आशु मदान, प्रेसिडेंट (इक्विटी), रेलिगेयर सिक्योरिटीज :
बाजार में अभी थोड़ा उतार-चढ़ाव बना रहेगा, मगर मुझे बाजार में कोई दिक्कत लग नहीं रही।
हालाँकि निवेशकों में डर ज्यादा है, क्योंकि इतने ऊँचे स्तरों पर लोग डर जाते हैं। मँझोले (मिड कैप) शेयरों में खरीदारी जरूर है, और इनमें एक सीमा से ज्यादा खरीदारी (ओवरबॉट) वाली स्थिति भी बन गयी है, मगर मुख्य सूचकांक के स्तर पर मुझे कोई दिक्कत नहीं दिखती। यहाँ से ज्यादा गिरावट की संभावना नहीं लग रही है।
अभी अमेरिका में ट्रम्प से विवाद या इस तरह की चीजों से लोगों को घबराहट हो जाती है और ऐसे में जो कमजोर निवेशक होंते हैं वे बाजार से बाहर निकल जाते हैं। इसके चलते जो कुछ तात्कालिक सौदे होते हैं, वे कट जाते हैं। उसके बाद फिर ठीक रहेगा बाजार।
हालाँकि अभी बाजार को ज्यादा ऊपर ले जाने वाला कोई कारक नहीं दिख रहा है। मुझे इस पूरे कैलेंडर वर्ष के दौरान भी निफ्टी 10,000 के स्तर पर जाने की उम्मीद नहीं है। यह इतनी आसानी से वहाँ तक नहीं चला जायेगा। अभी लोगों की सहभागिता ज्यादा नहीं रही है, लोग बिकवाल (शॉर्ट) रहे हैं। जब भी ऐसी तेजी आती है तो उसमें बिकवाली सौदे कटना (शॉर्टकवरिंग) बहुत बड़ा पहलू होता है। लेकिन 100 अंक की गिरावट के बाद 2 दिनों का ठहराव (कंसोलिडेशन) रहा और बिकवाली सौदे कट गये तो उसके साथ ही बाजार के लिए ऊपर का घर बंद हो गया।
लोगों के बिकवाली सौदे सूचकांक में बने हुए हैं, मगर शेयरों में खरीदारी है। पिछले एक-डेढ़ महीने से रुझान यह चल रहा है कि ऊपर के हर स्तर पर सूचकांक में बिकवाली सौदे बनते हैं, लेकिन कोई न कोई खबर आती है और शेयर में खरीदारी होती है। ऐसे में शेयरों में खरीदारी सौदे बने हुए हैं, जबकि सूचकांक में बिकवाली सौदे हैं। इसलिए मुझे सूचकांक में कोई बड़ी गिरावट नहीं लगती, पर कुछ शेयरों में गिरावट आ रही है।
छोटे शेयरों के सूचकांक का मूल्यांकन भले ही ऊँचा दिख रहा हो, पर आज की तारीख में जीएमआर, यूनिटेक, सुजलॉन वगैरह में भी दिक्कत नहीं लगती। मैं छोटे शेयरों में केवल ज्यादा लोकप्रिय शेयरों के बारे में बता रहा हूँ। बाकियों में कुछ घट जाये तो बात अलग है, पर अच्छे शेयर नहीं घटेंगे। सुजलॉन नया भाव बनायेगा। ज्यादा शेयरों में इतनी मारा-मारी नहीं लगती है।
कुछ लोकप्रिय मँझोले शेयर, जैसे अरविंद, वोल्टास वगैरह शेयर जिनको मँझोले शेयरों में बड़ा कहा जा सकता है और जिनका भाव 250 के स्तर से 400-500 के ऊपर पहुँच गया है, इनमें 50-50 रुपये की गिरावट आराम से आ जाती है। जैसे वोल्टास 445 के आस-पास से 10% गिर कर 415 रुपये पर आ गया। ऐसे कई और भी शेयर हैं। इन्हीं शेयरों में यह जोखिम है कि अगर इनके भाव में गिरावट आयेगी तो इन शेयरों को वापसी करने में समय लगेगा। मई सीरीज के अंदर ही पीएनबी 180 रुपये के स्तर से घट कर 160 रुपये के भाव पर आ गया। सब लोग बैंकिंग अध्यादेश की बात कर रहे थे। ऐसे में जितने लोगों ने ऊपर खरीदा, वे सब फँस गये और उन्हें निकलने का मौका नहीं मिला। इसी तरह केनरा बैंक 400 से अधिक के स्तर से घट कर 360 के आस-पास आ गया। पीएसयू बैंकों में कुछ नहीं है। अध्यादेश की हवा पर उम्मीद वाले सौदे हुए, एक तेज उछाल आयी और ऊपर के भाव पर जिसने खरीद लिया वह फँस गया। इनमें सावधानी यही है कि बिकवाली कर लें। पीएसयू बैंकों के बारे में मैं हमेशा बोलता हूँ कि इनमें फँसना ही नहीं है।
पीएसयू बैंकों में केवल एनपीए के कम-ज्यादा होने की कहानी के अलावा और कुछ नहीं है। अभी जो अध्यादेश आया है, कल को मैं आपसे कहूँ कि आपको जेपी का अधिग्रहण करना है तो आप जेपी चला लेंगे क्या? आप बैंक हैं, कंपनियाँ नहीं चला सकते। सारी कंपनियाँ आपके घर आ जायेंगी, आप भूषण भी ले लें, जेपी भी ले लें, सब ले लीजिए और चला लीजिए फिर आप! पीएसयू बैंकों के एनपीए की समस्या में पैसे की परेशानी का हल पैसा ही है। बाकी सब कुछ केवल कहानियाँ हैं। हाँ, आगे के लिए यह अध्यादेश लोगों को रोक सकता है, कोई नया प्रमोटर ऐसा नहीं करेगा क्योंकि उसे लगेगा कि सब चला जायेगा। लेकिन पुराने पैसे जो बर्बाद हुए, वे तो बर्बाद हो गये।
(निवेश मंथन, जून 2017)