पंकज पांडेय, रिसर्च प्रमुख, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज
देना बैंक
देना बैंक पश्चिमी भारत में खास कर महाराष्ट्र और गुजरात में अच्छी पैठ रखता है, जहाँ चालू खातों और बचत खातों (कासा) में जमा रकम अच्छी रहती है। इसका कासा अनुपात 35% के ऊँचे स्तर पर है। देना बैंक का शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) भी 2011-12 की तीसरी तिमाही में 3.2% के अच्छे स्तर पर रहा। इसका कर्ज 2011-13 के दौरान 19.6% की सालाना औसत दर से बढ़ कर 64,073 करोड़ रुपये पर पहुँचने का अनुमान है।
हवाई-सेवा, टेलीकॉम, कपड़ा और इस्पात जैसे अधिक जोखिम वाले क्षेत्रों में इसका कर्ज सीमित है। राज्य बिजली बोर्डों (एसईबी) को इसने काफी कर्ज दे रखा है। लेकिन इसमें से बड़ा हिस्सा गुजरात एसईबी का है जो मुनाफे में है। उम्मीद है कि 2011-13 के दौरान इसका मुनाफा 22.1% सालाना औसत दर से बढ़ कर 912.5 करोड़ रुपये हो जायेगा। इसके रिटर्न के अनुपात काफी अच्छे हैं। बीती 14 तिमाहियों में रिटर्न ऑन एसेट्स (आरओए) 1% और रिटर्न ऑन इक्विटी (आरओई) 20% है। संपत्तियों के अच्छे पोर्टफोलिओ और मजबूत रिटर्न अनुपात के बावजूद इसका मूल्यांकन 2012-13 के समायोजित बुक वैल्यू (एबीवी) का 0.9 गुना रखने पर 104 रुपये का लक्ष्य भाव बनता है।
हैथवे केबल
हैथवे केबल एंड डेटाकॉम देश की सबसे बड़ी एमएसओ कंपनियों में से एक है। इसका वितरण नेटवर्क अच्छा है और इसके पास पर्याप्त बुनियादी ढाँचा भी है। केबल क्षेत्र में डिजिटल नेटवर्क को अनिवार्य बनाये जाने का प्रमुख फायदा जिन कंपनियों को मिलेगा, उनमें यह भी शामिल है। डिजिटल नेटवर्क होने से ग्राहकों की संख्या को कम बताना संभव नहीं रहेगा। इससे एमएसओ कंपनियों की आय काफी बढ़ सकती है। हैथवे के 89 लाख केबल ग्राहकों में से करीब 85% को डिजिटलीकरण की पहले दो चरणों की प्रक्रिया में शामिल किया जायेगा। अगले दो वर्षों में हैथवे के ग्राहकों की संख्या चौगुनी हो सकती है। साल 2013-14 तक हैथवे की आमदनी 1.9 गुनी और एबिटा दोगुनी हो सकती है, जिससे कंपनी मुनाफे में आ सकती है। डीसीएफ यानी डिस्काउंटेड कैश फ्लो पद्धति से मूल्यांकन में अगर पूँजी की औसत लागत (डब्लूएसीसी) 13.7% रखें और 2011-20 के दौरान आमदनी बढऩे की सालाना औसत दर 19.1% लें तो इसका लक्ष्य भाव 200 रुपये बैठता है।
भारती एयरटेल
भारती एयरटेल अव्वल टेलीकॉम कंपनी है, जिसके पास आय के लिहाज से 30.6% और ग्राहकों की संख्या के आधार पर 19.8% बाजार हिस्सेदारी है। आमदनी और ग्राहकों की संख्या के आधार पर इसकी बाजार हिस्सेदारी में अंतर दिखाता है कि इसके ग्राहकों की गुणवत्ता अच्छी है। लिहाजा इसके ग्राहक 3जी सेवाओं को अपनाने में दूसरों से आगे रहेंगे। कंपनी सबसे ज्यादा पूँजीगत खर्च के दौर से बाहर आ चुकी है। लिहाजा अब पूँजीगत खर्च घटने से कंपनी के कर्ज और ब्याज के बोझ में कमी आयेगी। अफ्रीकी कारोबार में मार्जिन बढऩे से भी इसकी ईपीएस 2011-14 के दौरान सालाना औसतन 16.8% की दर से बढऩे का अनुमान है। सर्वोच्च न्यायालय ने हाल में 122 लाइसेंसों को रद्द कर दिया। इस बात का फायदा भी भारती को मिलेगा, क्योंकि इससे भारती जैसी पुरानी कंपनियों के लिए अधिक स्पेक्ट्रम उपलब्ध होगा। डीसीएफ पद्धति के आधार पर मूल्यांकन में पूँजी की औसत लागत (डब्लूएसीसी) 10.7%, 2011-20 के दौरान आमदनी में सालाना औसतन 10.8% वृद्धि और उसके बाद 3.0% वृद्धि मान कर चलें तो 450 रुपये प्रति शेयर का लक्ष्य भाव बैठता है।
हाइडलबर्ग सीमेंट
हाइडलबर्ग सीमेंट मध्य भारत की कंपनी है, जहाँ यह अपने 65% उत्पादन की बिक्री करती है। इसकी सालाना क्षमता 30 लाख टन की है। यह अपनी क्षमता कैलेंडर वर्ष 2012 की दूसरी तिमाही के अंत तक बढ़ा कर 60 लाख टन करने वाली है। मुझे उम्मीद है कि इसकी बिक्री कैलेंडर वर्ष 2011 के 29.4 लाख टन से बढ़ कर 2013 में 46 लाख टन हो जायेगी। इस तरह कैलेंडर वर्ष 2011-13 के दौरान मात्रा के लिहाज से उसकी बिक्री सालाना औसतन करीब 26% बढ़ेगी। इस दौरान कंपनी की आमदनी सालाना औसतन 32% बढऩे की उम्मीद है। क्षमता के इस्तेमाल का अनुपात सुधरने और प्रति बोरी कीमतें बढऩे से आगे चल कर इसका मार्जिन बढ़ेगा। इसकी प्रति टन एबिटा आय 2011 के 206 रुपये से बढ़ कर 2013 में 383 रुपये हो जाने का अनुमान है। साल 2011-14 के दौरान इसका मुनाफा सालाना औसतन 54% बढऩे की उम्मीद है। अभी यह शेयर 2013 की अनुमानित 60 लाख टन की क्षमता के आधार पर 49 डॉलर प्रति टन के मूल्यांकन पर चल रहा है, जो ऐसा नया संयंत्र लगाने की लागत से लगभग 60% कम है।
अशोक लेलैंड
कारोबारी वाहनों की लगभग सभी श्रेणियों में यह दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है और इसकी बाजार हिस्सेदारी लगभग 23% है। मेरा आकलन है कि 2011-12 से 2013-14 के दौरान गाडिय़ों की संख्या के लिहाज से इसकी बिक्री में सालाना औसतन 19% की बढ़ोतरी होगी। यह बीते सालों में इसकी वृद्धि दर से कहीं ज्यादा होगी, क्योंकि खपत शुरू होने से पहले निवेश का चक्र शुरू होता है। प्रतिस्पर्धा बढऩे के बावजूद यह उम्मीद है कि अशोक लेलैंड अपनी महत्वपूर्ण बाजार हिस्सेदारी कायम रखने में सफल रहेगी। मौजूदा भाव पर यह शेयर 2013-14 की अनुमानित ईपीएस के आधार पर 10 के पीई अनुपात पर चल रहा है। ब्याज दरों का चक्र अब पलटने के लिए तैयार है, जिससे अशोक लेलैंड की ईपीएस के अनुमानों में बढ़ोतरी के साथ-साथ पीई अनुपात भी बेहतर होने की उम्मीद रहेगी।
(निवेश मंथन, अप्रैल 2012)