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- Category: अगस्त 2011
नेटऐंबिट का कारोबार कितना फैला है और कितना बड़ा हो पाया है?
—नेटऐंबिट वित्तीय सेवाओं (फाइनेंशियल सर्विसेज) का वितरण करती है। इसे वित्तीय सेवाओं का सुपर मार्केट कह सकते हैं। हम हर तरह के वित्तीय उत्पाद बेचते हैं, जैसे बीमा (इंश्योरेंस), कर्ज, क्रेडिट कार्ड, कॉर्पोरेट एफडी वगैरह, जिनकी एक आम आदमी को जरूरत होती है। कर्ज में हम घर कर्ज (हाउसिंग लोन), निजी कर्ज (पर्सनल लोन) दोनों दिलाते हैं। बीमा में वाहन बीमा (ऑटो इंश्योरेंस), स्वास्थ्य बीमा (हेल्थ इंश्योरेंस) वगैरह सब कुछ बेचते हैं। लगभग सभी ब्रांड के साथ हमारी साझेदारी है। करीब 150 शहरों में हमारी सेवाएँ हैं। हम 4,000 से कुछ ज्यादा लोगों की कंपनी हैं। हमारी आमदनी पिछले साल 100 करोड़ रुपये के आसपास रही। इस साल हम 150-160 करोड़ रुपये की आमदनी हासिल करेंगे।
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- Category: अगस्त 2011
सुशांत
छोटे और मँझोले उद्योग भारतीय उद्योग की रीढ़ माने जाते हैं। देश के कुल निर्यात में 40% योगदान इसी क्षेत्र का है। एक अनुमान के मुताबिक छोटे और मँझोले उद्योग 3 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार देते हैं। लेकिन इस क्षेत्र में ज्यादातर उद्योग असंगठित हैं और इससे इन्हें कई दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है।
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- Category: अगस्त 2011
शिवानी भास्कर
शेयर बाज़ार में निवेश के संबंध में दो एकदम विरोधाभासी बातें प्रचलित हैं। पहली बात यह कि यहाँ सही समय में अपने निवेश का चुनाव सबसे महत्वपूर्ण है। दूसरी बात यह कि शेयर बाजार में बिल्कुल सही समय कभी नहीं पकड़ा जा सकता, यानी शेयर बाजार को तेजी और मंदी के हर चक्र के बिल्कुल निचले हिस्से में पकडऩा और ऊपरी हिस्से में छोडऩा नामुमकिन है। चाहे दुनिया के सबसे सफल निवेशक वारेन बफेट हों या भारत के सबसे मशहूर निवेशक राकेश झुनझुनवाला, सबने अनगिनत बार यही बात कही है।
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- Category: अगस्त 2011
जयंत मांगलिक, प्रेसिडेंट, रेलिगेयर कमोडिटीज
हाल में चाँदी के भावों में काफी उतार-चढ़ाव रहा है, लेकिन मेरे विचार से अब इसका उतार-चढ़ाव खत्म होने वाला है। इसलिए वर्तमान कीमतों पर चाँदी में खरीदारी करना अच्छा रहेगा। अगर कोई एक साल का नजरिया रखे तो दूसरी कमोडिटी की अपेक्षा यह एक अच्छा निवेश होगा। अगर अभी सोना और चाँदी के बीच तुलना करें तो सोना भी निवेश के लिए अच्छा लग रहा है। लेकिन सोने के भावों में उतार-चढ़ाव कम है। इसलिए एक निवेशक शायद चाँदी की अपेक्षा सोने में निवेश को प्राथमिकता दे सकता है, क्योंकि उसमें अस्थिरता कम है।
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- Category: अगस्त 2011
सोने पर कर्ज देने वाली एक कंपनी आपको बताती है कि जब घर में पड़ा हो सोना, तो फिर काहे का रोना। लेकिन सोने के एक्सचेंज ट्रेडेड फंड यानी गोल्ड ईटीएफ के चलते आप कह सकते हैं कि जब घर में ना हो सोना, तब चैन की नींद तुम सोना! आप सोने में निवेश करें, उसे खरीदें, लेकिन घर लाने की क्या जरूरत है? घर में पड़ा सोना तो चोरों को न्यौता देता है। इसलिए आप सोने को घर में रखे बिना भी सोने में निवेश का फायदा ले सकते हैं गोल्ड ईटीएफ से।
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शिवानी भास्कर
ईएमआई बढऩे से घर-घर की अर्थव्यवस्था चरमरा रही है। पर ब्याज दरों का बढऩा जारी है...
राकेश मेहता आजकल अपनी किस्मत को कोस रहे हैं। केवल साल भर पहले जब उन्होंने राजधानी दिल्ली की सीमा से 10 किलोमीटर दूर अपना एक आशियाना बुक कराया, तो खुशी से उन्हें ऐसा लगा कि अब कोई और ख्वाब पूरा करना बाकी न बचा हो। केवल 3 साल का इंतजार और फिर अपनी छत का सुख।
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धर्मकीर्ति जोशी, निदेशक और मुख्य अर्थशास्त्री, क्रिसिल
भारतीय अर्थव्यवस्था धीमी पड़ रही है, इस बात में कोई दो राय नहीं है। हमारा मानना है कि 2011-12 में भारतीय अर्थव्यवस्था के बढऩे की रफ्तार कुछ और कम हो जायेगी। क्रिसिल ने साल 2011-12 में 7.7%-8% विकास दर (जीडीपी वृद्धि) का अनुमान लगाया है।
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नरेंद्र तनेजा, ऊर्जा विशेषज्ञ
डीजल की कीमत बढ़ाने के बारे में फैसला करने में सरकार को थोड़ा समय लगने का कारण यही है कि डीजल राजनीतिक रूप से ज्यादा संवेदनशील है। लेकिन मुझे लगता है कि सरकार बस थोड़ा समय ले रही है और डीजल के दाम बढ़ाने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। सरकार किसी भी समय ज्यादा तो नहीं, लेकिन 2.50 रुपये प्रति लीटर के करीब बढ़ा सकती है।
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- Category: अगस्त 2011
रोजगार
अगर आप इस समय नयी नौकरी की तलाश में हैं तो यह आपके लिए अच्छा समय है। मई 2010 की तुलना में मई 2011 के दौरान कंपनियों ने काफी ज्यादा नौकरियाँ दी हैं। नौकरी डॉट कॉम ने नौकरियों का घटना-बढऩा मापने के लिए एक जॉब स्पीक सूचकांक बना रखा है, जो इस दौरान 19% ऊपर आ गया है।
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- Category: अगस्त 2011
जमीन-जायदाद
जमीन-जायदाद की कीमतों में नरमी की उम्मीदों के बावजूद ताजा आँकड़े बता रहे हैं कि कीमतों में बढ़ोतरी रुकी नहीं है। कम-से-कम इस साल की पहली तिमाही यानी जनवरी-मार्च 2011 के दौरान तो यही रुख दिखा है। इस क्षेत्र के लिए सलाहकार सेवाएँ देने वाली कंपनी जेएलएल की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2009 की दूसरी छमाही से ही भारत के आवासीय क्षेत्र में कीमतें बढऩे का सिलसिला दिख रहा है और 2011 की पहली तिमाही में भी यही रुझान जारी रहा।
अर्थव्यवस्था
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