बाजार में शायद ही कोई व्यक्ति कंपनी के नतीजे अच्छे रहने की उम्मीद कर रहा हो। लेकिन इसके नतीजों ने नाउम्मीद बाजार को भी झटका दे दिया। इसका 2010-11 की चौथी तिमाही का मुनाफा सीधे 86% घट कर 168.6 करोड़ रुपये रह गया।
पिछले कारोबारी साल में जनवरी-मार्च के दौरान इसका मुनाफा 1219.5 करोड़ रुपये था। ठीक पिछली तिमाही से भी इसका मुनाफा 65% कम रहा। यह लगातार सातवीं तिमाही थी, जब कंपनी के मुनाफे में कमी आयी। पिछले कारोबारी साल में कंपनी का मुनाफा 4,655 करोड़ रुपये था। इस तरह सालाना मुनाफे में 71.1% की कमी आयी।
आईडीएफसी ने इन नतीजों पर अपनी टिप्पणी में कहा कि कंपनी ने 78.8 अरब रुपये की जो तिमाही आमदनी दिखायी, उसमें एकाउंटिंग संबंधी बदलावों का एकमुश्त असर शामिल था। इसके मुताबिक एकाउंटिंग संबंधी बदलावों को हटा कर देखने पर आमदनी 53.3 अरब रुपये रही, जो उसके अपने अनुमान से 5.2% ज्यादा थी। इसके बावजूद कंपनी की एबिटा आय अनुमानों से 5-6% कम रही, क्योंकि इसके कारोबार के हर हिस्से में मार्जिन पर दबाव रहा। आईडीएफसी के मुताबिक उसे कंसोलिडेटेड मार्जिन में 3.50% अंक की गिरावट और ब्याज का ज्यादा बोझ की वजह से सबसे ज्यादा निराशा हुई। इन नतीजों के आधार पर आईडीएफसी ने कंपनी का मूल्यांकन 115 रुपये प्रति शेयर से घटा कर 110 रुपये कर दिया (एक साल आगे के अनुमानों के आधार पर)। इसने घटती मुनाफेदारी, ऊँचे कर्ज और 2जी स्पेक्ट्रम के आवंटन के बारे में चल रही जाँच को ध्यान में रख कर कंपनी के लिए अंडरपरफॉर्मर की रेटिंग जारी रखी।
(निवेश मंथन, अगस्त 2011)