वर्ष 2017-18 में आईटी उद्योग के निर्यात की वृद्धि दर 7-8% और घरेलू बाजार में आईटी उद्योग की वृद्धि दर 10-11% रहने की उम्मीद है।
नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर ऐंड सर्विसेज कंपनीज (नैसकॉम) ने जून महीने के चौथे हफ्ते में वर्ष 2017-18 के लिए आईटी उद्योग के विकास परिदृश्य पर जारी अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। नैसकॉम इस वृद्धि दर के लिए वित्तीय सेवाओं में सुधार और डिजिटल व्यवसाय में अच्छी संभावनाओं को मुख्य कारक मानता है। संगठन ने उपभोक्ताओं के लिए एकीकृत डिजिटल क्षमताओं और ऑटोमेशन आधारित परियोजनाओं में वृद्धि का भी उल्लेख किया है, जो उद्योग के लिए मुख्य निवेश क्षेत्र होंगे।
नैसकॉम के अध्यक्ष आर. चंद्रशेखर का कहना है कि इस वर्ष के दौरान आईटी-बीपीएम उद्योग द्वारा 1.3-1.5 लाख नयी नौकरियाँ दिये जाने की उम्मीद है। बीते वर्ष में कुल 1.7 लाख नयी नौकरियाँ दी गयी थीं। नैसकॉम ने आईटी क्षेत्र के साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी प्रौद्योगिकी के कुशल पेशेवरों की बढ़ती माँग के मद्देनजर उद्योग की स्थिति शुद्ध रूप से नियोजक यानी रोजगार उपलब्ध कराने वाले क्षेत्र की रहने की बात कही है। नैसकॉम ने यह भी कहा है कि रोजगार की उभरती भूमिकाओं के लिए नये कौशल की जरूरत है, और इनके लिए तैयार होने के उद्देश्य से नयी और मौजूदा प्रतिभाओं को फिर से कौशल प्राप्त करने की आवश्यकता होगी।
प्रमुख विदेशी बाजारों में राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितता ने पिछले वर्ष निर्णय प्रक्रिया और विवेकाधीन व्यय के साथ ही आई उद्योग को भी प्रभावित किया। हालाँकि नैसकॉम को भावी परिदृश्य सकारात्मक रहने की उम्मीद है। चंद्रशेखर के अनुसार वैश्विक आईटी क्षेत्र में भारत की हिस्सेदारी न केवल दृढ़ है, बल्कि बढ़ भी रही है। नैसकॉम के अनुसार भारतीय आईटी उद्योग का आकार 154 अरब डॉलर होने का अनुमान है। इसमें पूर्ववर्ती वर्ष में जुड़ी 11 अरब डॉलर की आय भी शामिल है।
सहारा लाइफ के हस्तांतरण के लिए छह कंपनियाँ चयनित
भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) ने सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस के बीमा व्यवसाय हस्तांतरण के लिए छह बीमा कंपनियों की पहचान की है। इनमें एलआईसी, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, एफडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ, बजाज एलायंज, कोटक महिंद्रा और एसबीआई लाइफ शामिल हैं। इरडा ने हाल में 12 जून को सहारा इंडिया लाइफ का प्रशासन अपने हाथ में ले लिया था और 23 जून को कंपनी को नयी पॉलिसी जारी करने से रोकने को कहा। नियामक संस्था के 18 वर्ष के इतिहास में यह पहला मौका है जब उसने कोई ऐसा कदम उठाया है। मीडिया में आयी खबरों के मुताबिक इरडा ने सहारा लाइफ को अपनी बात कहने का मौका देने के बाद इसके बीमित ग्राहकों के मामलों के प्रबंधन के लिए प्रशासक के रूप में इरडा के महाप्रबंधक आर. के. शर्मा की नियुक्ति की है। चुनी गयी छह बीमा कंपनियों को 30 जून तक अपनी इच्छा जताने का समय दिया गया। यह अधिग्रहण या विलय नहीं होगा, बल्कि यह बीमा व्यवसाय का सामान्य हस्तांतरण होगा। सहारा लाइफ के खिलाफ इरडा का यह कदम बीमा कंपनी में पूँजी के संकट से प्रेरित नहीं है।
वस्तुत:, सहारा लाइफ द्वारा दी गयी एक सूचना के अनुसार इस बीमा कंपनी का सॉल्वेंसी रेश्यो 8.10 का है, जबकि नियमों के मुताबिक यह अनुपात कम-से-कम 1.5 होना चाहिए। इरडा का मानना है कि सॉल्वेंसी रेश्यो इतना ज्यादा होना खुद बताता है कि कंपनी बीमा व्यवसाय को बढ़ाने की इच्छुक नहीं है, क्योंकि यह पूँजी को जाम किये हुए है। इरडा ने प्रशासक की नियुक्ति के आदेश में तीन कारण दिये थे। पहला, कंपनी के चेयरमैन सुब्रत रॉय ने मार्च 2015 को समाप्त वर्ष तक चार वर्षों में बोर्ड और निवेश समिति की किसी बैठक में शिरकत नहीं की। दूसरे, बीमा कंपनी के व्यवसाय में लगातार गिरावट आ रही थी। नियामक प्राधिकरण ने बीमा कंपनी को 2016-17 से शुरू वित्त वर्ष से तीन वर्षों के लिए व्यवसाय योजना दाखिल करने को कहा, जो कंपनी ने नहीं किया। तीसरे, इरडा ने पाया कि बीमा कंपनी के खर्चे बढ़ रहे हैं।
लॉकर में रखे सामान की जिम्मेदारी बैंक की नहीं
भारतीय रिजर्व बैंक और सार्वजनिक क्षेत्रों के 19 बैंकों ने कहा है कि बैंक के लॉकर में रखे आपके सामान की अगर चोरी होती है तो उसके लिए बैंक की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। साथ ही बैंक उस चोरी या क्षति पहुँचे सामान का कोई मुआवजा भी नहीं देगा। एक आरटीआई के जवाब में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और 19 सार्वजनिक बैंकों ने लॉकर के सामान की चोरी होने पर उसकी जिम्मेदारी बैंकों की न होने की बात कही है।
गौरतलब है कि सभी लोग अपने कीमती सामानों की सुरक्षा के लिए बैंक लॉकर को सबसे सुरक्षित समझते हैं, लेकिन हाल के दिनों में बैंक लॉकरों से चोरी की घटनाएँ सामान्य हो गयी हैं। यानी अब बैंक में अपनी मूल्यवान वस्तुओं को रख कर आप निश्चिंत नहीं रह सकते। आरबीआई ने कहा कि बैंक लॉकर को लेकर ग्राहकों को होने वाले नुकसान की भरपाई को लेकर बैंकों को कोई निर्देश या सलाह नहीं दी गयी है। आरटीआई के जवाब में सभी 19 बैंकों ने यह तर्क दिया कि हमारा रिश्ता ग्राहक से मकान मालिक और किरायेदार जैसा है, इसलिये ग्राहक लॉकर में रखे गये अपने सामान का खुद जिम्मेदार है। इन बैंकों में बैंक ऑफ इंडिया, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, पंजाब नैशनल बैंक, यूको और कैनरा जैसे बैंक शामिल हैं।
कई बैंकों ने अपने लॉकर लेने संबधी समझौते में साफ लिखा है कि बैंक लॉकर में रखा कोई भी सामान चोरी, गृह युद्ध या अन्य किसी आपदा की वजह से नुकसान झेलता है तो इसके प्रति बैंक जवाबदेह नहीं होगा। साथ ही आरबीआई ने लॉकर में रखे सामान के लिए उनका बीमा कराने की सलाह दी है। मगर सवाल यह उठता है कि अगर बीमा करा कर ही लॉकर में सामान रखना है, तो बीमा करा कर उसे घर में ही क्यों न रखा जाये!
(निवेश मंथन, जुलाई 2017)