सुनील मिंगलानी
एमडी, स्किलट्रैक कंसल्टेंसी
मैं पहले भी आपसे कह चुका हूँ कि भारत समेत कई उभरते (इमर्जिंग) बाजार एक नयी बड़ी तेजी (बुल फेज) में प्रवेश कर चुके हैं, जो आने वाले 7-9 साल तक चलने की संभावना है।
इस दौरान अमेरिकी बाजारों में एक बड़ी मंदी की शुरुआत भी हम देख सकते हैं, जो डॉलर में कमजोरी और अन्य वजहों से आ सकती है।
अमेरिका और यूरोप के कुछ देशों को छोड़ कर बाकी विश्व के ज्यादातर बाजारों में यह तेजी रह सकती है, जिनमें प्रमुख रूप से जापान, ब्राजील, पूर्वी एशिया के कुछ देश और दक्षिण पूर्व एशिया में भारत जैसे बाजार गिने जा सकते हैं। अगर विश्व में कोई बड़ी गड़बड़ न हुई तो भारत की अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार के स्वर्णिम युग के दर्शन हम आने वाले 5-7 सालों में कर सकते हैं।
सुदृढ़ घरेलू अर्थव्यवस्था का भारतीय बाजार पर सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा, जबकि विकसित बाजारों में अनिश्चितता का नकारात्मक असर हो सकता है। भारतीय बाजार का प्रदर्शन अगले एक साल में वैश्विक बाजारों के मुकाबले तेज रहेगा।
भारत की जीडीपी विकास दर अगले छह महीने में भारतीय बाजार के लिए सबसे अहम कारक रहेगी। रिजर्व बैंक 2024 में किसी समय ब्याज दरें घटाना शुरू कर सकता है। कुल मिला कर मेरा मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार आने वाले 5-7 साल में नयी ऊँचाइयों पर पहुँच सकते हैं।
सेंसेक्स और निफ्टी के लक्ष्यों को देखें तो छह महीने की अवधि में सेंसेक्स 72,000 और निफ्टी 22,000 के आस-पास पहुँच सकते हैं। अभी साल भर के लिए भी यही लक्ष्य दिख रहे हैं।(निवेश मंथन, जून 2023)