अरुण पांडेय
31 मार्च की तारीख करीब आती जा रही है और 2016-17 के लिए टैक्स प्लानिंग करने या कर योजना बनाने के लिए आपके पास अब दो महीने से भी कम का वक्त है।
लेकिन ध्यान रहे मकसद सिर्फ कर बचाने का नहीं होना चाहिए, बल्कि लक्ष्य अपने निवेश पर ज्यादा-से-ज्यादा प्रतिफल या रिटर्न पाने का होना चाहिए। इसलिए ऐसा निवेश करें, जिसमें टैक्स तो बचे ही और रिटर्न भी सबसे अच्छा मिले।
1. प्रतिफल का रिकॉर्ड
2. सुरक्षित निवेश
3. निकलने का आसान विकल्प
4. कम लागत
5. आसान और पारदर्शी
इन सभी कसौटियों का एक संतुलन होना चाहिए। बहुत-से निवेशक सिर्फ आसान तरीका चुनने के चक्कर में बैंक में मियादी जमा (एफडी) या बीमा कर बैठते हैं, जबकि इससे बेहतर तरीके उपलब्ध हैं। इसलिए अंधाधुंध निवेश करने के बजाय प्रतिफल के पहलू पर जरूर ध्यान दें। ऐसा नहीं है कि एफडी बिल्कुल न रखें, पर वह आपके पोर्टफोलिओ का एक छोटा हिस्सा हो। इसी तरह बीमा जरूरी है, पर भविष्य के वित्तीय जोखिमों से सुरक्षा देने के लिए। इसलिए बीमा को सुरक्षा वाले पहलू पर ध्यान दे कर लें, और निवेश करते समय प्रतिफल पर ध्यान दें। कर बचाने के लिए कोई भी निवेश करते वक्त अपनी वित्तीय जरूरतों और जोखिम को जरूर ध्यान में रखें, क्योंकि हर किसी की जरूरतें अलग होती हैं।
धारा 80सी : 1.5 लाख तक की छूट
आय कर कानून की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख तक निवेश कर-मुक्त होता है। इसमें निवेश के साथ-साथ कुछ खर्चों की भी अनुमति दी गयी है। ध्यान रखें कि धारा80 सी में दिये गये विभिन्न विकल्पों के तहत कुल कर छूट 1.5 लाख रुपये की है, यानी दो या ज्यादा विकल्पों में कुल निवेश 1.5 लाख रुपये से ज्यादा कर देने पर भी कर छूट 1.5 लाख रुपये तक की ही मिलेगी।
धारा 80सी का लाभ उठाने के तरीके
जीवन बीमा (लाइफ इंश्योरेंस) पॉलिसी - यह निवेश का सबसे लोकप्रिय तरीका है। लेकिन जरूरी नहीं कि प्रतिफल के लिहाज से यह सबसे अच्छा विकल्प हो। हमें ध्यान रखना चाहिए कि बीमा का मुख्य मकसद कोई अनहोनी होने पर परिवार को वित्तीय मुश्किलों से बचाना होता है। इसलिए सिर्फ ऐसे जीवन बीमा प्लान खरीदने चाहिए, जो कम प्रीमियम पर ज्यादा बीमा सुरक्षा दे सकें। ऐसे बीमा प्लान को टर्म इंश्योरेंस या सावधि बीमा भी कहा जाता है। एंडॉवमेंट और यूलिप प्लान ना तो पर्याप्त बीमा देते हैं और न ही अच्छा प्रतिफल देते हैं, इसलिए इनसे बचना चाहिए।
पीएफ और पीपीएफ
प्रोविडेंट फंड में आपके योगदान वाले हिस्से पर 80सी के अंतर्गत कर छूट मिलती है। सुरक्षित और तय प्रतिफल के लिए किसी बैंक या डाक घर में पीपीएफ खाता खोल कर 1.5 लाख रुपये तक निवेश किया जा सकता है। इसका प्रतिफल भी पूरी तरह कर-मुक्त होता है। यानी न केवल जब आप पैसा जमा करते हैं, उस समय आपको कर छूट मिलती है, बल्कि जब आप इसकी परिपक्वता अवधि पूरी होने पर पैसे निकालते हैं तो ब्याज की रकम भी पर भी मौजूदा नियमों के मुताबिक कोई टैक्स नहीं लगता।
इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस)
जो कुछ जोखिम उठा सकते हैं उनके लिए सबसे अच्छा विकल्प है। शेयर बाजार से जुड़े म्यूचुअल फंड जिनका रिटर्न शेयर बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। जाहिर है इसमें जोखिम है लेकिन लंबी अवधि में रिटर्न भी शानदार होते हैं।
नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी)
इसमें कम-से-कम पाँच साल का निवेश जरूरी है। इसे डाक घर से खरीदा जा सकता है। इसमें मौजूदा ब्याज दर 8% है।
कर बचत वाले एफडी
ये खास तरह की मियादी जमा (फिक्स्ड डिपॉजिट) योजना हैं। इन जमाओं पर ब्याज दर 7% के आसपास है।
सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम 2004 - यह स्कीम खास तौर पर वरिष्ठ नागरिकों को नियमित रिटर्न देने के लिए है। इसमें मौजूदा ब्याज दर 8.5% है। इसमें तिमाही आधार पर प्रतिफल मिलता है। यह योजना 5 साल के लिए होती है, और इसे 3 साल तक बढ़ाने का विकल्प रहता है।
बच्चों की स्कूल फीस
बच्चों की शिक्षा के लिए स्कूल/ट्यूशन फीस भी 80सी के दायरे में शामिल है और सालाना 1.50 लाख रुपये की सीमा के अंदर इस खर्च पर छूट ली जा सकती है। यह छूट केवल दो बच्चों तक की शिक्षा पर मिलेगी।
होम लोन पर छूट
आवास ऋण (होम लोन) के मूलधन भुगतान पर धारा 80सी के तहत कर छूट मिली हुई है।
इसलिए अब तक कितना निवेश किया हुआ है, इसे जोड़ें और 1.50 लाख रुपये की सीमा पूरी करने में बाकी बचा हुआ निवेश 31 मार्च के पहले जरूर कर लें।
कर बचाने के और तरीके
नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस)
80सीसीडी के तहत सेवानिवृत्ति की योजना बनाने के लिहाज से यह बहुत अच्छा विकल्प है। इसमें मिली छूट 80सी के अतिरिक्त है। 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये की कर छूट के ऊपर 80सीसीडी के तहत 50,000 हजार रुपये तक का सालाना निवेश कर-मुक्त है।
आवास ऋण के ब्याज पर कर छूट
धारा 24(बी) के तहत आवास ऋण पर चुकाया जाने वाला ब्याज कर छूट के दायरे में आता है। अगर आवास ऋण लेकर खरीदे गये मकान में आप खुद रहते हैं तो इसमें 2 लाख रुपये तक कर छूट मिलती है। लेकिन अगर उस घर में आप स्वयं नहीं रहते तो ब्याज की पूरी रकम पर कर छूट मिलेगी, लेकिन यह छूट घर पूरी तरह तैयार होने तक नहीं मिलेगी।
स्वास्थ्य बीमा (मेडिकल इंश्योरेंस)
धारा 80डी के तहत स्वास्थ्य बीमा (मेडिकल इंश्योरेंस) कराने के लिए दिये गये प्रीमियम पर कर छूट मिलती है। सालाना 25,000 रुपये तक दिया जाने वाला प्रीमियम कर-मुक्त होता है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह छूट 30,000 रुपये है। अगर आप अपने माता-पिता के लिए प्रीमियम दे रहे हैं तो 25,000 हजार रुपये तक प्रीमियम पर अतिरिक्त कर छूट उपलब्ध है और अगर आपके माता पिता वरिष्ठ नागरिक हैं तो यह अतिरिक्त छूट 30,000 रुपये है।
ईएलएसएस - निवेश का सबसे अच्छा विकल्प
आपने देख लिया कि कर बचाने के बहुत से तरीके हैं, लेकिन अगर आप कर बचाने के साथ-साथ अच्छे प्रतिफल (रिटर्न) को भी पैमाना बनायें तो ईएलएसएस कर छूट और निवेश दोनों के लिहाज से सबसे अच्छा तरीका बना कर उभरा है।
चुनिंदा फंडों ने पिछले तीन सालों से निवेशकों को सालाना औसतन 18.68% का रिटर्न दिया है। पाँच साल में औसत रिटर्न 17.46% है। लागत के लिहाज से भी ईएलएसएस फंड बेहतर हैं। इनमें निवेशकों को कोई एंट्री लोड नहीं लगता, इन्हें खरीदने की लागत मुश्किल से 2.5% के आसपास ही आती है। इनमें तीन साल की लॉक-इन अवधि होती है, लेकिन तीन साल पूरी होने के बाद आप जब भी इनसे पैसा निकालते हैं तो मिला हुआ प्रतिफल कर-मुक्त होता है।
यह जानना जरूरी है कि आपका ईएलएसएस फंड लार्ज कैप फंड है या स्मॉल कैप या मिड कैप। जिन फंडों का ज्यादातर निवेश दिग्गज (लार्ज कैप) शेयरों में होता है, उनमें जोखिम थोड़ा कम रहता है, लेकिन प्रतिफल थोड़ा धीमा रहता है। वहीं जो फंड अपने पोर्टफोलिओ का आधे से ज्यादा निवेश मँझोले (मिडकैप) और छोटे (स्मॉल कैप) शेयरों में करते हैं, उनका प्रतिफल पिछले कई सालों से बहुत शानदार रहा है। स्मॉल कैप और मिड कैप फंड में अक्सर प्रतिफल ज्यादा मिलता है, लेकिन बाजार के उतार-चढ़ाव से सबसे ज्यादा प्रभावित होने की वजह से इनमें जोखिम भी ज्यादा होता है।
ईएलएसएस निवेशकों के लिए 5 सलाह
1. वित्त वर्ष शुरू होते ही एसआईपी के जरिए निवेश शुरू करें।
2. अच्छे फंड चुनें और हर साल उन में ही निवेश करें।
3. शेयर बाजार में अच्छे प्रतिफल के लिए कम-से-कम 5-10 साल के लिए निवेश करें।
4. ज्यादा जोखिम नहीं चाहते तो लार्ज कैप फंड में निवेश करें।
5. लगातार अच्छा प्रतिफल देने वाले फंडों को ही चुनें
कम-से-कम तीन साल के लिए निवेश - कर बचाने के लिए ईएलएसएस फंड में निवेश करने से पहले यह जान लें कि इसमें तीन साल की लॉक-इन अवधि होती है, यानी कम-से-कम तीन साल तक निवेश बनाये रखना जरूरी है। अगर आपने तीन साल के पहले निवेश की रकम निकाली तो उस पर कर चुकाना होगा। हालाँकि कर बचत के दूसरे तरीकों में निवेश की लॉक-इन अवधि पाँच से 15 साल तक है।
ईएलएसएस में निवेश में इन गलतियों से बचें
देरी से निवेश का नुकसान : शेयर बाजार में सिस्टेमैटिक प्लानिंग यानी एसआईपी सबसे अच्छा तरीका है। वित्त वर्ष के अंतिम महीनों में अक्सर लोग जल्दबाजी में बड़ी रकम ईएलएसएस योजना में डाल देते हैं। इससे अगर बाजार तेजी पर हो तो महँगे मूल्यांकन वाले भावों पर म्यूचुअल फंड यूनिटें मिलती हैं, जिससे बाद में प्रतिफल की दर पर असर पड़ता है।
हर साल नये फंड में निवेश : अक्सर निवेशक हर साल नए ईएलएसएस फंड में निवेश कर देते हैं, जिससे लंबी अवधि में उनके पास ढेरों ईएलएसएस फंड हो जाते हैं। इतने ज्यादा विविधीकरण से निवेश इतना जटिल हो जाता है कि पोर्टफोलिओ पर नजर रखना भी मुश्किल होता है।
एनपीएस
टैक्स बचाने का दूसरा सबसे अच्छा तरीका है नेशनल पेंशन स्कीम यानी एनपीएस में निवेश। पिछले कुछ सालों के लिहाज से इसमें सालाना औसतन 12.5% का प्रतिफल मिला है। अब तक के नियमों के मुताबिक इसमें सेवानिवृत्ति (रिटायरमेंट) की उम्र तक पूरी रकम लॉक-इन रहती है, पर बजट 2017 में इस मामले में कुछ ढील दी गयी है। एनपीएस के नियमों के मुताबिक 40% तक फंड कर-मुक्त है, हालाँकि पीएफआरडीए ने बाकी 60% रकम को भी कर-मुक्त बनाने की माँग की है। जो निवेशक 80सी के 1.5 लाख रुपये के अतिरिक्त भी निवेश पर कर छूट पाना चाहते हैं, उनके लिए एनपीएस अच्छा विकल्प है, क्योंकि इसमें 80सी के ऊपर सालाना 50,000 रुपये तक के निवेश पर कर छूट दी गयी है।
यूलिप
प्रतिफल के लिहाज से निवेश का यह तरीका बहुत आकर्षक नहीं है। लेकिन आँकड़ों के मुताबिक कुछ यूलिप प्लान ने 5 सालों से लगातार सालाना औसतन करीब 11% प्रतिफल दिया है। लेकिन इस निवेश की लागत काफी ज्यादा है, क्योंकि बहुत-से यूलिप में यूनिटें रद्द करने पर मोटी फीस वसूली जाती है, जिससे प्रतिफल कम हो जाता है।
ज्यादातर लोगों को वित्त वर्ष के अंत में ही कर योजना और निवेश की याद आती है। यह सही तरीका नहीं है, क्योंकि इससे गलत निवेश होने का खतरा होता है। इसलिए अभी भले ही आप वित्त वर्ष 2016-17 की कर-बचत के लिहाज से निवेश कर लें, मगर अप्रैल 2017 से ही नये वित्त वर्ष की कर योजना बना लें और पूरे साल नियमित रूप से निवेश करें। ऐसा करने से आप बाजार के उतार-चढ़ाव के बीच भी फायदे में रहेंगे और अचानक बड़ा निवेश करने से आपके घर का बजट भी नहीं डाँवाडोल होगा।
आया मौसम कर बचाने का
(निवेश मंथन, फरवरी 2017)