आखिर निवेशकों के हितों की हमेशा दुहाई देने वाले भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) का अपना खर्च निवेशकों की शिक्षा पर कितना होता है?
एक व्यक्ति ने सूचना के अधिकार का इस्तेमाल करके सेबी से यह जानकारी मांगी। जो आँकड़े सामने आये, उन्हें देख कर शायद लोग यही कहेंगे कि सेबी इस मामले में अपने खातों से खर्च करने के बदले जुबानी जमाखर्च पर ज्यादा यकीन करता है। लोग क्या कहेंगे यह उन्हीं पर छोड़ते हैं, हम इस बारे में कुछ नहीं कहेंगे। बस आप इसके आँकड़े खुद देख लें।
सेबी के पास बाकायदा निवेशक सुरक्षा और शिक्षा कोष (इन्वेस्टर प्रोटेक्शन एंड एजुकेशन फंड) है। इस कोष में 31 मार्च 2008 को 13.15 करोड़ रुपये थे और साल भर में खर्च हुई रकम थी शून्य। साल भर बाद 31 मार्च 2009 को इस कोष में मौजूद रकम थी 16.63 करोड़ रुपये। यानी साल भर में में 3.38 करोड़ रुपये की नयी आमद हुई, लेकिन खर्च फिर से रहा शून्य। यह कोष 2009-10 के दौरान बढ़ कर 49.82 करोड़ रुपये का हो गया, यानी इसमें अतिरिक्त 33.19 करोड़ रुपये जमा हुए। लेकिन इस दौरान खर्च रहा केवल 4.62 लाख रुपये का। ये आँकड़े अब थोड़े पुराने हैं। शायद सेबी ने 2010-11 में कुछ और नयी पहल की हो। सेबी के नये चेयरमैन ने भी संकेत दिये हैं कि वे निवेशक शिक्षा पर गतिविधियाँ तेज करेंगे। आमीन! हम चाहेंगे कि ऐसा ही हो। इसलिए हम तो अभी नहीं कहेंगे कि सेबी बस जुबानी जमाखर्च करता है। हम थोड़ा इंतजार करेंगे।
(निवेश मंथन, जुलाई 2011)