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के के मित्तल, पीएमएस प्रमुख, ग्लोब कैपिटल
एचसीएल टेक्नोलॉजीज
आईटी क्षेत्र में भारत की चौथी सबसे बड़ी कंपनी एचसीएल टेक्नोलॉजीज ने 2008 में यूके स्थित इंटरप्राइज ऐप्लिकेशंस की सलाहकार कंपनी एक्सॉन के अधिग्रहण किया था, जिसके बाद इसकी आमदनी में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। कैलेंडर वर्ष 2011 में इसकी आमदनी 18,334 करोड़ रुपये रही, जो कैलेंडर वर्ष 2008 की तुलना में दोगुनी से ज्यादा है।
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राजेश रपरिया, सलाहकार संपादक :
पिछले वित्त वर्ष (2011-12) में विकास दर में गिरावट आयी। यह गिरावट क्यों आयी, क्योंकि ब्याज दरें काफी ऊँची थीं। ब्याज दरें क्यों ज्यादा थीं, क्योंकि सरकारी घाटा (फिस्कल डेफिसिट) बहुत अधिक था। सरकारी घाटा क्यों बेलगाम हो गया, क्योंकि तेल, उर्वरक और खाद्य सब्सिडी में भारी बढ़ोतरी हुई और सरकार की आमदनी लक्ष्य से काफी कम रह गयी। सरकारी घाटे का इस बार लक्ष्य जीडीपी का 5.1% (5.13 लाख करोड़ रुपये) रखा गया है, जो पिछले संशोधित अनुमान 5.9% से कम, लेकिन उसके मूल अनुमान 4.6% से ज्यादा है।वित्तमंत्रीकीअवधारणाहैकि वित्त वर्ष 2012-13 में विकास दर 7.6% रहेगी और महँगाई भी इस स्तर से नीचे रहेगी।
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अमर अंबानी, रिसर्च प्रमुख, इंडिया इन्फोलाइन
शेयर बाजार करवट बदलने की कोशिश में है। जानकार मानने लगे हैं कि अब बाजार के ऊपर जाने में भले ही थोड़ा कम या थोड़ा ज्यादा वक्त लगे, लेकिन इन स्तरों से ज्यादा नीचे फिसलने की संभावनाएँ कम ही हैं। यानी निवेश के लिए यह एक अच्छा मौका हो सकता है। तो इस अच्छे मौके का फायदा उठाने के लिए हम लेकर आये हैं 10 दिग्गजों के पाँच-पाँच चुनिंदा शेयर। ये 10 दिग्गज हैं अमर अंबानी, अंबरीश बालिगा, अशोक अग्रवाल, गजेंद्र नागपाल, के के मित्तल, पंकज पांडेय, राजन शाह, सुदीप बंद्योपाध्याय, विनय गुप्ता और विजय चोपड़ा।
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अंबरीश बालिगा, सीओओ, वे टू वेल्थ
एसकेएस माइक्रोफाइनेंस
पिछले आधे साल से एसकेएस माइक्रोफाइनेंस के शेयर भाव में काफी गिरावट आयी है। आंध्र प्रदेश में कंपनी के कामकाज पर आया संकट इसका प्रमुख कारण है, क्योंकि इसे वहाँ अपने काफी कर्ज बट्टे खाते में डालने पड़े। लेकिन इसकी कीमत में आयी गिरावट सबसे बुरी संभावनाओं को भी पार कर चुकी है। माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र के लिए एमएफआईडीआर विधेयक के कानून बन जाने पर यह इस बारे में राज्य सरकारों के कानूनों के ऊपर होगा।
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अशोक अग्रवाल, सीओओ, एस्कॉट्र्स सिक्योरिटीज
वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज
इस कंपनी में प्रमोटरों की हिस्सेदारी 68% के ऊँचे स्तर पर है। यह शेयर कारोबारी साल 2012-13 की अनुमानित आय के आधार पर 10 से कम के आकर्षक पीई अनुपात पर उपलब्ध है। साथ ही प्राइस और बुक वैल्यू का अनुपात देखें तो केवल 0.53 है, जो एक कंज्यूमर ड्यूरेबल कंपनी के लिए आकर्षक कहा जा सकता है।
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गजेंद्र नागपाल, सीईओ, यूनिकॉन फाइनेंशियल
इरोस इंटरनेशनल मीडिया
इस कंपनी का कारोबारी मॉडल काफी मजबूत है। इसने अगले कुछ सालों के दौरान सालाना 70 से ज्यादा फिल्में बनाने की योजना तैयार की है। इनमें से 8-10 बड़े बजट की हिंदी फिल्में होंगी। साल 2012-13 के लिए इसने 60 से ज्यादा फिल्मों की रूपरेखा बना ली है, जिनके लिए समझौते किये जा चुके हैं। इनमें से एक फिल्म रजनीकांत के साथ है। कई फिल्में पंजाबी, तमिल, मलयालम और तेलुगू की हैं।
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के के मित्तल, पीएमएस प्रमुख, ग्लोब कैपिटल
एचसीएल टेक्नोलॉजीज
आईटी क्षेत्र में भारत की चौथी सबसे बड़ी कंपनी एचसीएल टेक्नोलॉजीज ने 2008 में यूके स्थित इंटरप्राइज ऐप्लिकेशंस की सलाहकार कंपनी एक्सॉन के अधिग्रहण किया था, जिसके बाद इसकी आमदनी में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। कैलेंडर वर्ष 2011 में इसकी आमदनी 18,334 करोड़ रुपये रही, जो कैलेंडर वर्ष 2008 की तुलना में दोगुनी से ज्यादा है।
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पंकज पांडेय, रिसर्च प्रमुख, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज
देना बैंक
देना बैंक पश्चिमी भारत में खास कर महाराष्ट्र और गुजरात में अच्छी पैठ रखता है, जहाँ चालू खातों और बचत खातों (कासा) में जमा रकम अच्छी रहती है। इसका कासा अनुपात 35% के ऊँचे स्तर पर है। देना बैंक का शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) भी 2011-12 की तीसरी तिमाही में 3.2% के अच्छे स्तर पर रहा। इसका कर्ज 2011-13 के दौरान 19.6% की सालाना औसत दर से बढ़ कर 64,073 करोड़ रुपये पर पहुँचने का अनुमान है।
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राजन शाह, सीआईओ, एंजेल ब्रोकिंग
गोदरेज प्रॉपर्टीज
इस रियल एस्टेट कंपनी में गोदरेज इंडस्ट्रीज की 70.26% हिस्सेदारी है। अगले 10 सालों में यह गोदरेज समूह के सबसे बड़े व्यवसायों में से एक होगा। कंपनी का कारोबार अच्छा चल रहा है, खास कर अहमदाबाद में परियोजना में। अब इसने मुंबई में भी 35 एकड़ की दी ट्रीज परियोजना शुरू की है। यह परियोजना वैसे तो समूह की होल्डिंग कंपनी गोदरेज एंड बॉयस की है, लेकिन गोदरेज इंडस्ट्रीज को लीज पर दी गयी है।
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सुदीप बंद्योपाध्याय, एमडी और सीईओ, डेस्टिमनी सिक्योरिटीज
विविमेड लैब
यह अच्छे प्रबंधन वाली शानदार कंपनी है, जिस पर आर्थिक धीमेपन का असर तुलनात्मक रूप से कम होगा। इस कंपनी की बिक्री दवाओं और विशिष्ट रसायनों (स्पेशियल्टी केमिकल) दोनों से लगभग बराबर है। यह जिस कारोबार में है, उसमें नयी कंपनियों का उतरना मुश्किल रहता है। यह बात इसके कारोबार के आकर्षण को और भी बढ़ाती है।
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विजय चोपड़ा, हेड - एडवाइजरी, फुलर्टन सिक्योरिटीज
सिंडिकेट बैंक
सिंडिकेट बैंक के प्रबंधन ने कहा है कि बैंक की ओर से जारी ऋणों में सालाना 20% की वृद्धि होने की संभावना है। इस बैंक के पास पर्याप्त इक्विटी पूँजी है। इसका कोर कैपिटल रेश्यो अभी 9.31% है, जबकि उद्योग का औसत 8.75% का है। इसलिए अभी बैंक के ऋण पोर्टफोलिओ में और बढ़ोतरी की गुंजाइश अभी बाकी है। लिहाजा इस बैंक के मुनाफे और मार्जिन में और सुधार संभव है।
अर्शिया इंटरनेशनल
इस कंपनी को निवेश के लिए चुनने का मुख्य कारण यह है कि कंपनी ने फ्री ट्रेड वेयरहाउसिंग जोन (एफटीडब्लूजेड) के कारोबार में कदम रखा है। दरअसल यह कंपनी भारतीय लॉजिस्टिक क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव लाने की क्षमता रखती है।
भारत में लॉजिस्टिक पर होने वाला खर्च जीडीपी का लगभग 14% है, जबकि ज्यादातर विकसित देशों में यह खर्च 9-10% का है। लगभग 1900 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था में इसकी अक्षमताओं की वजह से लॉजिस्टिक पर 75 अरब डॉलर का फालतू खर्च हो जाता है। अर्शिया ने एफटीडब्लूजेड, रेलवे से ढुलाई, घरेलू डिस्ट्रीपार्क और लॉजिस्टिक सबको एक साथ जोड़ कर ऐसा एकीकृत कारोबारी मॉडल बनाया है, जिसका मकसद इसी फालतू खर्च को रोकना है।
श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कंपनी
अपने बढ़ते कारोबार के साथ भी यह श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कंपनी (एसटीएफसी) अपने ग्राहकों को दिये गये कर्जों पर जोखिम को सीमित रखने में सफल रही है। इसने निजी फाइनेंसरों से साझेदारी की है, जो दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद रही है।
कंपनी इन निजी फाइनेंसरों से साझेदारी करके उन्हें न केवल पूँजी उपलब्ध कराती है, बल्कि उन्हें संपत्तियों के मूल्यांकन से जुड़ी सलाहकार सेवाएँ भी देती है। पूरे कारोबारी साल 2010-11 के दौरान ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी के बावजूद एसटीएफसी अपने कोष की लागत (कॉस्ट ऑफ फंड) घटाने में सफल रही, क्योंकि यह अपने लेनदारियों को सिक्योरिटाइज कर पाती है।
बालकृष्ण इंडस्ट्रीज
बालकृष्ण इंडस्ट्रीज ऑफ दी हाईवे (ओटीएच) टायरों के क्षेत्र में विश्व की प्रमुख उत्पादक कंपनियों में से एक है। इसके उत्पादों की श्रृंखला में 1900 से ज्यादा एसकेयू शामिल हैं। इस कंपनी की 90% से ज्यादा आमदनी निर्यात से होती है। ओटीएच श्रेणी में इसकी बाजार हिस्सेदारी 3.5% है। अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने और बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए कंपनी ने क्षमता विस्तार का कार्यक्रम शुरू किया है। इसकी मौजूदा वार्षिक क्षमता 160,000 टन की है, जिसे यह 2013-14 तक बढ़ा कर 234,000 टन करने वाली है। अपनी भारी-भरकम विस्तार योजनाओं पर कंपनी अगले 2-3 सालों में 1800 करोड़ रुपये का निवेश करने वाली है।
गेटवे डिस्ट्रीपाक्र्स
गेटवे डिस्ट्रीपाक्र्स (जीडीएल) अपने सीएफएस और आईसीडी इन्फ्रास्ट्रक्चर से उत्तरी, पश्चिमी, पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्रों को अपने दायरे में लाना चाहती है और अपने इस नेटवर्क को रेल संपर्क से जोडऩा चाहती है। स्नोमैन लॉजिस्टिक नाम की सहायक कंपनी के जरिये इसका कोल्ड चेन कारोबार भारत में 18 स्थानों पर चल रहा है। कारोबारी साल 2012-13 में इसने 250 करोड़ रुपये के पूँजीगत खर्च की योजना बनायी है।
मेरा मानना है कि भारत में कंटेनर कार्गो के बढ़ते इस्तेमाल के साथ-साथ बंदरगाहों पर ढुलाई की बढ़ती मात्रा और क्षमता के चलते जीडीएल के लिए लंबी अवधि में अपना कारोबार बढ़ाने के अच्छे मौके उपलब्ध हैं। इसके पास मौजूद बुनियादी ढाँचे, भविष्य में पूँजीगत खर्च की योजनाओं और लॉजिस्टिक के बारे में इसके एकीकृत नजरिये को देखें तो लगता है कि इस क्षेत्र में बन रहे विकास के अवसरों का पूरा फायदा उठाने के लिए यह कंपनी अच्छी तरह तैयार है।
(निवेश मंथन, अप्रैल 2012)
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विनय गुप्ता, निदेशक, ट्रस्टलाइन सिक्योरिटीज
डिश टीवी
डीटीएच कारोबार में डिश टीवी अग्रणी कंपनी है। इस के मुनाफे और फ्री कैश फ्लो में वित्त वर्ष 2012-13 और 2013-14 के दौरान काफी सुधार होने की उम्मीद है। साथ ही केबल नेटवर्क को अनिवार्य रूप से डिजिटल बनाये जाने के कदम से डिश टीवी के मुनाफे में भी सुधार हो सकता है।
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