नौशाद फोबर्स, अध्यक्ष, सीआईआई :
आर्थिक विकास दर के ताजा आँकड़ों से यह दिखता है कि विमुद्रीकरण का असर केवल तात्कालिक रहा है।
संभावना है कि आने वाली तिमाहियों में हम इससे ज्यादा ऊँची विकास दर हासिल करेंगे। ज्यादातर बड़े व्यवसायों ने अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को नकद-रहित भुगतान प्रणालियों से जोडऩे के प्रयास किये हैं और अर्थव्यवस्था में जल्दी ही इसके परिणाम ज्यादा सक्षमता एवं उत्पादकता के रूप में दिखेंगे।
ग्रामीण माँग मजबूत रहने की संभावना है, इसलिए तमाम क्षेत्रों में कंपनियाँ खपत में वृद्धि होने की उम्मीद कर रही हैं। निवेश के संबंध में सरकार ने स्थिति फिर से सुधरने के लिए एक सकारात्मक वातावरण उपलब्ध कराया है। इस बार के बजट में सरकारी निवेश के लिए आवंटन बढ़ाया गया है और छोटे एवं मँझोले उद्यमों के लिए लागू कर की दर में कमी की गयी है। जीएसटी की प्रक्रिया भी अपने नियत समय के मुताबिक आगे बढ़ रही है।
विमुद्रीकरण और उसके प्रभाव अब हमारे पीछे छूट चुके हैं। अर्थव्यवस्था सकारात्मक रुझान पर है। उम्मीद है कि बाहरी परिवेश से कुछ मदद मिलने के साथ अर्थव्यवस्था 2017-18 में ऊँची विकास दर से बढ़ेगी।
(निवेश मंथन, मार्च 2017)