भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एचडीएफसी बैंक और हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (एचडीएफसी) की विलय प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए इन्हें एक नियमन संबंधी राहत दी है।
आरबीआई ने एचडीएफसी बैंक और एचडीएफसी लिमिटेड के विलय के लिए जो स्पष्टीकरण दिया है उसके मुताबिक केंद्रीय बैंक ने एचडीएफसी बैंक या एचडीएफसी लिमिटेड को विलय की प्रभावी तारीख से पहले एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी और एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस कंपनी में शेयरधारिता 50% से अधिक बढ़ाने की अनुमति दे दी है। आशा की जा रही है कि यह विलय प्रक्रिया इस साल जुलाई तक समाप्त हो जायेगी।
इसके अतिरिक्त, एचडीएफसी बैंक को पहले वर्ष के लिए विलय की प्रभावी तारीख तक एचडीएफसी लिमिटेड के बकाया ऋणों के एक तिहाई को ध्यान में रखते हुए समायोजित शुद्ध बैंक क्रेडिट की गणना करने की अनुमति दी गयी है। एचडीएफसी लिमिटेड के पोर्टफोलियो के शेष दो-तिहाई हिस्से पर अगले दो वर्षों की अवधि में समान रूप से विचार किया जा सकता है।
आरबीआई ने एचडीएफसी बैंक को तीन वर्षों में प्राथमिकता वाले क्षेत्र की उधार आवश्यकताओं (प्रायोरिटी लेंडिंग) को पूरा करने की भी अनुमति दी है। हालाँकि, विलय के बाद एचडीएफसी बैंक को शुरुआत से ही विलय के बाद की बैलेंस शीट पर नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर), वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) और तरलता (लिक्विडिटी) कवरेज अनुपात के एक निश्चित स्तर को रखने की आवश्यकताओं का पालन करना होगा।
एचडीएफसी बैंक और एचडीएफसी लिमिटेड के बीच विलय को भारत के कॉर्पोरेट इतिहास में सबसे बड़ा लेन-देन कहा जा रहा है। इसका विलय का मूल्य लगभग 40 अरब अमेरिकी डॉलर है। इस विलय से यह लगभग 18 लाख करोड़ रुपये के संयुक्त परिसंपत्ति आधार के साथ एक वित्तीय सेवा दिग्गज बन गया है। केंद्रीय बैंक की ओर से नियमन में मिली राहत इस विलय की प्रक्रिया को आसान बनायेगी। (निवेश मंथन, अप्रैल 2023)