काशिद हुसैन :
किसी म्यूचुअल फंड का काम है निवेशकों से पैसे एकत्र कर किसी संपदा में निवेश करना और उस निवेश का लाभ अपने निवेशकों को देना।
निवेशकों से इका राशि के निवेश की प्रक्रिया यूरोप में सत्रहवीं सदी में ही शुरू हो गयी थी। पर भारत में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की शुरुआत भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की पहल पर यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (यूटीआई) के गठन के साथ 1963 में हुई थी। भारत में म्यूचुअल फंड के इतिहास को मोटे तौर पर चार अलग-अलग चरणों में विभाजित किया जा सकता है।
पहला चरण : 1964-1987
संसद के एक अधिनियम द्वारा 1963 में यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया की स्थापना की गयी। यह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा स्थापित और इसी के विनियामक और प्रशासनिक नियंत्रण के तहत कार्य करती थी। अकेली म्यूचुअल फंड कंपनी होने के कारण इसके पास इस उद्योग का एकाधिकार था।
यूटीआई को 1978 में आरबीआई से अलग कर दिया गया और इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया (आईडीबीआई) ने इसके नियामक और प्रशासनिक नियंत्रण की कमान सँभाली। यूटीआई द्वारा शुरू की गयी पहली योजना यूनिट स्कीम 1964 थी। इसके बाद 1970 के दशक में यूटीआई ने निवेशकों के विभिन्न वर्ग की जरूरतों के मुताबिक कई योजनाएँ शुरू कीं। इसने 1986 में इंडिया फंड के नाम से पहला भारतीय ऑफशोर फंड शुरू किया। वर्ष 1988 के अंत में यूटीआई के पास 6,700 करोड़ रुपये की प्रबंधन अधीन संपदाएँ (एसेट अंडर मैनेजमेंट/एयूएम) थीं, जो 1984 में 600 करोड़ रुपये के एयूएम मुकाबले 10 गुना से भी अधिक थीं।
दूसरा चरण : 1987-1993 (पीएसयू फंडों का प्रवेश)
दूसरे चरण की शुरुआत 1987 में हुई, जब यूटीआई के अलावा पीएसयू क्षेत्र के कई अन्य म्यूचुअल फंड अस्तित्व में आये। इन फंडों का गठन विभिन्न सरकारी बैंकों, भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और भारतीय साधारण बीमा निगम (जीआईसी) ने किया। यूटीआई के बाद बनने वाला दूसरा म्यूचुअल फंड था एसबीआई म्यूचुअल फंड, जिसकी शुरुआत जून 1987 में हुई। उसी वर्ष दिसंबर में केनबैंक म्यूचुअल फंड शुरू किया गया।
अगस्त 1989 में पंजाब नेशनल बैंक म्यूचुअल फंड, नवंबर 1989 में इंडियन बैंक म्यूचुअल फंड, जून 1990 में बैंक ऑफ इंडिया म्यूचुअल फंड और अक्टूबर 1992 में बैंक ऑफ बड़ौदा म्यूचुअल फंड शुरू किया गया। इस बीच गैर-पब्लिक सेक्टर बैंक कंपनियों द्वारा भी म्यूचुअल फंड स्थापित किये गये, जिनमें जून 1989 में एलआईसी और दिसंबर 1990 जीआईसी ने इस क्षेत्र में कदम रखा। म्यूचुअल फंड उद्योग 1987-88 में 6,700 करोड़ रुपये के एयूएम से बढ़ कर वर्ष 1993 के अंत में 47,004 करोड़ रुपये के एयूएम पर पहुँच गया।
तीसरा चरण : 1993-2003 (निजी फंडों की शुरुआत)
निजी क्षेत्र के म्यूचुअल फंड पहली बार 1993 में आये, जिनके साथ ही भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग में एक नये युग की शुरुआत हुई। कोठारी पॉयनियर (इसका विलय फ्रैंकलिन टेम्पलेटन में हो गया) जुलाई 1993 में पंजीकृत हुआ पहला निजी म्यूचुअल फंड था। तब तक निवेशकों के पास केवल पीएसयू फंड के ही विकल्प थे, लेकिन इसके बाद प्रतिस्पर्धा बढ़ी और निवेशकों को चुनने के लिए ज्यादा विकल्प मिले। इसी साल सेबी (म्यूचुअल फंड) अधिनियम 1993 के नाम से म्यूचुअल फंडों के लिए पहला विनियमन बना, जिसके तहत यूटीआई को छोड़ कर अन्य सभी म्यूचुअल फंडों को पंजीकृत और नियंत्रित किया जाना था। इस अधिनियम को 1996 में बदल कर एक अधिक विस्तृत और संशोधित कानून बनाने के लिए सेबी (म्यूचुअल फंड) अधिनियम 1996 लाया गया। अभी इसी कानून के तहत म्यूचुअल फंड उद्योग का नियमन होता है।
इसके बाद भारतीय कंपनियों के साथ साझा उद्यम बना कर कई विदेशी म्यूचुअल फंड कंपनियाँ भी भारत आयीं और म्यूचुअल फंड कंपनियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ। 1993-94 में पाँच निजी फंड कंपनियों और 1994-95 में छह कंपनियों ने अपनी योजनाएँ शुरू कीं। 1996 के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था के विनियमन और उदारीकरण से इस उद्योग में स्पर्धा और बढ़ी, जिससे इसे और भी अधिक प्रोत्साहन मिला। जनवरी 2003 तक कुल 33 म्यूचुअल फंड स्थापित हो चुके थे, जिनका कुल एयूएम 1,21,805 करोड़ रुपये का था। मगर तब भी 44,541 करोड़ रुपये की एयूएम के साथ यूटीआई बाकी सभी म्यूचुअल फंडों से काफी आगे था।
साल 1995 में म्यूचुअल फंडों का संगठन एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) गठित हुआ। यह इस उद्योग के लिए स्व-विनियमन (सेल्फ रेगुलेशन) के मंच की भूमिका भी निभाता है।
चौथा चरण : फरवरी 2003 से अब तक
फरवरी 2003 में यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया अधिनियम 1963 को निरस्त कर यूटीआई को दो भागों में बाँट दिया गया। इनमें एक कंपनी का नाम रखा गया स्पेशिफाइड अंडरटेकिंग ऑफ द यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (सूटी), जिसके पास जनवरी 2003 के अंत में 29,835 करोड़ रुपये का एयूएम था। इस कंपनी के पास यूएस 64 योजना, निश्चित रिटर्न और कई अन्य योजनाओं को रखा गया। सूटी को म्यूचुअल फंड अधिनियम के दायरे से बाहर रखा गया है। यह भारत सरकार के नियमों के तहत एक प्रशासक के अधीन कार्य करती है। दूसरी कंपनी का नाम रखा गया यूटीआई म्यूचुअल फंड, जिसे एसबीआई, पीएनबी, बीओबी और एलआईसी ने प्रायोजित किया। यह म्यूचुअल फंड अधिनियम के तहत सेबी के साथ पंजीकृत है।
एम्फी के आँकड़ों के अनुसार भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग का कुल एयूएम अब 18 लाख करोड़ रुपये को भी पार कर चुका है। हाल के वर्षों में इसने काफी तेजी पकड़ी है। म्यूचुअल फंड खातों (फोलिओ) की कुल संख्या फरवरी 2017 के अंत में 5.44 करोड़ पर पहुँच चुकी है।
(निवेश मंथन, अप्रैल 2017)