जनवरी 2016 के हमारे सर्वेक्षण में विश्लेषकों ने पहले से हल्की उम्मीदें सामने रखी थीं और उनके लक्ष्य नीचे खिसक आये थे। हालाँकि छह महीने बाद यह दिखता है कि जून 2016 के जो लक्ष्य तब रखे गये थे, उन्हें हासिल करने में भी बाजार थोड़ा चूक गया। इसी का नतीजा है कि पिछले सर्वेक्षण में दिसंबर 2016 के जो लक्ष्य बताये गये थे, वे इस बार कुछ नीचे आ गये हैं। तब उम्मीद थी कि साल के अंत तक सेंसेक्स और निफ्टी 2016 के दौरान पिछले साल के ऐतिहासिक शिखर को पार कर नया शिखर बना लेंगे। अब यह उम्मीद 2016 में पूरी होने की उम्मीद कम लोगों है और जरा आगे की ओर खिसक गयी है। लेकिन अगले 12 महीनों की अवधि के लिए बाजार का मिजाज अब भी सकारात्मक है और विश्लेषक आगे चल कर अच्छे दिनों की ही उम्मीद कर रहे हैं।
साल 2015 के अंत में बीएसई के सेंसेक्स का बंद भाव 26,118 था। जनवरी 2016 के हमारे सर्वेक्षण में विश्लेषकों के अनुमानों का औसत यह था कि जून 2016 के अंत तक सेंसेक्स 28,027 पर पहुँचना चाहिए। यानी तब विश्लेषक यह उम्मीद कर रहे थे कि इन छह महीनों में सेंसेक्स 7.3% की बढ़त हासिल कर सकेगा। मगर 30 जून 2016 को सेंसेक्स पूरे 27,000 पर बंद हुआ है, यानी इस दौरान केवल 3.4% की बढ़त दर्ज हो सकी। एनएसई का निफ्टी 50 साल 2015 के अंतिम दिन 7,946 पर बंद हुआ। जनवरी सर्वेक्षण में आशा जतायी गयी थी कि यह जून 2016 के अंत तक 7.3% वृद्धि के साथ 8,528 तक पहुँच सकेगा। पर यह 30 जून 2016 को 8,288 पर बंद हुआ है, यानी इसमें 4.3% की वृद्धि इन छह महीनों में हुई है।
हालाँकि अगर जनवरी 2016 के सर्वेक्षण के औसत अनुमान के बदले सबसे बड़े समूह पर नजर डालें तो सबसे ज्यादा 44.4% विश्लेषकों ने जून 2016 के लिए सेंसेक्स के लक्ष्य 26,001 से 28,000 तक के दिये थे। इस तरह बाजार मोटे तौर पर उस अनुमान के साथ चला है। इसी तरह निफ्टी के लिए 51.1% विश्लेषकों ने जून 2016 में 8,001-8,500 के बीच के लक्ष्य दिये थे, और निफ्टी फिलहाल उस बीच में ही है।
नजर जीएसटी, मॉनसून, नतीजों पर
इस बार के सर्वेक्षण में दिखता है कि बाजार के अधिकांश विश्लेषकों की नजरें संसद के मॉनसून सत्र में जीएसटी विधेयक पारित होने, मॉनसून औसत से बेहतर रहने और 2016-17 की पहली तिमाही के कारोबारी नतीजे ठीक-ठाक रहने की उम्मीदों पर टिकी हैं। (विश्लेषकों की टिप्पणियाँ आगे के पृष्ठों पर दी गयी हैं।) बाजार ने काफी हद तक उम्मीद लगा रखी है कि सरकार मॉनसून सत्र में जीएसटी विधेयक पारित कराने में सफल रहेगी। इसे जोखिम या चिंता के पहलू के रूप में भी देखा जा रहा है। यानी अगर कहीं सरकार ऐसा नहीं करा सकी तो इससे बाजार को झटका लगेगा।
इसी तरह दो साल के सूखे के बाद इस साल मॉनसून औसत से बेहतर रहने के अनुमानों पर भी बाजार काफी हद तक भरोसा कर रहा है। लेकिन मॉनसून की शुरुआत में कुछ विलंब हुआ और आरंभिक कुछ दिनों में औसत से कमजोर बारिश ही हुई है। पर बाजार मौसम विभाग की इस बात पर यकीन करके चल रहा है कि मॉनसून आने वाले दिनों में तेजी पकड़ेगा, क्योंकि जून के अंत तक मॉनसून की प्रगति संतोषजनक होने की ओर बढ़ चली है।
साल 2015-16 की चौथी तिमाही के कारोबारी नतीजे बाजार की उम्मीदों से कुछ बेहतर रहे थे। साथ ही भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि) के आँकड़े भी कुछ सुधार दिखा रहे थे। लिहाजा बाजार में धारणा बन रही है कि अब अर्थव्यवस्था ने पटरी पर लौटने के आरंभिक संकेत दे दिया है। सबसे ज्यादा 34.0% विश्लेषकों ने कहा है कि पहली तिमाही के नतीजों में साल-दर-साल 5-10% की वृद्धि दर्ज होगी, जबकि 31.9% की राय में यह वृद्धि 10-15% के बीच रह सकती है। केवल 0-5% तक की धीमी वृद्धि मानने वालों की संख्या 21.3% है।
इसी तरह सेंसेक्स कंपनियों की प्रति शेयर आय (ईपीएस) में भी आने वाले समय में सुधार की उम्मीद दिखती है। इस सर्वेक्षण में सेंसेक्स ईपीएस का औसत अनुमान 2016-17 के लिए 1,530 रुपये का है, जो 2015-16 में वास्तव में हासिल 1,375 रुपये की तुलना में 11.3% बढ़त की उम्मीद सामने रखता है। वहीं 2017-18 के लिए औसत अनुमान 1,766 रुपये है, यानी 2017-18 में इसमें 15.4% बढ़त की उम्मीद की जा रही है। भारत की विकास दर के बारे में 2016-17 के लिए 7.55% का औसत अनुमान सामने आया है। इसके अगले वित्त वर्ष के लिए यह अनुमान 7.94% का है। इस तरह बाजार अर्थव्यवस्था और कंपनियों की आय के लिहाज से 2016-17 को पहले से थोड़ा बेहतर मान रहा है और उसके अगले साल स्थिति और बेहतर होने की उम्मीद कर रहा है।
छह महीनों में सेंसेक्स 28,500 की ओर
इस सर्वेक्षण का औसत अनुमान बताता है कि अगले छह महीनों यानी दिसंबर 2016 तक सेंसेक्स लगभग 28,500 की ओर जा सकता है। सेंसेक्स के 30 जून 2016 के बंद स्तर 27,000 की तुलना में दिसंबर 2016 के अंत का औसत लक्ष्य 28,471 आया है। यह लक्ष्य इन छह महीनों में लगभग 5.4% की संभावित वृद्धि दर्शाता है। हालाँकि जनवरी 2016 के सर्वेक्षण की तुलना में बाजार का उत्साह फीका पड़ा है। उस सर्वेक्षण में सेंसेक्स के लिए दिसंबर 2016 का लक्ष्य 30,028 का था। इस तरह बीते छह महीनों में दिसंबर 2016 का लक्ष्य करीब डेढ़ हजार अंक नीचे खिसक आया है। दरअसल इस साल जनवरी और फरवरी में आयी गिरावट ने बाजार का उत्साह तोड़ा। हाल में वैश्विक चिंताएँ बढऩे के चलते भी विश्लेषकों ने अपने अनुमानों को हल्का किया है।
ताजा सर्वेक्षण में निफ्टी 50 के लिए दिसंबर 2016 का औसत लक्ष्य 8,697 निकला है। इस तरह 30 जून 2016 के बंद स्तर 8,288 से इसमें अगले छह महीनों के दौरान 4.9% वृद्धि की उम्मीद बनती है। हालाँकि जनवरी 2016 के सर्वेक्षण में दिसंबर 2016 के लक्ष्य के औसत परिणाम 9,120 से यह ताजा अनुमान करीब सवा चार सौ अंक नीचे है।
घरेलू कारकों पर सबसे ज्यादा जोर
अगले छह महीनों में भारतीय बाजार को कौन सी बातें सबसे ज्यादा प्रभावित कर सकती हैं, इस बारे में जवाब देते समय अधिकांश विश्लेषकों ने ब्रेक्सिट के असर, कमोडिटी भावों या अन्य वैश्विक कारकों की तुलना में घरेलू पहलुओं को ही सबसे ज्यादा तवज्जो दी है। सर्वेक्षण में 66.0% जानकारों ने मॉनसून, घरेलू महँगाई दर और ब्याज दरों को अगले छह महीनों में बाजार को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला कारक बताया है। इसकी तुलना में ब्रेक्सिट के असर को सबसे महत्वपूर्ण मानने वालों की संख्या केवल 12.8% है। तिमाही नतीजों को सबसे महत्वपूर्ण बताने वालों की संख्या 10.6% रही।
फिर से 30,000 पर नजर
यह दिलचस्प है कि जनवरी 2016 के सर्वेक्षण में भी 12 महीनों का औसत लक्ष्य 30,000 के कुछ ऊपर 30,028 का था और इस ताजा सर्वेक्षण में भी अगले 12 महीनों का औसत लक्ष्य 30,000 के ऊपर है। गौरतलब है कि मार्च 2015 में सेंसेक्स ने 30,025 का ऐतिहासिक शिखर बनाया था। इस सर्वेक्षण में जून 2017 का लक्ष्य 30,402 का आया है, जो 30 जून 2016 के बंद स्तर से 3,402 अंक ऊपर है और अगले 12 महीनों में 12.6% बढ़त का अनुमान दर्शाता है।
निफ्टी 50 का जून 2017 का औसत लक्ष्य 9,148 का सामने आया है। यह इन 12 महीनों के दौरान 10.4% की वृद्धि होने का अनुमान दिखाता है। गौरतलब है कि छह महीने पहले जनवरी के सर्वेक्षण में तब से 12 महीनों के लिए 9,120 का लक्ष्य आया था। यह भी निफ्टी के मार्च 2015 में बने ऐतिहासिक शिखर 9,119 के पास का आँकड़ा है। इस तरह बाजार छह महीने पहले भी उम्मीद करके चल रहा था कि उस ऐतिहासिक शिखर को साल भर में पाया जा सकेगा और मोटे तौर पर अब भी वैसी ही उम्मीद बनी हुई है।
वैश्विक बाजारों की तुलना में भारतीय बाजार पर भरोसा पहले से कुछ ज्यादा बढ़ा है। छह महीने पहले 62% विश्लेषकों ने भारतीय बाजार को अगले 12 महीनों में वैश्विक बाजारों से तेज माना था। इस बार के सर्वेक्षण में ऐसा मानने वालों की संख्या बढ़ कर 85.1% हो गयी है। भारतीय बाजार वैश्विक बाजारों के अनुरूप ही चलने की राय रखने वालों की संख्या 22% से घट कर 10.6% पर आ गयी है। वहीं भारतीय बाजार वैश्विक बाजारों से धीमा रहने की आशंका रखने वालों की संख्या 12% से घट कर महज 2.1% हो गयी है।
ऐतिहासिक शिखर पार करने की आस
अगले 12 महीनों में संभावित शिखर और तलहटी के आँकड़ों से ऐसा लगता है कि विश्लेषकों ने बीते छह महीनों में अपने अनुमानों को छह महीने के लिए रोलओवर कर लिया है। जनवरी 2016 के सर्वेक्षण में अगले 12 महीनों में यानी साल 2016 के दौरान निफ्टी 50 का संभावित उच्चतम स्तर या शिखर 9,408 पर बनने का औसत आकलन आया था। ताजा सर्वेक्षण में भी अगले 12 महीनों यानी जून 2017 तक के शिखर का औसत अनुमान इसके पास ही 9,387 पर है।
इस तरह विश्लेषकों ने अपनी यह उम्मीद कायम रखी है कि अगले 12 महीनों में निफ्टी अपने ऐतिहासिक शिखर 9,119 को पार कर एक नये उच्चतम स्तर की ओर जा सकता है। अगले 12 महीनों में निफ्टी का यह संभावित शिखर 9,387 इसके 30 जून 2016 के बंद स्तर की तुलना में करीब 1100 अंक या 13.3% ऊपर है।
दूसरी ओर आगामी 12 महीनों में निफ्टी की संभावित तलहटी के बारे में पिछले सर्वेक्षण के औसत अनुमान 7,332 की तुलना में इस बार का अनुमान 7,566 का है। इस लिहाज से बाजार पहले से जरा ज्यादा आश्वस्त लगता है और सबसे बुरी स्थिति के बारे में बाजार के अनुमान ऊपर की ओर खिसके हैं। यह संभावित तलहटी 30 जून के बंद स्तर से लगभग 8.7% तक की गिरावट दिखाती है।
बड़े लक्ष्य आगे खिसके
पिछले सर्वेक्षण में हमने 35,000 के लक्ष्य के बारे में पूछा था, मगर इस बार बाजार की स्थिति के मुताबिक हमने पहले 30,000 की ओर लौटने के समय के बारे में पूछना बेहतर समझा। बाजार में पिछले साल भर में आये बदलाव का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जहाँ जुलाई 2015 के सर्वेक्षण में 57.8% बहुमत जानकारों ने उम्मीद जतायी थी कि 35,000 का लक्ष्य साल 2016 के दौरान ही हासिल हो जायेगा, वहीं अब इस सर्वेक्षण में साल 2016 के दौरान 30,000 का लक्ष्य हासिल होने की उम्मीद भी 23.9% विश्लेषकों को है। हालाँकि 60.9% बहुमत की राय में 30,000 का लक्ष्य साल 2017 में मिल जाने की आशा है और 13.0% विश्लेषक मानते हैं कि ऐसा 2018 में संभव होगा।
इसके आगे हमने सेंसेक्स 40,000 और 50,000 के अगले बड़े लक्ष्यों तक जाने के संभावित समय के बारे में भी पूछा। जनवरी 2016 के सर्वेक्षण में 40% की राय थी कि साल 2018 तक 40,000 का स्तर आ जायेगा। पर अब ऐसा मानने वालों की संख्या घट कर 30.4% रह गयी है।
पर पिछली बार जहाँ 32% की राय थी कि 40,000 का स्तर आने में साल 2020 तक का समय लगेगा, वहीं इस बार 45.7% लोग ऐसा मान रहे हैं। इस तरह जानकारों का एक बड़ा वर्ग यह मान कर चल रहा है कि सेंसेक्स का यह अगला बड़ा लक्ष्य थोड़ा आगे खिसका है, पर नजर से ओझल नहीं हुआ है।
पिछले सर्वेक्षण में 26% का मानना था कि सेंसेक्स 50,000 के स्तर पर साल 2020 तक पहुँच जायेगा, और इस बार भी इससे थोड़ा ही कम 23.9% की राय में ऐसा संभव हो सकेगा। इस ऐतिहासिक मुकाम पर साल 2025 तक पहुँच पाने की उम्मीद पिछली बार 32% लोगों को थी, जबकि इस बार 28.3% विश्लेषकों ने यह उम्मीद सामने रखी है। वहीं 21.7% के मुताबिक ऐसा होने में साल 2030 तक का समय लगेगा, जबकि 13% की राय में 2040 तक ही यह स्तर देखा जा सकेगा। 13.0% विश्लेषकों का कहना है कि यह स्तर काफी दूर है और इसके समय का अनुमान लगा पाना अभी मुश्किल है। (निवेश मंथन, जुलाई 2016)