सचिन जैन, शीतल अशार, आईसीआईसीआई सिक्योरिटज :
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ईएलएसएस) म्यूचुअल फंडों की ऐसी योजनाएँ हैं, जिनमें निवेश करके आप इक्विटी यानी शेयरों में निवेश से मिल सकने वाले अच्छे फायदे के साथ-साथ आय कर में भी अच्छी बचत कर सकते हैं। म्यूचुअल फंड योजनाएँ कई तरह की होती हैं।
ईएलएसएस विविध (डाइवर्सिफाइड) प्रकार के शेयरों में निवेश करने वाली योजना होती है। इसका एक खास फायदा यह है कि आय कर कानून की धारा 80 सी के तहत आप इसमें एक लाख रुपये तक के निवेश पर कर में छूट पा सकते हैं, यानी आपकी कर योग्य आमदनी में उस एक लाख रुपये को नहीं जोड़ा जायेगा। अगर कोई व्यक्ति 30% आय कर की श्रेणी में हो तो उसे इस एक लाख रुपये के निवेश पर कर में मिलने वाली छूट 30,900 रुपये की होगी।
सामान्य म्यूचुअल फंड योजनाओं से ईएलएसएस में एक खास फर्क यह है कि इसमें निवेश की अवधि कम-से-कम 3 साल होती है। इससे पहले आप अपना निवेश निकाल नहीं सकते। इसे लॉक इन अवधि कहते हैं। लेकिन 80सी के तहत निवेश के जो दूसरे विकल्प हैं, उनमें लॉक इन अवधि और भी ज्यादा होती है।
ईएलएसएस का पैसा शेयरों में लगाये जाने के चलते इसमें यह क्षमता होती है कि यह तीन साल की अवधि में नियत लाभ (फिक्स्ड रिटर्न) लाभ वाले अन्य विकल्पों, जैसे एनएससी, पीपीएफ, मियादी जमा या एफडी, बांड वगैरह की तुलना में ज्यादा लाभ दे सके। अगर आपने किसी प्रमुख ईएलएसएस योजना में कारोबारी साल 2007-08 के दौरान भी पैसा लगाया होता, जब शेयर बाजार अपने शिखर को छूने लगा था और 2008 की जनवरी में शिखर से तीखी गिरावट आयी थी, तो भी आपको तीन साल की लॉक इन अवधि पूरी होने के बाद 15% से ज्यादा का ही फायदा मिल रहा होता। यह बात साथ में दी गयी तालिका से स्पष्ट है।
शेयर बाजार में निवेश की वजह से ईएलएसएस के साथ भी जोखिम जुड़ा होता है। छोटी से मध्यम अवधि में आपको अपने निवेश पर इसमें काफी उतार-चढ़ाव दिख सकता है। लेकिन तीन साल पूरे होने के बाद आपको अपने निवेश पर घाटा उठाना पड़े, इसकी संभावना काफी कम रह जाती है। तीन साल तक निवेश बंद रहना इस लिहाज से फायदेमंद ही रहता है, क्योंकि मानवीय स्वभाव ही ऐसा है कि बीच की अवधि में अगर शेयर बाजार में गिरावट आये और आपको अपने निवेश पर घाटा दिखे तो आपको अपना निवेश बेच कर बचा-खुचा पैसा निकाल लेने की इच्छा होगी। लेकिन लॉक इन के चलते ऐसा नहीं कर पाने की मजबूरी होती है और तीन साल पूरा होते-होते बाजार गिरावट के दौर से उबर भी जाता है। इससे आपको इक्विटी में अपने निवेश पर अच्छा फायदा लेने में मदद मिलती है।
यह भी देखा गया है कि शेयर बाजार में गिरावट के दौर में फंड मैनेजर बाजार से बेहतर प्रदर्शन कर पाते हैं। लिहाजा बीच की अवधि में भी आपका लाभ उस हद तक नहीं गिरता, जितनी गिरावट बाजार में आयी होती है। अगर 15 फरवरी 2012 के आँकड़ों के आधार पर हम ईएलएसएस योजनाओं का बीते तीन साल का सालाना औसत लाभ (सीएजीआर) देखें तो यह लगभग 25% बैठता है। डीटीसी के मौजूदा मसौदे में ईएलएसएस को कर छूट वाले निवेश विकल्पों में नहीं रखा गया है। लिहाजा इस पर कर छूट पाने का यह आखिरी साल हो सकता है और इसका अधिक-से-अधिक फायदा उठा लेना बेहतर होगा।
(निवेश मंथन, मार्च 2012)