राजेश अग्रवाल
रिसर्च प्रमुख, एयूएम कैपिटल मार्केट
भारत का परिदृश्य आज जितना उज्ज्वल है, उतना पहले कभी नहीं था। आरबीआई के निरंतर प्रयासों के कारण महँगाई में गिरावट के उल्लेखनीय संकेत मिले हैं।
भारत चीन के एक मजबूत विकल्प के रूप में उभर रहा है। यह एक ऐसा कारक है जो विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) और निर्यात को काफी बढ़ायेगा। न सिर्फ घरेलू, बल्कि विदेशी बड़ी कंपनियों ने भी भारत में बड़े निवेश की घोषणाएँ की हैं।
कम महँगाई, दरों में वृद्धि रुकने और भारी बजटीय आवंटन के साथ चीजें बेहतर दिख रही हैं। बाजार में अस्थिरता के झोंके आ सकते हैं, जिनमें थोड़ी मुनाफावसूली हो सकती है। लेकिन निवेशक गिरावट पर खरीदारी की रणनीति अपना सकते हैं, क्योंकि बाजार की संरचना सकारात्मक है। पर केवल स्वच्छ प्रबंधन और अच्छी गुणवत्ता वाली कंपनियों पर ध्यान देना चाहिए, जहाँ आय में वृद्धि की संभावना मजबूत दिख रही हो।
अगले छह महीने में सेंसेक्स 65,700 के स्तर के करीब पहुँच सकता है, जबकि इसी अवधि में निफ्टी के 19,500 के आस-पास रहने का अनुमान है। साल भर में सेंसेक्स का लक्ष्य 66,700 और निफ्टी का लक्ष्य 19,800 का है। निफ्टी का ईपीएस अनुमान चालू वित्त-वर्ष में 954 रुपये और 2024-25 में 1115 रुपये है। वित्त-वर्ष 2023-24 में देश की जीडीपी 6.22% और वित्त-वर्ष 2025 में 6.4% रह सकती है। भारतीय बाजारों के लिए कच्चे तेल का भाव कम होना, अनुकूल आर्थिक आँकड़े, चालू खाता घाटा और वित्तीय घाटा कम होना, मजबूत विदेशी निवेश आना, अनुमान से कम महँगाई और ब्याज दरों में स्थिरता सकारात्मक संकेत होंगे। (निवेश मंथन, जून 2023)