ऑनाली रूपानी
निदेशक, एआरएम रिसर्च
भारतीय बाजार के लिए जहाँ ऊर्जा क्षेत्र और उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना सबसे बड़े सकारात्मक कारक हैं,
वहीं अमेरिकी अर्थव्यवस्था के कमजोर होने से चिंता हो रही है। मुद्रा (करेंसी) संकट और संप्रभु भुगतान में चूक (सोवरेन डिफॉल्ट) अगले छह महीने में बाजार को प्रभावित करने वाले बड़े वैश्विक कारक बन सकते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक इस साल तो ब्याज दरें स्थिर ही रखेगा और 2024 में ब्याज दरें घटाना शुरू कर सकता है। सेबी की नयी मार्जिन प्रणाली बाजार में दमदार मूल्य निर्धारण (प्राइस डिस्कवरी) के लिए नकारात्मक है। अगले 12 महीनों के दौरान विदेशी बाजारों के मुकाबले भारतीय बाजारों का प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर होगा।
मेरा अनुमान है कि अगले छह महीने में सेंसेक्स 68,000 और निफ्टी 20,150 के स्तर के आस-पास होंगे। वहीं, 12 महीने की अवधि में सेंसेक्स 69,400 और निफ्टी 20,500 के स्तर पर पहुँच सकते हैं। (निवेश मंथन, जून 2023)