म्यूचुअल फंड में नियमित रूप से एक तय राशि का निवेश करने के लिए सुनियोजित निवेश योजना या सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के बारे में तो आप अक्सर सुनते होंगे।
लेकिन क्या ऐसा विकल्प भी उपलब्ध है, जिससे आपको अपने म्यूचुअल फंड निवेश से नियमित रूप से पैसे निकालते रहने का अवसर मिले? जी हाँ, यह अवसर आपको मिलता है सिस्टेमैटिक विदड्रॉअल प्लान (एसडब्लूपी) के रूप में।
कुछ जानकार इसे म्यूचुअल फंडों के ही मंथली इन्कम प्लान (एमआईपी) की तुलना में भी बेहतर मानते हैं, विशेष रूप से कर बचत के मामले में। वहीं कुछ जानकारों की सलाह है कि एमआईपी में भी एसडब्लूपी कराया जा सकता है। दरअसल एमआईपी के नाम की वजह से यह भ्रांति होती है कि इसमें निवेशक को हर महीने कोई निश्चित राशि मिलती है। एमआईपी में अगर लाभांश (डिविडेंड) का विकल्प भी चुना गया हो तो कब और कितना लाभांश दिया जायेगा, यह पहले से निश्चित नहीं होता और यह पूरी तरह से फंड मैनेजर का अपना निर्णय होता है। इसलिए जानकार सलाह देते हैं कि एमआईपी के माध्यम से नियमित आमदनी पानी हो तो उसमें ग्रोथ विकल्प चुना जाये, जिससे लाभांश का पुनर्निवेश हो जाये, और साथ में एसडब्लूपी के जरिये उससे मासिक निकासी की जा सकती है।
एसडब्लूपी दरअसल एसआईपी का ठीक उल्टा है। एसआईपी में आप एक फंड चुनते हैं और उसमें हर महीने एक तय राशि जमा करते हैं, जिससे फंड में आपकी निवेशित निधि बढ़ती रहे। एसडब्लूपी में आप पहले एकमुश्त एक बड़ी राशि का निवेश कर देते हैं और उसके बाद उस निवेश पर मिलने वाले प्रतिफल से हर महीने एक निश्चित राशि निकालते रहते हैं। आप चाहें तो हर महीने निकालने के बदले तिमाही या सालाना आधार पर भी निकासी कर सकते हैं।
एसआईपी उन लोगों के लिए है, जो हर महीने अपनी आमदनी से होने वाली बचत का नियमित रूप से निवेश करते रहना चाहते हैं। इसके विपरीत एसडब्लूपी उन लोगों के लिए है, जिनके पास नियमित आमदनी का स्रोत नहीं है मगर पहले से कमाये पैसों के रूप में एक निधि मौजूद है। उस निधि का निवेश म्यूचुअल फंड में करके वे उस पर मिलने वाले लाभ से नियमित आमदनी हासिल कर सकते हैं। जैसे कि, सेवानिवृत होने पर कोई व्यक्ति पीएफ से मिली बड़ी राशि का निवेश करे और उस निवेश से एसडब्लूपी के तहत मासिक रूप से निकासी करे। या फिर, दो नौकरियों के बीच में खाली रहने के दौरान भी ऐसा किया जा सकता है। जिन लोगों की आमदनी के स्रोत अनिश्चित रहते हों, कभी अचानक बड़ी कमाई हो जाये और कभी ठन-ठन गोपाल वाली हालत हो, या आमदनी मौसमी चक्र के हिसाब से बदलती हो, उनके लिए भी एसडब्लूपी आदमनी में स्थिरता लाने का अच्छा रास्ता है।
एसडब्लूपी करते समय आप अपनी जरूरत, जोखिम उठाने की क्षमता, अपने लिए उपयुक्त अवधि आदि के आधार पर खुद तय कर सकते हैं कि आपका पैसा किस फंड में लगाया जाये। हालाँकि एसडब्लूपी के लिए एकमुश्त राशि का निवेश करते समय आम तौर पर एमआईपी या डेब्ट (ऋण) फंडों का ही चुनाव करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इसमें निवेशक का लक्ष्य सुनिश्चित रूप से नियमित आमदनी हासिल करना होता है। हालाँकि जो निवेशक कुछ अधिक जोखिम ले सकते हैं, वे एसडब्लूपी के लिए इक्विटी फंडों को भी चुन सकते हैं या इक्विटी और डेब्ट का अपने हिसाब से एक मिला-जुला पोर्टफोलिओ बना सकते हैं। बस इतना ध्यान रखें कि खुली अवधि (ओपेन एंडेड) वाले फंड में ही एसडब्लूपी कराया जा सकता है, बंद अवधि (क्लोज एंडेड) वाले फंड या ईएलएसएस में नहीं।
एसडब्लूपी करते समय जब आप शुरुआत में एकमुश्त निवेश करते हैं तो फंड आपको निवेशित राशि के अनुसार यूनिटें आवंटित करता है। इसके साथ ही आप म्यूचुअल फंड कंपनी को यह निर्देश देते हैं कि वह हर महीने (या तिमाही या सालाना रूप से) एक तय तारीख को आपके बैंक खाते में एक पूर्व-निर्धारित राशि जमा करे और उसके बदले उतनी राशि के बराबर आपकी यूनिटें आपसे वापस ले ले। हर निकासी पर आपकी कितनी यूनिटें वापस हो जायेंगी, यह इस पर निर्भर करता है कि निकासी की तारीख को फंड की एनएवी कितनी है।
डेब्ट फंड में निवेशित राशि से एसडब्लूपी शुरू करने की स्थिति में कुछ जानकार बेहतर कर बचत के लिए यह सुझाव भी देते हैं कि निवेश के तीन वर्ष बाद से एसडब्लूपी की निकासी शुरू की जाये। ऐसा होने पर डेब्ट फंड से मिले प्रतिफल पर दीर्घावधि पूँजीगत लाभ कर (लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स) लागू होगा और उस पर इंडेक्सेशन का लाभ मिलेगा। वहीं इक्विटी फंड में निवेश करते समय एक साल बाद निकासी चालू करने पर ही प्रतिफल पूरी तरह करमुक्त होगा।
एसडब्लूपी में प्रतिफल की दर और निकासी की दर के बीच संतुलन बनाये रखना भी बहुत जरूरी है। अगर निकासी की दर प्रतिफल की दर से ज्यादा होगी तो मूल निधि या पूँजी घटने लगेगी और एक समय के बाद वह पूँजी समाप्त हो जायेगी। लेकिन यदि निकासी की दर प्रतिफल की दर से कम रखी जाये तो मूल निधि बनी रहेगी और लगातार प्रतिफल देती रहेगी, यानी एसडब्लूपी से जब तक चाहें तब तक नियमित आमदनी पायी जा सकेगी। एसडब्लूपी करते समय यह जानकारी भी ले लेनी चाहिए कि उस पर एक्जिट लोड कितना है और कितने समय के बाद लगता है। कुछ फंडों ने एसडब्लूपी पर एक्जिट लोड हटा दिया है, बशर्ते पहले साल की निकासी 15-20% तक ही हो।
(निवेश मंथन, मई 2017)