मयूरेश जोशी
निदेशक – रिसर्च, विलियम ओ नील इंडिया
मैं भारतीय बाजार के प्रति आशावादी और सकारात्मक हूँ। यह निश्चित रूप से भारत का दशक और सदी है।
अर्थव्यवस्था मजबूत है और बैंकिंग प्रणाली भी एक दशक में संपत्ति गुणवत्ता पर सबसे कम दबाव के साथ दमदार है। भारत सबसे कम ऋण-जीडीपी अनुपात वाली वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।
सरकार और निजी क्षेत्र दोनों की ओर से बड़े स्तर पर पूँजीगत व्यय (कैपिटल स्पेंडिंग) हो रहा है। पीएलआई योजना से विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) को बढ़ावा मिल रहा है। चीन प्लस 1 से निर्यात में वृद्धि को मदद मिल रही है। सेवा क्षेत्र (सर्विस सेक्टर) भी स्थिर है। सरकारी घाटा और सीएडी नियंत्रण में है। कॉर्पोरेट जगत की आय मजबूत रहने वाली है। रिजर्व बैंक की ओर से ब्याज दरों में कटौती का सिलसिला फरवरी 2024 से शुरू हो सकता है।
पर दूसरी ओर यदि आम राय से कम आय वृद्धि (अर्निंग ग्रोथ) रही, अल नीनो के चलते महँगाई बढ़ी या विभिन्न राज्यों और फिर आम चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले रहे तो इन बातों का बाजार पर विपरीत असर हो सकता है।
निफ्टी का ईपीएस अनुमान चालू वित्त-वर्ष में 925 रुपये और 2024-25 में 1025 रुपये का है। इस कारोबारी साल में देश की जीडीपी वृद्धि 6.25% और 2024-25 में 6.75% रह सकती है। भारतीय बाजार का प्रदर्शन वैश्विक बाजारों की तुलना में उम्मीद से बेहतर रह सकता है। इस साल आईटी, ऊर्जा और धातु क्षेत्र का प्रदर्शन औसत से तेज रहने की आशा है, दूसरी ओर आईटी, मेटल और ऊर्जा (एनर्जी) क्षेत्र सुस्त रह सकते हैं।
सेंसेक्स दिसंबर 2023 तक 66,000 और निफ्टी 20,000 के स्तर तक जा सकता है। एक साल की अवधि में सेंसेक्स 67,500 और निफ्टी 21,000 के आस-पास जा सकता है। (निवेश मंथन, जून 2023)