इस साल के आरंभ में शेयर बाजार के सभी विश्लेषकों की सोच पर नोटबंदी का असर हावी था।
तब भविष्य के बारे में कुछ अनिश्चितता-सी आ गयी थी। सितंबर 2016 में जरूर सेंसेक्स 29,000 के कुछ ऊपर तक गया था, मगर उसके बाद पहले वैश्विक चिंताओं और फिर नोटबंदी ने बाजार की चाल तोड़ दी थी। लेकिन छह महीने बाद ही बाजार का मिजाज एकदम बदला-बदला सा लग रहा है। नोटबंदी के उस असर को बाजार एकदम से झटक कर न केवल नये शिखर बनाये हैं, बल्कि आगे और भी ऊँचे शिखरों की आशा में उत्साहित है। इस उत्साह का कारण है बीते छह महीनों में बाजार की चाल। छह महीने पहले की निराशा को फेंक कर बाजार साल भर पहले वाले उत्साह में लौट चुका है।
जनवरी 2017 में दबे-बुझे मन से बाजार ने जून 2017 के जो लक्ष्य दिये थे, उनकी तुलना में वास्तविक परिणाम काफी बेहतर रहा है। दिसंबर 2016 के अंत में सेंसेक्स 26,626 पर था, जिसकी तुलना में जून 2017 के अंत में यह 4,296 अंक या 16.1% की बेहतरीन तेजी के साथ 30,922 पर पहुँचा है, जबकि जनवरी 2017 के सर्वेक्षण में इसका छह महीने का लक्ष्य 27,655 ही निकला था। इसी तरह निफ्टी-50 भी इन छह महीनों में 8,283 से चढ़ कर 9,521 पर पहुँचा है और इसने 1,238 अंक या 14.9% की बढ़त दिखायी है। जनवरी 2017 के सर्वेक्षण में विश्लेषकों ने इसके लिए 8,532 का औसत लक्ष्य दिया था। यानी इन छह महीनों में निफ्टी ने उस लक्ष्य से लगभग 1,000 अंक ज्यादा की बढ़त पा ली।
दरअसल जनवरी-जून 2017 में 15-16% की यह उछाल इसलिए भी शानदार दिख रही है कि इससे पहले दो साल भारतीय बाजार के लिए बेहद सुस्त रहे थे। साल 2015 में सेंसेक्स करीब 5% गिरा था, जबकि साल 2016 में यह केवल 1.95% बढ़ा। मगर अब बाजार फिर से अच्छी लय में नजर आ रहा है।
नोटबंदी चिंताओं की सूची से बाहर
जनवरी 2017 के सर्वेक्षण में अधिकांश विश्लेषकों ने नोटबंदी के असर की चर्चा की थी। लगभग सभी ने माना था कि इसके चलते अर्थव्यवस्था और कंपनियों की आय को एक तात्कालिक झटका लगेगा। मगर इस सर्वेक्षण में विश्लेषकों ने इसकी चर्चा ही नहीं की है। सर्वेक्षण में शामिल किसी भी विश्लेषक ने एक बार भी नोटबंदी शब्द का जिक्र नहीं किया है! बाजार के लिए यह एक बीता हुआ कल हो चुका है।
इस बार ज्यादातर विश्लेषकों ने जीएसटी लागू होने की चर्चा की है। छह महीने पहले कई विश्लेषक चिंता जता रहे थे कि कहीं इसके लागू होने में देरी न हो। वह चिंता अब दूर हो चुकी है, इसलिए जीएसटी पर अमल को ज्यादातर विश्लेषकों ने बाजार के लिए सकारात्मक बताया है। हालाँकि अब भी कुछ लोगों को यह चिंता है कि इसके लागू होने में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं रहा तो इसका नकारात्मक असर भी हो सकता है।
भूराजनीतिक मुद्दों के अंदेशे
काफी विश्लेषकों ने चिंता वाले पहलुओं में वैश्विक भूराजनीतिक (जियोपॉलिटिकल) मुद्दों का जिक्र किया है। के. आर. चोकसी सिक्योरिटीज के एमडी देवेन चोकसी ने युद्ध की स्थिति को नकारात्मक संभावनाओं में गिना है। दरअसल, पिछले दिनों दक्षिण चीन सागर में चीन की गतिविधियों को लेकर उसका अमेरिका से तनाव गहराया है। साथ ही उत्तर कोरिया की युद्धक तैयारियाँ भी शायद बाजार की नजर में हैं। खुद भारत का भी एक तरफ पाकिस्तान और दूसरी तरफ चीन से भी तनातनी वाला दौर चल रहा है। हालाँकि जब तक इनमें से कहीं भी बात एक सीमा से आगे नहीं बिगड़ती, तब तक बाजार भी मुफ्त में अपनी चाल नहीं बिगाड़ेगा।
तिमाही नतीजों और आय पर नजर
बाजार को आगे प्रभावित करने वाली बातों में विश्लेषकों ने खास कर भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर और कंपनियों के तिमाही नतीजों में उनकी आय वृद्धि (अर्निंग ग्रोथ) को मुख्य रूप से रेखांकित किया है। यह आशा भी है कि कच्चे तेल और कमोडिटी के निचले भावों से भारत में महँगाई दर नीचे बनी रहेगी। अच्छे मॉनसून से ग्रामीण माँग में तेजी की भी उम्मीद है, जिससे कंपनियों को आय वृद्धि में मदद मिलेगी। कई विश्लेषकों ने निचली ब्याज दरों को बाजार के लिए सकारात्मक कारकों में गिना है, पर आगे ब्याज दरों में और अधिक कमी की उम्मीद कम ही लोगों ने जतायी है।
छह महीने में 4% की धीमी बढ़त
सेंसेक्स ने 4 मार्च 2015 को 30,025 का ऐतिहासिक शिखर बनाया था, जिसे इसने दो साल से भी अधिक समय के बाद 26 अप्रैल 2017 को पार करके नये शिखर को चूमा। उसके बाद से यह मई और जून में लगातार नये शिखर बनाता रहा है। फिलहाल, 30 जून 2017 तक की स्थिति के अनुसार इसका अब तक का सबसे ऊँचा शिखर 31,523 का है।
इस सर्वेक्षण के नतीजे कहते हैं कि अगले छह महीनों में थोड़ी धीमी गति से ही, पर आगे बढ़ेगा और नये शिखरों को छू लेगा। इसमें विश्लेषकों के अनुमान का औसत यह है कि दिसंबर 2017 के लिए अभी सेंसेक्स का लक्ष्य 32,296 पर है, यानी इन छह महीनों में इसमें 4.4% की बढ़त दर्ज हो सकेगी। छह महीने पहले के सर्वेक्षण में दिसंबर 2017 के लिए सेंसेक्स का लक्ष्य 29,320 पर आया था। इस तरह छह महीनों में सेंसेक्स के लिए बाजार की आशाएँ करीब 3,000 अंक ऊपर खिसक गयी हैं।
इस बार सबसे ज्यादा 48.9% विश्लेषकों ने आशा जतायी है कि दिसंबर 2017 के अंत तक सेंसेक्स 32,001 से 34,000 के बीच रहेगा। इसके बाद 22.2% लोगों की राय है कि यह 34,000 से भी ऊपर जा सकता है। छह महीने पहले 62.2% विश्लेषकों ने दिसंबर 2017 के अंत तक सेंसेक्स को 28,001-30,000 के दायरे में देखा था। ज्यादातर विश्लेषकों के लक्ष्य इन छह महीनों में लगभग 4,000 अंक ऊपर की श्रेणियों में खिसक गये हैं।
निफ्टी जून 2017 तक 8,500 के ऊपर
निफ्टी-50 के लिए औसत अनुमान यह है कि 30 जून 2017 के बंद स्तर 9,521 की तुलना में दिसंबर 2017 के अंत तक निफ्टी 3.9% बढ़ कर 9,889 पर पहुँच सकता है। सबसे ज्यादा 40% जानकारों ने निफ्टी के दिसंबर 2017 के लक्ष्य 10,000 से ऊपर के बताये हैं। इसके बाद 37.8% ने अपना यह लक्ष्य 9,501 से 10,000 के बीच रखा है।
जनवरी 2017 के पिछले सर्वेक्षण में निफ्टी का दिसंबर 2017 का औसत लक्ष्य 8,964 का था। तब 40.4% विश्लेषकों ने दिसंबर 2017 में निफ्टी 8,501 से 9,000 के बीच पहुँचने का अनुमान रखा था। इस तरह बीते छह महीनों में निफ्टी के लिए दिसंबर 2017 का लक्ष्य मोटे तौर पर 1,000 से 1,500 अंक ऊपर की श्रेणियों में खिसक गया है।
साल भर में करीब 11% बढ़त की आशा
जुलाई 2017 का यह ताजा सर्वेक्षण बता रहा है कि बाजार अगले 12 महीनों में सेंसेक्स और निफ्टी में लगभग 11% की बढ़त का अनुमान लगा रहा है। सेंसेक्स का जून 2018 का औसत लक्ष्य 34,439 का आया है। 30 जून 2017 के बंद स्तर 30,922 की तुलना में यह लक्ष्य 3,517 अंक या 11.4% ऊपर का है।
साल भर बाद के लक्ष्य के लिए विश्लेषक तीन श्रेणियों में लगभग बराबर बँट गये हैं। मौजूदा स्तर से हल्की बढ़त के साथ 32,001-34,000 के बीच का लक्ष्य देखने वालों की संख्या 27.3% है। इसके बाद 31.8% विश्लेषकों ने अपने लक्ष्य 34,001 से 36,000 के बीच कहीं रखे हैं, जबकि 36,000 से भी ऊपर का लक्ष्य बताने वालों की संख्या 25% है। जून 2017 के बंद स्तर की तुलना में नीचे का लक्ष्य देने वालों की संख्या केवल 9.1% है, यानी बाजार का विशाल बहुमत सकारात्मक उम्मीदें ही रख रहा है।
निफ्टी-50 के लिए ताजा सर्वेक्षण का औसत अनुमान बताता है कि जून 2018 तक यह मौजूदा स्तर से लगभग 1,000 अंक की तेजी दर्ज कर सकता है। निफ्टी-50 का साल भर बाद का औसत लक्ष्य 10,523 का आया है, जो 30 जून 2017 के बंद स्तर 9,521 से 10.5% की संभावित बढ़त दिखाता है। तीन चौथाई विश्लेषकों ने अपना लक्ष्य 10,000 के ऊपर ही बताया है। अगर ठीक 10,000 या इससे ऊपर का लक्ष्य बताने वालों की संख्या देखें तो यह 86.4% पर पहुँच जाती है। दूसरी ओर 13.6% विश्लेषकों ने जून 2017 की तुलना में गिरावट की संभावना के साथ 9,500 से नीचे के लक्ष्य दिये हैं।
शिखर कितना ऊपर, तलहटी कितनी नीचे
अगले 12 महीनों में संभावित शिखर का औसत अनुमान 10,756 का है, जो जून 2017 के अंत की तुलना में 1,235 अंक या 13% की वृद्धि की संभावना दिखाता है। छह महीने पहले के सर्वेक्षण में 12 महीने के दौरान निफ्टी के शिखर का अनुमान 9,191 का था, जिसके मुकाबले यह ताजा लक्ष्य 17% ऊँचा है। बीते छह महीनों में बाजार लगभग 16% बढ़ा है, इसलिए लक्ष्य में आयी यह बढ़त उसके अनुरूप ही है।
सबसे ज्यादा 31.8% विश्लेषकों ने इन 12 महीनों में निफ्टी का शिखर 10,001-10,500 के बीच बनने की बात कही है, जबकि 25% लोगों के मुताबिक यह 10,501-11,000 के बीच बन सकता है। यानी 56.8% विश्लेषक शिखर 10,001 से 11,000 के बीच बनता देख रहे हैं। वहीं 27.3% लोगों ने शिखर की संभावना 11,000 से भी ऊपर देखी है। इसके विपरीत, जनवरी 2017 के सर्वेक्षण में केवल 6.5% विश्लेषकों ने अगले 12 महीने में निफ्टी का संभावित शिखर 10,000 से ऊपर बताया था।
अगले एक साल में संभावित तलहटी का औसत अनुमान 8,922 का है। यह संभावित तलहटी जून 2017 के बंद स्तर से 599 अंक या 6.3% तक गिरावट की संभावना दिखाती है। आधे से ज्यादा, 52.3% लोगों ने तलहटी का अनुमान 8,501-9,000 के बीच बताया है। इसके बाद 36.4% लोगों ने 9,001-9,500 के बीच तलहटी बनने की संभावना जतायी है। इस तरह निफ्टी-50 का अगले एक साल का दायरा ऊपर 10,756 से लेकर नीचे 8,922 तक, यानी लगभग 1800 अंकों का बनता दिख रहा है।
तिमाही नतीजों को लेकर उम्मीदें सुधरीं
अगले छह महीनों में सबसे महत्वपूर्ण कारक के रूप में सबसे ज्यादा 44.7% विश्लेषकों ने तिमाही नतीजों को ही चुना है। वहीं 27.7% लोगों ने कच्चे तेल और वैश्विक अर्थव्यवस्था को ज्यादा महत्वपूर्ण माना है, जबकि 12.8% ने भारत की विकास दर को सबसे प्रमुख कारक बताया है।
तिमाही नतीजों को लेकर बाजार की उम्मीदें पहले से बेहतर हुई हैं। 2017-18 की पहली तिमाही के नतीजों में गिरावट की आशंका केवल 8.5% जानकारों को है। इस बार तिमाही नतीजों में 5-10% वृद्धि का अनुमान 31.9% लोगों को है और 27.7% लोगों ने 10-15% ने वृद्धि का आकलन रखा है। गौरतलब है कि छह महीने के सर्वेक्षण में अगली तिमाही के नतीजों में गिरावट देखने वालों की संख्या 28.6% थी और 46.9% लोगों ने मात्र 0-5% की मामूली वृद्धि का अनुमान रखा था। इस बार 55.3% विश्लेषकों ने अगले 12 महीनों में भारतीय बाजार की चाल वैश्विक बाजारों से तेज रहने की आशा जतायी है, जबकि छह महीने पहले ऐसी उम्मीद केवल 22.4% लोगों को थी।
बड़े लक्ष्य लगे कुछ नजदीक
इस सर्वेक्षण में 19.1% विश्लेषकों का आकलन है कि सेंसेक्स 35,000 के लक्ष्य को साल 2017 के दौरान ही पा लेगा, जबकि 53.2% का बहुमत मानता है कि ऐसा साल 2018 में संभव हो सकेगा। लगभग आधे (48.9%) लोगों का अनुमान है कि 40,000 का लक्ष्य साल 2020 तक मिल जायेगा। यह संख्या पिछले दो सर्वेक्षणों के आसपास ही है, यानी बाजार में लगातार यह आशा बनी रही है कि छोटी से मध्यम अवधि के उतार-चढ़ाव के बावजूद लंबी अवधि में बाजार मजबूत है।
सेंसेक्स 50,000 के ऐतिहासिक आँकड़े तक कब पहुँच सकेगा, इस बारे में कुछ लोगों ने अपने अनुमान थोड़ा पहले खिसकाये हैं। जनवरी 2017 में ऐसा कहने वालों की संख्या घट कर 10.2% पर आ गयी थी। इस बार 14.9% विश्लेषकों ने ऐसी उम्मीद रखी है। इस बार साल 2025 तक 50,000 का सेंसेक्स होने की उम्मीद करने वालों की संख्या भी पिछली बार के 24.5% की तुलना में 25.5% है, यानी कमोबेश पहले जैसी ही। साल 2030 तक ऐसा होने की उम्मीद छह महीने पहले 18.4% जानकारों को थी, और इस बार ऐसा अनुमान 14.9% लोगों को है।
(निवेश मंथन, जुलाई 2017)