अगर शेयर भाव एक स्तर से नीचे आ जायें तो प्रमोटरों को कुछ भुगतान करना पड़ता है या और अधिक शेयर गिरवी रखने पड़ते हैं। प्रमोटर अतिरिक्त भुगतान नहीं कर पाये या मार्जिन के तौर पर अतिरिक्त शेयर नहीं दे पाये तो कर्ज देने वाले को यह अधिकार होता है कि वह खुले बाजार में उन शेयरों को बेच दे।
अचानक ही 25 जुलाई 2012 की सुबह कई छोटे-मँझोले शेयरों में निचला सर्किट लगा और पिपावाल डिफेंस, पाश्र्वनाथ डेवलपर्स, गोल्डाइन टेक्नोसर्व, ऑफशोर इंजीनियरिंग जैसे शेयर 20% टूट गये। ट्युलिप टेलीकॉम का शेयर तो उस दिन लगभग 45% तक टूटने के बाद अंत में लगभग 26% नीचे बंद हुआ। रैडिको खेतान 12% नीचे और एवरॉन एडुकेशन भी 14% नीचे रहा। इन सब शेयरों में एक समान बात यह थी कि सबके प्रमोटरों की अच्छी-खासी हिस्सेदारी गिरवी पड़ी थी। ट्युलिप टेलीकॉम के प्रमोटरों ने 46% शेयर गिरवी रख छोड़े थे, गोल्डाइन में यह मात्रा 84% जितनी ऊँची थी। पिपावाव डिफेंस में तो और भी ज्यादा 97.3% और पाश्र्वनाथ डेवलपर्स के 87.2% प्रमोटर शेयर गिरवी थे। एवरॉन में 77.9% और रैडिको खेतान में 43.5% शेयरों को प्रमोटरों ने गिरवी रखा था।
सेबी ने इस गिरावट की जाँच के बाद कीमतों में असामान्य उतार-चढ़ाव लाने का दोषी ठहराते हुए 19 कंपनियों को शेयर बाजार में किसी लेनदेन से प्रतिबंधित कर दिया। लेकिन इस घटना ने निवेशकों के सामने प्रमोटरों के गिरवी शेयरों से जुड़ा जोखिम फिर से उजागर कर दिया। आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने एक ताजा रिपोर्ट में कहा है कि ‘प्रमोटरों के शेयर गिरवी रखे जाने पर निवेशक इसे शक की नजर से देखते हैं। जब शेयरों की कीमतें चढ़ रही हों, तब (गिरवी शेयरों से) कोई दिक्कत पैदा नहीं होती, लेकिन अगर शेयर भाव एक स्तर से नीचे आ जायें तो प्रमोटरों को कुछ भुगतान करना पड़ता है या और अधिक शेयर गिरवी रखने पड़ते हैं। प्रमोटर अतिरिक्त भुगतान नहीं कर पाये या मार्जिन के तौर पर अतिरिक्त शेयर नहीं दे पाये तो कर्ज देने वाले को यह अधिकार होता है कि वह खुले बाजार में उन शेयरों को बेच दे। आम तौर पर ऐसी बिकवाली की मात्रा काफी अधिक होती है, जिसके चलते शेयर भाव तेजी से नीचे आ जाते हैं।’
प्रमोटरों के गिरवी शेयरों से जुड़े इस जोखिम की वजह से ही सेबी ने साल 2009 में प्रमोटरों के लिए यह अनिवार्य कर दिया था कि वे अपने गिरवी शेयरों के बारे में जानकारियाँ सार्वजनिक करें। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि सूचीबद्ध कंपनियों के प्रमोटर कर्ज जुटाने के लिए अपने शेयरों को गिरवी रखने का रास्ता नियमित रूप से चुनते रहे हैं। सितंबर 2009 से जून 2012 के दौरान प्रमोटरों ने अपनी हिस्सेदारी का औसतन 8-10% भाग गिरवी रखा। लेकिन इस समय गिरवी शेयरों का प्रतिशत अपने इस दायरे के ऊपरी छोर पर ही नजर आ रहा है। मार्च 2012 की तिमाही के अंत में यह 10.5% था, जो जून 2012 के अंत में कुछ बढ़ कर 10.7% हो गया।
सारे शेयर गिरवी रख चुके कुछ प्रमोटर
बाजार का औसत भले ही 8-10% का है, लेकिन कुछ कंपनियों के प्रमोटर तो अपनी समूची हिस्सेदारी गिरवी रख चुके हैं। इडेलवाइज सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के अनुसार थॉमस कुक इंडिया, रुनीचा टेक्सटाइल, ईएसआई, साल स्टील, तूतीकोरन अल्कली, गुजरात पिपावाव पोर्ट, पोलर इंडस्ट्रीज, पैरामाउंट कम्युनिकेशंस, गणेश बेंजोप्लास्ट, एक्सएल एनर्जी, सुबेक्स और स्पेंटेक्स ऐसी ही कंपनियाँ हैं, जिनमें प्रमोटर की पूरी 100% हिस्सेदारी गिरवी पड़ी है।
एस्सार शिपिंग, एस कुमार्स नेशनवाइड और एशियन होटल्स नॉर्थ की भी 99% से ज्यादा प्रमोटर हिस्सेदारी गिरवी है। यूनाइटेड स्पिरिट्स (97.95%), पिपावाव डिफेंस (97.29%), एचडीआईएल (96.24%), सुजलॉन एनर्जी (95.56%) और किंगफिशर एयरलाइंस (90.11%) भी ऐसी कंपनियाँ हैं, जिनमें प्रमोटर हिस्सेदारी 90% से भी अधिक के चिंताजनक स्तर पर गिरवी रखी हैं।
अगर कंपनी की कुल चुकता (पेडअप) पूँजी के प्रतिशत के रूप में देखें, तो वहाँ भी चौंकाने वाले आँकड़े मिलते हैं। एस्सार शिपिंग में, जहाँ प्रमोटरों ने अपने लगभग सारे शेयर (99.96%) गिरवी रख दिये हैं, उनके गिरवी शेयर दरअसल कंपनी की कुल चुकता पूँजी के 83.68% के बराबर हैं। प्रमोटरों के गिरवी शेयर कुल चुकता पूँजी के प्रतिशत के रूप में प्लेथिको फार्मा में 81.93%, थॉमस कुक इंडिया में 76.81% और एशियन होटल्स में 74.72% पर हैं।
इडेलवाइज के मुताबिक कुल 3,830 सूचीबद्ध कंपनियों में से 787 कंपनियों के प्रमोटरों ने जून 2012 के अंत में अपने शेयरों को गिरवी रखा था। इन गिरवी शेयरों की कुल कीमत जून 2012 के अंत में करीब 1300 अरब रुपये है, जो भारतीय शेयर बाजार की कुल बाजार पूँजी का 2.08% है। यह विश्लेषण 30 जून 2012 तक गिरवी रखे गये शेयरों के आधार पर है।
वहीं अगर वायदा कारोबार में मौजूद 208 कंपनियों का विश्लेषण देखें तो इनमें से 74 कंपनियों के प्रमोटर शेयर जून 2012 के अंत में गिरवी थे। वायदा श्रेणी के प्रमुख शेयरों में सबसे ज्यादा गिरवी शेयर एस कुमार्स नेशनवाइड (99.8%), यूनाइटेड स्पिरिट्स (97.9%), एचडीआईएल (96.2%) और सुजलॉन एनर्जी (95.6%) के हैं।
अप्रैल-जून 2012 की तिमाही में गिरवी शेयरों वाली सूची में कुछ नयी कंपनियों के नाम भी जुड़े हैं। वेलस्पन कॉर्प के 35.8% प्रमोटर शेयर और एस्कॉट्र्स के 13.2% प्रमोटर शेयर इस तिमाही के दौरान गिरवी रखे गये। कुछ कंपनियों में गिरवी शेयरों का प्रतिशत बढ़ता दिखा। एनसीसी में यह 50.5% से बढ़ कर और एस कुमार्स नेशनवाइड में 83.6% से बढ़ कर 99.8% हो गया। इनके अलावा लैंको इन्फ्राटेक, सुजलॉन एनर्जी, जेएसडब्लू एनर्जी और यूनिटेक में भी इस तिमाही के दौरान अतिरिक्त शेयर गिरवी रखे गये। कुछ दिग्गज शेयरों में भी यह रुझान दिखा, जिनमें जेएसडब्लू स्टील, महिंद्रा एंड महिंद्रा, जेपी एसोसिएट्स और सन फार्मा जैसे नाम शामिल हैं।
दूसरी ओर श्री रेणुका शुगर्स में गिरवी शेयरों की मात्रा 49.4% से घट कर 26.10% पर आ गयी। जेपी पावर में भी 76.4% से घट कर 68.2% प्रमोटर शेयर अब गिरवी हैं। एशियन पेंट्स में गिरवी प्रमोटर शेयर 21.5% से घट कर 18.77% पर आ गये।
(निवेश मंथन, सितंबर 2012)