आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने अप्रैल के तीसरे सप्ताह में म्यूचुअल फंड उद्योग पर जारी अपनी रिपोर्ट में पूर्ववर्ती माह की सलाहों को बरकरार रखा है।
ब्रोकिंग फर्म ने इक्विटी डाइवर्सिफाइड फंड, इक्विटी इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड, इक्विटी बैंकिंग फंड, इक्विटी एफएमसीजी और बैलेंस्ड फंड के लिए अल्प-काल एवं दीर्घ-काल, दोनों अवधियों के लिए सकारात्मक सलाह दी है। ब्रोकिंग फर्म ने इन्कम फंड के लिए अल्प-काल में सकारात्मक, अति अल्प-काल और दीर्घ-काल के लिए उदासीन सलाह बरकरार रखी है। इसी तरह इक्विटी फार्मा फंड और मंथली इन्कम प्लान (एमआईपी) के लिए अल्प-काल में उदासीन और दीर्घ-काल में सकारात्मक सलाह बरकरार रखी है। ब्रोकिंग फर्म ने इक्विटी टेक्नोलॉजी फंड, आर्बिट्राज फंड, लिक्विड फंड एवं गिल्ट फंड के लिए अल्प-काल एवं दीर्घ-काल, दोनों अवधियों के लिए उदासीन सलाह दी है।
इक्विटी बाजार
भारतीय इक्विटी बाजार ने अप्रैल 2017 में अपना लाभ बढ़ाया और नया सार्वकालिक शिखर बनाया। बाजार में विमुद्रीकरण के बाद गिरावट आयी थी, मगर उसके बाद दिसंबर 2016 से इसने भारी तेजी देखी है। राज्य विधान सभा चुनावों के नतीजों, संसद में जीएसटी विधेयक के पारित होने और ब्याज दरों में नरमी पर वैश्विक बाजारों के सकारात्मक रुख ने तेजी जारी रखने में बाजार की मदद की है। छोटे और मँझोले शेयरों के सूचकांक अपने अच्छे प्रदर्शन से लगातार दिग्गज सूचकांकों को पीछे छोड़ रहे हैं, क्योंकि निवेशक मूल्यांकन के मुकाबले भावी आय वृद्धि की संभावनाओं पर जोर दे रहे हैं। विदेशी निवेशकों (एफआईआई) की रिकॉर्ड खरीदारी से बाजार की धारणा मजबूत हुई। मार्च महीने में ऋण (डेब्ट) और इक्विटी बाजारों में विदेशी पोर्टफोलिओ निवेश क्रमश: 3.3 अरब डॉलर और 2.5 अरब डॉलर का रहा। दूसरी तरफ, लगातार छह महीनों तक शुद्ध खरीदार रहने के बाद मार्च में घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने शुद्ध बिकवाली की।
खाद्य एवं ईंधन में उच्चतर महँगाई के कारण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधिरित मुद्रास्फीति जनवरी के 3.17% से बढ़ कर फरवरी, 2017 में 3.65% हो गयी। खाद्य महँगाई जनवरी के 0.6% से बढ़ कर 2.01% हो गयी, क्योंकि सब्जी की कीमतों में गिरावट पूर्ववर्ती माह से कम रही। वनस्पति तेलों की वैश्विक कीमतों में तेजी को प्रदर्शित करते हुए फल, तेल और वसा जैसी अन्य श्रेणियों में भी महँगाई बढ़ गयी।
घरेलू म्यूचुअल फंडों में निवेश मजबूत बना रहा। इसमें भी ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि ताजा निवेश का एक बड़ा हिस्सा दीर्घावधि के लिए दृढ़ दिखता है। सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) और पेंशन फंड योगदान में स्थिर वृद्धि भी इस प्रवृत्ति का संकेत करती है। निवेश की दीर्घावधि प्रकृति के कारण फंड प्रबंधक अपेक्षाकृत छोटी और मँझोली कंपनियों, जिनका व्यवसाय चक्र उच्च उतार-चढ़ाव और तुलनात्मक रूप से अपरीक्षित है, में निवेश का निर्णय करने के लिए बेहतर स्थिति में हैं। हालाँकि बड़े स्थिर व्यवसायों के मुकाबले इनमें वृद्धि संभावना काफी अधिक है। इसलिए बाजार में गुंजाइश सकारात्मक बनी हुई है। अन्य संपदा श्रेणियों का अनाकर्षक होना भी म्यूचुअल फंडों में उच्च आवंटन का कारण है।
परिदृश्य
हाल के राज्य विधान सभा चुनावों, खास कर उत्तर प्रदेश के नतीजों ने विकास आधारित राजनीति की ओर संरचनात्मक झुकाव का संकेत दिया है। ऐतिहासिक चुनावी जनादेश के बाद निवेशकों की यह उम्मीद बढ़ गयी है कि भाजपा महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों की दिशा में आगे बढ़ेगी। लोकसभा ने 1 जुलाई 2017 से जीएसटी लागू होने का मार्ग प्रशस्त करते हुए बहुप्रतीक्षित केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) विधेयक, एकीकृत जीएसटी विधेयक, क्षतिपूर्ति जीएसटी विधेयक और केंद्रशासित प्रदेश जीएसटी विधेयक, 2017 को पारित कर दिया है। जीएसटी के क्रियान्वयन से बाजार असंगठित से संगठित क्षेत्र की ओर उन्मुख होगा और अर्थव्यवस्था औपचारिक बनेगी जिससे संगठित क्षेत्र का लाभ बढ़ेगा। बाजार के लिए मँझोली अवधि का परिदृश्य सकारात्मक बना हुआ है। हालाँकि, पिछले कुछ माह में तेज वृद्धि के कारण कुछ मुनाफावसूली हो सकती है। निवेशकों को इन स्तरों पर एकमुश्त निवेश से बचना चाहिए, मगर किसी भी तेज गिरावट का उपयोग खरीदारी के अवसर के रूप में करना चाहिए। निवेशकों तो अपनी एसआईपी जारी रखनी चाहिए, क्योंकि बाजारों में आगे किसी भी उतार-चढ़ाव से एक अवधि के बाद लाभ होने की संभावना है।
म्यूचुअल फंड सार
पिछले तीन वर्षों में म्यूचुअल फंडों ने मजबूत निवेश देखा है, जिससे म्यूचुअल फंडों की कुल प्रबंधन अधीन संपदा (एयूएम) में अच्छी वृद्धि हुई है। म्यूचुअल फंडों द्वारा प्रबंधित कुल संपदा फरवरी 2017 में 17.89 लाख करोड़ रुपये (मार्च, 2017 में 17.54 लाख करोड़ रुपये) के उच्च स्तर तक पहुँच गयी, जो सालाना आधार पर 42% वृद्धि दर्शाती है। इसमें इन्कम फंडों की हिस्सेदारी 44% और इक्विटी एवं ईएलएसएस फंडों की हिस्सेदारी 31% है। वित्त वर्ष 2016-17 में भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग में कुल 3.43 लाख करोड़ रुपये का नया निवेश आया। इस कुल निवेश में से 70,367 करोड़ रुपये का निवेश इक्विटी और ईएलएसएस फंडों में आया। शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद इक्विटी म्यूचुअल फंडों में निवेश स्थिर बना रहा। इससे म्यूचुअल फंडों में निवेशकों की बढ़ती भागीदारी और गिरावटों का उपयोग पूँजी लगाने के अवसर के रूप में करने के रुझान का पता चलता है।
(निवेश मंथन, मई 2017)