आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने जून के चौथे सप्ताह में म्यूचुअल फंड उद्योग पर जारी अपनी रिपोर्ट में पूर्ववर्ती माह की सलाहों को बरकरार रखा है।
ब्रोकिंग फर्म ने इक्विटी डाइवर्सिफाइड फंड, इक्विटी इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड, इक्विटी बैंकिंग फंड, इक्विटी एफएमसीजी और बैलेंस्ड फंड के लिए अल्पकाल एवं दीर्घकाल, दोनों अवधियों के लिए सकारात्मक सलाह दी है। ब्रोकिंग फर्म ने इन्कम फंड के लिए अल्पकाल में सकारात्मक, जबकि अतिअल्पकाल और दीर्घकाल के लिए उदासीन सलाह बरकरार रखी है। इसी तरह इक्विटी फार्मा फंड और मंथली इन्कम प्लान (एमआईपी) के लिए अल्पकाल में उदासीन और दीर्घकाल में सकारात्मक सलाह बरकरार रखी है। ब्रोकिंग फर्म ने इक्विटी टेक्नोलॉजी फंड, आर्बिट्राज फंड, लिक्विड फंड एवं गिल्ट फंड के लिए अल्पकाल एवं दीर्घकाल, दोनों अवधियों के लिए उदासीन सलाह दी है।
इक्विटी बाजार
घरेलू इक्विटी बाजारों ने अपनी तेजी जारी रखी और ताजा नये शिखर बनाये। निफ्टी 50 कैलेंडर वर्ष 2017 की शुरुआत से ले कर अब तक (19 जून तक) 18% बढ़ा है। समान अवधि में मँझोले और छोटे शेयरों ने करीब 23% और 30% के प्रतिफल के साथ बेहतर प्रदर्शन जारी रखा। सामान्य मानसून की संभावनाओं, मुद्रास्फीति में गिरावट और ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद, जीएसटी का क्रियान्वयन, सकारात्मक वैश्विक बाजार, वैश्विक कमोडिटी कीमतों में गिरावट और म्यूचुअल फंडों में जारी घरेलू निवेश ने बाजारों को नयी सार्वकालिक ऊँचाइयों तक पहुँचने में मदद की। वैश्विक बाजारों ने भी तेजी की रफ्तार कायम रखी है और मई, 2017 के दौरान कई वैश्विक बाजारों ने नये शिखर बनाये।
इसने घरेलू बाजार में धारणा मजबूत बनाने में मदद की। पूर्ववर्ती कुछ वर्षों में खराब प्रदर्शन करने वाले बैंकिंग, कैपिटल गुड्स और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों ने कैलेंडर वर्ष 2017 की शुरुआत से ही बेहतर प्रदर्शन वाले क्षेत्रों में शुमार हैं। बेंचमार्क सूचकांकों ने मई में छोटे और मँझोले सूचकांकों से बेहतर प्रदर्शन कर अप्रैल तक जारी रुख के परिदृश्य को पलट दिया। यह निवेशकों के बीच इस भावना को प्रदर्शित करता है कि इन रिकॉर्ड उच्च स्तरों पर भी बेंचमार्क सूचकांक जोखिम-प्रतिफल आधार पर एक बेहतर अवसर प्रदान करता है, जबकि मँझोले और छोटे शेयरों के सूचकांक में शानदार प्रदर्शन के बाद कुछ ठहराव आया है। घरेलू म्यूचुअल फंडों में निवेश प्रवाह मजबूत बना हुआ है।
ताजा निवेश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा दीर्घकाल के लिए समर्पित दिखता है। सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) और पेंशन फंडों के योगदान में स्थिर वृद्धि इस प्रवृत्ति का संकेत देती है। निवेश की दीर्घावधि प्रकृति को देखते हुए, फंड प्रबंधक उच्च उतार-चढ़ाव वाले और तुलनात्मक रूप से कम जाँचे-परखे, जिनका व्यवसाय चक्र वाली अपेक्षाकृत छोटी और मँझोली कंपनियों में निवेश का निर्णय करने की बेहतर स्थिति में हैं। बड़े स्थिर व्यवसायों के मुकाबले इनमें वृद्धि संभावना काफी अधिक है। इसलिए बाजार में गुंजाइश सकारात्मक बनी हुई है। अन्य संपदा श्रेणियों का अनाकर्षक होना भी म्यूचुअल फंडों में ज्यादा पैसा आने का कारण है।
परिदृश्य
स्वतंत्रता के बाद भारत में सबसे बड़ा कर सुधार, जीएसटी 1 जुलाई से लागू होने के लिए सही पटरी पर है। पारदर्शी कर ढाँचा, अनेकानेक करों के व्यापक प्रभावों के उन्मूलन, अनुपालन बढऩे और असंगठित क्षेत्र के औपचारिक क्षेत्र में बदलने के साथ जीएसटी वाले दौर में बुनियादी परिवर्तन होंगे। ये परिवर्तन सभी संगठित सूचीबद्ध कंपनियों के लिए लाभकारी होंगे।
कंपनियों पर विमुद्रीकरण का असर उम्मीद से कम साबित हुआ और अधिकांश कंपनियाँ तेजी से संकट की स्थिति से उबर गयीं। उम्मीद है कि अन्य कंपनियाँ भी अगले कुछ महीनों में इससे उबर जायेंगी। वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही के नतीजे संकेत करते हैं कि अधिकांश कंपनियाँ विमुद्रीकरण नीत मंदी से उबर गयी हैं।
ब्रोकिंग फर्म का मानना है कि वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 के लिए आय वृद्धि बढ़ कर 18% सीएजीआर तक होनी तय है। इसलिए मँझोली अवधि के लिए परिदृश्य सकारात्मक बना हुआ है। विमुद्रीकरण की मंदी के बाद आयी तेजी के मद्देनजर निकट भविष्य में निफ्टी में कुछ गिरावट दिख सकती है। हालाँकि कुल मिला कर भाव सकारात्मक बना हुआ है। निवेशकों को क्रमबद्ध खरीद का अपना नजरिया बनाये रखना चाहिए और किसी भी तीखी गिरावट, जो निकट भविष्य में बाजार देख सकता है, पर निवेश करना चाहिए।
म्यूचुअल फंड सार
पिछले तीन साल में म्यूचुअल फंडों ने मजबूत निवेश देखा है, जिससे म्यूचुअल फंडों के एयूएम में मजबूत वृद्धि हुई है। म्यूचुअल फंडों द्वारा प्रबंधित कुल संपदा अप्रैल 2017 में 19.26 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर तक पहुँच गयी और मई 2017 में कुल प्रबंधित संपूर्ण संपदा 19.04 लाख करोड़ रुपये रही। यह सालाना आधार पर 38त्न की वृद्धि और मार्च 2017 के मुकाबले 8.5% की वृद्धि को दर्शाता है। कुल एमएफ संपदा में इन्कम फंडों की हिस्सेदारी 42% और इक्विटी एवं ईएलएसएस फंडों की हिस्सेदारी 31% है। एम्फी के आँकड़ों के मुताबिक सिस्टेमैटिक इन्वेस्ट प्लान (एसआईपी) के जरिये निवेश अप्रैल के 4300 करोड़ रुपये से बढ़ कर मई में 4600 करोड़ रुपये रहा। वित्त वर्ष 2016-17 में एसआईपी के जरिये निवेश औसतन 3600 करोड़ रुपये प्रति माह रहा था। पिछले 12 महीनों में, म्यूचुअल फंड उद्योग ने 3.40 लाख करोड़ रुपये का निवेश देखा है। कुल शुद्ध निवेश में से 81,376 करोड़ रुपये का निवेश इक्विटी और ईएलएसएस फंडों के जरिये हुआ, जो कुल निवेश का करीब 24% है। यह प्रवृत्ति म्यूचुअल फंडों में निवेशकों की बढ़ती भागीदारी और पूँजी लगाने के लिए गिरावटों का उपयोग अवसर के रूप में करने को दर्शाती है।
(निवेश मंथन, जुलाई 2017)