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- Category: जुलाई 2017
आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने जून के चौथे सप्ताह में म्यूचुअल फंड उद्योग पर जारी अपनी रिपोर्ट में पूर्ववर्ती माह की सलाहों को बरकरार रखा है।
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- Category: जुलाई 2017
निवेश के लिए आपके पास बहुत पूँजी होनी चाहिए
असत्य। अक्सर सुना जाता है कि निवेशक के पास निवेश करने के लिए काफी अधिक पूँजी होनी चाहिए।
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- Category: जुलाई 2017
राजीव रंजन झा :
जून 2017 के शुरुआती तीन हफ्तों में भारतीय शेयर बाजार मजबूत तो बना रहा, पर नयी ऊँचाइयों की ओर जाने में यह एक हिचक भी दिखाता रहा।
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- Category: जुलाई 2017
आखिरकार केंद्र सरकार ने सातवें वेतन आयोग में भत्तों को लेकर चले ऊहापोह के दौर पर विराम लगा दिया है।
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- Category: जुलाई 2017
वर्ष 2017-18 में आईटी उद्योग के निर्यात की वृद्धि दर 7-8% और घरेलू बाजार में आईटी उद्योग की वृद्धि दर 10-11% रहने की उम्मीद है।
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- Category: जुलाई 2017
काशिद हुसैन :
पिछले साल नवंबर में केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले के संदर्भ में दिये गये तर्कों में से एक तर्क यह था कि यह डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देगा, जिससे कर चोरी और भ्रष्टाचार पर लगाम लगायी जा सकेगी।
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- Category: जुलाई 2017
एसटीटी चुकता किये बिना पूँजीगत लाभ कर से छूट
इक्विटी सौदों पर लागू पूँजीगत लाभ कर के मामले में केंद्रीय बजट 2017-18 के प्रस्ताव से उत्पन्न चिंताओं से वास्तविक निवेशकों को राहत दे दी गयी है।
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- Category: जुलाई 2017
प्रणव :
सही फॉर्म चुनने के साथ मौजूदा रुझानों का भी रखना होगा ख्याल : भारत में तमाम करदाता ऐसे हैं, जिन्हें आय कर देने में शायद कोई परेशानी न होती हो, मगर आय कर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने में जरूर पसीने छूटने लगते हैं। उन्हें यह बड़े झमेले वाला काम लगता है। अतीत की कुछ जटिलताओं को देखते हुए, उनकी ऐसी सोच पूरी तरह आधारहीन भी नहीं कही जा सकती। लेकिन हाल के दौर में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की ओर से इस मोर्चे पर किये गये तमाम प्रयास रंग लाते नजर आ रहे हैं, जिससे आईटीआर को लेकर बनी धारणा आने वाले वक्त में बदल भी सकती है।
डिजिटल होते भारत और ऑनलाइन के बढ़ते विस्तार में सरकार भी ऑनलाइन रिटर्न दाखिल किये जाने को ही प्रोत्साहन दे रही है। यह न केवल आसान है, बल्कि समूची प्रक्रिया को पारदर्शी भी बनाता है। इसके लिए फॉर्म तैयार करते वक्त भी सार्वजनिक रूप से परामर्श मँगाये गये थे और उन परामर्शों पर विचार के बाद ही उसे जारी किया गया। फिर भी कुछ वर्गों की आपत्तियाँ सामने आने के बाद उसमें फिर से संशोधन कर पुन: नया प्रारूप जारी करके यही संदेश देने की कोशिश की गयी कि सरकार आम राय को तवज्जो देती है और वह जटिल प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। शायद यही वजह है कि आईटी रिटर्न के नये फॉर्म का नाम %सहजÓ रखा गया है।
इस साल आईटीआर दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है। पिछले साल इसे बढ़ा कर 31 अगस्त कर दिया गया था, क्योंकि फॉर्म जारी करने में देरी हो गयी थी। पर इस साल भी यह तारीख बढ़ जायेगी, ऐसा मान कर न चलें। अच्छा होगा कि 31 जुलाई से पहले ही इस काम को निपटा दें, वरना अगर समय-सीमा नहीं बढ़ी और 31 जुलाई तक रिटर्न भरने से चूक गये तो 5,000 रुपये का जुर्माना चुकाना पड़ सकता है। इस बार सरकार ने इसके लिए आधार कार्ड को अनिवार्य बना दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा कर उन लोगों को राहत दी है, जिनके आधार कार्ड अभी तक बने नहीं हैं या बनने की प्रक्रिया में हैं। हालाँकि अगर आधार कार्ड बना हुआ है तो उसका अवश्य उल्लेख करना होगा।
छूट की सीमा से अधिक है आय तो जरूर भरें रिटर्न
यह ध्यान रखें कि आय कर से छूट (एक्जेंप्शन) की सीमा 2.50 लाख रुपये है। चार्टर्ड एकाउंटेंट महेश गुप्ता कहते हैं कि धारा 88ए या 80सी आदि के तहत कर कटौतियों (डिडक्शन) का लाभ मिलने से 2.50 लाख रुपये से अधिक की आय पर आपकी कर देनदारी भले ही शून्य हो जाये, मगर आपको रिटर्न जरूर दाखिल करना चाहिए। कटौतियों का लाभ रिटर्न भर कर दावा करने पर ही मिलता है और रिटर्न नहीं भरने पर आय कर विभाग आप पर जुर्माना लगा सकता है।
इसी तरह 4.5 लाख रुपये की आमदनी वाले वरिष्ठ नागरिकों को भी बैंक जमा पर टीडीएस रिफंड के दावे के लिए आईटीआर दाखिल करना ही होगा। अब रिटर्न दाखिल करना तय हो तो यह भी सुनिश्चित करना होगा कि आपकी ओर से गयी सभी कटौतियाँ आपके पैन से जुड़ गयी हैं ना। मसलन, फॉर्म 16 आपके नियोक्ता की ओर से सभी कर कटौतियों को दर्शाता है। आपको अपने फॉर्म 26एएस का भी जायजा लेना होगा, जो बतायेगा कि अग्रिम कर और ब्याज सहित अन्य आमदनियों पर कर को पैन से संबद्ध किया गया है या नहीं। अब फॉर्म चयन की चुनौती आती है। यही सबसे आसान और मुश्कि६द्भल पड़ाव बनता है, क्योंकि आगे की पूरी प्रक्रिया फॉर्म के चयन पर ही निर्भर करती है। फॉर्म की भी तीन श्रेणियाँ बनायी गयी हैं, जिन्हें आप अपनी सहूलियत के हिसाब से चुन सकते हैं।
आईटीआर-1 या सहज
यह केवल उन्हीं करदाताओं के लिए है, जो नौकरीशुदा या पेंशनभोगी हैं। घरेलू संपत्ति और निवेश, ब्याज या लाभांश जैसे स्रोतों से आमदनी करने वालों को भी इसी फॉर्म को चुनना होगा, लेकिन अगर आपकी सालाना आमदनी 50 लाख रुपये से अधिक है और यदि आपका पूँजीगत लाभ कर देय है, या विदेश में संपत्ति है या खेती से होने वाली आमदनी 5,000 रुपये से ज्यादा है तो इस फॉर्म को न चुनें।
आईटीआर-2
पहले फॉर्म के दायरे से बाहर छूटे लोगों को यहाँ जगह मिलेगी, यानी वेतन या पेंशन से होने वाली आमदनी वाले ऐसे लोग जिन्हें पूँजीगत लाभ भी हुआ हो, या निवेश, ब्याज और लाभांश के रूप में आय हो। विदेश में संपत्ति और खेती की 5,000 रुपये से अधिक आमदनी की स्थिति में भी आपको यही फॉर्म भरना होगा। लेकिन यह फॉर्म पेशेवर लोगों और उद्यमियों के लिए नहीं है।
आईटीआर-3
यह उन लोगों के लिए नहीं है, जो अनुमानित कर (प्रिज्युमेटिव टैक्स) की राह चुनते हैं। यह फॉर्म हिंदू अविभाजित परिवार से ताल्लुक रखने वाले किसी व्यक्ति को आवासीय संपत्ति, वेतन, पेंशन और अन्य स्रोतों से होने वाली आमदनी वाली श्रेणी के लिए है। आय के दूसरे स्रोत भी इसके दायरे में आते हैं।
इस साल आईटीआर पर नोटबंदी का असर भी नजर आयेगा। मसलन अगर आपने नोटबंदी के दौरान अपने बैंक खातों में दो लाख रुपये से ज्यादा की रकम जमा करायी है तो आईटीआर में उसका उल्लेख करना होगा। चूँकि आय कर विभाग ने नोटबंदी से पहले और बाद के तमाम ब्योरे जमा किये हैं और अगर दाखिल रिटर्न से वे जानकारियाँ मेल नहीं खायें तो बिन बुलायी मुसीबत के रूप में नोटिस के साथ-साथ आपको 50 से 200% तक हर्जाना चुकाना पड़ सकता है। इसी तरह 50 लाख रुपये से ज्यादा आमदनी वालों को रिटर्न भरते वक्त खासी सावधानी बरतनी होगा, क्योंकि उन्हें अपनी समस्त चल-अचल संपत्ति का ब्योरा देना होगा। विदेशी खाताधारकों को भी पूरी कुंडली बतानी होगी।
(निवेश मंथन, जुलाई 2017)
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डॉ. शिल्पी झा :
दुनिया भर के राजनेताओं से गर्मजोशी से गले मिलना हो, विदेशी मीडिया में प्रमुखता से मिली कवरेज़ हो या फिर देश से ज्यादा समय विदेश में बिताने के आरोप,
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- Category: जुलाई 2017
अनिल चोपड़ा, ग्रुप डायरेक्टर, बजाज कैपिटल :
मेरी उम्र 32 साल और सालाना आय 11.25 लाख रुपये है। मैं लंबी अवधि के लिए म्यूचुअल फंड पोर्टफोलिओ बनाने में आपकी सलाह चाहता हूँ।
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राजेश रपरिया, सलाहकार संपादक :
इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती है कि मोदी को खस्ताहाल अर्थव्यवस्था मिली थी।
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वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही यानी जनवरी-मार्च 2017 के दौरान देश की आर्थिक विकास दर अनुमानों के मुकाबले काफी नीची रही है।
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