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- Category: मार्च 2012
रैनबैक्सी लेबोरेटरीज लिमिटेड के अपने नतीजे घोषित कर दिए हैं। कंपनी को अक्टूबर-दिसंबर 2011 तिमाही में 2983 करोड़ रुपये का कंसोलिडेटेड घाटा हुआ है। पिछले वर्ष 2010 की इसी तिमाही में कंपनी को 97.5 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। हालाँकि कंपनी की कुल आमदनी में बढ़ोतरी हुई है।
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राजीव रंजन झा :
अगर आपकी इजाजत हो तो सबसे पहले जरा अपनी पीठ थपथपा लूँ! ‘करीब 5200 तक उछाल की दिखती है गुंजाइश’ - यह शीर्षक था जनवरी 2012 के निवेश मंथन में राग बाजारी का। इसे लिखा गया था दिसंबर के अंत में, जब निफ्टी ने 4531 के निचले स्तर को बस उसी समय छुआ था। तब बाजार में काफी गहरी गिरावट के अंदेशे थे और यह शीर्षक देते समय समूचे बाजार की सोच से उल्टा कुछ लिखने में एक डर भी लग रहा था। लेकिन इस डर को पीछे हटा कर मैंने लिखा था, ‘यहाँ दो संभावनाएँ बनती हैं।
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आम तौर पर लोगों को लगता है कि बाजार या तो तेजी में होता है या मंदी में, लेकिन अभी मुझे दोनों में से कोई भी स्थिति नहीं लग रही है। लोग यह सोच कर चलते हैं कि अगर तेजी का बाजार (बुल मार्केट) है तो कोई भी 10 रुपये का शेयर लेकर बैठ जायें और कुछ समय में अपने-आप 20-30 का हो जायेगा। वहीं मंदी वाले बाजार (बीयर मार्केट) में लोग यह सोच कर चलते हैं कि जो भी बिकवाली (शॉर्ट) कर देंगे उसमें फायदा मिल जायेगा, या फिर हाथ में अच्छे-अच्छे जो शेयर हैं उन्हें भी बेच कर एकदम निकल जाना है। मेरा मानना है कि अभी बाजार में थोड़ी नरमी भले ही आ जाये, लेकिन ज्यादा बड़ी गिरावट नहीं होगी।
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ललित ठक्कर, एमडी, एंजेल ब्रोकिंग :
बजट में मेरे हिसाब से इस साल देखने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात यह होगी कि खनन और भूमि अधिग्रहण विधेयक पर किस तरह के कदम उठाये जाते हैं। अब प्रधानमंत्री कार्यालय में इस बारे में कुछ सकारात्मक चर्चा होती दिख रही है और इस पर उठ रहे मुद्दों को सुलझाने के लिए उद्योग समूहों से बातचीत हुई है।
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संजय सिन्हा, संस्थापक, साइट्रस एडवाइजर्स :
बाजार की सबसे पहली अपेक्षा इस साल के केंद्रीय बजट से यह है कि इसमें सरकारी घाटे (फिस्कल डेफिसिट) पर नियंत्रण पाने की कोशिश की जायेगी। बाजार चाहता है कि सरकार अपने घाटे को काबू में लाये, साथ ही साथ उद्योग जगत यह भी उम्मीद कर रहा है कि सरकार करों की दरें इन स्तरों से अब ऊपर न बढ़ाये।
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- Category: मार्च 2012
गजेंद्र नागपाल, सीईओ, यूनिकॉन इन्वेस्टमेंट :
बाजार काफी समय से इस बात को लेकर चिंतित है कि सरकार की तरफ से नीतियों के मोर्चे पर कुछ नया नहीं हो रहा है और नीतिगत सुधार ठप पड़ा है। बाजार की चिंता यह है कि सरकार के इस तरह अटक जाने से अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है।
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शिवानी भास्कर :
बजट का समय आते ही बड़े-बड़े उद्योग घरानों से लेकर हर तरह के दबाव समूह से सक्रिय हो जाते हैं, चाहे वे किसानों से जुड़े हों, मजदूरों से या फिर नौकरीपेशा वर्ग से। उद्योग जगत के लिए मिनिमम अल्टरनेट टैक्स (मैट), उत्पाद (एक्साइज) शुल्क, अलग-अलग तरह के अन्य शुल्क और सेस वगैरह महत्वपूर्ण मसले होते हैं। शेयर बाजार का खास ध्यान लंबी अवधि और छोटी अवधि के पूँजीगत प्राप्ति कर (कैपिटल गेन टैक्स) और सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) वगैरह पर होता है।
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- Category: मार्च 2012
भारत के विकास की रफ्तार कुछ अटकती दिख रही है। जुलाई-सितंबर 2011 की तिमाही में विकास दर (जीडीपी वृद्धि) पहले ही 6.9% पर आ गयी थी। अब ताजा आँकड़ों के मुताबिक अक्टूबर-दिसंबर 2011 की तिमाही में विकास दर और भी घट कर 6.1% रह गयी है।
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सुशांत शेखर :
वेदांत रिसोर्सेस पीएलसी के चेयरमैन अनिल अग्रवाल बड़ी पहल करने के लिए जाने जाते हैं। स्टरलाइट इंडस्ट्रीज और सेसा गोवा के विलय का ऐलान करके अनिल अग्रवाल ने एक झटके में अपनी होल्डिंग कंपनी वेदांत रिसोर्सेस पीएलसी का 61% कर्ज घटाने का इंतजाम कर लिया। यह विलय शेयरों के लेनदेन के जरिये होगा। विलय के बाद सेसा गोवा का नाम बदल कर सेसा स्टरलाइट हो जायेगा। स्टरलाइट इंडस्ट्रीज के निवेशकों को अपने 5 शेयरों के बदले सेसा स्टरलाइट के 3 शेयर मिलेंगे।
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ओएनजीसी विनिवेश :
अखबार की एक खबर बता रही है कि ओएनजीसी के 42.78 करोड़ सरकारी शेयरों की नीलामी में से 40 करोड़ शेयर अकेले भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के खाते में गये हैं। कुछ अन्य खबरों के मुताबिक एक मार्च को 3.30 बजे नीलामी खत्म होने के समय कुल 29.22 करोड़ शेयरों की बोलियाँ आयी थीं, लेकिन अंत में कुल 42.78 करोड़ शेयरों में से 42.04 करोड़ शेयरों की बोलियाँ लगीं। इन खबरों में कहा गया कि एलआईसी के साथ-साथ एसबीआई ने भी इस नीलामी में शेयरों का बड़ा हिस्सा उठाया, हालाँकि कुछ अपुष्ट अटकलों में कहा गया कि एसबीआई ने अपनी बोलियाँ बाद में वापस ले लीं।
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