कोटक लाइफ से बाहर निकलेगी ओल्ड म्यूचुअल
कोटक महिंद्रा बैंक ने बीमा क्षेत्र की अपनी साझा कंपनी में अपने साझेदार का पूरा हिस्सा खरीदने का समझौता किया है।
कोटक महिंद्रा ओल्ड म्यूचुअल लाइफ इंश्योरेंस (कोटक लाइफ) में ब्रिटेन की ओल्ड म्यूचुअल पीएलसी की समूची 26% हिस्सेदारी को कोटक महिंद्रा बैंक 1,292.7 करोड़ रुपये में खरीदने का फैसला किया है। यह सौदा पूरा हो जाने पर कोटक लाइफ में कोटक महिंद्रा बैंक की पूरी 100% हिस्सेदारी हो जायेगी। हालाँकि अभी बैंक को कई नियामक स्वीकृतियाँ लेनी होंगी। संभावना है कि साल 2017 की दूसरी छमाही में यह सौदा पूरा हो सकेगा।
ओल्ड म्यूचुअल और कोटक महिंद्रा के बीच इस साझा कंपनी में 23% अतिरिक्त हिस्सेदारी खरीदने के लिए कॉल और पुट ऑप्शन का समझौता भी था। ओल्ड म्यूचुअल के इस साझा उद्यम से बाहर निकलने के साथ अतिरिक्त हिस्सेदारी का वह समझौता भी समाप्त हो जायेगा। 2001 में स्थापित हुई कोटक लाइफ भारत में निजी क्षेत्र की प्रमुख जीवन बीमा कंपनियों में से एक है, जो मौजूदा समय में कोटक ग्रुप और ओल्ड म्यूचुअल के बीच स्थापित साझा उद्यम है। अभी इसमें कोटक महिंद्रा बैंक की हिस्सेदारी 74% है।
वित्तीय स्थिति पर गौर करें तो 31 मार्च 2017 को कोटक लाइफ का नेटवर्थ 1,825 करोड़ रुपये का है। कोटक लाइफ ने 31 मार्च 2017 को समाप्त वित्त वर्ष में कुल 2,849.74 करोड़ रुपये का प्रथम वर्ष प्रीमियम हासिल किया। इसके पिछले वर्ष में कोटक लाइफ का प्रीमियम संग्रह 2,210 करोड़ रुपये का था। प्रीमियम संग्रह के आधार पर यह जीवन बीमा उद्योग की 24 कंपनियों में छठे स्थान पर है। ओल्ड म्यूचुअल को एक बेहतर व्यापारिक साझेदार बताते हुए इस सौदे के संदर्भ में कोटक महिंद्रा बैंक के प्रेसिडेंट, संपदा प्रबंधन, बीमा एवं अंतरराष्ट्रीय व्यापार गौरांग शाह ने कहा कि कोटक महिंद्रा समूह और ओल्ड म्यूचुअल के बीच 16 साल की साझेदारी काफी लाभदायक रही है, जिससे भारत में जीवन बीमा उद्योग में एक कामयाब और भरोसेमंद ब्रांड की स्थापना हुई।
ओल्ड म्यूचुअल के इस साझा कंपनी से बाहर निकलने का कारण यह बताया जा रहा है कि ओल्ड म्यूचुअल अपने वैश्विक कारोबार का पुनर्गठन कर रही है, जिसके तहत इसे वैश्विक स्तर पर चार अलग-अलग भागों में बाँट दिया जायेगा। इन पुनर्गठन की प्रक्रिया के तहत ही ओल्ड म्यूचुअल ने कोटक महिंद्रा के सामने यह प्रस्ताव रखा कि वह साझा बीमा कंपनी में उसकी हिस्सेदारी खरीद ले।
कोटक महिंद्रा बैंक के बोर्ड ने हाल ही में 30 मार्च 2017 को एक प्रस्ताव को स्वीकृति दी है, जिसके तहत बैंक 6.2 करोड़ तक शेयर जारी कर पूँजी जुटा सकता है। शेयरों की यह बिक्री राइट इश्यू, प्राइवेट प्लेसमेंट, एफपीओ, क्यूआईपी, जीडीआर, एडीआर जैसे किसी भी विकल्प के जरिये होगी, जिससे बैंक 5,000 करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि जुटा सकता है। जिसके एक महीने के भीतर ही बैंक की ओर से इस खरीदारी सौदे की जानकारी दी गयी है। ओल्ड म्यूचुअल के साथ इस सौदे में कोटक लाइफ का कुल मूल्यांकन 4,972 करोड़ रुपये का रखा गया है।
भारत के बीमा क्षेत्र में पहले से ही इक्विटी हस्तांतरण की गतिविधियाँ तेज हो चुकी हैं। हाल ही में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस ने बाजार में अपना 6,000 करोड़ रुपये का आईपीओ उतारा था। इससे पहले एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ इंश्योरेंस ने मैक्स लाइफ इंश्योरेंस को खरीदने का सौदा किया था। हालाँकि इस सौदे की कुछ नियमन संबंधी जटिलताओं के चलते इसके पूरा होने में देरी लग रही है।
देश की जीवन बीमा कंपनियों ने वित्त वर्ष 2016-17 में नयी पॉलिसियों से कुल 1.75 लाख करोड़ रुपये का प्रीमियम संग्रह किया है। पिछले वित्त वर्ष के 1.39 लाख करोड़ रुपये के प्रथम वर्ष प्रीमियम संग्रह की तुलना में यह 26.2% ज्यादा है। भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) ने ये आँकड़े जारी किये हैं। हालाँकि एक चौंकाने वाली बात यह है कि 2016-17 में नयी पॉलिसियों की संख्या घट कर 2.67 करोड़ से घट कर 2.65 करोड़ रह गयी। पॉलिसियों की संख्या घटने और कुल प्रीमियम संग्रह बढऩे का मतलब यह है कि पॉलिसियों पर औसत प्रीमियम संग्रह बढ़ा है।
भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने बीते वित्त वर्ष में नयी पॉलिसियों से 1.24 लाख करोड़ रुपये का प्रीमियम संग्रह किया, जो कुल प्रीमियम का लगभग 71.1% है। एलआईसी के प्रीमियम संग्रह में पिछले साल से 27.4% वृद्धि हुई है। वहीं शेष 23 निजी बीमा कंपनियों ने कुल मिला कर 50,626 करोड़ रुपये का प्रीमियम संग्रह किया और पिछले साल की तुलना में 23.5% वृद्धि हासिल की। इस तरह एलआईसी अकेले ही न केवल बाजार के बड़े हिस्से पर काबिज है, बल्कि निजी कंपनियों की तुलना में तेज बढ़त भी दर्ज करने में सफल रही है।
निजी जीवन बीमा कंपनियों में एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस सबसे आगे रही। इसने 42.8% बढ़त दर्ज करते हुए 10,146 करोड़ रुपये का प्रीमियम हासिल किया। एचडीएफसी स्टैंडर्ड का प्रीमियम संग्रह 34% बढ़ कर 8,696 करोड़ रुपये का रहा। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ 16.2% वृद्धि के साथ 7,863 करोड़ रुपये का प्रीमियम जुटा सकी। रिलायंस निप्पॉन और एगॉन लाइफ के लिए बीता साल अच्छा नहीं रहा। रिलायंस निप्पॉन का प्रीमियम संग्रह 32.5% घट कर 1,052 करोड़ रुपये का रहा। एगॉन लाइफ ने मात्र 91 करोड़ रुपये का प्रीमियम जुटाया और इसने पिछले साल से 33% की गिरावट दर्ज की।
(निवेश मंथन, मई 2017)