पूँजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने शेयर ब्रोकरों और क्लियरिंग सदस्यों पर ग्राहकों के पैसे को बैंकों में गिरवी रखने पर पाबंदी लगा दी है।
माना जा रहा है कि सेबी के इस फैसले से निवेशकों के पैसों और उनके हितों की रक्षा होगी। इस फैसले के जरिये सेबी ब्रोकरों द्वारा ग्राहकों के पैसे का उपयोग करके अतिरिक्त फायदा उठाने पर रोक लगाना चाहता है। अभी ब्रोकर ग्राहकों के पैसे को बैंकों में गिरवी रख कर बदले में निगमों के उच्च राशि के लिए बैंक गारंटी जारी प्राप्त करते हैं। सेबी के अनुसार यह तरीका बाजार और खास कर ग्राहकों के पैसे को जोखिम में डालता है। अलग-अलग हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद सेबी ने ग्राहकों के पैसे से बैंक गारंटी बनाने की अनुमति न देने का फैसला किया। यह फैसला 1 मई से लागू हो जायेगा।
जिन ग्राहकों के पैसे पर मौजूदा बैंक गारंटी चल रही है, वे 30 सितंबर 2023 तक खत्म हो जायेंगी। सेबी के मुताबिक इसका फैसला किसी भी श्रेणी (सेग्मेंट) में ब्रोकरों और क्लियरिंग सदस्यों के प्रोपराइटरी फंड पर लागू नहीं होगा, यानी इन्हें छूट मिलेगी। सेबी ने यह भी कहा है कि स्टॉक एक्सचेंजों और क्लियरिंग निगमों को ग्राहकों के पैसों से जारी बैंक गारंटी की मौजूदा स्थिति का जायजा लेना चाहिए और ग्राहकों को जो सेवाएँ मिल रही हैं, उनमें बिना किसी दिक्कत इन गारंटी को खत्म करना चाहिए।
सेबी ने एक सर्कुलर भी जारी किया है, जिसके अनुसार ब्रोकरों और क्लियरिंग सदस्यों को अपने 'वैधानिक लेखा परीक्षक' द्वारा इसके निर्देश को पूरा करने की पुष्टि करने के लिए एक सर्टिफिकेट देना है। यह सर्टिफिकेट स्टॉक एक्सचेंजों और क्लियरिंग कॉर्पोरेशनों को 16 अक्टूबर 2023 तक जमा करना है। इसके अलावा सेबी ने एक्सचेंजों को निर्देश दिया कि वे सर्कुलर में मौजूद आवधिक निरीक्षण के प्रावधानों का पालन होने का सत्यापन करें। (निवेश मंथन, अप्रैल 2023)