एसआईपी के जरिये निवेश पर बढ़ा जोर
वित्त वर्ष 2016-17 में म्यूचुअल फंडों में आने वाला निवेश बढ़ कर ढाई गुणा हो गया है।
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आँकड़ों के मुताबिक 2016-17 में कुल 3,43,049 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश आया, जो 2015-16 के 1,34,180 करोड़ रुपये की तुलना में 156% ज्यादा है। यह अब तक का रिकॉर्ड निवेश कहा जा सकता है। इससे पहले 2007-08 और 2009-10 के वित्त वर्षों में 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का शुद्ध निवेश आया था। एम्फी के पास 2005-06 से पहले के आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं, मगर 2005-06 में शुद्ध निवेश का आँकड़ा 0.54 लाख करोड़ रुपये का ही था और यह माना जा सकता है कि इससे पहले के वर्षों में यह आँकड़ा और कम ही रहा होगा।
बैंकों की ब्याज दरों में कमी के चलते इन्कम फंडों और लिक्विड योजनाओं में आने वाले निवेश में काफी वृद्धि हुई है। इन्कम योजनाओं में आने वाला निवेश तो सात गुणा से ज्यादा बढ़ कर 1.2 लाख करोड़ रुपये हो गया है। लिक्विड फंडों में आने वाला निवेश चार गुणा से ज्यादा बढ़ कर 95,826 करोड़ रुपये पर पहुँचा है। हालाँकि इक्विटी योजनाओं में नया निवेश 4.94% घट कर 70,367 करोड़ रुपये रह गया है। मगर यह लगातार तीसरा वर्ष है, जब इक्विटी योजनाओं में शुद्ध रूप से नया निवेश आया है। इक्विटी योजनाओं में 2015-16 में 74,024 करोड़ रुपये और 2014-15 में 71,029 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश आया था। इससे पहले 2013-14 में इक्विटी योजनाओं से 9,269 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी हुई थी, यानी निवेशकों ने इन योजनाओं से पैसे निकाल लिये थे।
छोटे शहरों का बढ़ा योगदान
निवेशकों का म्यूचुअल फंडों की ओर रुझान बढ़ रहा है और वित्त वर्ष 2016-17 में इस क्षेत्र में आने वाले निवेश में अच्छी वृद्धि हुई है। इसमें भी खास कर छोटे शहरों में इक्विटी म्यूचुअल फंडों में निवेश बढऩे की रफ्तार ज्यादा तेज दिख रही है। म्यूचुअल फंड क्षेत्र में छोटे शहरों को बी-15 कहा जाता है, यानी ऐसे शहर जो शीर्ष 15 शहरों की सूची के बाहर हैं। इन बी-15 शहरों ने वित्त वर्ष 2016-17 में ज्यादा तेज वृद्धि दिखायी है और कुल प्रबंधन अधीन संपदा (एयूएम) में अपनी हिस्सेदारी बढ़ायी है। फोलिओ संख्या यानी निवेशकों के खातों की संख्या अब शीर्ष-15 शहरों की तुलना में बी-15 शहरों में ज्यादा है।
जहाँ पूरे म्यूचुअल फंड क्षेत्र ने 2016-17 में एयूएम में कुल 35.2% बढ़त हासिल की है, वहीं बी-15 शहरों के एयूएम में 41% वृद्धि हुई है। इससे बी-15 शहरों का एयूएम 2015-16 के 2,18,703 करोड़ रुपये से बढ़ कर 2016-17 में 3,09,098 करोड़ रुपये हो गया है। इन शहरों की प्रतिशत हिस्सेदारी भी लगभग 16% से बढ़ कर 16.9% हो गयी है।
इन छोटे शहरों की एक और खास बात यह है कि बड़े शहरों की तुलना में इक्विटी की ओर इनका झुकाव ज्यादा है। बीते वित्त वर्ष में छोटे शहरों में कुल संपदा का 53% हिस्सा इक्विटी योजनाओं में लगा है। दूसरी ओर शीर्ष 15 (टी-15) शहरों में इक्विटी योजनाओं की भागीदारी केवल 29% है। यही कारण है कि अगर केवल इक्विटी म्यूचुअल फंडों का कुल एयूएम देखें, तो उसमें बी-15 शहरों की भागीदारी बीते साल 25.2% से बढ़ कर 27% पर पहुँची है। हालाँकि इसे संस्थागत बनाम खुदरा निवेशकों के रुझान के रूप में भी देखा जा सकता है। संस्थागत निवेशक शीर्ष-15 शहरों में ही ज्यादा केंद्रित हैं और उनका लगभग 90त्न योगदान इन बड़े शहरों से आता है। साथ ही ऋण (डेब्ट) योजनाओं में ज्यादातर भागीदारी संस्थागत निवेशकों की ही होती है। अगर व्यक्तिगत निवेशकों से आने वाली संपदा पर नजर डालें, तो उसमें 25% हिस्सेदारी बी-15 शहरों की है। पूरे उद्योग के कुल इक्विटी एयूएम में बी-15 शहरों की हिस्सेदारी (27%) से यह मेल खाता है। बी-15 शहरों से आने वाले निवेश में बढ़ोतरी के रुझान को देखते हुए म्यूचुअल फंड उद्योग भी इन शहरों पर ज्यादा ध्यान देने की रणनीति बनाने लगा है। कुछ साल पहले तक इस उद्योग का लगभग सारा ध्यान केवल बड़े शहरों पर होता था और इनकी शाखाएँ भी केवल महानगरों में होती थीं। मगर अब खास कर बड़े खिलाडिय़ों ने अपने नेटवर्क का विस्तार छोटे शहरों में भी करना शुरू कर दिया है।
एसआईपी का बढ़ता चलन
सुनियोजित निवेश योजना या सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिये नियमित रूप से मासिक निवेश करते रहने का चलन जोर पकड़ चुका है। देश में एसआईपी खातों की कुल संख्या अब 1.35 करोड़ पर पहुँच चुकी है। एम्फी के आँकड़ों के मुताबिक म्यूचुअल फंड उद्योग ने बीते वित्त वर्ष में हर महीने औसतन 6.26 लाख एसआईपी खाते खोले हैं। इन खातों में एसआईपी का औसत आकार 3,200 रुपये है। मार्च 2017 में एसआईपी खातों से आया कुल निवेश 4,335 करोड़ रुपये का रहा, जबकि पूरे वित्त वर्ष 2016-17 में इनका कुल निवेश 43,921 करोड़ रुपये का है।
(निवेश मंथन, मई 2017)