अंबरीश बालिगा
सीईओ, हनीकॉम्ब वेल्थ एडवाइजर्स
हम संभवतः कई वर्षों की बड़ी तेजी (बुल रन) की शुरुआत में हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि बाजार एक सीधी रेखा बनाते हुए ऊपर चढ़ेगा।
बीच-बीच में बाजार में गिरावटें आ सकती हैं, जो अच्छी और स्वस्थ होंगी। प्रगतिशील सरकार और विकास करती अर्थव्यवस्था बाजार के लिए सकारात्मक पहलू हैं। बाजार के लिए कोई खास बड़ी चिंता नहीं है। अब मानसून भी बेहतर होता दिख रहा है।
अगले छह महीनों में बाजार के लिए कंपनियों के तिमाही नतीजे सबसे महत्वपूर्ण रहेंगे। राज्यों के चुनावों का बाजार पर बहुत असर नहीं होगा। वैश्विक कारकों में अमेरिका एवं यूरोप में मंदी की संभावना पर नजर रहेगी। वित्त-वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में कंपनियों की आय में 10-20% के दायरे में बढ़त देखने को मिल सकती है। वहीं देश की जीडीपी वृद्धि दर चालू वित्त-वर्ष में 6.4% और अगले वित्त-वर्ष में 7.1% रह सकती है। आरबीआई एक लंबे समय तक अपनी ब्याज दरों में ठहराव रख सकता है और दरों में कमी अगले साल जनवरी 2024 से शुरू हो सकती है।
अगले 12 महीनों में ऑटो, रियल एस्टेट, बुनियादी ढाँचा (इन्फ्रास्ट्रक्चर) और फार्मा क्षेत्र बाजार से तेज चलने की आशा है। वहीं धातु (मेटल) और आईटी में इस दौरान सुस्ती रह सकती है। इस साल के अंत तक सेंसेक्स 70,000 और निफ्टी 21,000 तक जा सकता है, जबकि साल भर में सेंसेक्स का 76,500 और निफ्टी 23,000 पर पहुँचने का लक्ष्य दिखता है। (निवेश मंथन, जून 2023)