ए. के. प्रभाकर, रिसर्च प्रमुख, आईडीबीआई कैपिटल:
बाजार में 8-10% की गिरावट आने के बाद अब बाजार के संदर्भ में सकारात्मक हूँ।
साल 2022 तक निफ्टी 22,000 के लक्ष्य की ओर बढ़ेगा। सेंसेक्स का 50,000 का स्तर साल 2020 तक ही आ सकता है। पिछले 4 वर्ष में निफ्टी ईपीएस 400 के आसपास सपाट बनी रही है, लेकिन अब जीएसटी लागू होने के बाद इसमें तेजी आयेगी। ऋण माफी, जीएसटी का संक्रमण काल और भूराजनीतिक तनाव चिंता के सबब हैं।
सेंसेक्स साल भर में 34,000 पर
अमित खुराना, इक्टिी प्रमुख, दौलत कैपिटल :
बाजार के लिए सकारात्मक यह है कि नकदी का अच्छा सहारा मिल रहा है। वैश्विक अर्थव्यवस्था भी सुधर रही है। पर ऊँचे मूल्यांकन को लेकर चिंता है, खास कर मँझोले शेयरों में। अगले छह महीनों में सबसे खास नजर तिमाही नतीजों पर रहेगी। सेंसेक्स छह महीने में 33,000 और साल भर में 34,000 पर जा सकता है। निफ्टी का अगले 12 महीनों का दायरा ऊपर 11,000 और नीचे 8,800 तक का रह सकता है।
साल भर में 15% बढ़त की आशा
अनीता गांधी, निदेशिका, अरिहंत कैपिटल मार्केट्स :
बाजार को लेकर मेरा नजरिया बहुत सकारात्मक है, अगर राज्यों के स्तर पर कर्ज के बोझ का ठीक से ध्यान रख लिया जाये। राज्यों का बढ़ता कर्ज स्तर एक बड़ी चिंता है। साथ ही व्यक्तिगत स्तर पर भी लोगों के ऋण बढ़े हैं। मगर सकारात्मक पहलू यह है कि कच्चे तेल के दाम घट रहे हैं और उपभोक्ता माँग मजबूत है। साल भर में सेंसेक्स और निफ्टी लगभग 15% बढ़त दर्ज कर सकते हैं।
इस साल विकास दर 7.1% होगी
ऑनाली रूपानी, निदेशक, एआरएम रिसर्च :
हम संरचनात्मक तेजी वाले बाजार में हैं। इसमें आने वाली कोई गिरावट दरअसल प्रवेश करने का अच्छा अवसर है। आने वाले समय में जीएसटी पर अमल को ले कर चिंता रहेगी। साथ ही 100 करोड़ रुपये बड़ी नयी परियोजनाओं के अमल में भी सुस्ती चिंताजनक है। मेरा आकलन है कि भारत की विकास दर 2017-18 में 7.1% और इसके अगले साल 7.3% रहेगी। सेंसेक्स का 12 महीने का लक्ष्य 36,300 का है।
जीएसटी से बदलने वाला है खेल
देवेन चोकसी, एमडी, के आर चोकसी इन्वेस्टमेंट :
बाजार सकारात्मक है और मजबूत आय वृद्धि बाजार की बुनियादी मजबूती को बढ़ायेगी। भारतीय अर्थव्यवस्था ठोस जमीन पर खड़ी है और बाजार में तमाम अवसर उपलब्ध हैं। जीएसटी पर अमल से खेल बदलने वाला है। नकदी तरलता में सुधार और अच्छे मानसून से हम उपभोक्ता माँग में अच्छी वृद्धि देख सकते हैं। युद्ध की स्थिति या अमेरिकी ब्याज दरों में अनुमान से ज्यादा वृद्धि बाजार के लिए नकारात्मक होगी।
वैश्विक गिरावट की है चिंता
अजय बग्गा, कार्यकारी चेयरमैन, ओपीसी एसेट सॉल्यूशंस :
लंबी अवधि के लिए मेरा नजरिया बहुत सकारात्मक है। पर छोटी अवधि में मैं मूल्यांकन और अर्थव्यवस्था की स्थिति को देख कर सावधान हूँ। अभी मुख्य चिंताओं में वैश्विक गिरावट की संभावना शामिल है। महँगी हो गयी संपदाओं में आने वाली ऐसी गिरावट से भारतीय बाजार पर भी असर होगा। पर सकारात्मक यह है कि घरेलू खपत में वृद्धि अच्छी है। हालाँकि पहली तिमाही (2017-18) में कंपनियों की आय वृद्धि (अर्निंग ग्रोथ) नकारात्मक रहने वाली है।
सेंसेक्स छह महीने में 30,000 और साल भर में 31,000 पर नजर आने की संभावना लगती है। अगले 12 महीनों में निफ्टी 9,800 के ऊपर जाने की उम्मीद कम है, जबकि नीचे यर 8,500 तक फिसल सकता है। सेंसेक्स 35,000 तक जाने में साल 2020 तक का समय ले सकता है।
निफ्टी 9600-8800 के बीच रहेगा
आनंद टंडन, निदेशक, ग्रिफन एडवाइजर्स :
जीएसटी लागू होने के चलते कुछ समस्याएँ आने की आशंका है। आने वाले छह महीनों में सबसे मुख्य कारक तिमाही नतीजों का होगा। पहली तिमाही में मुझे 5-10% आय वृद्धि होने की संभावना लगती है। सेंसेक्स अगले छह महीनों में घट कर 29,000 पर जा सकता है। साल भर में यह वापस 31,000 पर रह सकता है। मेरे अनुमान से अगले 12 महीनों में निफ्टी का दायरा ऊपर 9,600 से नीचे 8,800 के बीच रहेगा। साल 2018 में सेंसेक्स 35,000 पर पहुँच सकता है, जबकि 2020 तक 40,000 और 2025 तक 50,000 का स्तर आने की उम्मीद रहेगी।
अब सुधारों की धीमी होगी रफ्तार
अरविंद पृथी, संस्थापक, एंडरसन कैपिटल :
अभी बाजार को लेकर मैं सावधान, मगर आशावादी हूँ। अगले छह महीनों में सबसे महत्वपूर्ण कारक जीएसटी पर अमल का होगा। तेल के घटते दामों से निर्यात पर असर हो सकता है। अब 2019 के चुनावों में केवल दो साल बचे हैं, इसलिए सुधारों की गति धीमी होने की संभावना है। निजी पूँजीगत खर्च में तेजी नहीं आयी है। रुपये की मजबूती भी चिंता का कारण है। एनपीए पर कदम और अच्छा मॉनसून सकारात्मक पहलू हैं।
चुनिंदा शेयरों में मिलेंगे अवसर
अविनाश गोरक्षकर, रिसर्च प्रमुख, ज्वाइनड्रे कैपिटल सर्विसेज :
निकट भविष्य में बाजारों में एक ठहराव (कंसोलिडेशन) आयेगा, लेकिन चुनिंदा शेयरों में मिलने वाले अवसर बाजार में सफलता की कुंजी होंगे। मँझोले शेयरों का प्रदर्शन बाजार से तेज रहने की आशा है। कुल मिला कर परिदृश्य सकारात्मक बना हुआ है। बाजार के लिए घरेलू नकदी और वित्त वर्ष 2017-18 में अच्छी आय वृद्धि की उम्मीद सकारात्मक बातें हैं, जबकि जीएसटी का असर और किसानों की कर्ज माफी चिंता का विषय हैं।
2020 तक सेंसेक्स 40,000 पर
दिलीप भट, जेएमडी, प्रभुदास लीलाधर समूह :
मेरी सलाह है कि निवेशक अपना निवेश बनाये रखें। सेंसेक्स साल भर में 33,000-34,000 तक जा सकता है, जबकि 35,000 का स्तर आने में 2018 तक का समय लगेगा। साल 2020 तक सेंसेक्स 40,000 का हो सकता है। भारत तुलनात्मक रूप से सबसे तेज अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। बाजार में घरेलू निवेश प्रवाह काफी तेज है। हालाँकि पूँजीगत विस्तार और रोजगार वृद्धि में अभी धीमापन है।
निफ्टी 10,200-8800 के बीच रहेगा
हेमेन कपाडिय़ा, सीईओ, चार्टपंडित :
अगर बाजार में कुछ गिरावटें आने पर मेरा नजरिया सकारात्मक होगा। मैं सेंसेक्स को अगले छह महीनों में 30,000 पर ही देख रहा हूँ, हालाँकि साल भर में यह 33,000 पर जा सकता है। अगले 12 महीनों में निफ्टी का शिखर 10,200 पर बन सकता है, जबकि नीचे तलहटी 8,800 पर बन सकती है। पहली तिमाही के कारोबारी नतीजों में आय वृद्धि दर 10-15% पर रहने की उम्मीद है।
सितंबर-मार्च के बीच बाजार होगा तेज
जगदीश ठक्कर, निदेशक, फॉच्र्यून फिस्कल :
मेरा मानना है कि बाजार सितंबर 2017 तक एक दायरे में रहेगा और उसके बाद मार्च 2018 तक इसमें तेजी रहेगी। जीएसटी और बुनियादी ढाँचे से संबंधी सुधार बाजार के लिए सकारात्मक हैं। पर सरकारी बैंकों के फँसे कर्जों (एनपीए) और भूराजनीतिक तनावों को लेकर चिंता है। अगले 12 महीनों में दवा, आईटी और बुनियादी ढाँचा क्षेत्रों के शेयर अच्छा प्रदर्शन करेंगे। पीएसयू बैंक और तेल-गैस शेयर कमजोर रहेंगे।
बनी रहेगी बाजार की चमक-दमक
के.के. मित्तल, वीपी, वीनस इंडिया एसेट :
भारतीय बाजार में चमक-दमक बनी रहने की उम्मीद है। इसमें खुदरा भागीदारी आगे और बढऩे की संभावना लगती है। स्थिर सरकार, जीएसटी पर अमल, लगातार आर्थिक सुधार, ईंधन की निचली कीमतें, सार्वजनिक निवेश, महँगाई कम रहने की आशा और अनुकूल ब्याज दरें बाजार के लिए सकारात्मक बातें हैं। विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाओं में भी अब हरियाली के अंकुर दिखने लगे हैं।
सरकार और अर्थव्यवस्था में स्थिरता
मोनल देसाई, वीपी, कोजेंसिस इन्फॉर्मेशन सर्विसेज :
2019 के आम चुनावों तक अगर हम मौजूदा रुख को कायम रख सकें तो निवेश प्रवाह जारी रहेगा और इससे पूँजीगत व्यय के चक्र में तेजी आयेगी। इससे मौजूदा सरकार की निरंतरता सुनिश्चित होगी और अर्थव्यवस्था को भी एक स्थिरता मिलेगी। इससे जीडीपी और अर्थव्यवस्था का विस्तार सुनिश्चित होगा। जीएसटी का लागू होना और बुनियादी ढाँचे पर खर्च बाजार के लिए सकारात्मक है।
साल 2020 तक सेंसेक्स 50,000 पर
गौरव दुआ, रिसर्च प्रमुख, शेयरखान :
मेरी सलाह है कि जीएसटी के चलते अगर बाजार में उतार-चढ़ाव आये तो अच्छे शेयरों को खरीदने के अवसर के रूप में इसका इस्तेमाल करें। आने वाले वर्षों में बाजार तेज रहेगा और मुझे आशा है कि 2020 तक ही सेंसेक्स 50,000 का होगा। हालाँकि अभी कंपनियों की आय (अर्निंग) में वृद्धि लौटने और वैश्विक उथल-पुथल को लेकर कुछ चिंताएँ जरूर हैं, पर भारत में अर्थव्यवस्था स्थिर है।
लंबी अवधि के चार्ट पर तेजी
हितेंद्र वासुदेव, ट्रेंड रिपोर्टर :
चार्ट अभी कुल मिला कर तेजी दिखा रहे हैं, खास कर मासिक और तिमाही चार्ट। 21 ईएमए, 34 ईएमए, 55 ईएमए और 89 ईएमए के संकेत अच्छे हैं, और जब तक यह संरचना बनी हुई है, तब तक बाजार में तेजी का दौर बना रहने की उम्मीद है। छोटी से मध्यम अवधि में दैनिक और साप्ताहिक चार्ट पर नजर रखें और इन औसतों में आने वाली गिरावट को निवेश बढ़ाने के अवसर के रूप में इस्तेमाल करें।
पहली तिमाही में आय वृद्धि 10-15%
जितेंद्र पांडा, एमडी एवं सीईओ, पियरलेस सिक्योरिटीज :
यह भारतीय बाजार का सबसे अच्छा समय है, जब बेहतर लाभ के लिए निवेश करना चाहिए। भारत की जनांकिकी (डेमोग्राफी) और सुधारों को आगे बढ़ाती आक्रामक सरकार का होना बाजार कि लिए सकारात्मक है। पहली तिमाही (2017-18) के नतीजों में आय (अर्निंग) वृद्धि दर 10-15% रहने का अनुमान है। अगले 12 महीनों में एफएमसीजी, बिजली और वित्तीय शेयर अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
निफ्टी तीन वर्षों में 11,000 पर
कुणाल सरावगी, सीईओ, इक्टिी रश :
वैश्विक बाजारों की तुलना में भारतीय बाजार का बेहतर प्रदर्शन जारी रहने की आशा है। चार्ट संकेत दे रहे हैं कि निफ्टी अगले तीन वर्षों में 11,000 के लक्ष्य को पार कर लेगा। मेरी सलाह है कि अच्छे मँझोले शेयरों में निवेश करें। अगले छह महीनों में निफ्टी 10,000 पर और साल भर में 10,500 पर पहुँच सकता है। नीचे की ओर निफ्टी अगले 12 महीनों में 9,200 पर तलहटी बना सकता है।
अगले छह महीने होंगे मंदी के
निखिल कामत, सह-संस्थापक, जेरोधा :
बाजार के लिए कुल मिला कर तेजी का नजरिया है, पर छोटी अवधि) अगले छह महीने) के लिए मैं गिरावट की संभावना देख रहा हूँ। अगले छह महीनों में सेंसेक्स 29,000 और निफ्टी 8,900 तक फिसल सकते हैं। वहीं साल भर बाद भी सेंसेक्स 29,400 और निफ्टी 9,000 पर रह सकते हैं। अगले 12 महीनों में निफ्टी 9,800 के ऊपर जाने की संभावना कम है। नीचे यह 8,800 पर तलहटी बना सकता है।
आय वृद्धि को लेकर है चिंता
निपुण मेहता, संस्थापक, ब्लूओशन कैपिटल :
मध्यम से लंबी अवधि में बाजार के लिए मेरा सकारात्मक नजरिया है। नकदी प्रवाह, जीएसटी, अच्छा मॉनसून और सरकारी खर्च बाजार के लिए सकारात्मक हैं। मगर कंपनियों की आय में अब तक सुधार नहीं दिखना, पूँजीगत खर्च और ऋण वृद्धि में धीमापन और कॉर्पोरेट क्षेत्र में बैलेंस शीट से ऋण बोझ घटने की गति सुस्त होना चिंता वाले प्रमुख पहलू हैं। साल भर में सेंसेक्स 34,000 पर पहुँच सकता है।
एक साल में सेंसेक्स 37,000 पर
नितेश चंद, रिसर्च प्रमुख, सिकेस ऐंड रे इक्टिीज :
बाजार अपने दायरे के ऊपरी स्तरों पर जमने (कंसोलिडेशन) की कोशिश कर रहा है। यह चरण बीत जाये, तो तेजी का अगला दौर शुरू हो सकता है जिसमें सूचकांक नये शिखर बना सकते हैं। सेंसेक्स अगले छह महीनों में 35,000 और साल भर में 37,000 पर जा सकता है। म्यूचुअल फंडों के जरिये खुदरा निवेशकों की भागीदारी बढ़ी है। कंपनियों की आय वृद्धि भी बाजार के लिए सकारात्मक होगी।
लंबी अवधि में बाजार रहेगा तेज
पंकज जैन, निदेशक, एसडब्लू कैपिटल :
मुझे लंबी अवधि के दौरान बाजार तेज लग रहा है। अर्थव्यवस्था में भी सुधार जारी है, जिससे भारतीय जीडीपी वृद्धि दर मार्च 2018 तक 7.5% हो सकती है। अगले 12 महीनों में बैंकिंग, ऑटो और हाउसिंग फाइनेंस शेयरों के अच्छे कारोबार की उम्मीद है। इस दौरान सेंसेक्स 35,000 और निफ्टी 10,400 तक चढ़ सकता है। अमेरिकी राजनीतिक मुद्दों सहित कुछ वैश्विक अड़चनें सामने जरूर हैं।
सेंसेक्स छू सकता है 37,000
प्रदीप सुरेका, सीईओ, कैलाश पूजा इन्वेस्टमेंट :
भारतीय बाजार इस समय मजबूत स्थिति में है। सेंसेक्स अगले 12 महीनों में 37,000 और साल 2020 तक 40,000 का आँकड़ा छू सकता है। निफ्टी में भी एक साल में 10,000 पर पहुँचने की क्षमता है। इस दौरान इसका शिखर 10,200 पर बन सकता है, जबकि नीचे 8,800 के स्तर तक फिसल सकता है। छह महीनों में भारतीय बाजार के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारक कंपनियों के तिमाही नतीजों का होगा।
साल भर में सेंसेक्स का लक्ष्य 40,000
प्रकाश गाबा, सीईओ, प्रकाशगाबा डॉट कॉम :
बाजार में एक सकारात्मक रुख है, जिसमें सेंसेक्स दिसंबर तक 35,000 और जून 2018 तक 40,000 के स्तरों को छू सकता है। वहीं निफ्टी भी साल भर में 11,000 तक ऊपर जाने की संभावना है। उम्मीद है कि यह नीचे 9,400 का स्तर नहीं तोड़ेगा। अगले 12 महीनों में एफएमसीजी और बैंकिंग शेयरों के शानदार प्रदर्शन की उम्मीद है, मगर आईटी में कमजोरी आ सकती है।
भारतीय बाजार मधुर स्थिति में
निताशा शंकर, रिसर्च प्रमुख, यस सिक्योरिटीज :
भारतीय बाजार चौतरफा तेजी के बीच एक मधुर स्थिति में हैं। लंबी अवधि के परिदृश्य से बाजार में निवेश बनाये रखने में ही समझदारी है। अनुकूल जनांकिकी के दम पर घरेलू बुनियादी मजबूती, महँगाई और ब्याज दरों में नरमी, आर्थिक सुधार और व्यापार सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) का बढऩा सकारात्मक पहलू हैं। हालाँकि पहली तिमाही (2017-18) में आय वृद्धि दर 0-5% के बीच ही रहने की संभावना है।
अर्थव्यवस्था से आगे दौड़ा बाजार
पी.के.अग्रवाल, निदेशक, पर्पललाइन इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स :
बाजार वास्तविक अर्थव्यवस्था की तुलना में कहीं आगे तक दौड़ चुका है। इसलिए अब आगे की बढ़त से पहले यह कुछ दम लेने के लिए थमेगा। ऐसी गिरावट की अवधि अर्थव्यवस्था में सुधार की गति पर निर्भर करेगी। अभी अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद दिख रही है। लेकिन बैंकों के एनपीए और जीएसटी के कारण आने वाली बाधाएँ बाजार की चिंता का सबब होंगी।
अच्छे मॉनसून से बाजार को सहारा
पंकज पांडेय, रिसर्च प्रमुख, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज :
इस समय चल रहे सुधारों से अर्थव्यवस्था में एक सकारात्मक अंतर्धारा है। कमोडिटी के भाव स्थिर हैं और मॉनसून सामान्य रहने का अनुमान है, जिससे घरेलू इक्टिी बाजार सकारात्मक नजर आ रहा है। हालाँकि भूराजनीतिक तनावों और कच्चे तेल की कीमतों में काफी गिरावट चिंता का विषय है। मगर अच्छे मॉनसून के अलावा ऑटो और बैंकिंग शेयरों से बाजार को सहारा मिलेगा। एक साल की अवधि में सेंसेक्स 34,500 और निफ्टी 10,420 तक चढ़ सकते हैं।
सेंसेक्स 35,000 के स्तर को 2018 में छू सकता है, जबकि 40,000 का स्तर 2020 तक और 50,000 का स्तर 2025 तक आ जाने की उम्मीद रहेगी। अगले 12 महीनों के नजरिये से मुझे ऑटो, बैंकिंग और एफएमसीजी क्षेत्र अच्छे लग रहे हैं, जबकि मेटल और रियल एस्टेट के शेयरों में कमजोरी नजर आती है।
इन्फ्रा, खाद और कृषि शेयरों से उम्मीद
प्रकाश दीवान, इक्टिी प्रमुख, आल्टामाउंट कैपिटल :
मैं चुनिंदा शेयरों को लेकर सकारात्मक हूँ, क्योंकि कुल मिला कर अभी बाजार ऊँचे मूल्यांकन पर है। सरकारी घाटे पर अच्छा नियंत्रण होना सकारात्मक है। साथ ही निजी कंपनियों की बैलेंस शीट मजबूत है और उपभोक्ताओं के पास खर्च के लिए अतिरिक्त आय है। बुनियादी ढाँचा (इन्फ्रास्ट्रक्चर), खाद और कृषि, पूँजीगत वस्तु (कैपिटल गुड्स) और रसायन (केमिकल) शेयर अगले एक साल में अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
जून 2018 तक सेंसेक्स 39,000 और निफ्टी 12,200 का स्तर छू सकते हैं। मेरा मानना है कि सेंसेक्स 40,000 के स्तर पर साल 2018 में ही पहुँच जायेगा। हालाँकि अभी यह कहना मुश्किल लगता है कि 50,000 के मुकाम को यह कब छू सकेगा।
सीमित दायरे में रहेगा बाजार
आर. के. गुप्ता, प्रबंधक निदेशक, टॉरस एसेट मैनेजमेंट :
भारतीय शेयर बाजार काफी खिंच गया है और थकान के संकेत दिख रहे हैं। इसलिए बाजार कुछ समय तक एक दायरे में रहने की संभावना है। वैश्विक बाजारों में ज्यादा नकदी, भारत में जीएसटी लागू होना, बेहतर मानसून और देश में राजनीतिक स्थिरता बाजार के लिए अच्छे संकेत हैं। नकारात्मक पहलुओं में ऊँचे एनपीए, कर्ज की कमजोर माँग, आईआईपी में संभावित गिरावट और भूराजनीतिक स्थिति शामिल हैं।
पहले गिरावट, उसके बाद आयेगी तेजी
राजेश सतपुते, एसोसिएट डायरेक्टर, मनीलीसियस कैपिटल :
बाजार तेजी के दौर में है और इसकी प्राथमिक दिशा चढ़ाव की है। लेकिन इसी के साथ बाजार मौजूदा स्तर पर अत्यधिक खिंचा हुआ दिख रहा है और निकट भविष्य में इसमें गिरावट की संभावना है। हमारा अनुमान है कि निफ्टी अगले छह महीनों में पहले 9,000 के स्तर की ओर फिसलेगा, उसके बाद जून 2018 तक 10,200 के स्तर की ओर चढ़ेगा। सेंसेक्स साल भर में 34,000 पर होगा।
सेंसेक्स साल भर में 36,000 पर
संदीप सभरवाल, आस्कसंदीपसभरवाल :
शेयर बाजार एक साल में मुझे सुदृढ़ ही लगता है। इसे लेकर चिंता तभी होगी, जब वैश्विक बाजारों में बिकवाली जोर पकड़े। पर भारतीय बाजार के लिए सबसे सकारात्मक पहलू इसकी अर्थव्यवस्था की मजबूती है। मेरा अनुमान है कि सेंसेक्स अगले छह महीने में 34,000 और अगले साल भर में 36,000 पर पहुँच सकता है। निफ्टी छह महीने में 10,400 और साल भर में 11,000 पर पहुँचने की उम्मीद है।
कच्चे तेल में नरमी से महँगाई नीचे
सौरभ जैन, रिसर्च प्रमुख, एसएमसी ग्लोबल :
अर्थव्यवस्था के व्यापक आँकड़ों में सुधार, जीएसटी लागू होने, मानसून में प्रगति और उससे भारतीय कंपनियों की आय में सुधार की आशा ने निवेशकों का भरोसा कायम रखा है। कच्चे तेल की कीमतों में नरमी से महँगाई कम रहेगी। यदि महँगाई दर प्रमुख देशों के केंद्रीय बैंकों के लक्ष्यों से नीचे बनी रहती है तो उन देशों में मौद्रिक ढील बनी रहेगी। इससे बाजारों में तेजी की धारणा जारी रहने का अनुमान है।
बाजार में आयेगी भारी गिरावट
शरद अवस्थी, रिसर्च प्रमुख, स्पा सिक्योरिटीज :
एक बड़ी गिरावट आने से पहले अभी बाजार थोड़ा और ऊपर चढऩे की संभावना है, पर सावधान रहें और सुरक्षा तलाशें। आगे मुझे वैश्विक वित्तीय संकट की चिंता है, हालाँकि भारत का मजबूत नेतृत्व एक सकारात्मक पहलू है। सेंसेक्स को मैं जून तक 24,000 पर फिसलता देख रहा हूँ, जबकि साल भर बाद यह वापस 27,000 पर हो सकता है। अगले 12 महीनों में निफ्टी की तलहटी 8,000 पर बनती दिख रही है।
आगामी तिमाहियों में बनी रहेगी तेजी
राजेश अग्रवाल, रिसर्च प्रमुख, एयूएम कैपिटल मार्केट :
बढ़ती ग्रामीण आय से उपभोग माँग में सुधार, सातवें वेतन आयोग, ब्याज दरों में नरमी और सरकारी व्यय जारी रहना आगामी तिमाहियों में बाजार में तेजी रहने में मदद करेगा। अमेरिकी आर्थिक नीतियाँ और प्रमुख केंद्रीय बैंकों की मौद्रिक नीतियाँ एफआईआई निवेश को प्रभावित करेंगी। राजकोषीय सुधार, कम महँगाई, निर्यात वृद्धि, एफडीआई, जीएसटी और स्थिर सरकार दीर्घावधि इक्टिी निवेश के लिए शुभ हैं।
तेल, धातु की निचली कीमतों का लाभ
राजेश तांबे, बाजार विश्लेषक :
कच्चे तेल और धातु कीमतों में नरमी से हम कम लागत पर विश्वस्तरीय बुनियादी ढाँचा बनाने और मुद्रास्फीति दर 5% से नीचे रखने में समर्थ होंगे। मुद्रा बैंक के लिए मुद्रा विधेयक का पारित होना खेल बदलने वाला कदम साबित होगा। देश में 5.8 करोड़ एसएमई 12.8 करोड़ लोगों के लिए रोजगार पैदा कर रहे हैं। दिवालिया कानून और एनपीए वाली कंपनियों के नाम सार्वजनिक करना भी असरदार कदम हैं।
सेंसेक्स 12 महीनों में 38,000 पर
संजय सिन्हा, संस्थापक, साइट्रस एडवाइजर्स :
घरेलू निवेशकों से आने वाली नकदी का प्रवाह मजबूत है, जो भारतीय बाजार को महँगा बनाये रखेगा। आय वृद्धि में तेजी आती दिख रही है। साथ ही नीतिगत सुधार भी जोर पकड़ रहे हैं। हालाँकि भूराजनीतिक तनावों और कमोडिटी भावों में तेज गिरावट को लेकर चिंता है। सेंसेक्स 12 महीनों में 38,000 पर जा सकता है। अगले छह महीनों के लिहाज सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला कारक तिमाही नतीजों का रहेगा।
गिरावट आने पर करें खरीदारी
शाहिना मुकदम, निदेशक, वरुण कैपिटल एडवाइजर्स :
बाजार में गिरावट आने पर खरीदना सबसे बेहतर होगा। अगले 12 महीनों के निवेश के लिए हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईसीआईसीआई बैंक, अरबिंदो फार्मा और फोर्टिस हेल्थकेयर मेरे चुनिंदा नाम हैं। इस दौरान एफएमसीजी और कंज्यूमर ड्यूरेबल शेयर बेहतर प्रदर्शन करेंगे। जीडीपी वृद्धि और बुनियादी ढाँचे पर खर्च बाजार को मजबूती दे रहे हैं। पर इससे पहले कम वृद्धि और कंपनियों की आय (अर्निंग) ने निराश किया है।
निवेश प्रवाह बने रहने तक अच्छा
शर्मिला जोशी, चेशायर इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स :
जब तक निवेश प्रवाह नहीं रुकता, तब तक भारतीय बाजार अच्छा है। ब्याज दरों में कटौती की आशा और कच्चे तेल के गिरते दाम बाजार के लिए सकारात्मक हैं। छह महीनों के लिए कच्चे तेल और वैश्विक अर्थव्यवस्था का हाल बाजार के लिए सबसे अहम कारक होगा। जीएसटी से व्यवधान, अमेरिकी ब्याज दरों में वृद्धि और एफआईआई निवेश में उतार-चढ़ाव बाजार के लिए परेशानियाँ ला सकते हैं।
स्थिर सरकार होना सकारात्मक
सिमी भौमिक, विश्लेषक, सिमीभौमिक डॉट कॉम :
इस समय एक स्थिर सरकार का होना बाजार के लिए सबसे सकारात्मक पहलू है। लेकिन अगर कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो यह बाजार के लिए अच्छा नहीं रहेगा। बैंकिंग और ऑटो शेयर एक साल की अवधि में सबसे अधिक फायदेमंद रह सकते हैं, जबकि आईटी और फार्मा कमजोर लग रहे हैं। साल भर में निफ्टी का शिखर लगभग 10,200 पर बन सकता है, जबकि तलहटी 9400-9450 के आसपास रहेगी।
अगले 4-5 सालों में शानदार लाभ
सुब्रमण्यम पशुपति, मैनेजिंग पार्टनर, द कैपिटल सिंडिकेट :
सुनियोजित निवेश योजना (एसआईपी) में पैसा लगायें या अच्छी गुणवत्ता वाले शेयर पहचान कर नपा-तुला निवेश करें और बाजार में टिके रहें। अगले 4-5 वर्षों में शेयर बाजार से शानदार लाभ मिलने की उम्मीद है। इस समय घरेलू फंडों का निवेश, अच्छा मॉनसून और जीएसटी भारतीय बाजार के लिए मुख्य सकारात्मक बातें हैं। अगले 12 महीनों में सीमेंट, लॉजिस्टिक्स और चुनिंदा पीएसयू बैंक अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
डॉलर भावों में अब भी बाजार मंद
सुनील मिंगलानी, निदेशक, स्किलट्रैक कंसल्टेंसी :
निफ्टी पिछले 3 सालों से एक बड़े दायरे में है, जो 1500-2000 अंकों का भी हो सकता है। आने वाले 2-3 वर्षों में भी यह दायरा टूटने की संभावना नहीं लगती है। डॉलर भाव में भारतीय बाजार आज भी 2008 के उच्चतम स्तरों से 15% नीचे है। हमारा बाजार उस समय शुरू हुई गिरावट के अंतिम दौर की तरफ बढ़ रहा है। डॉलर के भावों में बाजार में तेजी का दौर शुरू होने में अभी 3-4 साल लगेंगे।
डीआईआई के पैसे से चल रहा बाजार
विजय भूषण, पार्टनर, भारत भूषण ऐंड कंपनी :
जीएसटी का क्रियान्वयन, एफआईआई निवेश, एनपीए को सुलटाया जाना, किसानों की कर्ज माफी का असर और ब्याज दरों की गति जैसे कारक मोटे तौर पर भारतीय शेयर बाजार के परिदृश्य को निर्धारित करेंगे। एसआईपी और डीआईआई के पैसे का बाजार में आना और निम्न ब्याज दरें बाजार के लिए सकारात्मक हैं। दूसरी ओर एनपीए, जीएसटी और कर्जमाफी बाजार के लिए मुख्य चुनौतियाँ हैं।
विकास दर पर रहेगी नजर
विनय कुमार गुप्ता, निदेशक, ट्रस्टलाइन सिक्योरिटीज :
बाजार पर हमारा नजरिया सकारात्मक है और हम 12-15% वार्षिक चक्रवृद्धि दर से बढ़त मिलने की आशा करते हैं। अगले छह महीनों में बाजार के लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि भारत की विकास दर कितनी रहती है। मुझे आशा है कि सेंसेक्स जून 2018 तक 33,000-35,000 के स्तरों पर पहुँच सकता है। निफ्टी के लिए अगले 12 महीनों का दायरा ऊपर 10,800 और नीचे 8,800 तक का लगता है।
जीएसटी का असर कहीं उल्टा न हो
योगेश मेहता, वीपी, मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज :
बाजार काफी सकारात्मक है, जिससे अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है। मेरा मानना है कि सेंसेक्स 40,000 या 50,000 के स्तर साल 2020 तक ही हासिल कर सकता है। अभी मजबूत घरेलू नकदी प्रवाह, रुपये की मजबूती, कच्चे तेल की निचली कीमतें, कम ब्याज दरें और कम महँगाई मुख्य सकारात्मक पहलू हैं। हालाँकि अगर चिंता यह है कि जीएसटी से कहीं अर्थव्यवस्था पर उल्टा असर न हो जाये।
निफ्टी के लिए 10,000 पर बाधा
सुरेंदर कुमार गोयल, निदेशक, बोनांजा पोर्टफोलिओ :
कैलेंडर वर्ष 2015 और 2016 में लगातार सपाट रहने के बाद निफ्टी ने इस वर्ष अब तक 18% बढ़त हासिल की है। बाजार ने तेजी के बीच में आने वाली गिरावट अब तक नहीं देखी है, इसलिए आगे एक गिरावट आ सकती है। निफ्टी के लिए 10,000-10,200 पर एक बड़ी बाधा है। निम्न महँगाई दर से ब्याज दरों में कटौती हो सकती है। जीएसटी मध्यम और दीर्घकाल में जीडीपी वृद्धि दर को सुधारेगा।
सालाना 15-20% लाभ की आशा
विजय चोपड़ा, एमडी और सीईओ, इनोच एडवाइजर्स :
इस समय बाजार एक दीर्घकालिक तेजी के रुझान में है। इसलिए यह लगातार सालाना आधार पर 15-20% प्रतिफल (रिटर्न) दे सकता है। बाजार में नकदी काफी आ रही है और अन्य संपदा वर्ग कम लाभ दे रहे हैं। आईपीओ बाजार सुधरा है। बेहतर मॉनसून से ग्रामीण मांग तेज होगी। चालू खाते का घाटा और राजकोषीय (फिस्कल) घाटा भी कम है। इसलिए साल भर में सेंसेक्स 35,000 तक जा सकता है।
सुधारों को आगे बढ़ा रही है सरकार
विवेक नेगी, निदेशक, फिनेथिक वेल्थ सर्विसेज :
छोटी अवधि में बाजार में गिरावटें आ सकती हैं, लेकिन लंबी अवधि का परिदृश्य सकारात्मक बना हुआ है। जीएसटी पर अमल, बाजार का मूल्यांकन और वैश्विक राजनीतिक स्थिति को लेकर चिंता है। मगर सुधारों को आगे बढ़ाने वाली सरकार और घरेलू नकदी का प्रवाह बाजार के लिए सकारात्मक पहलू हैं। अगले छह महीनों में बाजार पर सबसे ज्यादा प्रभाव कच्चे तेल के भावों और वैश्विक अर्थव्यवस्था का होगा।
सर्वेक्षण की कार्यविधि
यह सर्वेक्षण भारतीय शेयर बाजार में सक्रिय ब्रोकिंग फर्मों एवं स्वतंत्र विश्लेषकों के बीच आमंत्रण के आधार पर 21-29 जून 2017 के बीच किया गया है। इसमें व्यक्त किये गये विचार बाजार नियामक सेबी की ओर से निर्धारित मानकों के अनुरूप विश्लेषकों के व्यक्तिगत स्पष्टीकरण और इस पत्रिका के सभी आलेखों पर लागू स्पष्टीकरण के अधीन हैं। इस सर्वेक्षण के परिणाम बाजार की दिशा के बारे में विश्लेषकों के बहुमत की मौजूदा राय को दर्शाने का एक प्रयास हैं, लेकिन यह कतई आवश्यक नहीं है कि बाजार आने वाले समय में इन्हीं अनुमानों के अनुरूप चले।
(निवेश मंथन, जुलाई 2017)