फंडिंग या पूँजी मिलने के लिहाज से साल 2022 का अंत भले ही भारत के नवोद्यमों (स्टार्ट अप) के लिए अच्छा न रहा हो, पर वित्त-वर्ष 2022-23 का अंत एक नयी उम्मीद की किरण लेकर आया है।
स्टार्ट अप कंपनियों की दिक्कतों की शुरुआत फंडिंग मिलने की समस्या के साथ हुई थी, जिसने बाद में बड़ी छँटनी का रूप ले लिया। यह दिक्कत सिर्फ स्टार्टअप तक ही सीमित नहीं रही, बाद में यह दिक्कत भारत समेत दुनिया भर की दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनियों तक भी फैल गयी। साल की शुरुआत बेहद खराब रही थी क्योंकि अमेजन, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी दुनिया की कुछ दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनियों ने बड़े पैमाने पर छँटनियों की घोषणा की थी।
फंडिंग की लागत बढ़ने, कमजोर आर्थिक स्थितियों, शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव और टेक्नोलॉजी शेयरों की रेटिंग में बदलाव से स्टार्ट अप फंडिंग करने वाले निवेशक काफी ज्यादा सतर्क हो गये थे। आलम यह था कि बीते कई महीनों से एंजेल निवेशकों और वेंचर कैपिटल फंडों की ओर से घट रही फंडिंग फरवरी 2023 में नौ साल के निचले स्तर पर पहुँच गयी। हालाँकि वित्त-वर्ष 2022-23 का अंत होते-होते ऐसे संकेत मिले कि शायद आने वाले महीनों में पूँजी की किल्लत से जूझ रही स्टार्ट अप कंपनियों की दिक्कतों का अंत हो सकता है।
दरअसल मार्च 2023 के महीने में फरवरी की तुलना में स्टार्ट अप फंडिंग से जुड़े सौदों में स्थिरता देखने को मिली है। वीसीसी एज की ओर से जारी किये गये आँकड़ों के मुताबिक मार्च में स्टार्ट अप फंडिंग से जुड़े कुल 72 सौदे (डील) हुए हैं। ये सौदे पिछले साल इसी महीने यानी मार्च 2022 के 184 सौदों की तुलना में भले ही कम हों, पर फरवरी 2023 के बराबर हैं। मार्च 2023 में सौदों की संख्या वर्ष 2015 के बाद सबसे निचले स्तर पर रही है।
गौर करने वाली बात यह है कि स्टार्ट अप फंडिंग के सौदों की संख्या में स्थिरता तब आती दिखी है, जब भारतीय शेयर बाजार में थोड़ा ठहराव आया है और साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक ने भी मई 2022 के बाद से रेपो दर यानी अपनी नीतिगत ब्याज दर में अब तक की 2.5% की बढ़ोतरी के बाद पिछली नीतिगत समीक्षा में दरों को स्थिर रखने का फैसला लिया। दरों में स्थिरता से आने वाले महीनों में फंडिंग की लागत में भी कमी की आस जगने लगी है।
मार्च 2023 में सौदों की संख्या में स्थिरता के साथ-साथ सौदों का कुल मूल्य यानी फंडिंग की राशि भी बढ़ी है। मार्च 2023 में सौदों का कुल मूल्य 1.1 अरब डॉलर पर रही है। यह मार्च 2022 के 2.67 अरब डॉलर के मुकाबले आधी भी नहीं है, पर फरवरी 2023 के 48.2 करोड़ डॉलर की तुलना में दोगुने से भी अधिक है।
स्टार्ट अप फंडिंग में हुए सुधार के पीछे फिनटेक यानी वित्तीय तकनीक (फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी) क्षेत्र से जुड़े नवोद्यमों (स्टार्ट अप) का बड़ा योगदान है। साल 2023 की पहली तिमाही में फिनटेक स्टार्ट अप ने कुल 1.2 अरब डॉलर की फंडिंग हासिल की है, जो साल 2022 की चौथी तिमाही (दिसंबर तिमाही) की 52.3 करोड़ डॉलर की फंडिंग से 126 फीसदी या करीब सवा दो गुना ज्यादा है. हालांकि मार्केट इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म Tracxn की रिपोर्ट के अनुसार पहली तिमाही में फिनटेक स्टार्टअप्स की कुल फंडिंग साल 2022 की पहली तिमाही की 2.6 अरब डॉलर की तुलना में 55 फीसदी कम है.
हालाँकि यदि वर्ष 2023 की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) के आँकड़े देखें, तो इन तीन महीनों में भारतीय स्टार्ट अप कंपनियों ने कुल 2 अरब डॉलर जुटाये, जो पिछले वर्ष की पहली तिमाही से 75% कम है। यह ठीक पिछली तिमाही यानी अक्तूबर-दिसंबर 2022 के 2.7 अरब डॉलर से भी कम ही है। यदि वार्षिक आँकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2021 में 30 अरब डॉलर की उच्चतम फंडिंग जुटायी जा सकी थी। वहीं अगले साल 2022 में यह राशि घट कर लगभग 20 अरब डॉलर रह गयी और वर्तमान रुझान बना रहा तो 2023 में शायद केवल 10 अरब डॉलर जुटाये जा सकेंगे। इसलिए मार्च में जो आशाएँ जगी हैं, वे कितनी टिकाऊ हैं और फंडिंग में सुस्ती के पूरे रुझान में आगे कितना बदलाव आयेगा, इसे लेकर अभी एकदम पक्का भरोसा नहीं किया जा सकता।
केवल फिनटेक स्टार्ट अप कंपनियों के जो आँकड़े ट्रैक्सन ने जारी किये हैं, उनके मुताबिक वर्ष 2023 की पहली तिमाही में सुधार हुआ है। इस तिमाही में फिनटेक स्टार्ट अप कंपनियों को 1.2 अरब डॉलर की फंडिंग मिली है, जो अक्तूबर-दिसंबर 2022 की तिमाही में 0.52 अरब डॉलर की थी, जो हाल का सबसे निचला स्तर था। वहीं अक्तूबर-दिसंबर 2021 में फिनटेक स्टार्ट अप 4.5 अरब डॉलर की फंडिंग जुटा सके थे, जो हाल में उनकी फंडिंग की सबसे अच्छी तिमाही थी।
हालाँकि बीती तिमाही में फिनटेक स्टार्ट अप फंडिंग में 126% की बढ़ोतरी सौदों की संख्या में कमी के बावजूद दर्ज की गयी है। साल 2023 की पहली तिमाही में फिनटेक स्टार्टअप्स की फंडिंग से जुड़े केवल 35 सौदे ही हुए, जो साल 2022 की चौथी तिमाही में 57 सौदों के मुकाबले तो कम है ही, साथ ही साल 2022 की पहली तिमाही के 155 सौदों की तुलना में भी करीब 78% कम है। इसकी वजह है इस तिमाही में हुए 10 करोड़ डॉलर से ज्यादा के छह बड़े सौदे। फोनपे, मिन्टिफाई, इन्श्योरेंस देखो और क्रेडिटबी जैसी फिनटेक स्टार्ट अप कंपनियों ने इस तिमाही में 10 करोड़ डॉलर से ज्यादा की पूँजी हासिल की है।
हालाँकि आईपीओ और नये यूनिकॉर्न बनने के हिसाब से फिनटेक स्टार्ट अप उद्यमों के लिए यह तिमाही ठंडी ही रही। एक अरब डॉलर से ज्यादा के मूल्यांकन वाले स्टार्ट अप को यूनिकॉर्न कहा जाता है। साल 2023 की पहली तिमाही में न तो किसी फिनटेक स्टार्ट अप का आईपीओ आया और न ही इनमें कोई नया यूनिकॉर्न बना। पर इस तिमाही में फिनटेक अधिग्रहणों की संख्या में जरूर इजाफा हुआ है। अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में ऐसे कुल छह सौदों की तुलना में 2023 की पहली तिमाही में फिनटेक स्टार्ट अप क्षेत्र में 11 अधिग्रहण किये गये। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में इंटरनेट की बढ़ती पहुँच के साथ संयुक्त रूप से नकदी-रहित (कैशलेस) अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सरकार के जोर ने देश के अंदर इस क्षेत्र को विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
कुल मिला कर शेयर बाजार की उठा-पटक में ठहराव और रिजर्व बैंक की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर रोक लगाने के फैसले से इस बात के शुरुआती संकेत मिल रहे हैं कि स्टार्ट अप फंडिंग से जुड़ी दिक्कतें भले ही अभी पूरी तरह खत्म न हों, पर इसमें कुछ सुधार आना जरूर शुरू हो जायेगा। (निवेश मंथन, अप्रैल 2023)