संदीप सभरवाल, सीआईओ, सन कैपिटल :
बाजार मजबूत लग रहा है। कारोबारी साल 2014-15 में भारत का जीडीपी 5.2% की दर से बढ़ सकता है।
विकास दर में तेजी के साथ ही साथ महँगाई दर में गिरावट की वजह से अगले साल निवेशकों को बाजार से 25-30% रिटर्न हासिल हो सकता है। अगर अगले लोक सभा चुनाव में भाजपा सरकार नहीं बनाती है तो बाजार में इसकी कुछ नकारात्मक प्रतिक्रिया अवश्य देखने को मिलेगी, लेकिन बड़ी गिरावट आने की संभावना नहीं है। दिसंबर 2014 तक निफ्टी 7,654 पर जा सकता है।
भाजपा के न आने पर तीखी गिरावट संभव
प्रकाश गाबा, गाबा ऐंड गाबा फाइनेंशियल एडवाइजर्स :
भारतीय शेयर बाजार के लिए भविष्य अच्छा दिख रहा है। जून 2014 तक निफ्टी 7,000 पर और सेंसेक्स 24,000 पर जा सकता है। घरेलू उपभोग की अपार संभावना भारतीय बाजार के लिए सबसे सकारात्मक पहलू है। इस समय बाजार के सामने जो प्रमुख चिंताएँ हैं उनमें शामिल हैं- लोक सभा चुनावों में कांग्रेस की संभावित जीत, खाद्य सुरक्षा अधिनियम, डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति, तेल आयात का खर्च और कॉरपोरेट जगत के लिए कर्ज की लागत। यदि आगामी लोक सभा चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी सरकार नहीं बना सकी तो बाजार में तीखी गिरावट देखने को मिल सकती है और ऐसे में साल 2014 में निफ्टी नीचे की ओर 5,500 तक फिसल सकता है।
साल 2014 की दूसरी छमाही में आ सकती है तेजी
क्रुणाल दायमा, प्रबंध निदेशक, फस्र्ट स्टेप कैपिटल :
साप्ताहिक और मासिक चार्ट पर निफ्टी ने तिहरा शिखर (ट्रिपल टॉप) संरचना बनायी है, हालाँकि हम अभी भी इस स्तर के नजदीक हैं। अधिकांश एफआईआई नवंबर-दिसंबर के विधान सभा चुनावों में भाजपा की जीत पर दाँव लगा रहे थे जो बाजार की चाल और उनकी सहभागिता से काफी स्पष्ट था। अभी भी उनका रवैया सकारात्मक है, जो ओसिलेटर्स और कारोबारी मात्रा से जाहिर हो रहा है। मेरा मानना है कि साल 2014 की पहली छमाही के दौरान बाजार दायरे में सीमित से ले कर हल्का सकारात्मक रह सकता है। दूसरी छमाही में साप्ताहिक चार्ट पर राउंडिंग पैटर्न ब्रेकआउट (6,400 के ऊपर) देख सकते हैं जो खुदरा निवेशकों की मजबूत सहभागिता की वजह से निफ्टी को 7,200 की ओर ले जा सकता है। चार्ट पर बनी तिहरा शिखर संरचना, बढ़ती महँगाई और 2014 के चुनावों के संभावित नतीजे इस समय भारतीय बाजार के सम्मुख प्रमुख चिंताएँ हैं।
साल 2014 से आरंभ होगी कई सालों की तेजी
कुणाल सरावगी, सीईओ, इक्विटी रश :
लोक सभा चुनाव और वैश्विक आर्थिक धीमेपन से जुड़ी अनिश्चितताओं के बावजूद साल 2014 में एक स्थायित्वपूर्ण तेजी का बाजार (बुल मार्केट) दिख सकता है। इस साल होने वाले चुनाव के अनुकूल नतीजे आने की स्थिति में भारतीय शेयर बाजार अत्यंत सकारात्मक प्रतिक्रिया दे सकता है। बाजार की तेजी में इस बात का भी योगदान रह सकता है कि अभी इसमें लोगों की सहभागिता तुलनात्मक तौर पर कम है और शेयर बाजार में बड़ी पूँजी लगाने से अभी भी निवेशक हिचकते हैं। जब चीजें बेहतर होनी शुरू होंगी और स्पष्टता उभरेगी, तब शेयर खरीदने की होड़ मचेगी, लेकिन तब तक उनके भाव काफी ऊपर जा चुके होंगे। अत: निवेशकों को चाहिए कि वे बाजार में आने वाली हर गिरावट पर खरीदारी करना शुरू करें। साल 2014 भारतीय बाजार में कई सालों की तेजी का आरंभ का पहला साल हो सकता है। मेरा मानना है कि आगामी लोक सभा चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन सकती है, लेकिन नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना नहीं लगती है।
तकनीकी रूप से बेहतर लग रहा बाजार
मानस जायसवाल, तकनीकी विश्लेषक, मानस जायसवाल डॉट कॉम :
तकनीकी रूप से बाजार काफी बेहतर लग रहा है। इसने ऊपर की ओर 6,350 का स्तर तोड़ दिया है और ऊँचे शिखर-ऊँची तलहटियाँ बना रहा है। ऐसे में 6,200-6,000 के दायरे में कोई भी सुधार (करेक्शन) खरीदारी का अच्छा अवसर होगा। हालाँकि इसके लिए घाटा काटने का स्तर (स्टॉप लॉस) 5,700 का रखा जा सकता है। आने वाले लोक सभा चुनाव में भाजपा की जीत को बाजार ने अभी अपने भाव में शामिल नहीं किया है। निफ्टी जून 2014 तक 6,700 और दिसंबर 2014 तक 7,000 पर जा सकता है।
आम चुनाव के संभावित नतीजे हैं प्रमुख चिंता
निखिल कामथ, निदेशक, जेरोधा :
भारतीय बाजार का आउटलुक सावधानी भरी तेजी का लग रहा है। लोक सभा चुनाव के संभावित नतीजे बाजार के सम्मुख सबसे बड़ी चिंता हैं। भारत की जीडीपी इस साल 5% और अगले 5.5% की दर से बढ़ सकती है। ऐसे में निफ्टी जून 2014 तक 6,511 और दिसंबर 2014 तक 6,821 पर जा सकता है।
अर्थव्यवस्था से जुड़ी खबरें तय करेंगी चाल
नितेश चंद, तकनीकी विश्लेषक, साइक्स ऐंड रे इक्विटीज :
अगले छह महीनों में घरेलू अर्थव्यवस्था से संबंधित खबरें भारतीय बाजार की चाल तय करने के लिहाज से सबसे अहम कारक होंगी। ऐसा लगता है कि बाजार ने गिरावट का चक्र (डाउनवर्ड साइकल) पूरा कर लिया है। आईआईपी, जीडीपी और महँगाई से संबंधित खराब आँकड़े मौजूदा स्तर पर बाजार के भावों में शामिल हैं। मौजूदा स्तरों से हल्का सुधार बाजार को अगले उच्च स्तरों तक ले जा सकता है। संभव है कि जून 2014 तक निफ्टी 7,000 पर और दिसंबर 2014 तक 7,500 पर पहुँच जाये।
लोक सभा चुनाव होंगे अहम
डी. प्रसाद, पार्टनर, इक्विटी स्ट्रेटेजिस्ट्स :
निवेश का चक्र आरंभ हो गया है। अगले छह महीनों की बात करें तो लोक सभा चुनाव बाजार के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारक होंगे। भारतीय जनता पार्टी की जीत को बाजार ने आंशिक रूप से अपने भावों में शामिल कर लिया है। अगर भाजपा अगली सरकार नहीं बनाती तो बाजार में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है। निफ्टी जून 2014 तक 7,200 पर और दिसंबर 2014 तक 6,700 पर जा सकता है।
निफ्टी फिसल सकता है 5,450 पर
अरविंद पृथी, संस्थापक, ऐंडरसन कैपिटल एडवाइजर्स :
आगे हमें काफी सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि आगामी लोक सभा चुनावों का परिणाम और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) का नजरिया बाजार पर काफी अधिक प्रभाव डाल सकता है। आगामी चुनावों के बाद हमें त्रिशंकु लोक सभा देखने को मिल सकती है, ऐसे में कोई भी स्थिर सरकार देने की स्थिति में नहीं होगा। ऐसे में जनवरी-दिसंबर 2014 के बीच निफ्टी नीचे की ओर 5,450 तक फिसल सकता है।
चुनिंदा निवेश की रणनीति से होगा मुनाफा
सुनील मिंगलानी, निदेशक, स्किलट्रैक :
आगे आने वाले महीनों में बाजार का पूरा ध्यान लोक सभा के चुनावों पर ही रहने वाला है और बाजार यह देखना चाहेगा कि कहीं कोई ऐसी सरकार आने की संभावना तो नहीं बन रही, जो काफी सारे दलों से मिल कर चलेगी। अगर ऐसा कोई भी आभास बाजार को होता है तो यह इसके लिए नकारात्मक हो सकता है। कांग्रेस की हार तो बाजार लगभग मान कर ही चल रहा है।
चाहे सरकार भाजपा की आये या न आये, दोनों ही सूरतों में बाजार को चुनावों के बाद गिरना है। अगर भाजपा आ गयी तो बाजार चुनावों के तीन महीने बाद गिर जायेगा। अगर भाजपा की सरकार नहीं बनी तो चुनाव के तुरंत बाद गिर जायेगा, क्योंकि पिछली सरकार ने जिस तरह से अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाया है, उसे देख कर ऐसा नहीं लगता कि बुनियादी तौर पर हमारी अर्थव्यवस्था जल्दी से पटरी पर आ पायेगी और बड़े निवेशकों का भरोसा पूरी तरह से भारत पर बन पायेगा। इसलिए हमारे हिसाब से इन लोक सभा चुनावों के शोर में बाजार में काफी अच्छी बढ़त देखने को मिल सकती है, जो निफ्टी या सेंसेक्स में ज्यादा न हो कर चुनिंदा शेयरों में ज्यादा हो सकती है। इस दौरान वे क्षेत्र ज्यादा चल सकते हैं, जो सीधे अर्थव्यवस्था से जुड़े हुए हैं, जैसे सड़क, बिजली, कैपिटल गुड्स, इन्फ्रा। इसके अलावा कुछ ऐसे शेयरों में भी अच्छी बढ़त देखने को मिल सकती है जो पिछले कुछ सालों से काफी अच्छे मूल्यांकन पर काम कर रहे हैं। कुल मिला कर आने वाले महीनों में चुनिंदा शेयरों में काम करने वाले कारोबारी ही अच्छा मुनाफा बना पाएंगे न कि निफ्टी या सेंसेक्स में काम करने वाले कारोबारी।
बाजार के 80 रत्न शेयर सस्ते मूल्यांकन पर
शैलव काजी, प्रेसिडेंट, पद्माक्षी फाइनेंशियल सर्विसेज :
भारतीय बाजार में घरेलू निवेशकों की रुचि खत्म हो गयी है। निराशा इतनी अधिक है कि इससे अधिक निराशा की संभावना नहीं दिखती। यह स्थिति कम से कम अगले कुछ सालों तक बदलती हुई नहीं दिख रही जब तक सरकार, आरबीआई और सेबी आदि एक साथ मिल कर धारणा को सुधारने के लिए मजबूत कदम नहीं उठाते। आकर्षक मूल्यांकनों, विकास दर की सबसे कमजोर अवधि बीत जाने, वैश्विक स्तर पर मजबूत वापसी और कमजोर रुपये की वजह से साल 2014 में हम बाजार को आगे बढ़ता हुआ देख सकते हैं। निफ्टी जून 2014 तक 7,000 पर और दिसंबर 2014 तक 7,200 पर दिख सकता है। रुपये की कमजोरी और वैश्विक स्तर पर मजबूत वापसी की वजह से भारत में निर्यातोन्मुख कंपनियों के नेतृत्व में वापसी देखी जा सकती है। बाजार के 80% शेयर काफी कम मूल्यांकन पर उपलब्ध हैं और लगभग उन स्तरों पर कारोबार कर रहे हैं जब निफ्टी 4,000 के स्तर के आसपास था।
चुनाव, विकास और महँगाई के बीच फँसा बाजार
राजेश सतपुते, रिसर्च प्रमुख, मंगल केशव सिक्योरिटीज :
भारतीय शेयर बाजार इस समय चुनाव, विकास और महँगाई के बीच बुरी तरह फँसा हुआ है। मौजूदा हालात में राजनीतिक परिवर्तन अनिवार्य दिख रहा है और इस समय निवेशकों के मनोभावों को मजबूती देने के लिए एक अलग विचारधारा की जरूरत दिख रही है। पिछले वर्षों के दौरान लघु उद्योग समाप्त होते गये हैं, जिसकी वजह से नयी पीढ़ी में बेरोजगारी बढ़ी है। इसके अतिरिक्त खुदरा निवेशकों की सहभागिता का अभाव, केंद्र सरकार का नीतिगत पक्षाघात और विदेशी संस्थागत निवेशकों पर अति निर्भरता भारतीय अर्थव्यवस्था और कारोबारी धारणा को नुकसान पहुँचा रहे हैं। अगले 12 महीनों में वैश्विक बाजारों के मुकाबले भारतीय बाजार का प्रदर्शन कमतर रह सकता है। जून 2014 तक निफ्टी 5,900 पर और दिसंबर 2014 तक 5,600 पर रह सकता है।
राजनीतिक अनिश्चितता है सबसे बड़ी चिंता
विनय गुप्ता, निदेशक, ट्रस्टलाइन सिक्योरिटीज :
भारतीय शेयर बाजार सकारात्मक लग रहा है, लेकिन काफी कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि लोक सभा चुनाव के नतीजे कैसे आते हैं। यदि इस चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में सरकार नहीं बनती, तो ऐसे में भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है। राजनीतिक अनिश्चितता इस समय बाजार के सामने सबसे बड़ी चिंता है। जनवरी-दिसंबर 2014 के दौरान निफ्टी ऊपर की ओर 7,500 पर जा सकता है, जबकि नीचे की ओर यह 5,200 तक फिसल सकता है।
सरकारी कंपनियाँ करेंगी तेजी का नेतृत्व
नीरज दीवान, निदेशक, क्वांटम सिक्योरिटीज :
बाजार में अभी जारी सुधार (करेक्शन) के बाद फिर इसमें तेजी का रुझान आने की उम्मीद है। लेकिन चुनाव-पूर्व चिंताओं और टैपरिंग से संबंधित खबरों की वजह से जनवरी 2014 के मध्य या आखिर से इसमें फिर से गिरावट आ सकती है। उसके बाद बाजार की चाल लोक सभा चुनाव के नतीजों से तय होगी। कारोबारी साल 2014-15 में भारतीय बाजार से बेहतर रिटर्न मिलने की उम्मीद है। हो सकता है कि बाजार की इस तेजी का नेतृत्व सरकारी क्षेत्र की कंपनियाँ और सरकारी बैंक करें।
केंद्र सरकार का बदतर प्रदर्शन है सबसे बड़ी चिंता
हेमेन कपाडिय़ा, सीईओ, चार्ट पंडित :
नरेंद्र मोदी को देश का अगला प्रधान मंत्री मानते हुए साल 2014 से भारत में तेजी का बाजार (बुल मार्केट) देखने को मिल सकता है, जो 4-5 सालों तक चल सकता है। इस समय बाजार के सम्मुख सबसे बड़ी चिंता है केंद्र की संप्रग सरकार का बदतर प्रदर्शन। अगले छह महीनों में लोक सभा चुनावों की भारतीय बाजार की चाल को तय करने में सबसे अहम भूमिका होगी। दिसंबर 2014 तक निफ्टी 6,800 पर जा सकता है। जनवरी-दिसंबर 2014 के बीच निफ्टी नीचे की ओर 5,700 तक फिसल सकता है।
दिसंबर 2014 तक निफ्टी 7,400 पर
जगन्नादम तुनुगुंटला, रिसर्च प्रमुख, एसएमसी ग्लोबल :
आने वाले समय में शेयर-विशेष के चयन की रणनीति कारगर सिद्ध हो सकती है। ऐसे में निवेशकों को बेहतरीन शेयर चुनने पर ध्यान देना चाहिए। महँगाई, रुपये में उतार-चढ़ाव, वित्तीय घाटे और चालू खाते के घाटे के ऊँचे स्तर, जीडीपी विकास की धीमी दर और केवल कुछ शेयरों का बेहतरीन प्रदर्शन वे चिंताएँ हैं जिनसे भारतीय बाजार दो-चार हो रहा है। आने वाले 12 महीनों में भारतीय बाजार का प्रदर्शन वैश्विक बाजारों के ही अनुरूप रह सकता है। निफ्टी जून 2014 तक 7,200 पर और दिसंबर 2014 तक 7,400 पर रह सकता है।
ब्याज दरें बढऩे का होगा नकारात्मक असर
जगदीश ठक्कर, निदेशक, फार्चून फिस्कल :
महँगाई की ऊँची दर, डॉलर के मुकाबले फिसलता रुपया, चालू खाते का घाटा, ईंधन लागत में वृद्धि, राजनीतिक अनिश्चितता (यदि 2014 में त्रिशंकु लोक सभा बनी), कमतर आईआईपी और क्यूई3 की सीमा में 25% से अधिक कटौती की संभावना इस समय बाजार के सम्मुख प्रमुख चिंताएँ हैं। भारतीय शेयर बाजार को इस समय विदेशी संस्थागत निवेशकों के पूँजी प्रवाह का सहारा मिल रहा है और अमेरिका में क्यूई की टैपरिंग होने पर भी इस प्रवाह पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालाँकि यदि महँगाई दर दोहरे अंकों में बनी रही तो ऐसी स्थिति में ब्याज दरों में बढ़ोतरी होगी और अर्थव्यवस्था के विकास की दर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इस समय कुछ फार्मा और आईटी शेयर महँगे भाव पर मिल रहे हैं और इनसे दूर रहना चाहिए।
यहाँ से धीरे-धीरे ऊपर चढ़ेगा बाजार
पी. के. अग्रवाल, सीईओ और निदेशक, पर्पललाइन इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स :
महँगाई की ऊँची दर, ऊँची ब्याज दरें और मैन्यूफैक्चरिंग में धीमी बहाली (रिकवरी) आदि चिंताएँ बाजार के सामने हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि जीडीपी विकास दर के निचले स्तरों को हम पीछे छोड़ चुके हैं। यहाँ से बाजार धीरे-धीरे ऊपर की ओर जायेगा। बाजार में बड़ी गिरावट तभी आ सकती है यदि भारतीय जनता पार्टी लोक सभा के चुनाव हार जाये।
यहाँ से किसी भी दिशा में जा सकता है बाजार
अविरल गुप्ता, निवेश रणनीतिकार, मिंट एडवाइजर्र्र्स :
आने वाले समय में बाजार की चाल के लिहाज से लोक सभा चुनावों के नतीजों की अहम भूमिका होगी। बाजार इस समय विभाजन बिंदु पर खड़ा है और यहाँ से किसी भी दिशा में जा सकता है। इसके यहाँ से नीचे की ओर फिसलने की संभावना अधिक दिख रही है। विदेशी संस्थागत निवेशक काफी उत्सुकता के साथ चुनाव पर नजर रखेंगे। रुपया कमोबेश स्थिर रहेगा, लेकिन वित्तीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करना कठिन होगा। यदि चुनाव के नतीजे बाजार की उम्मीदों के अनुरूप नहीं आते तो ऐसी स्थिति में भी बड़ी गिरावट की संभावना नहीं है क्योंकि निफ्टी सूचकांक के आधे घटकों में स्थायित्व दिख रहा है। जनवरी-दिसंबर 2014 के दौरान निफ्टी नीचे की ओर 5,750 तक फिसल सकता है, जबकि ऊपर की ओर यह 6,500 तक जा सकता है।
वित्तीय घाटे और चालू खाते के घाटे पर नजर
के. के. मित्तल, बाजार विशेषज्ञ :
महँगाई की ऊँची दर की वजह से भारत में बेहतर विकास दरों की ओर वापसी में देरी हो सकती है और इससे बचत पर असर पडऩा जारी रह सकता है। राजनीतिक अनिश्चितता और फेडरल रिजर्व की टेपरिंग कैलेंडर साल 2014 की पहली छमाही में भारतीय बाजार पर असर डालना जारी रख सकते हैं। वित्तीय घाटे और चालू खाते के घाटे पर नजर रहेगी। नयी सरकार के बजट और उनकी ओर से त्वरित सुधारों से बाजार की धारणा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अनुकूल जनांकिकी, रुपये में स्थिरता, अच्छा मानसून, ग्रामीण आय व व्यय में बढ़ोतरी, चालू खाते के घाटे का घटता जोखिम भारतीय बाजार के सम्मुख प्रमुख सकारात्मक कारक हैं। साल 2014 में निफ्टी ऊपर की ओर 6,750 तक जा सकता है, जबकि नीचे की ओर यह 5,800 तक फिसल सकता है।
सूचकांकों के बाहर काफी सीमित रुचि
अशोक अग्रवाल, निदेशक, एस्काट्र्स सिक्योरिटीज :
पूरा बाजार कुछ प्रमुख सूचकांकों में ही केंद्रित लग रहा है और इन सूचकांकों के बाहर काफी सीमित रुचि दिख रही है। लंबी अवधि के निवेशकों के लिए मँझोले और छोटे शेयरों में मौके हैं। और जिन निवेशकों का नजरिया दो सालों से अधिक का नहीं है, वे शेयरों में निवेश कर स्वयं को फँसा हुआ महसूस कर सकते हैं। पिछले पाँच सालों से ऐसी ही स्थिति रही है। लेकिन अगले तीन सालों में स्थिति बदल सकती है और बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली परिसंपत्तियों में शेयर बाजार का नाम दिख सकता है।
इस साल दायरे को तोड़ सकते हैं भारतीय बाजार
सुरेंद्र कुमार गोयल, निदेशक, बोनांजा पोर्टफोलिओ :
ऊँची ब्याज दरों और महँगाई की ऊँची दरों के बावजूद निफ्टी ऊँचे स्तरों पर आधार बना रही है। इसके अलावा निफ्टी पाँच सालों के अपने दायरे से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है। हम साल 2014 में निफ्टी की चाल में मजबूती और इसके स्थायित्वपूर्ण ब्रेकआउट की उम्मीद कर सकते हैं। कुल मिला कर हम एक तेजी वाले साल की उम्मीद कर रहे हैं। निफ्टी जून 2014 तक 6,600-6,800 पर और दिसंबर 2014 तक 7,000-7,200 पर जा सकता है।
पीछे छूट चुका है खराब वक्त
विनोद कुमार शर्मा, हेड-प्राइवेट ब्रोकिंग- वेल्थ मैने., एचडीएफसी सिक्यो. :
राजनीतिक अनिश्चितता, लोकलुभावन नीतियाँ, महँगाई की ऊँची दर और ऊँची ब्याज दरें भारतीय शेयर बाजार के सम्मुख प्रमुख चिंताएँ हैं। इन सब बातों के अलावा कच्चे तेल की कीमत भी हमेशा से ही एक मसला है। लेकिन अच्छी बात यह है कि सबसे खराब अवधि को हम पीछे छोड़ चुके हैं। अगले 12 महीनों में भारतीय बाजार का प्रदर्शन वैश्विक बाजारों के मुकाबले बेहतर रह सकता है। निफ्टी जून 2014 तक 7,500 पर और दिसंबर 2014 तक 8,100 पर पहुँच सकता है।
उम्मीदें टूटीं तो बढ़ेगा उतार-चढ़ाव
पंकज पांडेय, हेड- रिसर्च, आईसीआईसीआई डायरेक्ट :
इस समय बाजार कुछ मैक्रोइकोनॉमिक कारकों जैसे सीएडी आदि और चुनाव के नतीजे की वजह से धारणा में आये सुधार के ऊपर चल रहा है। हालाँकि, धारणा में आये सुधार को आर्थिक व्यवस्था की बहाली (इकनॉमिक रिकवरी) और कॉरपोरेट नतीजों में विश्वसनीय सुधार का भी समर्थन मिलने की जरूरत है। साल 2014 के आम चुनाव में अस्पष्ट जनादेश, आर्थिक व्यवस्था की बहाली में देरी, लगातार ऊँचे स्तरों पर बनी हुई महँगाई दर, पूँजीगत व्यय चक्र की बहाली न हो पाना- बाजार के सम्मुख प्रमुछ चिंताएँ हैं। बाजार जो उम्मीदें कर रहा है, यदि हालात उस तरह के नहीं बने तो बाजार में उतार-चढ़ाव का माहौल देखने को मिल सकता है।
बाजार में चुनाव-पूर्व-तेजी की उम्मीद
देवेन आर चोकसी, एमडी-सीईओ, केआर चोकसी शेयर्स ऐंड सिक्योरिटीज :
हमारा मानना है कि बाजार आर्थिक वापसी और राजनीतिक हालात की अनिश्चितता के बीच फँसा हुआ है। स्थायी सरकार और मजबूत सुधार प्रक्रिया की आशा में हम बाजार में चुनाव-पूर्व-तेजी की उम्मीद कर रहे हैं। हमारा विचार है कि अगले छह महीनों में बाजार अपनी आमदनी (अर्निंग्स) के 14-15 गुने पीई के मूल्यांकन पर जा सकता है। भारत सहित उभरते बाजारों में पूँजीगत प्रवाह की बात करें तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था की सुधरी हुई स्थिति में क्यूई टैपरिंग की वजह से इस पर सीमित प्रभाव पडऩे की संभावना है। जून 2014 तक निफ्टी 6,400 पर जा सकता है।
इस साल निफ्टी का दायरा 5,800-6,850
निपुण मेहता, प्रबंध निदेशक, ब्लू ओशन कैपिटल एडवाइजर्स :
अगर एक ऐसी सरकार चुन कर आती है जो त्वरित नीतिगत निर्णय ले सकती हो, तो भारतीय अर्थव्यवस्था, कारोबारी धारणा और निवेशकों के मनोभाव में भारी बदलाव देखने को मिल सकते हैं। तब तक, कॉरपोरेट नतीजे, ओपिनियन पोल, घरेलू महँगाई दर, क्यूई टैपरिंग से संबंधित घोषणा, अमेरिकी ब्याज दरों आदि की वजह से भारतीय शेयर बाजार के दायरे में रह सकता है। जनवरी-दिसंबर 2014 की अवधि के दौरान निफ्टी 5,800-6,850 के दायरे में रह सकता है।
अस्थायी या मिली-जुली सरकार बनी तो मुश्किल
पशुपति सुब्रमण्यम, बाजार विशेषज्ञ :
जनवरी-दिसंबर 2014 के बीच निफ्टी 5,900-6,925 के दायरे में रह सकता है। भारतीय बाजार के प्रमुख सूचकांक इस दायरे के ऊपरी सिरे की ओर रहते हैं या निचले सिरे की ओर, यह आगामी लोक सभा के नतीजों पर निर्भर करेगा। निफ्टी जून 2014 तक 6,750-6,800 पर और दिसंबर 2014 तक 6,850-6,925 पर रह सकता है। लेकिन अस्थायी और मिली-जुली सरकार बनने की स्थिति में यह लक्ष्य पूरा नहीं हो सकेगा।
दिसंबर 2014 के अंत तक निफ्टी 7,500 पर
वैभव अग्रवाल, वीपी, रिसर्च, एंजेल ब्रोकिंग :
मौजूदा स्थिति में महँगाई और गवर्नेंस पर नजर रखने की जरूरत है। यदि महँगाई हमारी उम्मीदों के अनुरूप कम होती है और स्थायी सरकार द्वारा आवंटन कार्यक्रम और निवेश चक्र आरंभ किया जाता है, तो बाजार में उल्लेखनीय तेजी दर्ज की जा सकती है। आने वाले लोक सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की संभावित जीत बाजार के मौजूदा भावों में आंशिक तौर पर शामिल है। यदि अगली सरकार भाजपा के नेतृत्व में नहीं बनती तो बाजार में कुछ नकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है, हालाँकि भारी गिरावट की संभावना नहीं है। निफ्टी जून 2014 के अंत तक 6,850 और दिसंबर 2014 के आखिर तक 7,500 पर जा सकता है।
चुनाव के सकारात्मक नतीजों पर टिकी आस
राजेश जैन, रिटेल रिसर्च प्रमुख, रेलिगेयर सिक्योरिटीज :
महँगाई, वित्तीय घाटा, जीडीपी विकास की दर और स्थायी सरकार- मौजूदा समय में बाजार के सम्मुख ये चिंताएँ हैं। लेकिन कुल मिला कर मैं बाजार के प्रति आशावादी हूँ। आम चुनाव के संभावित सकारात्मक नतीजे इस बाजार के सामने सबसे सकारात्मक बिंदु है। पिछले पाँच सालों से बाजार एक दायरे में हैं और लंबे समय तक ऐसा नहीं चल सकता। इस दायरे को ऊपरी स्तर की ओर टूटना चाहिए। निफ्टी जून 2014 तक 6,500 पर और दिसंबर 2014 तक 7,000 पर पहुँच सकता है।
बाजार में निवेश करने का सही समय
जितेंद्र पांडा, एमडी और सीईओ, पियरलेस सिक्योरिटीज :
चुनाव के नतीजे और सुधारों की गति आगे आने वाले समय में शेयर बाजार के लिए अहम होंगे। खराब समय पीछे छूट चुका है और उम्मीद है कि नयी सरकार विकास-केंद्रित होगी। ऐसे में मौजूदा स्तरों के मुकाबले साल 2014-15 में बाजार का मूल्यांकन अधिक हो जाने की उम्मीद है। बाजार में निवेश करने का यह सही समय है और अमेरिका में फेडरल रिजर्व की टेपरिंग से उत्पन्न स्थितियों से निबटने के लिए बाजार तैयार है। बाजार में उतार-चढ़ाव हो सकता है, लेकिन अगले कुछ महीनों में हमें अपने निवेश को कुछ विकास-केंद्रित चुनिंदा क्षेत्रों में बाँट देना चाहिए।
जमने की कोशिश कर रहा है बाजार
प्रदीप गुप्ता, वाइस चेयरमैन, आनंद राठी फाइनेंशियल सर्विसेज :
मेरा मानना है कि भविष्य में राजनीतिक माहौल में स्थिरता, विभिन्न नीतिगत सुधारों से संबंधित निर्णय और उनका क्रियान्वयन जैसे सकारात्मक रुझानों को देखते हुए भारतीय शेयर बाजार जमने की कोशिश (कंसोलिडेट) कर रहा है। उससे पहले बाजार हर अच्छी-बुरी खबर पर तदनुरूप प्रतिक्रिया देगा। चूँकि मूल्यांकन उचित हैं, ऐसे में बाजार में किसी बड़ी गिरावट की आशंका मुझे नहीं दिखती। हालाँकि, जब तक चीजें स्पष्ट नहीं हो जातीं, तब तक बाजार के बहुत ऊपर जाने की उम्मीद नहीं है। इस दौरान निफ्टी 5,800-6,400 के दायरे में रह सकता है।
तेजी के लिए राजनीतिक स्थायित्व अहम
राजेश तांबे, विश्लेषक, राजेश तांबे डॉट कॉम :
लोक सभा चुनाव काफी अहम हैं, केवल बाजार के लिए ही नहीं। बल्कि लोगों की सोच भी बदलाव की ही दिख रही है। नयी सरकार महँगाई के नियंत्रण, कानून-व्यवस्था की स्थापना और आपूर्ति से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए कदम उठायेगी। नयी सरकार बन जाने के बाद राजनीतिक स्थायित्व बाजार की तेजी के लिहाज से एक अहम बिंदु होगा। दूसरे, आने वाले साल में अमेरिकी अर्थव्यवस्था की बहाली के सकारात्मक संकेत दुनिया की अन्य सभी अर्थव्यवस्थाओं के लिए प्रेरक साबित होंगे।
संप्रग की वापसी से होगी नकारात्मक प्रतिक्रिया
राजेश अग्रवाल, हेड- रिसर्च, ईस्टर्न फाइनेंशियर्र्स :
रुपये में स्थिरता, चालू खाते के घाटे में गिरावट, कमोडिटी, खासकर कृषि कमोडिटी, की कीमतों में नरमी की वजह से महँगाई में गिरावट आ सकती है, जिसकी वजह से ब्याज दरों में मौजूदा स्तरों से कमी देखी जा सकती है। बुनियादी ढाँचे पर होने वाले व्यय में तेजी की उम्मीद की वजह से विकास दर में बढ़ोतरी आ सकती है। अच्छी आमदनी की संभावना, मजबूत प्रबंधन और बेहतरीन कॉरपोरेट गवर्नेंस वाली कंपनियों में अनुशासित नजरिये से निवेश करने पर पूँजी सृजन में मदद हो सकती है। आकर्षक मूल्यांकनों पर उपलब्ध शेयर और साल 2014 से विकास दर की स्थिरता की उम्मीद से हमें यह भरोसा हो रहा है कि शेयरों की खरीदारी का यह बेहतरीन समय है। बाजार के सामने दो बड़ी चिंताएँ हैं क्यूई टैपरिंग और लोक सभा चुनाव के संभावित नतीजे। यदि संप्रग सत्ता में वापस आता है तो इसकी त्वरित नकारात्मक प्रतिक्रिया हो सकती है।
स्थायी सरकार शेयर बाजार के लिए सकारात्मक
शाहिना मुकदम, निदेशक, वरुण कैपिटल :
भारतीय बाजार के बारे में हमारा नजरिया सजग से ले कर हल्का सकारात्मक है। साल 2014 में निफ्टी नीचे की ओर 5800 तक और ऊपर की ओर 6750 तक जा सकता है। फेडरल रिजर्व की टैपरिंग और भारत में लोक सभा चुनाव के संभावित नतीजे इस समय बाजार के सामने प्रमुख चिंताएँ हैं। मेरा मानना है कि 2014 में त्रिशंकु लोक सभा देखने को मिल सकती है जिसमें कोई भी दल स्थायी सरकार बनाने में सक्षम नहीं होगा। यदि 2014 में केंद्र में स्थायी सरकार बन सकी तो भारतीय शेयर बाजार के लिए काफी सकारात्मक स्थिति होगी।
नये निवेश नहीं कर रहा कॉरपोरेट जगत
पशुपति आडवाणी, निदेशक, ग्लोबल फोरे :
ऊँची महँगाई दर की वजह से बाजार नाममात्र के लिए ऊपर चढ़ेगा। नीतिगत दिशाओं में स्पष्टता न होने की वजह से कॉरपोरेट जगत नये निवेश नहीं कर रहा है। डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल भी एक मसला है जिस पर लोग नजर बनाये हुए हैं, लेकिन जिसकी वजह से लोग निवेश नहीं कर रहे हैं। अगर आगामी लोक सभा चुनाव में भाजपा की सरकार नहीं बनती, तो बाजार में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है। साल 2014 में निफ्टी नीचे की ओर 5,400 पर और ऊपर की ओर 7,400 पर जा सकता है।
गवर्नेंस और ग्रोथ से जुड़े मसले अहम
पी. एन. विजय, फंड मैनेजर, रेलिगेयर पोर्टफोलियो मैनेजर्स :
आने वाले समय में सभी सकारात्मक और नकारात्मक कारकों को ध्यान में रखते हुए बाजार में एक सकारात्मक रुझान दिखना चाहिए। गवर्नेंस और ग्रोथ से संबंधित मसले भारतीय बाजार के सामने सबसे प्रमुख चिंताएँ हैं। अगले 12 महीनों में भारतीय बाजार का प्रदर्शन वैश्विक बाजारों के प्रदर्शन के ही अनुरूप रहने की संभावना है।
मँझोले शेयरों में अनगिनत मौके उपलब्ध
प्रदीप सुरेका, सीईओ, कैलाश पूजा इन्वेस्टमेंट :
आने वाले समय में भारतीय बाजार की चाल वैश्विक बाजारों की चाल के ही अनुरूप रहने की संभावना है। निफ्टी जून 2014 तक 6,500 और दिसंबर 2014 तक 6,800 पर जा सकता है। जनवरी-दिसंबर 2014 के बीच निफ्टी का दायरा 5,800-6,800 के बीच रहने की संभावना है। निवेशकों को चुनिंदा शेयरों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए क्योंकि मँझोले शेयर अनगिनत मौके दे सकते हैं।
हो सकती है बाजार की फिर से रेटिंग
गजेंद्र नागपाल, सीईओ और संस्थापक, ऑगमेंट फाइनेंशियल सर्विसेज :
जीडीपी विकास की कम दर, गिरता हुआ रुपया, बढ़ती हुई ब्याज दरें और अस्थिर सरकार- हमारे बाजार के सम्मुख ये प्रमुख चिंताएँ हैं। बाजार के सम्मुख इन चिंताओं को देखते हुए बाजार का मौजूदा भाव तार्किक लग रहा है। एक स्थायी राजनीतिक माहौल यह सब कुछ बदल सकता है। मेरा मानना है कि केंद्र में स्थायी सरकार की धारणा मजबूत होने की स्थिति में बाजार की फिर से रेटिंग किये जाने की जरूरत पड़ेगी।
दिसंबर 2014 तक निफ्टी 6,900 पर
पंकज जैन, निदेशक, सनटेक वेल्थमैक्स :
आने वाले समय में तेज बाजार की उम्मीद की जा सकती है और पैसे बनाये जा सकते हैं। बाजार के सामने सबसे बड़ी चिंता है साल 2014 का आम चुनाव। साल 2014 के आम चुनाव के सकारात्मक नतीजे आने और अमेरिका व यूरो क्षेत्र में आर्थिक वापसी की स्थिति में बाजार में तेजी देखी जा सकती है। हमारा मानना है कि अगले 12 महीनों के दौरान भारतीय बाजार का प्रदर्शन वैश्विक बाजार के मुकाबले बेहतर रह सकता है। दिसंबर 2014 तक निफ्टी 6,900 पर जा सकता है।
कठिन साबित हो सकता है यह साल
आनंद टंडन, निदेशक, ग्रिफॉन इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्र्स :
साल 2014 भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक कठिन वर्ष साबित होने वाला है। लेकिन निवेशकों को डेट विकल्पों के मुकाबले बेहतर रिटर्न हासिल करने के मौके मिलते रहेंगे। आगामी लोक सभा चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी, लेकिन नरेंद्र मोदी प्रधान मंत्री नहीं बनेंगे। निफ्टी जून 2014 तक 5,300 पर और दिसंबर 2014 तक 6,700 पर रह सकता है।
पहली छमाही में जारी रह सकता है उतार-चढ़ाव
अविनाश गोरक्षकर, हेड- रिसर्च, मिंट डायरेक्ट :
हमारा मानना है कि साल 2014 की दूसरी छमाही से भारतीय शेयर बाजार का प्रदर्शन बेहतर हो सकता है। ऐसी स्थिति में निफ्टी जून 2014 तक 6,800 पर और दिसंबर 2014 तक 7,200 पर जा सकता है। दूसरी ओर फेडरल रिजर्व के कदमों और लोक सभा चुनावों के संभावित नतीजों की चिंता की वजह से साल 2014 की पहली छमाही में बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रहने की संभावना है। लोक सभा चुनाव के बाद यदि भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आती है तो बाजार के लिए एक प्रमुख चिंता होगी यह जानना कि खुदरा और बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर उसकी राय क्या है।
भाजपा न जीती तो भारी गिरावट की आशंका
अनिल मंगनानी, निदेशक, मॉडर्न शेयर्स ऐंड स्टॉकब्रोकर्स :
मौजूदा स्तरों से बाजार के आगे बढऩे के लिए यह जरूरी होगा कि जीडीपी, आईआईपी और महँगाई दर के मोर्चे पर कुछ अच्छी खबरें सुनने-देखने को मिलें। आगामी लोक सभा चुनाव में भाजपा की जीत इस समय बाजार के भाव में आंशिक तौर पर शामिल है। यदि इस चुनाव में भाजपा के नेतृत्व में सरकार नहीं बनती तो बाजार में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है।
वैश्विक बाजारों को पीछे छोडऩे की उम्मीद
संजय सिन्हा, संस्थापक, साइट्रस एडवाइजर्स :
लोक सभा चुनाव के बाद यदि राजनीतिक स्थायित्व कायम होता है, तो इससे देश की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। यह बात बाजार की धारणा में पहले से ही शामिल होगी। हालाँकि राजनीतिक अनिश्चितता और वैश्विक स्तर पर नकदी के प्रवाह से जुड़ी चिंताएँ कायम हैं, लेकिन अच्छी बात यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अपना निचला स्तर देख चुकी है। हमारे पास मजबूत संस्थागत ढाँचा है जो एक सकारात्मक आर्थिक माहौल में बेहतरीन नतीजे पेश कर सकता है। ऐसे में अगले 12 महीनों में भारतीय बाजार का प्रदर्शन वैश्विक बाजार के मुकाबले बेहतर रह सकता है।
बढ़ती जा रही है विदेशी पूँजी पर निर्भरता
अरुण केजरीवाल, संस्थापक, क्रिस :
विदेशी पूँजी के प्रवाह पर भारतीय बाजार की निर्भरता बढ़ती जा रही है क्योंकि खुदरा निवेशक बाजार से नदारद होते जा रहे हैं। सरकार की स्थिरता और लोकलुभावन उपाय भारतीय बाजार के सम्मुख सबसे प्रमुख चिंताएँ हैं। यदि आगामी लोक सभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार नहीं बनती, तो बाजार पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, लेकिन इसमें भारी गिरावट की संभावना नहीं है।
वैश्विक बाजारों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन संभव
सुदीप बंदोपाध्याय, एमडी और सीईओ, डेस्टीमनी सिक्योरिटीज :
साल 2014 भारतीय बाजार के लिए एक अहम साल साबित होगा। अमेरिका में क्यूई से संबंधित टेपरिंग से यद्यपि वैश्विक स्तर पर नकदी में कमी आयेगी, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था की छोटे-बड़े आधारभूत कारकों (माइक्रो और मैक्रो फंडामेंटल्स) में सुधार की वजह से भारतीय बाजार वैश्विक बाजारों के मुकाबले बेहतरीन प्रदर्शन कर सकता है। विभिन्न चिंताओं के बावजूद प्रमुख भारतीय कॉरपोरेट अपने बुनियादी कारकों में तेज सुधार कर रहे हैं। ऐसा करने से बदलाव आने की स्थिति में इनको बेहतरीन रिटर्न की प्राप्ति सुनिश्चित होगी। निफ्टी जून 2014 तक 6,400 पर और दिसंबर 2014 तक 6,450 पर जा सकता है।
बाजार में चुनाव-पूर्व तेजी की उम्मीद
अमर अंबानी, रिसर्च प्रमुख, इंडिया इन्फोलाइन :
चुनाव तक बाजार में 5-10% की तेजी और आ सकती है। त्रिशंकु लोक सभा बाजार के लिए निश्चित तौर पर अच्छी खबर नहीं होगी। केंद्र में एक स्थायी सरकार आने की स्थिति में विस्तृत सहभागिता की उम्मीद की जा सकती है। भारतीय शेयर बाजार के लिए बीते छह साल ढीले रहे हैं। लेकिन अगले छह सालों का अधिकांश हिस्सा इसके लिए सकारात्मक रह सकता है। जनवरी-दिसंबर 2014 के बीच निफ्टी का दायरा 5,500-6,950 का रह सकता है।
आगे बढऩे के लिए नये कारकों की जरूरत
अमरजीत सिंह, एमडी और सीईओ, ए-स्क्वेयर कैपिटल :
इस समय भारतीय बाजार उचित मूल्यांकन पर उपलब्ध है। इसे और आगे बढऩे के लिए नये कारकों की आवश्यकता पड़ेगी। भारतीय बाजार के सम्मुख लोक सभा चुनाव के बाद त्रिशंकु संसद, महँगाई की ऊँची दर, भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर अमेरिकी टेपरिंग का असर जैसी चिंताएँ हैं। निफ्टी जून 2014 तक 6,700 पर और दिसंबर 2014 तक 7,100 पर जा सकता है।
सेंसेक्स के लिए आर या पार की स्थिति
हितेंद्र वासुदेव, तकनीकी विश्लेषक, स्टॉक मैकेनिक्स डॉट कॉम :
पहले तेजी का माहौल बनाना और फिर फिसल जाना- बाजार की जैसे आदत सी हो गयी है। पूरा साल 2013 इसी तरह बीता है। संस्थागत निवेशक, एचएनआई, ऑपरेटर और कारोबारी सभी इसके लिए जिम्मेदार हैं। साल 2013 में बाजार में आने वााली कोई भी तेजी जारी न रहने की वजह से खुदरा निवेशकों को कभी फायदा नहीं मिल पाया। लंबी अवधि के लिहाज से सेंसेक्स के लिए यह आर या पार वाली स्थिति है।
मजबूत सरकार से आयेगी बाजार में तेजी
सिमी भौमिक, तकनीकी विश्लेषक, सिमि भौमिक डॉट कॉम :
ऊँची महँगाई दर और राजनीतिक अनिश्चितता बाजार के सामने प्रमुख चिंताएँ हैं। यदि चुनाव के बाद एक मजबूत सरकार बन सकी तो बाजार के लिए यह सकारात्मक साबित हो सकता है। उम्मीद है कि अगले 12 महीनों में भारतीय बाजार का प्रदर्शन वैश्विक बाजारों के मुकाबले बेहतर रह सकता है।
(निवेश मंथन, जनवरी 2014)