वक्त बदल रहा है, इसलिए थोड़ी सी चतुराई आपकी कमाई को बहुत ज्यादा बढ़ा सकती है। अपनी गाढ़ी कमाई को बैंक में बेकार मत रहने दीजिये।
बैंक खातों में बड़ी रकम जमा रखने में नुकसान
नोटबंदी की वजह से देश के ज्यादातर लोगों के बैंक खाते नकदी से लबालब हैं। लेकिन इस नकदी को ऐसे ही रहने देने में खास लाभ नहीं है। इस रकम को बैंकों से म्यूचुअल फंड की तरफ ले जाइये, जिनमें लंबी अवधि का निवेश आपको शानदार प्रतिफल तो दे ही सकता है, साथ ही जो कमाई होगी, वह कर-मुक्त होगी।
अपनी गाढ़ी कमाई को बैंक में बेकार मत रहने दीजिए। बैंक में बचत खातों में कैश रखना यानी अपनी रकम को कम करना। वजह साफ है। ज्यादातर बैंक बचत खातों में मामूली 4% सालाना ब्याज देते हैं। छोटी अवधि के एफडी में भी ब्याज दरें बहुत कम हैं। ज्यादा ब्याज के लिए आपको तीन से पाँच साल का एफडी कराना होगा। अगर आप ऊपरी आय कर श्रेणी में हैं तो टैक्स काटने के बाद प्रतिफल बस 5% के आसपास रहेगा। यानी इससे जो कमाई होगी, वह महँगाई दर (इन्फ्लेशन) से भी कम होगी। अगर महँगाई दर घटा दें तो मूल रकम घट ही जायेगी। अब सवाल है कि बैंकों में पड़ी रकम का बेहतर निवेश कैसे करें? इसके कई तरीके हैं, लेकिन सबसे ज्यादा लाभ, वो भी कर-मुक्त, कमाने का एक ही तरीका है - म्यूचुअल फंड में निवेश करना।
बैंकों में रकम जमा रखने में लंबे वक्त तक खास फायदा नहीं है, क्योंकि आगे ब्याज दरें कम ही रहेंगी। उम्मीद की जा रही है कि रिजर्व बैंक पॉलिसी दरों में आगे भी कुछ कटौती करेगा। ऐसा होने पर एफडी की ब्याज दरें और भी कम हो जायेंगी, और बैंक में पैसा रखना लाभदायक नहीं होगा।
अतिरिक्त नकदी कहाँ लगायें
जरूरत के हिसाब से आप म्यूचुअल फंड चुन सकते हैं। तीन साल तक आपको रकम की जरूरत नहीं है तो इक्विटी और डेट म्यूचुअल फंड में कर-मुक्त कमाई करिये। लेकिन अगर आपको लगता है कि छोटी अवधि यानी एक साल के लिए ही निवेश करना है तो भी म्यूचुअल फंड एफडी से ज्यादा रिटर्न दे सकते हैं। शेयर बाजार लगातार आकर्षक होता जा रहा है। इक्विटी म्यूचुअल फंड अपने निवेश का बड़ा हिस्सा शेयर बाजार में लगाते हैं, इसलिए उनके प्रतिफल अच्छे रहने के आसार हैं।
म्यूचुअल फंड में निवेश क्यों फायदेमंद
म्यूचुअल फंड में निवेश का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपके निवेश पर हर वक्त पेशेवर फंड प्रबंधक की नजर होती है। म्यूचुअल फंडों ने रिटर्न के लिहाज से बचत के तमाम तरीकों को पीछे छोड़ दिया है। कुछ चुनिंदा इक्विटी फंडों ने तो निवेशकों को पिछले तीन सालों से सालाना 18% का औसत रिटर्न दिया है, वह भी पूरी तरह कर-मुक्त। वहीं जो लोग शेयर बाजार का जोखिम कम लेना चाहते हैं, उनके लिए भी संतुलित या डेब्ट फंडों में निवेश करना बेहतर विकल्प नजर आ रहा है। नियत आय वाले प्रपत्रों में निवेश करने वाले डेब्ट फंड भी बैंकों के एफडी की तुलना में बेहतर लाभ दे रहे हैं।
म्यूचुअल फंड की खासियतें
1. पेशेवर फंड प्रबंधन : प्रतिस्पर्धा होने की वजह से हर म्यूचुअल फंड चतुराई भरे तरीके से आपके निवेश का प्रबंधन करता है। उनके हर फैसले के पीछे पूरी रिसर्च टीम होती है और हर पहलू पर गौर करने के बाद ही फंड कहीं निवेश करता है।
2. निवेश में विविधता : एक ही कंपनी या प्रपत्र में निवेश के बजाय म्यूचुअल फंड निवेश इस तरह से करते हैं कि जोखिम बँट जाये। साथ ही बाजार में उतार-चढ़ाव होने पर भी आपके प्रतिफल पर तुलनात्मक असर कम रहता है।
3. पैसे निकालना आसान : आप जब चाहें म्यूचुअल फंड यूनिटों की अपनी रकम भुना सकते हैं। केवल ईएलएसएस योजनाओं में कर-बचत के लिहाज से तीन साल का लॉक-इन होता है। मगर वहीं डेब्ट फंडों की तरलता की तुलना काफी हद तक बचत खाते या एफडी से की जा सकती है, यानी इनसे पैसे निकालना उतना ही आसान रहता है।
डेब्ट म्यूचुअल फंड
इसमें लंबी अवधि और छोटी अवधि दोनों तरह के डेब्ट फंड में निवेश का विकल्प है। शार्ट टर्म यानी छोटी अवधि के डेब्ट फंड औसतन 7-8% का सालाना प्रतिफल दे रहे हैं। रकम निकालने में भी ये काफी लचीले होते हैं। जरूरत पडऩे पर आप कुछ रकम निकाल भी सकते हैं और ज्यादा पैसे आने पर उसका निवेश कर सकते हैं।
(निवेश मंथन, फरवरी 2017)