बाजार को झटका देने वाले तिमाही नतीजों में शायद एसबीआई के नतीजे को सबसे ऊपर रखा जा सकता है। जनवरी-मार्च 2011 तिमाही में बैंक का मुनाफा केवल 20.88 करोड़ रुपये रहा, जबकि इसे पिछले कारोबारी साल की समान तिमाही में 1866.60 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था।
दरअसल इस तिमाही में प्रावधानों (प्रोविजनिंग) में काफी इजाफा होने से बैंक के मुनाफे पर यह असर पड़ा। इस तिमाही में एसबीआई के कुल प्रावधानों की राशि 2,349 करोड़ रुपये से बढ़ कर 4,157 करोड़ रुपये हो गयी। इस तिमाही में बैंक की कुल आय 26536.84 करोड़ रुपये रही। कारोबारी साल 2009-10 की चौथी तिमाही में इसकी कुल आय 22474.12 करोड़ रुपये थी। बैंक को जनवरी-मार्च 2011 में ब्याज से 21721.35 करोड़ रुपये की कमाई हुई, जबकि जनवरी-मार्च 2010 में इसकी ब्याज आय 17965.59 करोड़ रुपये थी।
एंजेल ब्रोकिंग ने अपनी रिपोर्ट में बैंक के कमजोर नतीजों के कारण गिनाते हुए लिखा कि शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) में गिरावट, एनपीए के लिए ज्यादा प्रावधान और कर की प्रभावी दर (इफेक्टिव टैक्स रेट) बढऩे की वजह से ऐसा हुआ। बाजार विश्लेषकों का औसत अनुमान था कि एसबीआई का मुनाफा लगभग 3000 करोड़ रुपये रहेगा, लेकिन यह केवल 21 करोड़ रुपये रहा। बैंक ने पेंशन के मद में भी 7,927 करोड़ रुपये की बड़ी राशि का बोझ सहा, जिसे उसके नेटवर्थ से घटाया गया। इस वजह से बैंक के नेटवर्थ पर 10.9% का असर पड़ा और उसका पूंजी पर्याप्तता अनुपात (कैपिटल एडिक्वेशी रेश्यो) घट कर 8% से नीचे आ गया। एसबीआई के चौथी तिमाही के नतीजों को सभी मोर्चों पर कमजोर मान कर एंजेल इस शेयर का लक्ष्य भाव 3,199 रुपये से घटा कर 2,842 रुपये कर दिया, हालाँकि इसके लिए खरीद रेटिंग जारी रखी। दरअसल एंजेल का मानना है कि बैंक को ले कर जितनी भी नकारात्मक बातें दिख रही हैं, उनका असर इसके बाजार भाव पर पहले ही हो चुका है। साथ ही कर्ज की ब्याज दरें बढऩे, प्रावधानों का बोझ घटने और कर का बोझ घटने से आगे चल कर बैंक की आय में बढ़ोतरी अच्छी रहेगी।
इंडिया इन्फोलाइन ने एसबीआई के कर्जों में पिछली तिमाही से 6-7% की बढ़त की उम्मीदों के बदले केवल 4% की बढ़त पर मायूसी जतायी। इसने बैंक का शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) सीधे 0.50% अंक घट कर 3.1% रह जाने को भी निराशाजनक बताया। इंडिया इन्फोलाइन ने यह माना कि बैंक के नये चेयरमैन ने बही-खातों को सुधारने का प्रयास किया है और नतीजों में कुछ झटके केवल एक बार के हैं। लेकिन इसके मुताबिक कामकाजी स्तर पर भी ये नतीजे कमजोर रहे। खास कर शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) में तीखी कमी, कामकाजी खर्चों में बढ़ोतरी और बैंक की संपत्तियों की गुणवत्ता में गिरावट पर इसने चिंता जतायी। इन बातों के मद्देनजर इंडिया इन्फोलाइन ने इसकी रेटिंग घटा कर 'मार्केट परफॉर्मर' कर दी और इसका लक्ष्य भाव 25% घटा कर 2,424 रुपये कर दिया।
(निवेश मंथन, अगस्त 2011)