रुपये की कमजोरी हो सकती है खतरनाक
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- Category: जनवरी 2012
शिवानी भास्कर :
डॉलर के मुकाबले रुपया ऐतिहासिक कमजोरी झेल रहा है। सितंबर के बाद से करीब 17.5% की कमजोरी झेल चुका रुपया जब एक डॉलर के बदले 55 का स्तर छूने से कुछ ही पैसे की दूरी पर था, तब आखिरकार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को यह महसूस हुआ कि उसे हस्तक्षेप करना चाहिए।
क्या आपने तैयारी कर ली आयकर बचाने की?
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- Category: जनवरी 2012
सुभाष लखोटिया, कर सलाहकार :
सबसे पहले हम यह देखते हैं कि मार्च 2012 में खत्म होने वाले वित्त वर्ष के लिए आप नये निवेश के जरिये कैसे कर में छूट पा सकते हैं। सबसे पहले करदाताओं को यह देखना चाहिए कि धारा 80सी में जो एक लाख रुपये की सीमा है, उसका पूरा इस्तेमाल कर लें।
बजाज ने उतारी चारपहिया ‘ऑटो’
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- Category: जनवरी 2012
सुशांत शेखर:
बजाज ऑटो ने 3 जनवरी को अपनी पहली चारपहिया गाड़ी आरई 60 से पर्दा उठा दिया। कुछ दिन पहले से ही मीडिया में इसकी चर्चाएँ शुरू हो गयी थीं। खास कर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर जब भी इस गाड़ी से संबंधित खबर आती थी तो 2008 के ऑटो एक्सपो में बजाज की कार के प्रोटोटाइप मॉड़ल का वीडियो दिखाया जाता था। इस वीडियो में बजाज की कार का डिजाइन किसी भी छोटी कार से खूबसूरत है।
मारुति सुजुकी पेश करेगी ‘एर्टिगा’
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- Category: जनवरी 2012
देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी एक कॉम्पैक्ट नयी कार पेश करने जा रही है। इस कार का नाम है ‘एर्टिगा’ और यह एक छोटी कार है। मूल रूप से यह एक कंसेप्ट कार है और इसका व्यावसायिक संस्करण आने में अभी समय लगेगा।
तो अब पता चला अनिल अंबानी ने क्यों भरा जुर्माना
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- Category: जनवरी 2012
माफ करें, जुर्माना शब्द देख कर कुछ बड़े लोगों को अच्छा नहीं लगेगा क्योंकि उनके हिसाब से यह केवल निपटारा शुल्क (सेट्लमेंट चार्ज) था। लेकिन मीडिया अपने दर्शकों-पाठकों को खबर देते समय किसी वकील की भाषा में नहीं बोलता, उसका असली मतलब समझाता है।
नफे-नुकसान से देश बड़ा
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- Category: दिसंबर 2011
राजेश रपरिया, सलाहकार संपादक:
हिंदी की एक कहावत है - चौबे गये छब्बे बनने, दुबे बन कर लौट आये।अभी यह कहावत केंद्र में काबिज यूपीए सरकार पर शत प्रतिशत खरी उतरती है। अपनी मृतप्राय छवि को सुधारने के लिए इस सरकार ने देश के खुदरा बाजार में 51% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की मंजूरी देने की घोषणा की।
किराने पर कोहराम
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- Category: दिसंबर 2011
शिवानी भास्कर :
आर्थिक सुधारों और वैश्वीकरण की जिस प्रक्रिया को वित्त मंत्री के तौर पर डॉ मनमोहन सिंह ने 1991 में शुरू किया था, वह हाल में अटक सी गयी थी। जानकारों ने कहना शुरू कर दिया था कि सरकार नीतिगत रूप से लकवाग्रस्त हो गयी है। लेकिन सरकार जब हरकत में आयी और इसने सालों से लंबित कुछ महत्वपूर्ण फैसले किये तो साथ ही विवादों का पिटारा भी खुल गया।
छोटा भाई बनने को बेताब भारतीय दिग्गज
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- Category: दिसंबर 2011
राजीव रंजन झा :
भारत सरकार लंबे इंतजार के बाद नीतियाँ बनाने के मोर्चे पर हरकत में आयी और केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दो बड़े फैसले कर लिये। इसने कंपनी विधेयक पर मुहर लगा दी और साथ ही खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के दरवाजे भी खोल दिये। केवल एक ब्रांड वाले खुदरा कारोबार के लिए 51% एफडीआई की अनुमति पहले से ही थी, जिसमें अब 100% एफडीआई की अनुमति दे दी गयी है।
क्यों नाराज हैं व्यापारी?
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- Category: दिसंबर 2011
खुदरा क्षेत्र को विदेशी निवेश के लिए खोलने का सरकारी फैसला आते ही देश के छोटे-बड़े व्यापारियों ने सरकार के खिलाफ अपना मोर्चा खोल दिया। वे इसे कॉर्पोरेट घरानों के लिए बेलआउट पैकेज करार दे रहे हैं।
फायदेमंद है खुदरा एफडीआई
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- Category: दिसंबर 2011
एसएमई के लिए राजीव कुमार, महासचिव, फिक्की :
खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देने से देश में एक मजबूत आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) विकसित हो सकेगी। इससे किसानों और छोटे-मँझोले उद्यमों (एसएमई) को आधुनिक व्यापार प्रक्रिया से जोड़ा जा सकेगा। तभी किसानों और एसएमई को अपने उत्पादों के लिए अच्छी कीमत भी मिल सकेगी और कीमतें तय करने की प्रणाली ज्यादा पारदर्शी बनेगी।
मेरी समझ से छोटे-मँझोले उद्यमों को इसके कई फायदे मिलेंगे :
- उन्हें प्राइवेट लेबल उत्पादों को तैयार करते समय गुणवत्ता, प्रक्रिया, योजना आदि के लिए सही जानकारी मिल सकेगी।
- उपभोक्ताओं की नयी मांगों को देख कर नये उत्पादों को विकसित करने में वे साझेदार बन सकेंगे।
- वे बाकायदा कानूनी समझौतों के तहत कारोबार कर सकेंगे, जिसमें सारी शर्तें और स्थितियाँ सुगठित और पेशेवर ढंग से होंगी।
- उन्हें आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) की जानकारी मिलेगी, जिससे वे लागत और संभावित घाटे को न्यूनतम कर सकेंगे। उन्हें सही समय पर भुगतान मिलेगा।
- उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मध्यवर्ती बाजारों तक पहुँचने के मौके मिलेंगे। बड़ी खुदरा कंपनियाँ अपने सप्लायरों को उत्पादों की गुणवत्ता सुधारने का मौका देती हैं, जिससे वे उपभोक्ताओं की माँग के मुताबिक खुद को ढाल सकें।इससे सप्लायर अपनी क्षमता को सुधार कर नये बाजारों तक जा सकने लायक बनते हैं।
(निवेश मंथन, दिसंबर 2011)
सरकारी दावों में दम नहीं
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- Category: दिसंबर 2011
राजेश रपरिया :
यूपीए-2 सरकार रिटेल में 51% प्रत्यक्षविदेशी निवेश (एफडीआई) को अनुमति देने के फैसले को कुछऐसे पेश कर रही थी, मानो इससे देश की तकदीर बदल जायेगी।लेकिन इस फैसले ने यूपीए सरकार की तकदीर पर ही ग्रहण लगा दिया है।
इन्फोसिस पहुँचा लक्ष्य तक, सुजलॉन पिटा
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- Category: दिसंबर 2011
राजीव रंजन झा :
शेयर बाजार : आर या पार:अभी टला नहींखतरा
सबसे पहले तो आपको निवेश मंथन के सितंबर 2011 अंक के राग बाजारी का शीर्षक याद दिला दूँ – ‘अगले दो महीनों में 5400 पर?’ उस समय निफ्टी 5000 के करीब था और 28 अक्टूबर को इसने ठीक 5400 का स्तर छू लिया। खैर, बाजार की कई बातें अभी अक्टूबर 2008 से मार्च 2009 के दौर की याद दिला रही हैं। बात केवल इतनी नहीं है कि मार्च 2009 में रुपये ने डॉलर की तुलना में अपना ऐतिहासिक निचला स्तर छू लिया था और हाल में एक बार फिर रुपया डॉलर की तुलना में ऐतिहासिक निचले स्तर पर चला गया। दरअसल बाजार में निराशा अपने चरम पर है।
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