निवेश के लिए आपके पास बहुत पूँजी होनी चाहिए
असत्य। अक्सर सुना जाता है कि निवेशक के पास निवेश करने के लिए काफी अधिक पूँजी होनी चाहिए।
बहुत-से निवेशक भी सोचते हैं कि संपदा सृजित करने के लिए पहले एक बड़ी राशि का निवेश करनी चाहिए। अक्सर यह सोच निवेशकों को निवेश से पीछे हटने को बाध्य कर देती है। तथ्य यह है कि किसी म्यूचुअल फंड योजना (स्कीम) में निवेश के लिए कोई भी महज 500 रुपये (इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम में) और 1000 रुपये (अन्य निवेशों में) की छोटी राशि के साथ अपनी सुनियोजित निवेश योजना या सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) शुरू कर सकता है। बाद में निवेशक इस निवेश राशि को बढ़ा भी सकता है। इसलिए निवेशक को अतिरिक्त पूँजी छोटी होने के कारण निवेश से पीछे हटने की प्रवृत्ति से बचना चाहिए। एसआईपी नियमित और अनुशासित निवेश की आदत भी बनाता है, जबकि ईएलएसएस निवेश को 3 वर्ष के लिए लॉक कर देता है, जिससे निवेशित राशि को बाजार के उतार-चढ़ाव से अप्रभावित रहते हुए बढऩे में मदद मिलती है।
म्यूचुअल फंड आपको धनी बना सकते हैं
गलत। एमएफ वित्तीय सपनों को पूरा करने और संपदा सृजित करने में निवेशक की मदद करते हैं। निवेशक किसी खास म्यूचुअल फंड योजना में अपनी आय या बचत के एक हिस्से का निवेश करते हैं, जो दीर्घकाल में प्रतिफल देता है। इसलिए यह मान्यता कि एमएफ किसी को धनी बना देते हैं, गलत है। एमएफ निवेश बाजार के जोखिम और हालात पर निर्भर है। वे संपदा सृजित करने की सामथ्र्य प्रदान करते हैं और साथ ही संपदा सृजन समय ले सकता है। लेकिन धैर्य और अनुशासन के साथ कोई भी व्यक्ति म्यूचुअल फंड में निवेश कर के संतोषजनक अनुभव प्राप्त कर सकता है।
निवेश के लिए आपको विशेषज्ञ बनना होगा
असत्य। म्यूचुअल फंड के बारे में जानना लाभप्रद है, लेकिन इसका कम ज्ञान या कोई ज्ञान नहीं होना निवेश करने में बाधक नहीं है। इसके विपरीत, म्यूचुअल फंड संपदा सृजित करने या वित्तीय लक्ष्य प्राप्त करने के इच्छुक लोगों का मंच है, क्योंकि उनके निवेश का प्रबंधन अनुभवी और सिद्धहस्त फंड प्रबंधकों और विश्लेषकों द्वारा किया जाता है। यदि निवेशक किसी खास म्यूचुअल फंड योजना में निवेश करने या इसके प्रदर्शन के बारे में और जानना चाहता है, तो उनकी मदद के लिए निवेश सलाहकार भी उपलब्ध हैं।
‘इक्विटी बेहतर है’, ‘डेब्ट बेहतर है’ या ‘एक व्यक्ति दोनों में निवेश नहीं कर सकता’
गलत। एक निवेशक अपने दीर्घकालीन या अल्पकालीन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश करता है। निवेशक इसे कैसे हासिल करना चाहता है, इसी से तय होता है कि वह इक्विटी फंड में निवेश करेगा या डेब्ट फंड में। इन दोनों फंडों की अपनी खासियतें हैं। कई बार, निवेशक दोनों फंडों का लाभ लेने के लिए डायनामिक फंड या बैलेंस्ड फंड का चयन करते हैं, जो बाजार परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को ढालने का अवसर देता है। इसलिए, निवेशक की जरूरत पर निर्भर है कि उसके लिए क्या बेहतर है।
सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन वाली योजना में निवेश बेहतर प्रतिफल देता है
गलत। ‘अतीत का प्रदर्शन भविष्य में कायम रह सकता है और नहीं भी’, यह कथन वैधानिक डिस्क्लेमर से कम नहीं है, जो बताता है कि फंड के सुसंगत प्रदर्शन के बावजूद, यह हमेशा पहले के समान नहीं रह सकता। इसलिए, किसी खास योजना में निवेश का निर्णय करने से पहले यह ध्यान रहे कि फंड अच्छा प्रदर्शन नहीं भी कर सकता है। किसी स्कीम का प्रदर्शन आँकने के लिए निवेशक को इसके प्रदर्शन के पीछे की प्रक्रिया अवश्य जाननी चाहिए। हालाँकि रेटिंग एक अंतर्दृष्टि देती है, लेकिन फंड की संभावनाएँ जानने के लिए प्रदर्शन के साथ इसका मिलान करना चाहिए।
स्रोत : मोतीलाल ओसवाल म्यूचुअल फंड
(निवेश मंथन, जुलाई 2017)