देश के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज बीएसई ने हाल ही में देश के पहले अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज इंडिया आईएनएक्स की शुरुआत की है, जिसे कमोडिटी कारोबार की इजाजत भी मिली है।
इंडिया आईएनएक्स की योजनाओं और रणनीतियों पर इसके सीईओ वी. बालासुब्रमण्यम से बातचीत की मार्केट टाइम्स के सुरेश मनचंदा ने।
अभी हाल ही में आपके एक्सचेंज को कमोडिटी कारोबार की इजाजत मिली है। अब तक एक्सचेंज में इसका कारोबार किस स्तर पर पहुँचा है और मौजूदा वित्त वर्ष में आपने इसका कितना लक्ष्य निर्धारित किया है?
अभी इंडिया आईएनएक्स कारोबार की मात्रा को लेकर किसी तरह के लक्ष्य पर काम नहीं कर रहा है। शुरुआत में हम यही सोच रहे हैं कि अच्छा और अंतरराष्ट्रीय स्तर का काम करें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब एक्सचेंज का उद्घाटन किया था तो उन्होंने हमें लक्ष्य दिया था कि अगले 10 साल में भारत को कम-से-कम 10 उत्पादों का भाव तय करने वाला देश बनाना है न कि किसी दूसरे देश से आ रहे भाव पर काम करने वाला देश रह जाना है। उदाहरण के तौर पर सोना देखें तो दुनिया भर में सोने की कुल माँग का 25% हिस्सा भारत से आता है, लेकिन जब सोने का भाव देखें तो हम कॉमेक्स के भाव को आधार मानते हैं। सोने का इतना बड़ा उपभोक्ता होने के बावजूद भारत में इसका भाव क्यों तय नहीं होता? इंडिया आईएनएक्स में हमारा यही लक्ष्य है कि आगे चल कर पूरी दुनिया भारत में खुलने वाले भाव का इंतजार करे।
सोने-चांदी और तांबा (कॉपर) के अलावा भविष्य में आप किन कमोडिटी के सौदे शुरू करने की योजना बना रहे हैं?
सेबी से अभी हमें सोना, चाँदी, कॉपर और स्टॉक फ्यूचर्स का कारोबार शुरू करने की इजाजत मिली है। इनके अलावा हमने ब्रेंट क्रूड, डब्लूटीआई क्रूड और बेस मेटल्स के सौदों को शुरू करने का आवेदन भी किया है। सबसे महत्वपूर्ण करेंसी की ट्रेडिंग है। हमने सेबी और रिजर्व बैंक से करेंसी की ट्रेडिंग की इजाजत भी मांगी है, ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर की करेंसी की ट्रेडिंग भारत में संभव हो सके। इसके अलावा हमने सेंसेक्स-50 इंडेक्स की ट्रेडिंग की इजाजत भी मांगी है और हमें उम्मीद है कि सेबी से जल्दी ही इसको लेकर अनुमति दे दी जायेगी।
इंडिया आईएनएक्स पर होने वाले सौदों का मार्जिन क्या भारतीय रुपये में है या सारा लेन-देन डॉलर में हो रहा है?
इंडिया आईएनएक्स भले ही भारत में स्थित हो, लेकिन इसको ऐसा दर्जा दिया गया है मानो यह केंद्र विदेश में बना है। लिहाजा इसमें भारतीय रुपये को छोड़ अन्य सभी मुद्राओं में कारोबार हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस समय सबसे बड़ी मुद्रा डॉलर है और इस समय हमने भी ट्रेडिंग के लिए डॉलर का ही चुनाव किया है और अब तक सारे सौदे डॉलर में ही हुए हैं। सारा सेटलमेंट भी डॉलर में ही हो रहा है।
क्या इस एक्सचेंज में खुदरा कारोबार की भी इजाजत है?
इस एक्सचेंज में कारोबार करने के लिए पहले आपको एक्सचेंज के साथ कंपनी की तरह रजिस्टर्ड होना होगा। जब तक ऐसा नहीं कर सकते, तब तक इस एक्सचेंज में कारोबार नहीं कर सकते।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई एक्सचेंज हैं, जो इंटरनेशनल ट्रेडिंग की सुविधा दे रहे हैं। ऐसे में कोई ट्रेडर आपके पास क्यों आये?
इंडिया आईएनएक्स पर ट्रेडिंग करने के दो फायदे हैं। अगर आप किसी दूसरे इंटरनेशनल एक्सचेंज पर कारोबार करते हैं तो आपको विदेश में अपना दफ्तर खोलना पड़ेगा, जिसके लिए आपकी लागत ज्यादा होगी। इंडिया आईएनएक्स में पहला फायदा यही है कि दफ्तर विदेश में नहीं बल्कि गिफ्ट सिटी में ही खोलना होगा। दूसरा फायदा टैक्स की बड़ी बचत है। सरकार ने 5 साल के लिए गिफ्ट सिटी में टैक्स हॉलिडे घोषित किया है। साथ ही 5 साल पूरे होने के बाद अगले 5 साल के लिए भी पूरा टैक्स नहीं लगेगा, बल्कि आधा ही टैक्स चुकाना पड़ेगा।
क्या इस एक्सचेंज पर आप किसी अंतरराष्ट्रीय कंपनी में भी ट्रेडिंग की इजाजत दे रहे हैं?
हमने 5 कंपनियों को चुना है जिनमें फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, जेपी मॉर्गन जैसी कंपनियाँ शामिल हैं।
अंतरराष्ट्रीय कंपनियों का भाव क्या आप अंतरराष्ट्रीय बाजारों से ले रहे हैं या फिर यहाँ खुद अपना भाव चला रहे हैं?
अंतरराष्ट्रीय कंपनियों में पहले ही नैस्डैक पर ट्रेडिंग होती है। ऐसे में इंडिया आईएनएक्स में हम जो भी अंतिम सेटलमेंट करते हैं, उसके लिए नैस्डैक के भाव को ही आधार बनाते हैं। लेकिन जो रोज-रोज का सेटलमेंट होता है, उसके लिए हम अपने भाव को आधार मानते हैं।
अब तक कितनी कंपनियाँ आपके साथ ट्रेडिंग के लिए जुड़ी हैं?
गिफ्ट सिटी में अब तक करीब 115 कंपनियों ने पंजीकरण के लिए आवेदन किया है, जिसमें से करीब 89 कंपनियाँ बन चुकी हैं। इन कंपनियों में से 74 ने इंडिया आईएनएक्स के साथ ब्रोकिंग का एनओसी पाने के लिए सेबी में आवेदन दे दिया है और उनमें से 54 को सेबी से एनओसी मिल चुका है। एनओसी मिलने के बाद ये कंपनियाँ बैंकों में पैसा डाल सकती हैं। बैंक में पैसा जाने के बाद कंपनी का इंडिया आईएनएक्स के साथ सदस्यता प्रमाणपत्र बनता है। उसके बाद फिर से सेबी में ट्रेडिंग के लिए आवेदन जाता है। अब तक कुल 27 ब्रोकरों का अंतिम रूप से पंजीकरण हो चुका है और 54 में से बाकी बचे 27 का भी जल्दी ही पंजीकरण होने वाला है। इसके अतिरिक्त 50 और कंपनियाँ इस कतार में हैं।
कोई उद्यमी आपके साथ जुड़ कर कारोबार शुरू करना चाहे तो कितना खर्च आयेगा?
इसके लिए सबसे पहले उस उद्यमी को एक कंपनी बनानी होगी। कंपनी बनाने पर जो खर्च आता है, पहले वह करना होगा। इसके बाद सेबी का नियम है कि ब्रोकर के पास कम-से-कम 1 करोड़ रुपये यानी करीब डेढ़ लाख डॉलर की तरल संपत्ति हो। वह संपत्ति एक्सचेंज के नाम नहीं होगी, बल्कि उसी उद्यमी या ब्रोकर के पास ही रहेगी। भारत के बाहर किसी दूसरे अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज में अगर यही काम करना हो तो लागत यहाँ के मुकाबले 10-20 गुना ज्यादा होगी।
क्या आपकी प्रतिस्पर्धा भारतीय एक्सचेंजों से है?
इंडिया आईएनएक्स एक अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज है। इसलिए हमारी प्रतिस्पर्धा किसी भारतीय एक्सचेंज से नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंजों से है।
(निवेश मंथन, मई 2017)