राजीव रंजन झा
भारतीय बाजार इस समय कुछ निराश और कुछ डरा-डरा सा है और लोग ऊपर के लक्ष्यों के बदले नीचे के समर्थन स्तरों की ही बातें ज्यादा कर रहे हैं। ऐसे में अगर निफ्टी के 9000 के लक्ष्य की बात की जाये तो कुछ अटपटा ही लगेगा ना! लेकिन शेयर बाजार तो संभावनाओं का ही नाम है। इसलिए जरा इस चार्ट पर नजर डालें, फिर देखते हैं कि 9000 की बात एक संभावना है या खयाली पुलाव।
आपको 6357 का स्तर तो याद होगा - 08 जनवरी 2008 का शिखर। निफ्टी का अब तक का ऐतिहासिक ऊँचा स्तर। वहाँ से निफ्टी ने जो फिसलना शुरू किया तो 27 अक्टूबर 2008 तक यानी केवल 10 महीनों में फिसलते-फिसलते 2253 तक लुढ़क गया। उस दिन सेंसेक्स ने 7697 की तलहटी बनायी थी। तब फस्र्ट ग्लोबल के शंकर शर्मा कह रहे थे कि सेंसेक्स 6000-7000 तक फिसलेगा और फिर वहाँ से चढ़ तक 12,500 तक जायेगा। दिसंबर 2008 आते-आते शंकर शर्मा 5000 के स्तर की भी चर्चा करने लगे थे। जनवरी 2009 में जब उनसे पूछा जाता कि सेंसेक्स वापस कितने सालों में 21,000 के स्तर तक लौट सकता है, तो वे याद दिलाते थे कि जापान में मंदी का दौर 20 साल चला था।
खैर, वापस यह चार्ट देखते हैं। निफ्टी की 6357 से 2253 तक की गिरावट का 23.6% वापसी का स्तर 3221 है। निफ्टी ने नवंबर 2008 में यह स्तर पार करने की कोशिश की, लेकिन 3241 तक जा कर पलट गया। दिसंबर 2008 और जनवरी 2009 में इस स्तर को पार करने की कोशिशें नाकाम रहीं। लेकिन मार्च 2009 में 2539 की तलहटी से जो चाल बनी, उसने यह बाधा पार करा दी। उस चाल में निफ्टी केवल इस स्तर तक नहीं रुका। यह अगले स्वाभाविक पड़ाव यानी 38.2% वापसी के स्तर 3821 की ओर बढ़ चला, लेकिन मई में यह चाल 3,700 के आसपास अटकती दिखी।
जब चुनावी नतीजों ने मनमोहन सिंह के दोबारा प्रधानमंत्री बनने की बात पक्की कर दी और 18 मई 2009 को ऊपरी सर्किट लगा तो यह एक झटके में ही अगले पड़ाव यानी 50% वापसी के स्तर 4305 को पार कर गया। जून 2009 के पहले हफ्ते में यह 61.8% वापसी के स्तर के पास पहुँचा, लेकिन वहाँ से टप्पा खा कर यह कुछ नीचे आया।
इस नरमी के दौरान 50% के स्तर ने थोड़ा सहारा दिया और 38.2% ने पूरा सहारा। यह 38.2% के स्तर 3821 को काटे बिना ही 3919 से पलटा और इसकी तेज चाल फिर शुरू हो गयी। अगस्त में इसे फिर से 61.8% स्तर पर बाधा मिलती रही, जो सितंबर 2009 में कटी। यह स्तर पार करने के बाद यह बार-बार 80% के स्तर की ओर जाने का रुझान दिखाता रहा।
ऐसी कोशिश में बाधा मिलने पर 61.8% का स्तर 4789 इसे सहारा देता रहा। यह दौर कुछ लंबा चला, लेकिन 25 मई 2010 को बिल्कुल इसी स्तर के पास 4786 की तलहटी बनाने के बाद बाजार ने नयी चाल पकड़ी। उसी चाल में अगस्त 2010 में 80% का स्तर 5536 पार हो पाया। जैसे ही यह स्तर ठीक से पार हुआ, तो वहाँ से सीधे करीब 750 अंक की और उछाल मिल गयी।
यह 80% के स्तर से पूरी 100% वापसी की ओर जाने की यात्रा थी। यह यात्रा एक ही कोशिश में पूरी नहीं हो पायी। अक्टूबर 2010 में 6284 पर बाधा मिलने के बाद यह कुछ फिसला। लेकिन इस फिसलन में निफ्टी को कोई खास नुकसान नहीं हुआ और जनवरी 2011 में यह 6339 तक आ गया। इसने 6357 का ऐतिहासिक शिखर नहीं छुआ, लेकिन इस संरचना में यह तो माना जा सकता है कि इसने लगभग 100% वापसी पूरी कर ली।
इस 100% वापसी के बाद बाजार पलटा। निफ्टी केवल 01 महीने में 6339 से लुढ़क कर 5178 तक आ गया। इस गिरावट के दौरान 80% के स्तर 5536 पर कोई सहारा नहीं मिला, हालाँकि वापस सँभलने की कोशिश में इसके आसपास बाधा जरूर मिली। मार्च में जब यह बाधा कटी तो फिर से एक उछाल मिली, लेकिन वह अप्रैल 2011 के शिखर 5944 पर अटक गयी। फिर से कमजोरी का रुख बना।
यह रही अब तक की कहानी। आगे क्या दिखता है? निफ्टी ने 2253 से 6339 तक की उछाल में 181% की शानदार बढ़त हासिल की। इतनी बड़ी उछाल के बाद करीब 20% की गिरावट ने ही लोगों के होश उड़ा दिये। कुछ लोग फिर से 4000-3800 की बातें सोचने लगे हैं। यह कहा जाने लगा है कि भारतीय बाजार लंबी अवधि के लिए मंदी के दौर में चला गया है।
लेकिन निफ्टी की इस संरचना के आधार पर कहा जा सकता है कि 100% वापसी पूरी करने के बाद इसका 80% या फिर 61.8% के स्तर 4789 तक भी लौटना कोई बड़ी बात नहीं है। इससे बाजार की लंबी अवधि की दिशा नहीं बदलती। अगर निफ्टी 4789 तोड़े, तभी यह कहा जा सकता है कि मार्च 2009 से शुरू हुई तेजी का दौर संकट में पड़ गया है। वैसा होने की हालत में जरूर 4305 और 3821 के स्तरों की बात सोचने की नौबत आ जायेगी। लेकिन क्या लोग पुल आने से पहले ही उसे पार करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं?
अब दूसरी संभावना सोचें। अगर निफ्टी इन्हीं स्तरों से पलट जाये या फिर अगर 4789 के आसपास तक फिसलने के बाद वहाँ से सहारा ले कर पलट जाये, तो उसका क्या मतलब निकालें? यही कि 6357-2253 की गिरावट के 80% या 61.8% वापसी के स्तर को तोडऩे के लिए निफ्टी तैयार नहीं है। वैसी हालत में 100% वापसी की ओर लौटना निफ्टी के लिए स्वाभाविक होगा। लेकिन क्या यह फिर से 100% वापसी पर ही, यानी 6350 के आसपास रुक जायेगा? यह इस स्तर को पार करने की दूसरी कोशिश होगी, लिहाजा इसे पार कर लेने की ज्यादा संभावना होगी। तब 161.8% का स्तर 8893 यानी लगभग 9000 इसका अगला स्वाभाविक लक्ष्य होगा।
इस दूसरी कोशिश में 6350 पार होने की संभावना इसलिए भी ज्यादा लगती है कि एक दूसरी संरचना निफ्टी का लक्ष्य 6736 बताती है। अगर आप मई 2010 के 4786 से नवंबर 2010 के 6339 और फिर फरवरी 2011 के 5178 के आधार पर प्रोजेक्शन खींचें, तो इस प्रोजेक्शन का 100% स्तर 6736 है।
भविष्य में वास्तव में क्या होगा, यह मुझे नहीं मालूम। लेकिन ये कुछ ऐसी संभावनाएँ हैं जिन पर नजर रखना फायदेमंद हो सकता है और इन्हें नजरअंदाज करना खतरनाक भी।
(विशेष स्पष्टीकरण : लेखक को तकनीकी विश्लेषण का ज्ञान नहीं है, केवल एक जिज्ञासु की तरह कुछ तकनीकी सवाल करने का शौक है। लिहाजा इस लेख के आधार पर अपनी कोई राय नहीं बनायें, खुद सोचें-समझें, जानें और विश्लेषण करें।)
(निवेश मंथन, जुलाई 2011)
निफ्टी9000 तक छलांग या 3800का गोता?भारतीय बाजार इस समय कुछ निराश और कुछ डरा-डरा सा है और लोग ऊपर के लक्ष्यों के बदले नीचे के समर्थन स्तरों की ही बातें ज्यादा कर रहे हैं। ऐसे में अगर निफ्टी के 9000 के लक्ष्य की बात की जाये तो कुछ अटपटा ही लगेगा ना! लेकिन शेयर बाजार तो संभावनाओं का ही नाम है। इसलिए जरा इस चार्ट पर नजर डालें, फिर देखते हैं कि 9000 की बात एक संभावना है या खयाली पुलाव।आपको 6357 का स्तर तो याद होगा - 08 जनवरी 2008 का शिखर। निफ्टी का अब तक का ऐतिहासिक ऊँचा स्तर। वहाँ से निफ्टी ने जो फिसलना शुरू किया तो 27 अक्टूबर 2008 तक यानी केवल 10 महीनों में फिसलते-फिसलते 2253 तक लुढ़क गया। उस दिन सेंसेक्स ने 7697 की तलहटी बनायी थी। तब फस्र्ट ग्लोबल के शंकर शर्मा कह रहे थे कि सेंसेक्स 6000-7000 तक फिसलेगा और फिर वहाँ से चढ़ तक 12,500 तक जायेगा। दिसंबर 2008 आते-आते शंकर शर्मा 5000 के स्तर की भी चर्चा करने लगे थे। जनवरी 2009 में जब उनसे पूछा जाता कि सेंसेक्स वापस कितने सालों में 21,000 के स्तर तक लौट सकता है, तो वे याद दिलाते थे कि जापान में मंदी का दौर 20 साल चला था।खैर, वापस यह चार्ट देखते हैं। निफ्टी की 6357 से 2253 तक की गिरावट का 23.6' वापसी का स्तर 3221 है। निफ्टी ने नवंबर 2008 में यह स्तर पार करने की कोशिश की, लेकिन 3241 तक जा कर पलट गया। दिसंबर 2008 और जनवरी 2009 में इस स्तर को पार करने की कोशिशें नाकाम रहीं। लेकिन मार्च 2009 में 2539 की तलहटी से जो चाल बनी, उसने यह बाधा पार करा दी। उस चाल में निफ्टी केवल इस स्तर तक नहीं रुका। यह अगले स्वाभाविक पड़ाव यानी 38.2' वापसी के स्तर 3821 की ओर बढ़ चला, लेकिन मई में यह चाल 3,700 के आसपास अटकती दिखी।जब चुनावी नतीजों ने मनमोहन सिंह के दोबारा प्रधानमंत्री बनने की बात पक्की कर दी और 18 मई 2009 को ऊपरी सर्किट लगा तो यह एक झटके में ही अगले पड़ाव यानी 50' वापसी के स्तर 4305 को पार कर गया। जून 2009 के पहले हफ्ते में यह 61.8' वापसी के स्तर के पास पहुँचा, लेकिन वहाँ से टप्पा खा कर यह कुछ नीचे आया। इस नरमी के दौरान 50' के स्तर ने थोड़ा सहारा दिया और 38.2' ने पूरा सहारा। यह 38.2' के स्तर 3821 को काटे बिना ही 3919 से पलटा और इसकी तेज चाल फिर शुरू हो गयी। अगस्त में इसे फिर से 61.8' स्तर पर बाधा मिलती रही, जो सितंबर 2009 में कटी। यह स्तर पार करने के बाद यह बार-बार 80' के स्तर की ओर जाने का रुझान दिखाता रहा। ऐसी कोशिश में बाधा मिलने पर 61.8' का स्तर 4789 इसे सहारा देता रहा। यह दौर कुछ लंबा चला, लेकिन 25 मई 2010 को बिल्कुल इसी स्तर के पास 4786 की तलहटी बनाने के बाद बाजार ने नयी चाल पकड़ी। उसी चाल में अगस्त 2010 में 80' का स्तर 5536 पार हो पाया। जैसे ही यह स्तर ठीक से पार हुआ, तो वहाँ से सीधे करीब 750 अंक की और उछाल मिल गयी।यह 80' के स्तर से पूरी 100' वापसी की ओर जाने की यात्रा थी। यह यात्रा एक ही कोशिश में पूरी नहीं हो पायी। अक्टूबर 2010 में 6284 पर बाधा मिलने के बाद यह कुछ फिसला। लेकिन इस फिसलन में निफ्टी को कोई खास नुकसान नहीं हुआ और जनवरी 2011 में यह 6339 तक आ गया। इसने 6357 का ऐतिहासिक शिखर नहीं छुआ, लेकिन इस संरचना में यह तो माना जा सकता है कि इसने लगभग 100' वापसी पूरी कर ली।इस 100' वापसी के बाद बाजार पलटा। निफ्टी केवल 01 महीने में 6339 से लुढ़क कर 5178 तक आ गया। इस गिरावट के दौरान 80' के स्तर 5536 पर कोई सहारा नहीं मिला, हालाँकि वापस सँभलने की कोशिश में इसके आसपास बाधा जरूर मिली। मार्च में जब यह बाधा कटी तो फिर से एक उछाल मिली, लेकिन वह अप्रैल 2011 के शिखर 5944 पर अटक गयी। फिर से कमजोरी का रुख बना।यह रही अब तक की कहानी। आगे क्या दिखता है? निफ्टी ने 2253 से 6339 तक की उछाल में 181' की शानदार बढ़त हासिल की। इतनी बड़ी उछाल के बाद करीब 20' की गिरावट ने ही लोगों के होश उड़ा दिये। कुछ लोग फिर से 4000-3800 की बातें सोचने लगे हैं। यह कहा जाने लगा है कि भारतीय बाजार लंबी अवधि के लिए मंदी के दौर में चला गया है।लेकिन निफ्टी की इस संरचना के आधार पर कहा जा सकता है कि 100' वापसी पूरी करने के बाद इसका 80' या फिर 61.8' के स्तर 4789 तक भी लौटना कोई बड़ी बात नहीं है। इससे बाजार की लंबी अवधि की दिशा नहीं बदलती। अगर निफ्टी 4789 तोड़े, तभी यह कहा जा सकता है कि मार्च 2009 से शुरू हुई तेजी का दौर संकट में पड़ गया है। वैसा होने की हालत में जरूर 4305 और 3821 के स्तरों की बात सोचने की नौबत आ जायेगी। लेकिन क्या लोग पुल आने से पहले ही उसे पार करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं?अब दूसरी संभावना सोचें। अगर निफ्टी इन्हीं स्तरों से पलट जाये या फिर अगर 4789 के आसपास तक फिसलने के बाद वहाँ से सहारा ले कर पलट जाये, तो उसका क्या मतलब निकालें? यही कि 6357-2253 की गिरावट के 80' या 61.8' वापसी के स्तर को तोडऩे के लिए निफ्टी तैयार नहीं है। वैसी हालत में 100' वापसी की ओर लौटना निफ्टी के लिए स्वाभाविक होगा। लेकिन क्या यह फिर से 100' वापसी पर ही, यानी 6350 के आसपास रुक जायेगा? यह इस स्तर को पार करने की दूसरी कोशिश होगी, लिहाजा इसे पार कर लेने की ज्यादा संभावना होगी। तब 161.8' का स्तर 8893 यानी लगभग 9000 इसका अगला स्वाभाविक लक्ष्य होगा।इस दूसरी कोशिश में 6350 पार होने की संभावना इसलिए भी ज्यादा लगती है कि एक दूसरी संरचना निफ्टी का लक्ष्य 6736 बताती है। अगर आप मई 2010 के 4786 से नवंबर 2010 के 6339 और फिर फरवरी 2011 के 5178 के आधार पर प्रोजेक्शन खींचें, तो इस प्रोजेक्शन का 100' स्तर 6736 है।भविष्य में वास्तव में क्या होगा, यह मुझे नहीं मालूम। लेकिन ये कुछ ऐसी संभावनाएँ हैं जिन पर नजर रखना फायदेमंद हो सकता है और इन्हें नजरअंदाज करना खतरनाक भी।(विशेष स्पष्टीकरण : लेखक को तकनीकी विश्लेषण का ज्ञान नहीं है, केवल एक जिज्ञासु की तरह कुछ तकनीकी सवाल करने का शौक है। लिहाजा इस लेख के आधार पर अपनी कोई राय नहीं बनायें, खुद सोचें-समझें, जानें और विश्लेषण करें।) ठ्ठ
राजीव रंजन झा