राजन शाह, सीआईओ, एंजेल ब्रोकिंग
गोदरेज प्रॉपर्टीज
इस रियल एस्टेट कंपनी में गोदरेज इंडस्ट्रीज की 70.26% हिस्सेदारी है। अगले 10 सालों में यह गोदरेज समूह के सबसे बड़े व्यवसायों में से एक होगा। कंपनी का कारोबार अच्छा चल रहा है, खास कर अहमदाबाद में परियोजना में। अब इसने मुंबई में भी 35 एकड़ की दी ट्रीज परियोजना शुरू की है। यह परियोजना वैसे तो समूह की होल्डिंग कंपनी गोदरेज एंड बॉयस की है, लेकिन गोदरेज इंडस्ट्रीज को लीज पर दी गयी है।
यह परियोजना करीब 24-36 महीनों में पूरी होगी और इसमें कंपनी का लाभ मार्जिन काफी मोटा होने वाला है। गोदरेज एंड बॉयस के पास पंजाब, हैदराबाद और ठाणे जैसे क्षेत्रों में भूमि है। मुंबई के विक्रोली में इसके पास काफी बड़ी जगह है। इस होल्डिंग कंपनी के पास गोदरेज इंडस्ट्रीज की 60% हिस्सेदारी है। गोदरेज एंड बॉयस के पास उपलब्ध भूमि पर संपत्तियों को विकसित करने का काम गोदरेज प्रॉपर्टीज के पास ही आयेगा। कंपनी को अपने समूह से ही इतना काम मिल सकता है कि उसे 10-15 सालों तक कहीं बाहर काम तलाशने की जरूरत न पड़े।
इंडियन होटल्स
यह ताज समूह की कंपनी है, जिसके पास दुनिया भर में 108 संपत्तियाँ हैं। इनमें से 45 संपत्तियों का स्वामित्व उसका अपना है। ये संपत्तियाँ 5 महादेशों के 12 देशों में 52 स्थानों पर हैं। इनमें 77 होटल, 7 पैलेस, 12 रिजॉर्ट और स्पा, 3 निजी जेट और लक्जरी याच शामिल हैं। इसके प्रबंधन ने कहा है कि अगले चार सालों में कंपनी हर महीने एक नयी संपत्ति यानी होटल खोलेगी। इस तरह चार सालों में कंपनी की कुल संपत्तियों की संख्या लगभग 158-160 हो जायेगी। इन नयी संपत्तियों की कुल कीमत करीब 12,000 करोड़ रुपये होगी। प्रमोटर समूह की टाटा संस ने इसके 3.6 करोड़ शेयर 104 रुपये के भाव पर खरीदे, जबकि मार्च के अंत में यह शेयर करीब 63 रुपये के भाव पर है। जून में टाटा संस 104 रुपये के भाव पर ही इसके 4.8 करोड़ और शेयर खरीद सकती है, जब इसके वारंट को शेयरों में बदलने का समय आयेगा। जब प्रमोटर समूह 104 रुपये के भाव पर इस कंपनी में करीब 900 करोड़ रुपये का निवेश कर रहा हो, तो एक आम शेयरधारक के लिए मौजूदा भावों पर खरीदारी करना समझदारी की ही बात है। इस शेयर में गिरावट की संभावना काफी सीमित है, जबकि दो साल की अवधि में इसका भाव दोगुना भी हो सकता है।
टाटा ग्लोबल बेवरेजेज
इसने खुद को भारत की स्थानीय चाय कंपनी से बदल कर एक वैश्विक बेवरेज कंपनी बनाने के लिए कई अधिग्रहण किये और साझेदारियों का भी रास्ता चुना। इसने पेप्सिको और स्टारबक्स जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से साझेदारियाँ की हैं। प्रबंधन का अनुमान है कि 2015 तक कंपनी पाँच अरब डॉलर की हो जायेगी। यह अगले चार सालों में तिगुनी बढ़त का संकेत देता है। कंपनी के उत्पादों में टेटली, एट ओ क्लॉक जैसे वैश्विक ब्रांड और टाटा टी जैसे घरेलू ब्रांड शामिल हैं। साल 2010-11 में कंपनी की 70% से ज्यादा आमदनी विदेशों से हुई थी। यह कई देशों में चाय और कॉफी के बाजार में अग्रणी स्थिति में है। टाटा ग्लोबल की 58% हिस्सेदारी वाली सहायक कंपनी टाटा कॉफी ने स्टारबक्स के साथ साझेदारी की है। अगले पाँच सालों में दोनों की साझेदारी में भारत में 500 से ज्यादा कॉफी शॉप खोलने की योजना है। इस तरह कंपनी की कारोबारी संभावनाएँ अच्छी लग रही हैं। कंपनी ने कुछ अन्य पेय पदार्थों के बाजार में भी कदम रख कर अपने उत्पादों के पोर्टफोलिओ को बढ़ाया है। इसने पेप्सी के साथ मिल कर आम लोगों के लिए केवल पाँच रुपये की कीमत वाला लहर ग्लूको प्लस बाजार में उतारा है। आगे चल कर अगर यह कंपनी 3.5 अरब डॉलर का भी कारोबार हासिल कर सके और इसका दोगुना मूल्यांकन भी माना जाये तो 7 अरब डॉलर की बाजार पूँजी होगी। ऐसा होने पर लगभग पाँच साल में 300-400% का लाभ मिलेगा। अगले तीन साल में भी यह शेयर आपको अच्छा लाभ दे सकता है।
शांति गियर्स
कोयंबटूर की कंपनी शांति गियर्स के शेयर को सस्ते मूल्यांकन पर उपलब्ध तेज बढ़त वाला शेयर माना जा सकता है। यह इस्पात, कपड़ा, सीमेंट, बुनियादी ढाँचा, बिजली और पवन ऊर्जा समेत कई उद्योगों के लिए खास तौर पर इस्तेमाल होने वाले गियर बनाती है। इसके गियर बोइंग और एयरबस जैसी कंपनियाँ भी इस्तेमाल करती हैं। इसने अपने कर्मचारियों की संख्या भी बढ़ायी है। अगले 2-3 सालों में यह बिल्कुल अलग दर्जे की कंपनी बन सकती है। कंपनी के पास कोयंबटूर में करीब 80 एकड़ भूमि है, जिसकी कीमत 80 करोड़ रुपये है। इसके पास 45 करोड़ रुपये की नकदी भी है। इस तरह कंपनी के पास इस भूमि और नकदी की कुल राशि ही 125 करोड़ रुपये बैठती है, जबकि अभी इसकी बाजार पूँजी केवल 315 करोड़ रुपये है। भूमि और नकदी को हटा दें तो इसकी बाजार पूँजी केवल 190 करोड़ रुपये रह जाती है। शांति गियर्स लगभग आधी आमदनी ग्राहकों के लिए खास तौर पर बनाये गये उत्पादों से हासिल करती है। इन उत्पादों पर कंपनी को 50-60% का ऊँचा मार्जिन मिलता है।
यूनाइटेड फॉस्फोरस
यह कीटनाशक बनाने वाली अंतरराष्ट्रीय कृषि कंपनी है। इसकी बाजार पूँजी लगभग 6000 करोड़ रुपये की है। इसकी ईपीएस 4 रुपये है और पीई अनुपात 35 है। इसकी बिक्री लगभग 4000 करोड़ रुपये की है, जो वैश्विक बाजार में पैठ की वजह से बढ़ कर 7000 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है। वहीं रैलिस इंडिया का कारोबार करीब 1000 करोड़ रुपये का और बाजार पूँजी करीब 2500 करोड़ रुपये है। इस तरह रैलिस की तुलना में यूनाइटेड फॉस्फोरस का मूल्यांकन कम है। पहले यह 13 रुपये वार्षिक ईपीएस के आधार पर करीब 20 पीई पर लगभग 260 रुपये के भाव पर चल रहा था। अब यह करीब 140 पर आ गया है। मुझे इसमें बढ़त की अच्छी गुंजाइश दिखती है।
(निवेश मंथन, अप्रैल 2012)