राजेश रपरिया, सलाहकार संपादक :
जोखिम लेने में माहिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रामीण भारत के वंचित तबकों में अपनी चुनावी सेंधमारी को पुख्ता करने के लिए बड़ा दाँव खेला है।
ऐसा लगता है कि शहरों की चमक के प्रतीक कारोबारी जगत से उनका मन उचट गया है। अब उनका ध्यान गाँवों की ओर है। प्रधानमंत्री मोदी ने आगामी लोकसभा चुनावों से ऐन पहले 31 मार्च 2019 तक गाँवों में कमजोर तबकों के लिए 1.30 करोड़ पक्के मकान और ग्राम सड़क निर्माण का विशाल लक्ष्य रखा है। 'हाउसिंग फॉर ऑल' अभियान के तहत प्रधानमंत्री आवास योजना में वर्ष 2022 तक 6 करोड़ मकान बनाने का लक्ष्य मोदी सरकार का है। इस आवास योजना के दो हिस्से हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में दो करोड़ और शहरी क्षेत्रों में चार करोड़ मकान बनाने का लक्ष्य है। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर प्रधानमंत्री मोदी ने मार्च 2019 तक गाँवों में 1.30 करोड़ लाख मकान बनाने और देश की हर गाँव या बसावट को ग्राम सड़क योजना से जोडऩे का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसमें इंदिरा आवास योजना के अधबने 30 लाख मकानों को भी पूरा किया जाएगा। अब इस योजना का विलय प्रधानमंत्री आवास योजना में कर दिया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कई ग्रामीण सामाजिक आर्थिक कल्याण कार्यक्रमों का इन मकानों के निर्माण में युक्तिपूर्ण इस्तेमाल कर ग्रामीण आवास योजना को ज्यादा मुकम्मल और उपयोगी बना दिया है। इस योजना के तहत गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और मुक्त कराये गये बंधुआ मजदूरों को आवास निर्माण या मौजूदा कच्चे मकानों के उन्नयन के लिए अधिक सहायता दी जाती है। अब इन मकानों में शौचालय, बिजली रसोई गैस आदि बुनियादी सुविधाएँ भी होंगी, जो इंदिरा आवास योजना में नहीं थी। इसीलिए अब इन मकानों का क्षेत्रफल 20 वर्ग मीटर से बढ़ा कर 25 वर्ग मीटर किया गया है। मोदी सरकार ने इन मकानों के निर्माण के लिए मैदानी क्षेत्रों में आर्थिक अनुदान को 70,000 से बढ़ा कर 1.20 लाख रुपये और पहाड़ी दुर्गम क्षेत्रों के लिए 75,000 रुपये से बढ़ा कर 1.30 लाख रुपये कर दिया गया है। आवासों में शौचालय बनवाने के लिए 12,000 रुपये का आर्थिक अनुदान अलग से है।
दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत इन मकानों को मुफ्त विद्युत कनेक्शन भी उपलब्ध कराया जायेगा। ग्राम ज्योति योजना में मार्च 2019 तक देश हर गाँव और बसावट में 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत रसोई गैस कनेक्शन दिये जायेंगे। मार्च 2019 तक गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले 5 करोड़ परिवारों को गैस कनेक्शन देने का लक्ष्य है।
मोदी ने आवास योजना ग्रामीण में रोजगार योजना मनरेगा का उद्देश्यपूर्ण इस्तेमाल किया है। इस युक्ति से इस योजना में मकान निर्माण के लिए 18,000 रुपये प्रति आवास भुगतान का प्रावधान है। लाभार्थी स्वयं मजदूरी कर वह आर्थिक सहायता पा सकता है या मनरेगा के पात्र मजदूरों से काम करा कर उनको भुगतान कर सकता है। जाहिर है इस तरीके से ग्रामीण आवास निर्माण में काफी तेजी आयेगी। इस योजना के तहत सरकारी आर्थिक अनुदान समय से मिले, इसकी मुकम्मल व्यवस्था मोबाइल एप्लिकेशन आवास ऐप्प के जरिये की गयी है। आवास निर्माण के हर चरण की शुंरुआत से ही लाभार्थी को निर्धारित आर्थिक सहायता मिल जायेगी, जिससे पैसे के अभाव में मकान निर्माण की गति बाधित नहीं हो। प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में इन कार्यक्रमों के युक्तिपूर्ण इस्तेमाल से लाभार्थी को असल में 1.50 लाख से 1.60 लाख रुपये का आर्थिक अनुदान मिलेगा, जो यूपीए काल के आर्थिक अनुदान से दोगुना है। सरकारी दावों के अनुसार 2016-17 को इस योजना के तहत 33 लाख मकान बनाने का लक्ष्य पूरा कर लिया गया है। इस योजना का सर्वाधिक लाभ अनुसूचित जाति, जनजातियों और अन्य वंचित तबकों को मिलेगा, जिनमें परंपरागत रूप से बीजेपी और आरएसएस की पैठ कमजोर है।
मार्च 2009 तक देश के हर गाँव और बसावट को जोडऩे का लक्ष्य प्रधानमंत्री मोदी ने निर्धारित किया है। इस काम में काफी तेजी आयी है। 2011-14 की अवधि में यूपीए काल के दौरान रोजाना 70-75 किलोमीटर ग्राम सड़क का निर्माण हुआ, जो 2016-17 में बढ़ कर रोजाना 130 किलोमीटर हो गया और 47,000 किलोमीटर ग्राम सड़कों का निर्माण हुआ। वर्ष 2017-18 के लिए यह लक्ष्य 58,000 किलोमीटर का है। इसको हासिल करने के लिए 150 किलोमीटर रोजाना ग्रामीण सड़क निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। बहरहाल, यदि प्रधानमंत्री मोदी मार्च 2019 तक यह लक्ष्य हासिल कर लेते हैं तो आगामी लोकसभा चुनावों से ऐन पहले उनके हाथ एक बड़ी उपलब्धि होगी, जिसका इस्तेमाल करने में मोदी कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
(निवेश मंथन, मई 2017)