काशिद हुसैन :
केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु द्वारा शुरू की गयी फ्लेक्सी किराया योजना से एक तरफ यात्री नाराज हो रहे हैं तो दूसरी ओर भारतीय रेलवे को भी फायदा नहीं हो रहा है। फ्लेक्सी किराया योजना के तहत राजधानी, दुरंतों और शताब्दी ट्रेनों में प्रत्येक 10% टिकटों की बिक्री के बाद 10% किराया बढ़ाया जाने लगा है। इससे ट्रेन के टिकट के अंतिम किराये में डेढ़ गुना तक की वृद्धि हो जाती है। निजी विमानन कंपनियों की ही तरह प्रीमियम ट्रेनों में फ्लेक्सी किराया योजना लागू की गयी है।
मगर खबरों के मुताबिक इस योजना के तहत किराया बढ़ाने के बावजूद अक्तूबर के शुरुआती 10 दिनों में राजधानी, शताब्दी और दुरंतो एक्सप्रेस ट्रेनों की आमदनी पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 232 करोड़ रु. घट गयी है। साथ ही जानकारों का मानना है कि यह घाटा आने वाले दिनों में जारी रह सकता है। रेल मंत्रालय को फ्लेक्सी किराया योजना से सिर्फ अक्तूबर महीने में 200 करोड़ रु. और एक साल में 1,000 करोड़ रु. जुटाने की उम्मीद थी। मगर स्थिति यह है कि इस नयी योजना के लागू होने के बाद राजधानी, शताब्दी जैसी ट्रेनों में दिसंबर और जनवरी की अधिकतर सीटें खाली हैं। इन ट्रेनों में गोवा, केरल, मुंबई, कोलकाता, अमृतसर, लखनऊ और चेन्नई जैसे शहरों को जोडऩे वाली ट्रेनें बाकी ट्रेनों की तुलना में अधिक हैं।
इस योजना से रेलवे की आय में लगते बट्टे के बीच भारतीय रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि फ्लेक्सी किराया योजना लागू होने के बाद मुख्य ट्रेनों की सीटें पूरी भरने की दर में 15 से 20% की गिरावट आयी है। मुंबई राजधानी, अगस्त क्रांति, सियालदाह और त्रिवेंद्रम जैसी राजधानी ट्रेनों में दिसंबर के लिए काफी सीटें अभी खाली पड़ी हुई हैं, जिनमें आम तौर पर एक समय लंबी वेटिंग हो जाती थी। रेलवे अधिकारी के अनुसार रेल मंत्रालय को इस योजना के सहारे राजस्व में वृद्धि की उम्मीद थी, मगर नतीजे इस उम्मीद से बिलकुल विपरीत मिले हैं। रेलवे टिकट महँगे होने और समय अधिक लगने के कारण यात्री रेल के बजाय विमान यात्रा को अधिक तरजीह दे रहे हैं। इन प्रमुख ट्रेनों के टिकटों की बिक्री में आयी कमी का एक बड़ा कारण विमानन कंपनियों द्वारा गोवा, कोच्चि और मुंबई की यात्रा सेवा केवल 3,000 रुपये में देना भी है।
चालू वित्त वर्ष में अब तक रेलवे की आय में 3,854 करोड़ रुपये की गिरावट आयी है। इसमें माल भाड़ा भी शामिल है, जिससे रेलवे को ज्यादा आय होती है। पिछले वर्ष 1 से 10 अक्तूबर के दौरान रेलवे की आमदनी 4,304 करोड़ रुपये रही थी, जो इस वर्ष की समान अवधि में 4,072 करोड़ रुपये रही है। वित्तव वर्ष 2015-16 की पहली छमाही में रेलवे का राजस्व 84,747 करोड़ रुपये रहा था, जो चालू वित्त वर्ष की समान अवधि में घट कर 80,893 करोड़ रुपये रह गया है। इस तरह चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में रेलवे के राजस्व में करीब 4,000 करोड़ रुपये की गिरावट आयी है।
(निवेश मंथन, नवंबर 2016)