जीएसटी यानी वस्तु और सेवा कर अब लागू होने के एक कदम और करीब पहुँच गया है।
इससे आशा बँधी है कि इसे और ज्यादा टालना नहीं पड़ेगा और 1 जुलाई 2017 से ही यह लागू हो जायेगा। जीएसटी परिषद ने शनिवार 4 मार्च को हुई अपनी बैठक में केंद्रीय और एकीकृत जीएसटी कानूनों के अंतिम मसौदे को मंजूरी दे दी। जानकारों का मानना है कि सीजीएसटी और आईजीएसटी को मिली यह मंजूरी 1 जुलाई 2017 से जीएसटी लागू करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।
जीएसटी काउंसिल ने अपनी बैठक में दूसरे पूरक विधेयकों को भी अंतिम रूप दे दिया, जिन्हें 09 मार्च से शुरू बजट सत्र के दूसरे हिस्से में संसद में मंजूरी के लिए पेश किया जायेगा। 4 मार्च की बैठक में एक बड़ा फैसला यह हुआ कि छोटे कारोबारियों पर 5त्न कर लगेगा, जिसमें राज्यों और केंद्र, दोनों को बराबर हिस्सा मिलेगा। छोटे होटलों और रेस्टोरेंट पर 5% जीएसटी दर रखने का भी निर्णय लिया गया। वित्त मंत्री ने सीजीएसटी और आईजीएसटी कानून के अंतिम मसौदे को मंजूरी मिलने के साथ ही कहा कि राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) विधेयक के मसौदे को भी जल्द ही मंजूरी मिलेगी। राज्य जीएसटी और संघीय क्षेत्र जीएसटी विधेयकों पर विचार के लिए 16 मार्च को जीएसटी परिषद की फिर से बैठक रखी गयी है। दूसरी ओर दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए क्योंकि इस क्षेत्र में काफी काले धन का इस्तेमाल होता है। रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाये जाने से इस क्षेत्र में काफी हद तक काले धन पर लगाम लगायी जा सकेगी। वहीं पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने परिषद द्वारा एकीकृत जीएसटी और केंद्रीय जीएसटी विधेयक पर मार्च के मध्य में होने वाली अगली बैठक में अंतिम निर्णय लिये जाने की जानकारी दी।
निजी बैंक वसूलेंगे लेन-देन पर शुल्क
एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और ऐक्सिस बैंक ने एक महीने में चार बार से अधिक पैसे जमा करने या निकालने पर न्यूनतम 150 रुपये प्रति लेन-देन शुल्क लगाना शुरू कर दिया है। तीनों बैंकों के ये नये शुल्क 1 मार्च से आरंभ हुए हैं। एचडीएफसी बैंक की ओर से एक सर्कुलर जारी कर जानकारी दी गयी कि यह शुल्क बचत खाते के साथ-साथ वेतन खातों (सैलरी एकाउंट) पर भी लगेगा। इसके अलावा एचडीएफसी बैंक ने तीसरे पक्ष के लिए नकद लेन-देन की सीमा 25,000 रुपये प्रतिदिन तय कर दी, मगर साथ ही नकदी के रखरखाव के शुल्क को समाप्त कर दिया। नकद लेन-देन को कम करने और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने की नीयत से शुरू किये गये ये शुल्क एटीएम से निकासी पर लागू न होकर केवल बैंक शाखाओं से नकद लेन-देन पर लागू होंगे।
वहीं एटीएम से निकासी की सीमा से अधिक बार पैसे निकालने पर पुराने शुल्क को दोबारा शुरू कर दिया गया है। एटीएम से तीन से अधिक बार निकासी पर सबसे पहले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने 1 नवंबर 2014 और एचडीएफसी तथा ऐक्सिस बैंक ने 1 दिसंबर 2014 से शुल्क वसूलना शुरू किया था। शून्य जमा वाले खातों के लिए अधिकतम चार बार मुफ्त नकद निकासी की सीमा जारी रहेगी और नकद जमा पर कोई शुल्क नहीं लगेगा।
आईसीआईसीआई बैंक और ऐक्सिस बैंक एटीएम लेन-देन पर उतने ही शुल्क फिर से लेंगे, जो 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा से पहले थे। एचडीएफसी बैंक ने कुछ अन्य मामलों में ऐसे शुल्क में बढ़ोतरी की है। आईसीआईसीआई बैंक की वेबसाइट के अनुसार मूल शाखा (जहाँ खाताधारक का खाता है) में एक महीने में पहले चार लेन-देन के लिए कोई शुल्क नहीं लगेगा। उसके बाद उसी महीने में होने वाले लेन-देन प्रति 1,000 रुपये पर 5 रुपये की दर से न्यूनतम 150 रुपये का शुल्क देना होगा। इसके अलावा आईसीआईसीआई बैंक मूल शाखा के अलावा किसी दूसरी शाखा से एक महीने में पहली नकद निकासी के लिए कोई शुल्क नहीं लेगा, मगर उसके बाद प्रति 1,000 रुपये पर 5 रुपये का शुल्क लेगा और इसकी न्यूनतम सीमा भी 150 रुपये है।
कहीं भी नकद जमा के लिए आईसीआईसीआई बैंक 5 रुपये प्रति हजार (न्यूनतम 150 रुपये) शुल्क लेगा। वहीं नकद स्वीकार करने वाली मशीन (कैश एक्सेप्टेंस मशीन) में एक महीने में पहली बार नकद जमा मुफ्त होगी और उसके बाद 5 रुपये प्रति 1,000 रुपये के हिसाब से शुल्क देना होगा। आईसीआईसीआई बैंक में तीसरे पक्ष के मामले में सीमा 50,000 रुपये प्रतिदिन होगी। ऐक्सिस बैंक में पहले पाँच लेन-देन या 10 लाख रुपये नकद जमा या निकासी मुफ्त होगी और उसके बाद प्रति 1,000 रुपये पर 5 रुपये या 150 रुपये में से जो भी अधिक हो, उतना शुल्क वसूला जायेगा।
(निवेश मंथन, मार्च 2017)