अंगूठा बना बैंकिंग का नया आधार
काशिद
बैंकिंग की बदलती तकनीक से जल्दी ही यह मुमकिन होगा कि आप बिना एटीएम या डेबिट कार्ड के ही एटीएम से पैसे निकाल सकें।
कहीं अंगुलियों के निशान से ही बैंक खाते खोलने या एटीएम से पैसे निकालने का इंतजाम हो रहा है, तो कहीं यह काम आपकी आँखों की पुतलियों से ही संभव हो जायेगा। जल्दी ही डीसीबी बैंक खाते खोलने के लिए बायोमीट्रिक तकनीक के उपयोग की शुरुआत करने जा रहा है, जिसमें ग्राहक को नया खाता खुलवाने के लिए केवल आइरिस यानी आँखों की पुतलियाँ स्कैन कराने की जरूरत होगी।
डीसीबी बैंक के कृषि एवं समावेशी बैंकिंग प्रमुख नरेंद्रनाथ मिश्र का कहना है कि ग्राहक की अंगुलियों के निशान के आधार पर खाते खोलने की सुविधा पहले से ही डीसीबी बैंक की सभी 250 शाखाओं में उपलब्ध हो चुकी है। इन शाखाओं में खाते खुलवाने के लिए किसी अन्य केवाईसी दस्तावेज की जरूरत नहीं पड़ती। अंगुलियों के निशान से ही ग्राहक की तस्वीर और आधार कार्ड में दर्ज पते वगैरह के विवरण सामने आ जाते हैं। अब इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए डीसीबी बैंक ने आइरिस स्कैन से भी ग्राहक की पहचान करने की शुरुआत की है। अंगुलियों के निशान मिलाने में कभी-कभी मुश्किलें आती हैं, मगर आइरिस स्कैन के मिलान में सफलता की दर कहीं ज्यादा है।
मिश्र बताते हैं कि परीक्षण के तौर पर 20 शाखाओं में लगभग 200 ग्राहकों के खाते खोलने में इस तकनीक का उपयोग किया गया। अगले छह महीनों में बैंक इस तकनीक को अपनी सभी शाखाओं में लागू कर देगा। आइरिस स्कैन के लिए बैंक इस खास तकनीक से लैस टैबलेट का उपयोग करता है। उनके मुताबिक इस तरीके से ग्राहक की पहचान में 10 सेकेंड से भी कम समय लगता है। पहचान की प्रक्रिया पूरी होते ही ग्राहक को स्वागत पत्र, चेकबुक और डेबिट कार्ड सौंप दिया जाता है और तीन-चार घंटे में वह खाता सक्रिय हो जाता है। बिना एटीएम कार्ड या डेबिट कार्ड के भी एटीएम से पैसे निकालने के कुछ प्रयोग पहले से ही चल रहे हैं। मिश्र बताते हैं कि डीसीबी बैंक ने ही अप्रैल 2016 में देश में पहली बार ऐसे एटीएम की शुरुआत की थी, जिससे ग्राहक केवल अपने आधार कार्ड के जरिये पैसे निकाल सकते हैं। ऐसे एटीएम से पैसे निकालने के लिए डेबिट कार्ड और पिन की जरूरत नहीं होती। डीसीबी बैंक ने अब तक करीब 70 एटीएम में आधार कार्ड पर निर्भर लेन-देन की शुरुआत कर दी है और अगले 12-18 महीनों में वह अपने सभी 500 एटीएम में यह सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में सक्रिय है।
कई अन्य बैंक भी इसी तरह की सुविधा देनी शुरू कर चुके हैं। आधार कार्ड के इस्तेमाल से चलने वाले एटीएम उपभोक्ता के फिंगरप्रिंट (अंगुलि के निशान) की पहचान से लेन-देन की प्रक्रिया पूरी करते हैं। दरअसल आधार कार्ड बनाते समय व्यक्ति की बायोमीट्रिक पहचान के लिए न केवल अंगुलियों के निशान लिये जाते हैं, बल्कि आइरिस स्कैन भी होता है। बैंक अब अपने ग्राहकों के खातों को आधार संख्या से जोड़ रहे हैं। ऐसे में बैंक केवल अंगुलियों के निशान या आइरिस स्कैन से आधार संख्या के आधार पर उस व्यक्ति की पुख्ता पहचान कर सकते हैं। इसमें पिन नंबर की जरूरत भी नहीं होती।
ऐसे एटीएम दरअसल एटीएम कार्ड की संख्या के बजाय उपभोक्ता के अंगूठे के निशान से आधार कार्ड का नंबर पहचान कर उसके आधार पर लेन-देन करते हैं। जानकारी के मिलान के बाद यह बाकी जानकारी का सर्वर से मिलान करता है। सही मिलान होने के बाद लेन-देन की बाकी पूरी प्रकिया एटीएम कार्ड के समान ही रहती है।
इन सबके अलावा आधार कार्ड संख्या का प्रयोग करने वाले माइक्रो एटीएम का चलन भी शुरू हो गया है। मिसाल के तौर पर, आईडीएफसी बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक ने ऐसे एटीएम शुरू किये हैं। आईडीएफसी बैंक ने 2,000 से अधिक माइक्रो एटीएम किराना दुकानों, दवा दुकानों, ढाबों, मंडियों, पंचायत दफ्तरों और ऐसे अन्य स्थानों पर लगाये हैं।
ऐसे माइक्रो एटीएम से लेन-देन करने के लिए आपके पास बस आधार कार्ड होना चाहिए और उस आधार कार्ड की संख्या आपके बैंक खाते के साथ जुड़ी होनी चाहिए। ये माइक्रो एटीएम दुकानों में दिखने वाली पीओएस मशीन या किसी बस कंडक्टर के पास मौजूद टिकट निकालने वाली छोटी मशीन की तरह होते हैं। माइक्रो एटीएम से भी आधार कार्ड का नंबर डालने और उसमें लगे स्कैनर पर अपना अंगूठा लगाने पर पैसे निकाले जा सकते हैं या किसी अन्य व्यक्ति को भेजे भी जा सकते हैं। इसके अलावा इससे ई-केवाईसी खाता खुलवाने, खाते से जुड़ी सभी सेवाएँ एवं जानकारियाँ पाने, सभी प्रकार के सरकारी भुगतान और बिजली बिल, फोन बिल, डीटीएच बिल आदि के भुगतान किये जा सकते हैं।
सरकार ने अब तक पूरे देश में 108 करोड़ से अधिक लोगों को आधार कार्ड जारी किये हैं। इसका मतलब साफ है कि देश के अधिकतर लोगों को आधार कार्ड वाले माइक्रो एटीएम का लाभ मिल सकेगा। माइक्रो एटीएम से ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को विशेष लाभ मिलेगा। बैंकों ने अब आधार कार्ड के माध्यम से भुगतान की भी सुविधा देनी शुरू कर दी है। मिसाल के तौर पर, आईडीएफसी बैंक ने %आधार पेÓ की सुविधा शुरू की है, जिसके लिए किसी विक्रेता को कोई अलग मशीन लेने के बदले अपने ही स्मार्टफोन में आईडीएफसी आधार पे ऐप्प डालना होता है। भुगतान के लिए इस स्मार्टफोन को आधार बायोमीट्रिक रीडर से जोडऩा होता है। ग्राहक इस ऐप्प में केवल अपने बैंक का नाम और आधार संख्या डाल कर भुगतान कर सकता है और पासवर्ड के लिए उसकी अंगुलि के निशान का उपयोग होता है।
(निवेश मंथन, फरवरी 2017)