अजय बिजली, सीएमडी, पीवीआर :
पीवीआर + सिनेमैक्स = सबसे बड़ा खिलाड़ी
मल्टीप्लेक्स कारोबार में पीवीआर को सबसे बड़ा दबंग कहा जा सकता है। अब तक तीसरे स्थान पर रही पीवीआर कनकिया समूह की कंपनी सिनेमैक्स इंडिया को खरीद कर संख्या के खेल में अपने नजदीकी प्रतिद्वंद्वियों से काफी आगे निकल गयी है। इसने अपनी निकटतम प्रतिस्पर्धी कंपनी आइनॉक्स लीजर को उसके ही पुराने दाँव से पछाड़ा है। आइनॉक्स लीजर ने साल 2010 में फेम इंडिया का अधिग्रहण किया था। सिनेमैक्स के 39 मल्टीप्लेक्स में 138 पर्दे (स्क्रीन) हैं, जिनके हासिल होने के बाद अब पीवीआर के पास कुल 351 पर्दे हैं। इस अधिग्रहण ने 500 पर्दों का लक्ष्य पाना पीवीआर के लिए आसान बना दिया है। इसकी तुलना में आइनॉक्स-फेम गठबंधन के पास 256 पर्दे और बिग सिनेमाज के पास 254 पर्दे हैं। दरअसल 2010 में फेम इंडिया के अधिग्रहण के लिए आइनॉक्स और बिग सिनेमाज के बीच तीखी होड़ चली थी।
लेकिन पीवीआर के लिए सिनेमैक्स इंडिया का आकर्षण केवल संख्या के लिहाज से नहीं था। सिनेमैक्स की 38 में से 14 संपत्तियाँ मुंबई में हैं, जिनमें कुल 45 पर्दे हैं। जाहिर है कि इससे मुंबई जैसे प्रमुख बाजार में पीवीआर की पैठ बढ़ेगी।
गौरतलब है कि पीवीआर की तुलना में कम पर्दों के बावजूद 2012-13 की दूसरी तिमाही में पीवीआर और सिनेमैक्स दोनों का मुनाफा लगभग बराबर 16 करोड़ रुपये का रहा। हालाँकि पीवीआर की कंसोलिडेटेड बिक्री दूसरी तिमाही में 189 करोड़ रुपये की थी, जबकि सिनेमैक्स की तिमाही बिक्री 111 करोड़ रुपये की थी।
सौदा कितना आकर्षक
इस अधिग्रहण की औपचारिक घोषणा से पहले अटकलें चल रही थीं कि यह सौदा करीब 500 करोड़ रुपये में हो सकता है। लेकिन पीवीआर ने सिनेमैक्स के प्रमोटरों की समूची 69.27% हिस्सेदारी 395 करोड़ रुपये में खरीदने का समझौता किया है। यह सौदा 203.65 रुपये प्रति शेयर के भाव पर हुआ है।
इस लिहाज से कई बाजार विश्लेषक मान रहे हैं कि पीवीआर ने उचित भाव पर यह सौदा किया। हालाँकि आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने अपनी ताजा रिपोर्ट में इस भाव को भी महँगा माना है।
अगर पीवीआर ऊँचे भाव पर सिनेमैक्स को खरीदने का फैसला करती तो इसके शेयर भाव में ज्यादा उत्साह नहीं झलकता। लेकिन सौदे की खबर आने पर २९ नवंबर को पीवीआर का शेयर ७.८३% चढ़ कर 255.45 रुपये पर बंद हुआ। अगले दिन 30 नवंबर को इसने और भी तेजी पकड़ ली। उस दिन यह 18% उछाल के साथ 301.70 रुपये पर बंद हुआ। हालाँकि इस सौदे के बारे में अटकलें कुछ पहले से बाजार में थीं और औपचारिक घोषणा से दो दिन पहले ही 27 नवंबर को पीवीआर ने स्टॉक एक्सचेंजों को भेजे बयान में स्पष्ट कर दिया था कि वह सिनेमैक्स के साथ बातचीत कर रही है, लेकिन सौदे का विवरण सामने आने के बाद बाजार में इसे लेकर ज्यादा उत्साह आया।
इस सौदे के बाद तेजी सिनेमैक्स के शेयर में भी नजर आयी। अधिग्रहण की अटकलों से यह 27 नवंबर को भी तेज था, लेकिन 29 नवंबर को यह शेयर 5% की ऊपरी सर्किट छू कर 175.50 पर बंद हुआ। अगले दिन 30 नवंबर को भी इसने 193.45 रुपये पर 5% का ऊपरी सर्किट छुआ, हालाँकि अंत में इसका बंद स्तर 3.4% उछाल के साथ 190.55 रुपये का रहा। हालाँकि इस भाव पर भी सिनेमैक्स का शेयर इस सौदे के खरीद भाव 203.65 रुपये प्रति शेयर के कुछ नीचे है।
सिनेमैक्स शेयरधारकों को खुला प्रस्ताव
पीवीआर को सेबी के नियमों के तहत इस अधिग्रहण के बाद सिनेमैक्स के शेयरधारकों के लिए 26% शेयरों को खरीदने का खुला प्रस्ताव (ओपन ऑफर) लाना होगा। अगर उसे इस खुले प्रस्ताव में पूरे 26% शेयर मिल गये तो सिनेमैक्स में उसकी हिस्सेदारी 95.27% हो जायेगी। लेकिन अगर ऐसा होता है तो पीवीआर को सेबी के ही नियमों के तहत अगले 12 महीनों में सिनेमैक्स में अपनी हिस्सेदारी घटा कर 75% पर लानी होगी। वहीं कुछ जानकार ऐसा मान रहे हैं कि पीवीआर आगे चल कर सिनेमैक्स का विलय कर सकती है।
इस बीच अधिग्रहण की खबर के बाद सिनेमैक्स की जो चाल बनी थी, वह पूरी हो गयी लगती है। इसके शेयरधारकों को पीवीआर के खुले प्रस्ताव में 203.65 रुपये का जो भाव मिलेगा, उसकी उम्मीद से बनी तेजी अपनी ऊपरी सीमा पर आ चुकी है। इसका भाव अब 190 के आसपास है और खुले प्रस्ताव के भाव से कोई खास अंतर बाकी नहीं बचा है।
बेशक खुले प्रस्ताव का भाव यहाँ से करीब 7% ऊपर है और इस खुले प्रस्ताव में शायद जितने भी शेयर आयेंगे, लगभग सारे-के-सारे स्वीकार भी होंगे। लिहाजा अगर 3-4 महीनों में, जब तक यह प्रक्रिया पूरी होगी, अगर आप 7% के फायदे से संतुष्ट हों तो करीब 190 के भाव पर भी सिनेमैक्स खरीद कर खुले प्रस्ताव में डाल सकते हैं।
एसएमसी ग्लोबल के जगन्नादम तुनुगुंतला इसे आर्बिट्राज के बदले जोखिम उठाने का पुरस्कार कहना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। अगर यह सौदा परवान चढ़ा और खुले प्रस्ताव की प्रक्रिया पूरी हो गयी, तो इतना फायदा आपकी जेब में होगा। लेकिन अगर किसी भी वजह से यह सौदा रद्द हो गया तो सिनेमैक्स के बाजार भाव एकदम से टूट जायेंगे। जरूरी नहीं कि ऐसा कुछ हो ही। पर जगन्नादम कहते हैं कि जब तक अधिग्रहण की प्रक्रिया हर लिहाज से पूरी न हो जाये, तब तक एक जोखिम तो बना ही रहता है। अभी खुले प्रस्ताव के भाव और मौजूदा भाव का अंतर उसी जोखिम का पुरस्कार है।
रकम जुटाने का हिसाब-किताब
पीवीआर को इस अधिग्रहण में सिनेमैक्स प्रमोटरों को 395 करोड़ रुपये का भुगतान करना है। इसके अलावा अगर खुले प्रस्ताव में इसे पूरे 26% शेयर मिल जायें तो इस पर 148 करोड़ रुपये खर्च होंगे। यानी सिनेमैक्स प्रमोटरों के भुगतान और खुले प्रस्ताव की कुल रकम करीब 543 करोड़ रुपये हो सकती है। इस सौदे के लिए जरूरी रकम जुटाने के वास्ते पीवीआर अपने प्रेफरेंशियल शेयर जारी करके 260 करोड़ रुपये जुटायेगी। ये प्रेफरेंशियल शेयर पीवीआर के प्रमोटरों के साथ-साथ दो प्राइवेट इक्विटी निवेशकों - मल्टीपल्स ऐल्टरनेट एसेट मैनेजमेंट और एल कैपिटल को जारी होंगे। मल्टीपल्स ऐल्टरनेट करीब 153 करोड़ रुपये के, एल कैपिटल 82.3 करोड़ रुपये के और कंपनी के प्रमोटर 25 करोड़ रुपये के प्रेफरेंशियल शेयर लेंगे। यह आवंटन 245 रुपये प्रति शेयर के भाव पर होगा।
इस इक्विटी निवेश के चलते पीवीआर को सिनेमैक्स का अधिग्रहण पूरा करने के लिए बड़ा कर्ज नहीं लेना पड़ेगा। कंपनी पर फिलहाल करीब 200 करोड़ रुपये का कर्ज है, लेकिन उसका कर्ज-इक्विटी का अनुपात 0.6 के सुविधाजनक स्तर पर है। इडेलवाइज सिक्योरिटीज ने अपनी ताजा रिपोर्ट में इस बात को सराहा है कि इस सौदे से पीवीआर का कर्ज-अनुपात ज्यादा नहीं खिंचेगा। इस सौदे की 395 करोड़ रुपये की राशि में से 260 करोड़ रुपये प्रेफरेंशियल शेयर आवंटन से जुटाने के बाद अगर पीवीआर बाकी 135 करोड़ रुपये का कर्ज लेती है तो इडेलवाइज का आकलन है कि इससे उसका कर्ज-इक्विटी अनुपात बढ़ कर 0.7 हो जायेगा।
क्या ब्रांड-विलय भी होगा?
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि पीवीआर इस अधिग्रहण के बाद सिनेमैक्स संपत्तियों को पीवीआर ब्रांड नाम से चलाना चाहेगी या सिनेमैक्स ब्रांड को चलने देगी। सिनेमैक्स ब्रांड भी प्रीमियम श्रेणी में गिना जाता है, इसलिए यह ब्रांड चलाते रहने का विकल्प आसान होगा। लेकिन अगर वह इस ब्रांड को समाप्त कर पीवीआर ब्रांड में इसका विलय करना चाहे तो उसे सिनेमैक्स संपत्तियों की नये सिरे से साजसज्जा करनी होगी, जिससे वे पीवीआर ब्रांड का हिस्सा बन सकें। यह एक अतिरिक्त खर्च होगा।
इसकी मौजूदा चाल की रफ्तार देख कर यह अंदाजा लगाना स्वाभाविक होगा कि शायद यह जनवरी 2008 की रिकॉर्ड ऊँचाई को छूने की ओर बढ़ रहा है। उस समय यह 377 तक चढ़ा था। लेकिन हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि इन भावों पर पीवीआर काफी ऊँचे मूल्यांकन पर आ गया है। बाजार जब तेज हो तो वह कुछ समय के लिए मूल्यांकन जैसी बातों को भूल जाता है और उसे केवल मौजूदा चाल नजर आती है। लेकिन देर-सबेर हर शेयर को उचित मूल्यांकन की जमीन पर लौटना पड़ता है।
बेशक, सिनेमैक्स के अधिग्रहण ने पीवीआर को मल्टीप्लेक्स बाजार में सबसे बड़ी कंपनी बना दिया है। इससे बाजार में उसकी ताकत भी बढ़ेगी। लेकिन किन्हीं दो मल्टीप्लेक्स चेन कंपनियों के मूल्यांकन में एक हद से ज्यादा फर्क नहीं हो सकता। अगर एक ही फिल्म का टिकट पीवीआर में 400 या 300 रुपये का और आइनॉक्स में 200 रुपये का मिले तो आप किसमें वह फिल्म देखेंगे? वैसे भी, देश भर के सभी सिनेमाघरों और मल्टीप्लेक्स को मिला कर कुल लगभग 10,000 पर्दे हैं। सभी मल्टीप्लेक्स के पर्दों की कुल संख्या 1600-1800 के आसपास होने का अनुमान है। इसमें पीवीआर और सिनेमैक्स के कुल 351 पर्दे इसे भले ही सबसे बड़ा खिलाड़ी बनाते हों, लेकिन इसे बहुत बड़े वर्चस्व की ओर नहीं ले जाते। अगर कमाई के पैमाने पर भी देखें तो देश में सिनेमा के टिकटों की कुल बिक्री सालाना करीब 8000 करोड़ रुपये की होती है, जिसमें पीवीआर-सिनेमैक्स गठबंधन की कुल सालाना बिक्री करीब 10% यानी लगभग 800 करोड़ रुपये की होगी।
ऐसे में शेयर बाजार लंबे समय तक पीवीआर को बाकी मल्टीप्लेक्स शेयरों से काफी ज्यादा मूल्यांकन देता रहे, इसकी संभावना कम होगी। स्टैंडएलोन आँकड़ों पर बीते 12 महीनों के आधार पर पीवीआर के शेयर का पीई अनुपात 60 को पार कर रहा है, जबकि आइनॉक्स लीजर करीब 43 के पीई पर है। आइनॉक्स भी अब सस्ता नहीं रह गया, लेकिन पीवीआर तो स्पष्ट रूप से महँगे शेयरों की श्रेणी में आ गया है।
इस सौदे के बाद इडेलवाइज ने 29 नवंबर को पीवीआर पर अपनी रिपोर्ट में इसे खरीदने की सलाह देते हुए इसका लक्ष्य भाव 284 रुपये बताया। लेकिन अब पीवीआर इस लक्ष्य को भी पार कर चुका है। इसने डाइल्युटेड इक्विटी के आधार पर 252 के भाव पर इसका मौजूदा पीई 16 माना। इसका आकलन है कि कंपनी का मुनाफा कारोबारी साल 2011-12 के 25.4 करोड़ रुपये से बढ़ कर 2012-13 में 45.5 करोड़ रुपये और 2013-14 में 54.5 करोड़ रुपये हो जायेगा।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने उसी दिन जारी अपनी रिपोर्ट में अनुमान जताया कि पीवीआर का मुनाफा 2012-13 में 49.2 करोड़ रुपये और 2013-14 में 67.5 करोड़ रुपये होगा। इस तरह आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने मुनाफे के बारे में ज्यादा उदार अनुमान सामने रखा। लेकिन इसने कहा कि 270 रुपये का लक्ष्य भाव मिल जाने के कारण अब निवेशकों को इसमें मुनाफावसूली कर लेनी चाहिए।
इस लिहाज से तो यही लग रहा है कि पुराने निवेशकों को अगर पीवीआर के शेयर में मुनाफा मिल रहा हो तो उन्हें अब और लालच न करते हुए पैसे जेब में डाल लेने चाहिए। बेशक, सक्रिय कारोबारी मौजूदा चाल टूटने के संकेतों का इंतजार कर सकते हैं और जब तक यह चाल टूटे नहीं, तब तक इसका मजा ले सकते हैं।
(निवेश मंथन, दिसबंर 2012)