सोने पर कर्ज देने वाली एक कंपनी आपको बताती है कि जब घर में पड़ा हो सोना, तो फिर काहे का रोना। लेकिन सोने के एक्सचेंज ट्रेडेड फंड यानी गोल्ड ईटीएफ के चलते आप कह सकते हैं कि जब घर में ना हो सोना, तब चैन की नींद तुम सोना! आप सोने में निवेश करें, उसे खरीदें, लेकिन घर लाने की क्या जरूरत है? घर में पड़ा सोना तो चोरों को न्यौता देता है। इसलिए आप सोने को घर में रखे बिना भी सोने में निवेश का फायदा ले सकते हैं गोल्ड ईटीएफ से।
गोल्ड ईटीएफ की ओर अब लोगों का रुझान लगातार बढ़ रहा है। इस साल 6 मई को अक्षय तृतीया के मौके पर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के माध्यम से करीब 80,000 निवेशकों ने गोल्ड ईटीएफ की लगभग 20 लाख यूनिटें खरीदीं। पिछले साल खरीदने वाले भी करीब आधे थे - 41,000 के आसपास, और उनकी खरीदारी भी लगभग आधी थी, करीब 10.5 लाख यूनिटों की। इस साल अक्षय तृतीया के दिन एनएसई पर गोल्ड ईटीएफ का कारोबार 423 करोड़ रुपये के नये रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया। अक्षय तृतीया का पर्व हर साल वैशाख महीने की तीसरी तिथि को मनाया जाता है। लोग इसे सोने-चांदी जैसी कीमती चीजों की खरीदारी के लिए काफी शुभ मानते हैं। इस मौके को भुनाने के लिए गोल्ड ईटीएफ ने भी पुरजोर कोशिश की। साथ ही ब्रोकिंग फर्मों और एक्सचेंजों ने भी अपनी तैयारी तेज कर दी। अक्षय तृतीया के दिन 06 मई को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) दोनों ने गोल्ड ईटीएफ में कारोबार का समय बढ़ा दिया। वैसे तो हर दिन सुबह 09 बजे से शाम 04 बजे तक गोल्ड ईटीएफ का कारोबार होता है, लेकिन 06 मई को यह कारोबार रात 09 बजे तक चला।
एनएसई ने गोल्ड ईटीएफ की तरफ लोगों को आकर्षित करने के लिए पिछले महीने एक खास वेबसाइट 222.ठ्ठह्यद्गद्दशद्यस्र.ष्शद्व भी शुरू की है। इस वेबसाइट को खोलते ही माता-पिता और बेटी की बातचीत दिखती है। पिता बेटी से पूछते हैं कि इक्कीसवीं सालगिरह पर तुम्हें क्या उपहार दिया जाये। माँ सुझाव देती है कि सोने के गहने बनवा दिये जायें, बाद में शादी के समय भी काम आयेंगे। लेकिन बेटी को यह पसंद नहीं आता। शादी तक तो गहने पुराने डिजाइन के हो जायेंगे! तब पिता का सुझाव आता है कि गोल्ड ईटीएफ खरीदा जाये। चोरी का डर भी नहीं रहेगा, गहने रखने के लिए लॉकर पर लगने वाला किराया भी बचेगा, और कोई बनवाई शुल्क भी नहीं देना होगा। फिर जब जरूरत होगी, तब गोल्ड ईटीएफ बेच कर बेटी की पसंद के गहने बन जायेंगे। बेटी इस सुझाव को तुरंत मान लेती है और तैयार हो जाती है अपना पहला गोल्ड ईटीएफ खरीदने के लिए! बेहद सरल ढंग से गोल्ड ईटीएफ के फायदे बता दिये गये हैं यहाँ।
ब्रोकिंग फर्म भी गोल्ड ईटीएफ की ओर ग्राहकों को खींचने की कवायद में जुटे हैं। वे अपने ग्राहकों को मेल भेज कर गोल्ड ईटीएफ के फायदे गिना रहे हैं। इंडियाबुल्स सिक्योरिटीज ने अपने एक ईमेल संदेश में लिखा कि गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने पर आपको कोई प्रीमियम या बनाई शुल्क (मेकिंग चार्ज) नहीं देना पड़ता, जो गहनों में लगता है। इसके चोरी होने का डर नहीं होता, क्योंकि यह डीमैट रूप में इलेक्ट्रॉनिक तरीके से आपके खाते में रहता है। इसे रखने के लिए आपको किसी लॉकर की जरूरत नहीं पड़ती। और फिर, आप जब चाहें इसे बेच सकते हैं। सोने के गहने या सिल्ली (बार) खरीदने पर इस बात की भी पूरी सावधानी बरतनी पड़ती है कि वह एकदम शुद्ध है या नहीं, उसमें कोई मिलावट तो नहीं की गयी। लेकिन गोल्ड ईटीएफ में इस बात को लेकर भी निश्चिंत रहा जा सकता है। गोल्ड ईटीएफ में आप 99.5% शुद्ध सोने में निवेश करते हैं। एक्सचेंज के माध्यम से इसकी खरीद-बिक्री होने के कारण इसके सौदों में पूरी तरह पारदर्शिता रहती है। ऐसी खरीद-बिक्री में आपके लिए सौदों की लागत भी ज्यादा नहीं होती।
वैसे तो माना जाता है कि जरूरत पडऩे पर सोने के गहने बेचना काफी आसान है और आपको पूरे पैसे मिलते हैं। लेकिन हकीकत में एक ही समय पर जब आप गहने खरीदते हैं तो कुछ और भाव पड़ता है, लेकिन बेचने पर आपको कुछ और भाव मिलता है। गोल्ड ईटीएफ में ऐसा नहीं होता और आपको पूरे देश में एक ही भाव मिलता है। निवेश के लिहाज से सोने की खरीद-बिक्री को गोल्ड ईटीएफ ने काफी आसान बना दिया है। आप इलेक्ट्रॉनिक तरीके से इसे जब चाहें खरीद-बेच सकते हैं। खरीद-बिक्री की मात्रा केवल 01 ग्राम भी हो सकती है। अब आप चाहें तो इन्फोसिस का एक शेयर खरीद लें, या उससे कुछ कम में ही 01 ग्राम सोना खरीद लें!
हालाँकि यह सोना आपके खातों में ही दिखेगा। अगर आप इस खरीदारी को सचमुच सोने के रूप में अपने हाथों में देखना चाहते हैं, यानी उसकी भौतिक रूप में (फिजीकल डिलीवरी) लेना चाहते हैं तो यह तभी संभव होगा जब आपके पास एक किलोग्राम या इससे ज्यादा की यूनिटें हों। जो बड़े निवेशक वास्तव में सोने को भौतिक रूप में खरीदना चाहते हैं, वे एक किलोग्राम या इससे ज्यादा की यूनिटें खरीद कर अच्छी गुणवत्ता का शुद्ध सोना खरीद सकते हैं।
गोल्ड ईटीएफ लोगों को पसंद आने लगा है, यह बात आँकड़ों में भी दिखती है। मार्च 2010 से मार्च 2011 के बीच गोल्ड ईटीएफ की कुल परिसंपत्तियाँ या एसेट्स अंडर मैनेजमेंट 176% बढ़ कर 4,400 करोड़ रुपये की हो गयीं। गोल्ड ईटीएफ चलाने वाली एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) की संख्या 2007 में केवल 01 थी, जो अब बढ़ कर 11 हो गयी है। कारोबारी साल 2010-11 के दौरान एनएसई में गोल्ड ईटीएफ का कुल कारोबार 4,074 करोड़ रुपये का रहा।
केवल सोने के गहने ही नहीं, बल्कि सोने के सिक्कों की तुलना में भी गोल्ड ईटीएफ बेहतर लगता है। इसका कारण यह है कि बैंकों से सोने के सिक्के खरीदने पर 5-7% तक प्रीमियम देना पड़ता है। गोल्ड ईटीएफ में ऐसा कोई प्रीमियम नहीं लगता।
करों के मामले में भी गोल्ड ईटीएफ दूसरे विकल्पों से फायदेमंद है। सोने के गहने वगैरह खरीदने पर 1% वैट लगता है, लेकिन गोल्ड ईटीएफ में न तो वैट लगता है, न ही सेल्स टैक्स या शेयरों की तरह सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) लगता है। संपदा कर (वेल्थ टैक्स) में भी राहत मिलती है। किसी के पास सोना और अन्य संपत्तियाँ अगर कुल 30 लाख रुपये से ज्यादा हों, तो उसे 1% संपदा कर चुकाना पड़ता है। लेकिन गोल्ड ईटीएफ संपदा कर के दायरे से बाहर है।
सोने में निवेश पर फायदा
महीना सोने का भाव 1 साल में लाभ
अप्रैल 2007 9357
अप्रैल 2008 11656 24.57%
अप्रैल 2009 15145 29.93%
अप्रैल 2010 16335 7.86%
अप्रैल 2011 20733 26.92%
सालाना औसत लाभ 22.01%
(निवेश मंथन, अगस्त 2011)