भारत की सबसे बड़ी निजी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने जनवरी-मार्च 2011 की तिमाही के दौरान 5376 करोड़ रुपये का मुनाफा हासिल किया। यह पिछले कारोबारी साल की समान तिमाही के 4710 करोड़ रुपये से 14% ज्यादा रहा।
ठीक पिछली तिमाही, यानी 2010-11 की तीसरी तिमाही के 5136 करोड़ रुपये के मुकाबले भी यह 4.7% ज्यादा रहा। लेकिन यह मुनाफा बाजार अनुमानों की कसौटी पर खरा नहीं उतर पाया। कंपनी का शुद्ध कारोबार (नेट टर्नओवर) 72,674 करोड़ रुपये रहा है, जो ठीक पिछली तिमाही के 59,789 करोड़ रुपये से 21.55% ज्यादा है। अगर 2009-10 की चौथी तिमाही के 57,570 से तुलना करें तो यह 26.2% ज्यादा है। कंपनी का ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन इस तिमाही में 9.2 डॉलर प्रति बैरल रहा, जो 2010-11 की तीसरी तिमाही में 9.0 डॉलर प्रति बैरल रहा था। जनवरी-मार्च 2011 में कंपनी का ईपीएस (बेसिक) बढ़ कर 16.4 रुपये हो गया, जो पिछले साल की समान तिमाही में 14.4 रुपये था।
आनंद राठी सिक्योरिटीज ने इन नतीजों को मोटे तौर पर अपने अनुमानों के मुताबिक ही माना, लेकिन ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन (जीआरएम) को थोड़ा कम बताया। गैस उत्पादन पर स्थिति साफ नहीं होने को लेकर चिंता कायम रही, लेकिन चट्टानी (शेल) गैस के बारे में कंपनी ने जो अनुमान दिये, उन्हें आनंद राठी सिक्योरिटीज ने एक सकारात्मक पहलू के रूप में देखा। इस ब्रोकिंग फर्म ने रिलायंस के लिए खरीदारी की सलाह दोहरायी है और 1,240 रुपये का लक्ष्य भाव रखा है। दरअसल इसका मानना है कि बाजार तेल-शोधन (रिफाइनिंग) और पेट्रोकेमिकल कारोबार में आ रहे तेज सुधार को नजरअंदाज कर रहा है, क्योंकि खनन-उत्पादन (एक्सप्लोरेशन एंड प्रोडक्शन) को लेकर चिंता बनी हुई है। हालाँकि आनंद राठी सिक्योरिटीज ने भी रिलायंस की प्रति शेयर आय (ईपीएस) के 2011-12 और 2012-13 के अनुमानों को 3% घटाया है। यह कमी डी6 ब्लॉक में गैस उत्पादन के अनुमानों में कटौती के चलते हुई है।
इंडिया इन्फोलाइन ने रिलायंस की तिमाही आमदनी को अपने अनुमानों से बेहतर माना। लेकिन इसके मुताबिक ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन (जीआरएम) अनुमान से कमजोर रहा। इंडिया इन्फोलाइन का अनुमान 9.6 डॉलर प्रति बैरल का था, जबकि वास्तव में यह 9.2 डॉलर रहा। इसने पेट्रोकेमिकल कारोबार के मार्जिन को उम्मीद से बेहतर बताया, लेकिन केजी-डी6 में तेल-गैस उत्पादन कम रहने पर निराशा जतायी। इसकी राय है कि केजी-डी6 में गैस उत्पादन को लेकर बनी अनिश्चितता एक चिंता का कारण है। हालाँकि इसके मुताबिक इस चिंता का असर मौजूदा भावों में पहले ही आ चुका है। लिहाजा 1,175 रुपये के लक्ष्य के साथ इसने रिलायंस को खरीदने की सलाह दी है।
एंजेल ब्रोकिंग ने अपनी रिपोर्ट में रिलायंस का 12 महीनों का लक्ष्य भाव 1,189 रुपये रखते हुए इसे खरीद रेटिंग दी। हालाँकि चौथी तिमाही के नतीजों को इसने अनुमान से कमजोर ही माना, जिसके लिए रिफाइनिंग मार्जिन का उम्मीद से कम रहना और केजी-डी6 ब्लॉक में कम उत्पादन ही प्रमुख कारण थे। मगर एंजेल की इस रिपोर्ट में उम्मीद जतायी गयी कि आने वाली तिमाहियों में रिलायंस का रिफाइनिंग मार्जिन बढ़ेगा और पेट्रोकेमिकल कारोबार का मार्जिन मौजूदा स्तर से और नीचे नहीं जायेगा। केजी बेसिन में गैस उत्पादन को लेकर बनी चिंताओं के बावजूद इसका कहना है कि बीपी के साथ रिलायंस का करार इसके लिए सकारात्मक है। एंजेल ने भरोसा जताया है कि मध्यम अवधि में रिलायंस गहरे समुद्र के लिए बीपी की तकनीक और विशेषज्ञता की मदद से इस ब्लॉक में अपना उत्पादन बढ़ा सकेगी।
(निवेश मंथन, अगस्त 2011)