नवीन एम. रहेजा, चेयरमैन, रहेजा डेवलपर्स :
भारत में वर्ष 2016 में मध्यवर्गीय लोगों की संख्या करीब 27 करोड़ थी, जो वर्ष 2025 तक दोगुनी यानी 54 करोड़ तक हो जाने की उम्मीद है।
मध्य आय समूह कर भुगतान के जरिये अर्थव्यवस्था के विकास में एक बेहतर योगदान देता है। हालाँकि सस्ती कीमतें नहीं होने के कारण वर्षों से उनका अपना घर होने का सपना पूरा नहीं हो पाया। प्रधानमंत्री आवास योजना के दो मकसद हैं - पहला, इस क्षेत्र की उन्नति के लिए मकानों की बिक्री को बढ़ावा देना और दूसरा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम %2022 तक सभी के लिए घर% को पूरा करना।
केंद्र सरकार ने सालाना 12 लाख रुपये तक की घरेलू आय वाले लोगों को 9 लाख रुपये तक के आवास ऋण पर और 18 लाख रुपये की सालाना आय वालों को 12 लाख रुपये तक के आवास ऋण पर ब्याज भुगतान में सब्सिडी दी है। पर इसका मतलब यह नहीं है कि इससे अधिक राशि का ऋण नहीं लिया जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति 10 लाख रुपये की घरेलू आय के साथ घर खरीदने के लिए 35 लाख रुपये का ऋण लेता है, तो उसे तब भी 9 लाख रुपये तक के ऋण पर 4% सब्सिडी मिलेगी। मान लें कि वह व्यक्ति 8.5% की दर पर ऋण लेता है, तो वह 9 लाख रुपये पर 4.5% की दर से ही ईएमआई का भुगतान करेगा और इस मामले में बाकी 26 लाख रुपये पर 8.5% की दर से ईएमआई देगा। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत यह लाभ उठाने के बाद कोई व्यक्ति इसके अलावा आवास ऋण पर आय कर का लाभ भी ले सकता है।
निश्चित तौर पर यह योजना मकान खरीदने वालों के लिए फायदेमंद है। लघु वित्त बैंकों को इसके लिए प्राथमिक ऋणदाता संस्थानों के रूप में चिह्नित किया गया है। वाणिज्यिक बैंक, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियाँ, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और राज्य एवं शहरी सहकारी बैंक लाभार्थियों से सीधे आवेदन स्वीकार कर रहे हैं और इस योजना के तहत ऋण मुहैया कर रहे हैं।
रहेजा डेवलपर्स ने भी अपनी कुछ परियोजनाओं के साथ इस योजना की सुविधा दी है। इन परियोजनाओं में रहेजा वन्य, महेश्वर, संपदा, शिलाज, नवोदय, कृष्ण हाउसिंग स्कीम और अरण्य फ्लोर्स शामिल हैं।
(निवेश मंथन, मई 2017)