सुगंधा सचदेव, धातु विश्लेषक, रेलिगेयर कमोडिटीज :
अगर बीते एक दशक में सोने के भावों को देखा जाये तो इसकी चाल को सुनहरी दौड़ का नाम दिया जा सकता है।
इसकी चाल अब भी बरकरार है और आगे यह चाल मजबूत ही रहने की उम्मीद दिखती है, क्योंकि सोना न केवल एक कमोडिटी है, बल्कि एक मौद्रिक संपदा भी है। अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज कॉमेक्स पर जरूर सोने का भाव 1923.70 डॉलर प्रति औंस के स्तर से घट कर हाल में 1522 डॉलर प्रति औंस पर आ गया, लेकिन अब भी इसे निवेशकों के लिए सबसे ज्यादा सुरक्षित संपत्ति वर्ग के रूप में देखा जाता है जिसमें लोग अपना निवेश बनाये रखना चाहते हैं। घरेलू बाजार में देखें तो नवंबर 2012 में एमसीएक्स पर सोने का भाव 32,464 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर चला गया। अभी इसका रुख मजबूत ही लग रहा है। बीते 10 सालों में सोने पर मिलने वाला औसत सालाना लाभ लगभग 20% का रहा है।
कई सालों से सोने का भाव हर साल ही बढ़ता रहा है। बीते 10 सालों में 6 बार इसका भाव बढ़ा है। भारतीयों का सोने में निवेश वित्त वर्ष 2002-03 में 0.9 अरब डॉलर का था, जो उस समय जीडीपी के 0.2% और घरेलू बचत के 10% के बराबर था। साल 2011-12 में यह बढ़ कर 36 अरब डॉलर हो गया, जो जीडीपी की तुलना में 2% हो गया, हालाँकि यह घरेलू बचत का 10% ही रहा।
हाल में बहुत से निवेशकों ने अपने दूसरे निवेश पर हो रहे घाटे की भरपाई के लिए सोने में बिकवाली का रास्ता चुना, ताकि उनके पोर्टफोलिओ का प्रदर्शन सुधरे। जोखिम से बचने की प्रवृति बढऩे के कारण निवेशक बाजार से दूर हटे और इस कारण सोने की कीमतें कुछ नीचे आयीं। हालाँकि बुनियादी रूप से सोने की कीमतें आगे चल कर मजबूत ही रहने का अनुमान है।
बीते 10 सालों में सोने की कीमत डॉलर में लगभग 400% बढ़ी है, जबकि रुपये में इसकी उछाल लगभग 550% रही है। जब भी लोग सोचते हैं कि सोने में तेजी का दौर पूरा हो गया है, तब यह वापस उछल जाता है। जब तक विश्व में आर्थिक अनिश्चितता का माहौल रहेगा, तमाम केंद्रीय बैंक ढीली मौद्रिक नीति पर चलते रहेंगे, महँगाई दर ऊँची रहेगी और सोने की निवेश-संबंधी माँग बढ़ती रहेगी, तब तक सोने की कीमत में ऊपरी रुझान बना रहेगा।
सोने की कीमत का ताजा रुझान
कॉमेक्स में सोने की कीमत ने बीते दो सालों में लगभग 1520 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर एक आधार बना लिया है। इसके लिए यह स्तर अब एक मजबूत सहारे का काम कर रहा है। हाल में जब अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने मौद्रिक ढील (क्वांटिटेटिव ईजिंग या क्यूई) के तीसरे दौर सोने की कीमत 1640 डॉलर के ऊपर जाने के बाद इसमें नयी तेजी की चाल बनी और यह करीब 1800 डॉलर तक उछल गया।
लेकिन यह इससे ज्यादा आगे नहीं जा सका और इसमें फिर से नरमी आयी। हालाँकि इसने 1670 डॉलर के स्तर पर 200 दिनों के मूविंग एवरेज (डीएमए) पर मजबूती से सहारा लिया। यह स्तर इसमें 1525 डॉलर से 1795 तक की उछाल की 50% फिबोनाकी वापसी (रिट्रेसमेंट) के पास ही है।
एमसीएक्स में सोने की कीमत सितंबर में 32,421 रुपये प्रति 10 ग्राम तक चढ़ी, जिसके बाद हाल में यह 30,366 रुपये पर आ गयी। लेकिन इसका यह निचला स्तर 29,133 रुपये से 32,421 रुपये तक की उछाल की 61.8% फिबोनाकी वापसी के पास है। इस स्तर के पास सोने की कीमत को अच्छा सहारा मिला। इसके बाद नवंबर में सोने का भाव सितंबर के ऊपरी स्तर को भी पार कर 32,464 रुपये के नये रिकॉर्ड स्तर पर चला गया। लेकिन छोटी अवधि के लिए इसे 32,480 रुये के भाव पर बाधा मिल रही है। इन स्तरों के पास यह जमने (कंसोलिडेशन) का रुझान दिखा रहा है।
लिहाजा यहाँ सोने की कीमत में कुछ गिरावट आ सकती है, खास कर इस वजह से कि डॉलर के मुकाबले रुपया भी हाल में मजबूत हुआ है। लेकिन जब तक सोने की कीमत 30,300 रुपये प्रति 10 ग्राम के प्रमुख समर्थन स्तर के ऊपर है, तब तक हम आने वाले दिनों में इसका भाव ऊपर ही चढऩे की उम्मीद कर सकते हैं।
इसके मोटे रुझान को देखते हुए कीमत में थोड़ी नरमी आने को खरीदारी करने के मौके की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। साथ ही, जब भी यह 32,480 रुपये के भाव को अच्छी तरह पार करता दिखे तो नयी चाल की उम्मीद में खरीदारी की जा सकती है, क्योंकि तब मध्यम अवधि में इसका अगला लगभग 34,500-35,000 रुपये का होगा। कॉमेक्स में जब इसकी कीमत 1800 डॉलर प्रति औंस के स्तर को पार करेगी तो 1923.70 डॉलर का पिछला शिखर पार होने की उम्मीद बनेगी। वैसी हालत में यह 2000 डॉलर के स्तर को छू सकता है।
सोने की माँग लगातार बढ़ रही है। गोल्ड ईटीएफ और ऐसे उत्पादों की माँग 2012 की तीसरी तिमाही में पिछले साल से 56% बढ़ कर 136 टन की रही। कुल निवेश माँग भी लगातार बढ़ रही है, जिससे सोने की कीमत को लंबी अवधि में सहारा मिलता रहेगा।
(निवेश मंथन, दिसबंर 2012)