कारोबारी साल 2010-11 की चौथी तिमाही में कैर्न इंडिया का कंसोलिडेटेड मुनाफा 902% बढ़ा, मतलब सीधे लगभग दस गुना हो गया। जनवरी-मार्च 2011 की तिमाही में कंपनी का मुनाफा 2457.79 करोड़ रुपये रहा, जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह 245.19 करोड़ रुपये रहा था।
कंपनी की कुल आय 2010-11 की चौथी तिमाही में 3692.83 करोड़ रुपये रही, जबकि पिछले साल की चौथी तिमाही में यह 2030.69 करोड़ रही थी।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज (आईसेक) ने इन नतीजों के बाद कैर्न इंडिया का लक्ष्य भाव 341 रुपये से बढ़ा कर 396 रुपये कर दिया। इसने कंपनी की प्रति शेयर आय (ईपीएस) के अनुमान को 2011-12 के लिए 41.9 रुपये से बढ़ा कर 54.7 रुपये और 2012-13 के लिए 49 रुपये से बढ़ा कर 62.7 रुपये किया है। साथ में इसकी रेटिंग भी सुधार कर इसे खरीदने की सलाह दी। हालाँकि इसने अपनी रिपोर्ट में यह भी साफ लिखा कि ओएनजीसी के साथ रॉयल्टी को लेकर चल रहा विवाद अभी कंपनी के लिए एक मुख्य मुद्दा है। कंपनी के प्रबंधन को वेदांत समूह से हुए समझौते पर सरकार की मंजूरी का इंतजार है और उसका यह नजरिया है कि कैर्न इंडिया को कोई रॉयल्टी नहीं देनी है। आईसेक के मुताबिक अगर सरकार तय करती है कि कैर्न को रॉयल्टी देनी होगी, तो वैसी हालत में इसका उचित मूल्यांकन 86 रुपये घट जायेगा।
आनंद राठी सिक्योरिटीज ने कंपनी के मुनाफे में इस जबरदस्त बढ़ोतरी के लिए कच्चे तेल की कीमत में बढ़ोतरी को सबसे बड़ा कारण माना। साथ ही कर देनदारी में कमी और कामकाजी खर्च में कमी से भी इसमें मदद मिली। इस शानदार प्रदर्शन के बावजूद आनंद राठी सिक्योरिटीज ने इस शेयर को बेचने की ही सलाह दी। इस ब्रोकिंग फर्म की राय थी कि बाजार ओएनजीसी के साथ इसके रॉयल्टी विवाद की वजह से इस प्रदर्शन पर ध्यान नहीं देगा। वहीं डिस्काउंटेड कैश फ्लो (डीसीएफ) मूल्यांकन के आधार पर इसने कैर्न इंडिया का लक्ष्य भाव 330 रुपये माना। उस समय बाजार भाव इस लक्ष्य के पास ही होने के चलते इसने बिकवाली की सलाह दी।
(निवेश मंथन, जुलाई 2011)