स्थानीय शुल्क/ कर शामिल होता है लेकिन पंजीकरण और बीमा लागत को इसमें शामिल नहीं किया जाता है। जो वाहन पांच वर्ष से ज्यादा पुराने हो गए हैं उनका आईडीवी बीमाकर्ता और बीमाधारक के बीच आपसी समझ के आधार पर तय किए गए विक्रय मूल्य पर निर्धारित होगा।
2. वाहन की बुनियादी जानकारी : बुनियादी जानकारी में कार (ह्यूंडई, मारुति आदि) निर्माता कंपनी, कार की श्रेणी (एसयूवी, सेडान आदि), कार का मॉडल (एस्कॉर्ट, फिएस्टा आदि), ईंधन का प्रकार (पेट्रोल या डीजल या एलपीजी) और बनावट वर्ष को शामिल किया जाता है। इसके अलावा कितने किलोमीटर चली है या वाहन में किसी तरह का संशोधन आदि किया गया है तो उस बारे में भी जानकारी जुटाई जा सकती है।
3. भौगोलिक क्षेत्र : बीमा का प्रीमियम वाहन के पंजीकरण क्षेत्र की वजह से भी अलग-अलग हो सकता है। आम तौर पर टीयर-टू, टीयर-थ्री वाले शहरों की तुलना में टीयर-वन के शहरों का प्रीमियम ज्यादा होता है क्योंकि टीयर-वन शहरों में ही बीमा के दावे पाने की संभावित संख्या ज्यादा होती है।
4. चालक की उम्र, अनुभव और अतीत में हासिल किये गये क्लेम के कारण भी भी प्रीमियम राशि कम-ज्यादा हो सकती है।
5. स्वैच्छिक तरीके से कटौती योज्य राशि बीमा प्रीमियम का व्युत्क्रमानुपात होती है। मसलन, यदि स्वैच्छिक रूप से कटौती योज्य राशि ज्यादा रखी गई है तो प्रीमियम उसी अनुपात में कम होगा। इसी तरह कटौती योज्य राशि कम होने पर प्रीमियम का अनुपात ज्यादा होगा। इसके अलावा बीमा नवीनीकरण के दौरान प्रीमियम की राशि न तो घटायी जा सकती है और न ही इस पर कोई बोनस पाने का दावा किया जा सकता है।
6. बीमा का कवरेज स्तर आपके द्वारा अदा की जाने वाली प्रीमियम राशि तय करने का एक बड़ा कारक होता है। यानी जितना ज्यादा कवरेज आप चुनते हैं, उसी मुताबिक आपको प्रीमियम राशि चुकानी पड़ेगी। इसी तरह कम कवरेज के लिए कम प्रीमियम देना पड़ेगा।
वाहन बीमा क्लेम का खारिज हो जाना
आम तौर पर मोटर बीमा पॉलिसी खरीदना आपको उचित कवरेज देने की गारंटी नहीं देता है और पूरी बीमा अवधि तक आप बीमाकर्ता द्वारा क्लेम अदायगी को लेकर आश्वस्त नहीं रह सकते। बीमाकर्ता आपके क्लेम को इस आधार पर खरिज कर सकते हैं कि आपने कंपनी की आंतरिक नीति के मानदंड को पूरा नहीं किया है। लिहाजा हमारे लिए कम से कम इतना जान लेना ज्यादा महत्वपूर्ण है कि बीमा कराने के लिए आवेदन पत्र भरने के दौरान छोटी-मोटी त्रुटियों से बचने को लेकर हम सावधान रहें। क्लेम खारिज होने के कुछ सामान्य कारण इस प्रकार हैं:
1. सिर्फ दुर्घटना की स्थिति में : बीमा पॉलिसियां सिर्फ दुर्घटना के कारण होने वाले नुकसान का मुआवजा दिलाती हैं न कि अन्य वजहों से होने वाले नुकसान या स्वाभाविक रूप से छोटी-मोटी टूट-फूट के लिए। दुर्घटना की स्थिति में छोटी-मोटी टूट-फूट के एक निश्चित स्तर तक कल-पुर्जे का मुआवजा भी वाहन की उम्र के आधार पर निर्भर करता है।
2. पॉलिसी का नवीनीकरण: पॉलिसी का यदि समय पर नवीनीकरण नहीं कराया गया तो आपके क्लेम खारिज किए जाने की संभावना ज्यादा होती है। नवीनीकरण की तारीख बीत जान के बाद उपभोक्ताओं को वाहनों के निरीक्षण आदि जैसी औपचारिकता से गुजरना होगा। लिहाजा आपको सलाह है कि हर समय क्लेम पाने के दायरे में रहने के लिए आप नियमित रूप से पॉलिसी का नवीनीकरण कराते रहें ताकि किसी तरह की दिक्कत से बच सकें।
3. चालक की गलती : चालक यदि दुर्घटना के वक्त अल्कोहल के सेवन का दोषी या वैध ड्राइविंग लाइसेंस के बगैर पाया गया है तो आपके दावे खारिज किये जा सकते हैं और ये सारी बातें पॉलिसी कवरेज से बाहर की सूची में भी बतायी गयी हैं।
4. कागजात में कमी : इन सबके अलावा यदि आपके कागजात में किसी तरह की कोई कमी या त्रुटि पायी जाती है तो आपका क्लेम खारिज हो सकता है। इन त्रुटियों में आवेदन भरने के दौरान गलत जानकारी देना और फोटो कॉपी वाले कागजात से आवेदन पत्र में भरी गयी जानकारी के बीच अंतर होना आदि शामिल हैं। यह गलती वाहन के हस्तांतरण के मामले में भी हो सकती है जब वाहन के कागजात नये मालिक को हस्तांतरित किये जाते हैं। हस्तांतरण की तारीख के 14 दिनों के अंदर आप बीमा पॉलिसी के दस्तावेज में आवश्यक बदलाव करा सकते हैं।
आपके मोटर बीमा के दावे खारिज नहीं हों, इसे सुनिश्चित करने के लिए आप उपर्युक्त बिंदुओं का जरूर ख्याल रखें। अत: चौकस रहें, उचित मोटर बीमा पॉलिसी चुनें और दावे पाने की निर्बाध प्रक्रिया सुनिश्चित कर लें।
(निवेश मंथन, फरवरी 2012)